• Oct 10, 2025

प्रसिद्ध चंद्रभागा शक्तिपीठ जो प्रभास शक्तिपीठ के नाम से भी जाना जाता है, गुजरात के जूनागढ जिले के पास वेरावल में स्थित यह शक्तिपीठ देवी दुर्गा के 51 शक्तिपीठों मे से एक है जो देवी के चंद्रभागा स्वरूप की आराधना के लिए प्रसिद्ध है। हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार यहां दर्शन करना भक्तों के जीवन में सुख समृद्धि आने का संकेत होता है। दिव्यता और आध्यात्मिक पृष्ठभूमि में अवस्थित इस शक्तिपीठ के आसपास कई प्रमुख तीर्थस्थल है जिसे देव धरती भी कहते हैं। गुजरात के प्रभास पाटन क्षेत्र की देवी चंद्रभागा मंदिर पवित्र त्रिवेणी संगम के पास स्थित शक्तिशाली स्थान है।

शक्तिपीठों से संबंधित पौराणिक इतिहास

भगवान शिव और उनकी पत्नी सती को राजा दक्ष जो उनके पिता थे, उन्होंने यज्ञ समारोह में नही बुलाया। जिस पर दुखी सती अकेले ही यज्ञ समारोह में बिना बुलाए ही चली गईं और वहां उन्हें भगवान शिव के प्रति कठोर वचनों को सुनना पड़ा। जिससे आहत होकर देवी सती ने यज्ञ अग्नि में खुद को समाप्त कर दिया।

इस घटनाक्रम से क्रोधित भगवान शिव ने देवी सती का शव लेकर तांडव नृत्य शुरू कर दिया। जिससे सृष्टि का संतुलन बिगड़ते देख भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से देवी सती के मृत शरीर को बांटना शुरू कर दिया। जहां जो अंग गिरे वहां उन से जुड़ी प्रमुख देवियों की स्थापना हुई जो शक्तिपीठ कहलाए। भारतीय उपमहाद्वीप में 51 शक्तिपीठों की मौजूदगी है।

चंद्रभागा शक्तिपीठ से जुड़ी ऐतिहासिक कहानी

कहते हैं जब भगवान विष्णु देवी सती के मृत शरीर के भाग विभाजित कर पृथ्वी पर गिरा रहे थे तब देवी का उदर और नाभि भाग इसी स्थान पर गिरा था। तब से इस स्थान को चंद्रभागा शक्तिपीठ नाम से जानते हैं। इस शक्तिपीठ में भैरव रक्षक भगवान के रूप में वक्रतुंड भैरव की स्थापना है। 

चंद्रभागा शक्तिपीठ की चंद्र देव से जुड़ी पौराणिक कहानी

चंद्रमा देव ने राजा दक्ष की 27 पुत्रियों से विवाह किया, जिनमें से वे केवल एक ही पत्नी रोहिणी से ज्यादा प्रेम करते थे और शेष पत्नियों पर कोई ध्यान नहीं देते थे। इस वजह से दुखी होकर 26 पत्नियां अपने पिता दक्ष से इस बात की शिकायत करने पहुंची। राजा दक्ष ने चंद्र देव से बात करेने का आश्वासन दिया और चंद्रदेव के पास गए, जिन्हें देखकर भी चंद्रदेव ने अनदेखा किया और उनका आदर सत्कार नहीं किया। इस बात से क्रोधित होकर राजा दक्ष ने चंद्र देव को अपने रूप सौंदर्य पर घमंड होने के कारण यह श्राप दिया कि उनका रूप सौंदर्य नष्ट हो जाएगा। ऐसा होने पर चंद्र देव को अपनी गलती का एहसास हुआ ओर उन्होंने इसी शक्तिपीठ में ही देवी मां की आराधना कर अपना रूप सौंदर्य वापस पाया। इसी कारण इस शक्तिपीठ को चंद्रभागा शक्तिपीठ नाम से जानते हैं जिसे चंद्रमा की देवी भी कहकर बुलाते हैं।

चंद्रभागा शक्तिपीठ की वास्तुकला एवं संस्कृति

प्रभास शक्तिपीठ के बारे मेंं अनेक मत हैं जिनमें से लोग इन्हें जूनागढ के गिरनार पर्वत पर बसी अम्बा माता मंदिर को भी प्रभास शक्तिपीठ की तरह मानते हैं। जहां जूनागढ गिरनार पर्वत के 600 मीटर तलहटी मे बसा खूबसूरत स्थान है। त्रिवेणी संगम बांध रोड पर प्रभास पाटन में राम मंदिर के पीछे शक्तिपीठ अवस्थित है। 

इस मंदिर के निर्माण के बारें में कोई निश्चित समय ज्ञात नही है पर फिर भी इसकी वास्तुकला और प्रतिमाओं की छवि देखकर अंदाजा लगा सकते हैं कि यह पुरातन काल का प्राचीन हिंदू मंदिर है जो पत्थरों से बना है और इसकी दीवारों पर देवताओं और देवियों के चित्रों को उकेरा गया है। 

