• Sep 23, 2025

प्रकृति की गोद में बसे पूर्वोत्तर भारत का अभिन्न अंग सिक्किम और इसकी पर्यटन विशेषताएं अपने आप में अनोखी और लाजवाब हैं। उत्तरी सिक्किम में बसे लगभग 8610 फीट की ऊंचाई पर बसे इस शानदार पहाड़ी गांव लाचुंग की खूबसूरती को शब्दों में बांध पाना आसान नही है, बर्फ से ढके भव्य हिमालय पर्वत, देवदार और चीड़ के शानदार वृक्षों की उपस्थिति और कल कल बहती नदियों की मधुर ध्वनि के स्वर हर किसी को आकर्षित करते हैं, जहां तिब्बती संस्कृति के मठ, व्यवस्थित सड़कें, खुबानी और सेब के बागों की खुशबू से लेकर गहरी घाटियों की गूंजती सदाएं हैं और साथ ही अन्य कई आकर्षण स्थल हैं।

1. जीरो पॉइंटः

समुद्री सतह से लगभग 15300 की विशाल ऊंचाई पर स्थित यह जीरो पॉइंट युमे सामदोंग से भी जाना जाता है, जो विशाल हिमालय की गोद में बर्फ से लदे पहाड़ों और यहां से दिखाई देने वाले मंत्रमुग्ध करने वाले परिदृश्यों की विशाल श्रृंखलाओं के बीच तीन नदियों का मिलन होता है। जीरो पॉइंट सड़क के अंत का प्रतीक माना जाता है, जहां सभ्यता का आखिरी पड़ाव है। भारत का पहला और दुनिया का तीसरा सबसे ऊंचा पर्वत कंचनजंगा के शाही अंदाज का लुक पर्यटकों को यहां से खासा आकर्षित करता है। इस प्वाइंट से आगे जाना अनुमन्य नही है क्योकि यह चीन की सीमा से मात्र कुछ ही किमी की दूरी पर रह जाता है। लाचुंग से युमथांग घाटी के रास्ते जीरो प्वाइंट जाया जा सकता है। जहां रास्ते में कई सारे आकर्षणों से रूबरू होने का अवसर मिलता है।

  • पताः युमथांग घाटी से लगभग 25 किमी दूरी पर अवस्थित
  • समयः सुबह 6 बजे से शाम 5 बजे
  • प्रवेश शुल्कः निःशुल्क

2. लाचुंग मठः

तिब्बती संस्कृति को भव्यता के साथ प्रदर्शित करता लाचुंग मठ भगवान बुद्ध के जीवन चरित और गुरू पद्मसंभव की दिव्य कांस्य प्रतिमा का दर्शन कराता है, जहां लकड़ी के बने प्रार्थना चक्र और उनमें जुड़े धातु के ड्रैगन चित्रांकन के ढेर सारे विस्तृत प्रार्थना पहिओं की मौजूदगी इसकी सुरक्षा करती है। मठ के चारों ओर का सजीव वातावरण धार्मिक और प्राकृतिक भावनाओं को स्वतः ही उच्च स्तर पर पहुंचा देता है। इस मठ के दो मंजिलों में निग्मा संप्रदाय से जुड़ी विशेषताओं को बारीकी से समझने का मौका मिलता है। यहां होने वाला मुखौटा नृत्य उत्सव एक लोकप्रिय उत्सव है।

  • पताः लाचुंग मठ, लाचुंग, मंगन जिला, उत्तरी सिक्किम
  • समयः सुबह 7 बजे से शाम 7 बजे
  • प्रवेश शुल्कः निःशुल्क