भगवान शिव के वक्रतुंड भैरव और माता अम्बा शक्ति का यह मंदिर भीमदेव द्वारा चंदन की लकड़ी और पत्थरों से चार चरणों मे ंबनवाया गया था। जो अपने आप में अद्भुत कला और श्रेणियों का मिश्रण है। ऐसा मानते हैं कि प्रभास पाटन जो भगवान सोमनाथ ज्योतिर्लिंग का देव स्थान है यहां पावन नदियां सरस्वती, हिरणा और कपिला नदियों के पावन संगम है। इस मंदिर में भक्तों की आध्यात्मिक उमंग देखते बनती है। यहां बना अम्बा मंदिर, अम्बाला मंदिर नाम से भी जाना जाता है। जो गिरनार पहाड़ी पर अवस्थित है।

चंद्रभागा मंदिर में दर्शन समय

चंद्रभागा शक्तिपीठ हर समय अपने भक्तों के कल्याण और मनवांछित फल प्रदान करने के लिए जाना जाता है। यह मंदिर साल भर खुला रहता है जो सुबह 6 बजे भोर में खुलता है और शाम 8 बजे शयन आरती के बाद बंद हो जाता है। सुबह से शाम तक आप कभी भी इस मंदिर में दर्शनों हेतु आ सकते हैं।

चंद्रभागा मंदिर से जुड़े रोचक तथ्य

चंद्रभागा शक्तिपीठ से जुड़े कई आश्चर्यजनक पौराणिक तथ्य हैं जो अद्भुत इतिहास के बारे में बताते हैं। इस मंदिर में भगवान श्री कृष्ण और बलराम का मुंडन संस्कार कराया गया था। इसके अलावा माता के मंदिर में स्वर्ण से बना एक सुंदर यंत्र है जिस पर 51 पवित्र श्लोक छपे हुए हैं। देवी अम्बा के दर्शनों के लिए भक्तों की लंबी कतारें यहां देखने को हमेशा मिलती हैं।

देवी चंद्रभागा या मां अम्बा जूनागढ की अधिष्ठात्री और रक्षक देवी हैं जिनके चरण चिन्ह गिरनार पर्वत पर देखने को मिलते हैं और यह मंदिर गुजरात राज्य के सबसे पुराने मंदिरों में से एक बताया जाता है।

इस शक्तिपीठ से जुड़ी एक और मान्यता है कि यहां दर्शन करने के बाद वैवाहिक जीवन खुशहाल हो जाता है, इसी कारण यहा नवविवाहित जोड़ों की अच्छी संख्या देखने को मिलती है जो अम्बा मां का आशीर्वाद प्राप्त कर ही वैवाहिक जीवन की शुरूआत करते हैं।

देवी अम्बा की महिमा निराली है जिसके साक्षात चमत्कार यहां आए भक्तो के मुख से स्वयं सुनने को मिलते हैं। जिन्हे सुनकर विस्मयकारी अनुभवों का एहसास होता है।

चंद्रभागा मंदिर में मनाए जाने वाले पारंपरिक उत्सव, त्यौहार व अनुष्ठान

चंद्रभागा शक्तिपीठ में नवरात्रि पर्व और दुर्गा पूजा की विशाल रौनक देखने को मिलती है, जिसमें यहां मेले और कई दिव्य अनुष्ठानों का आयोजन किया जाता है। इस पर्व को मनाने के लिए गुजरात के प्रसिद्ध नृत्य गरबा और डांडिया का भव्य समारोह भक्तों को आकर्षित करता है। नवरात्रि के नौ दिनो मे ंमां के कलश, जवारे और नौ दिनो ंका उपवास की भी प्रथा है। मान्यता है कि इन दिनों यहां मिट्टी से बने भोजन का सेवन नहीं किया जाता है। 

चैत्र और आश्विन माह में आने वाले नवरात्रि पर्व को भक्त बड़े उल्लास के साथ मनाते हैं। 

चंद्रभागा शक्तिपीठ में महाशिवरात्रि का त्यौहार भी बहुत जोश उल्लास और उमंग के साथ मनाया जाता है। जिसमें भगवान वक्रतुंड भैरव का ंपंचामृत विशेष अभिषेक किया जाता है और व्रत रहकर उन्हें मनाया जाता है। इस दिन विशाल मेले की भव्यता देखते बनती है जिसमें दूर दूर से भक्तों की टोलियां शामिल होती हैं। 

चंद्रभागा शक्तिपीठ में सावन माह की पंचमी तिथि को मनाई जाने वाली नागपंचमी बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। जिसमें नाग देवताओं की विशेष पूजा का अनुष्ठान किया जाता है। 

चंद्रभागा शक्तिपीठ में सभी विशेष त्यौहारों और पर्वों पर बहुत धूमधाम देखने को मिलती है जिसमें भक्ति के रंग में खुशियों के रंग भी घुल मिल जाते हैं। 

चंद्रभागा शक्तिपीठ के आसपास घूमने वाले स्थान

सोमनाथ मंदिर : भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों मे से एक यह ज्योतिर्लिंग अरब सागर के तट पर बना बेहद खूबसूरत मंदिर है, जिसकी वास्तुकला और भव्यता भारत के सर्वोच्च मंदिरों में से एक है। प्रभास पाटन क्षेत्र के अन्तर्गत आने वाला यह स्थान भगवान चद्रदेव की तपस्या का ही परिणाम है। अतीत में इस मंदिर को कई बार मुस्लिम आक्रमणकारियों का सामना करना पड़ा जिसके अवशेष यहां के संग्रहालयों में देखने को मिलते है। इस ज्योतिर्लिंग के बारें में हिंदू धर्मग्रंथों और पुराणों में भी पढने को मिलता है। इस मंदिर की वास्तुकला मारू गुर्जर शैली की है। 

माजेवाड़ी गेटः जूनागढ के माजेवाड़ी गेट की शोभा देखते बनती है जो करीब 360 साल से पुराना दरवाजा है। बाबी राजवंश की स्थापत्य कला का प्रमाण प्रस्तुत करता यह दरवाजा अद्भुत संरचना और जटिल नक्काशियों का प्रतीक है। इसकी भारतीय इस्लामी स्थापत्य शैली हर किसी को अचरच में डाल देती है। हाल ही में इसे प्राचीन सिक्का संग्रहालय में तब्दील कर दिया गया है जहां आप 1700 के बाद के सिक्कों का अवलोकन कर सकते हैं। 

राम मंदिरः जूनागढ मंदिर में प्रभास शक्तिपीठ के पृष्ठ भाग में बना श्री राम मंदिर अयोध्या राम मंदिर की तर्ज पर बना हुआ विशेष मंदिर है जहां भगवान श्री राम की बाल्य काल की प्रतिमा स्थापित है। इस मंदिर की दिव्यता और वास्तुकला बेहद आकर्षक है। 

गिरनार पर्वतः जूनागढ जिले में स्थित यह पर्वत प्रकृति और आध्यात्मिक का अनोखा संगम है जहां हिंदूओं और जैन धर्म के अनुयायियों के लिए महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है। इस पर्वत के अंतिम शिखर तक जाने के लिए करीब 9999 सीढियां चढनी पड़ती है। गिरनार पर्वत पर अम्बा शक्तिपीठ के साथ ही दिगंबर और श्वेताम्बर संप्रदायों के लिए पवित्र स्थान है जिसमें नेमिनाथ मंदिर, गोरक्षनाथ मंदिर और दत्तात्रेय मंदिर हैं। नेमिनाथ मंदिर की वजह से जैन धर्म के लिए यह नेमिनाथ पर्वत नाम से भी जाना जाता है। इस पर्वत पर जाने के लिए आप उड़न खटोला की सुविधा भी प्राप्त कर सकते हैं। 

ऊपरकोट किलाः मौर्य साम्राज्य में बना यह किला गिरनार पर्वत की तलहटी मे बना शानदार किला है। जिसकी कहानी जितनी अनोखी है उतनी ही दिलचस्पी भी है। इस किले में तीन प्रवेश द्वार है जो एक दूसरे के अंदर है। ऊपरकोट गुफाएं दूसरी तीसरी शताब्दी की बौद्ध गुफाओं के लिए भी जाना जाता है जो दो मंजिला गुफा परिसर है। इस किले में कृत्रिम झील नवाबी झील आकर्षित करती है। 

चंद्रभागा शक्तिपीठ कैसे पहुंचे 

हवाई मार्ग से 

प्रभास शक्तिपीठ पहुंचने के लिए जूनागढ के पास कोई हवाई अड्डा नही है, आप चाहे तो अहमदाबाद एयरपोर्ट से सड़क या रेल माध्यम से जूनागढ की सैर पर जा सकते हैं। 

रेल मार्ग से

शक्तिपीठ का नजदीकी रेलवे स्टेशन वेरावल जंक्शन है जहा से आप स्थानीय बसों और टैक्सियों से मंदिर दर्शन पर जा सकते हैं। 

सड़क मार्ग से

गुजरात के जूनागढ की सड़क कनेक्टिविटी सभी प्रमुख शहरो ंसे बेहतर है जहां आप अहमदाबाद के रास्ते आसानी से जूनागढ के प्रभास शक्तिपीठ दर्शनों को पहुंच सकते हैं।

निष्कर्ष

प्रभास या चंद्रभागा शक्तिपीठ देवी अंबा का शक्तिशाली स्थान है जो सदियो से अपनी पवित्र उपस्थिति से श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक शांति प्रदान कर रहा है। पुराणों में वर्णित इस शक्तिपीठ की महिमा सिर्फ कलयुग ही नहीं वरन् द्वापर काल से भी अधिक प्राचीन है। प्रकृति और दैवीय शक्तियों का अद्भुत संगम कराता प्रभास शक्तिपीठ अपनी पवित्रता, महत्ता और प्राचीनता के लिए जाना जाता है जिसकी दिव्य आभामयी ऊर्जा इस क्षेत्र को ही नहीं बल्कि पूरे संसार को प्रदीप्तिमान करती हुई आलोक प्रदान कर रही है।

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