3. भीम नाला जलप्रपातः

शक्तिशाली महाभारत पात्र भीम के नाम पर इस जलप्रपात को जाना जाता है जो अपनी प्राकृतिक खूबसूरती और एकांतिक आनंद की अनुभूति कराता हुआ बहुत अद्वितीय प्रतीत होता है। इतनी अधिक ऊंचाई होने के कारण लोकल लोगों द्वारा इसे अमिताभ बच्चन झरना भी कहा जाता है, हास्यप्रद है लेकिन कुछ लोग इसके सिरे की तुलना अमिताभ बच्चन के सिर से करते हैं। अनोखी स्थालाकृति और बहुस्तरीय रूप में गिरते पानी की छवि का लुक और आस पास के घने वनों की कारीगरी का संगम देखने वालो को उच्च आकर्षण प्रदान करता है। जहां सघन हरीतिमा का आंचल पर्यटकों को ठंडी छांव प्रदान करता है।

  • पताः खेदम, लाचुंग गांव, उत्तरी सिक्किम
  • समयः 24 घंटे खुला
  • प्रवेश शुल्कः व्यस्कों के लिए प्रति व्यक्ति 10 रूपये

4. झाड़ी अभयारण्य

रोडोडेंड्रॉन फूलों की मोहकता से सराबोर लुचांग गांव की पृष्ठभूमि को सजाता झाड़ी अभयारण्य शिंगबा श्रुब के नाम से भी जाना जाता है, जिसकी खूबसूरती के कारण यहां घूमने वालों की बड़ी तादाद यहां देखने को मिलती है। यहां के पुरातन और शांत हिमालयी ढलान इस फूल के 40 से अधिक रंगों की विविधताओं को प्रदर्शित करता है, यह स्थान प्रकृति का सबसे क्रियेटिव पक्ष सामने लाता है। ऊबड़ खाबड़ चट्टानी सतहों के बीच लाल, गुलाबी, बैंगनी और सफेद रंगों का दिखना इतना मनोरम लगता है जैसे स्वयं ईश्वर की कृपा साक्षात् यहां दिखाई दे रही हो। लाल रंग का रोंडोडेड्रॉन पुष्प सिक्किम का राजकीय फूल के तौर पर भी घोषित है।

  • पताः युमथांग फूलों की घाटी, लाचुंग, उत्तरी सिक्किम
  • समयः सुबह 8 बजे से दोपहर 12 बजे
  • प्रवेश शुल्कः समूह के आकार को देखकर निर्धारित किया जाता है।

5. माउंट कटाओ

सिक्किम में बर्फ से ढकी वादियों के भव्य आकर्षण यहां स्कीइंग, स्केटिंग, स्नोबोर्डिंग अन्य स्नो संबंधित खेलो के लिए आकर्षित करती है। बर्फीली गतिविधियों को एन्जॉए करना चाहते हैं तो यह पर्वत एक उपयुक्त स्थान है जहां पर्यटक अपने फेवरेट स्नो पॉइंट को एन्जॉए करने आते हैं, इस पर्वत की चोटी पर पहुंचने के लिए आर्मी की परमिशन की जरूरत पड़ती है। माउंट कटाओं को वसंत ऋतु में देखने का अलग ही आकर्षण देखने को मिलता है। कई सारे भव्य आकर्षण झरना, पोस्ता घाटी, प्रिमुला और रोंडोडेड्रॉन फूलों को निहारने का अवसर यहां जाने के रास्ते में मिलेगा।

  • पताः लाचुंग से करीब 28 किमी की दूरी पर, उत्तरी सिक्किम
  • समयः प्रातः 8 बजे से दिन में 1 बजे तक का समय उपयुक्त रहता है।
  • प्रवेश शुल्कः कुछ नहीं

6. नागा जलप्रपातः

सुंदरता और लंबाई में विशेष यह झरना अपने मनोरम दृश्यों और हरियाली की ओट में बेहद साफ, स्वच्छ और निर्मल झरना है, जिसकी प्रकृति शीत है। कई स्तरों पर बहता यह झरना यूं तो मेन रोड से काफी दूर है, लेकिन इसके दृश्यों की खूबसूरती बहुत दूर से ही दिखाई देनी लगती है। हालांकि पास से देखने के लिए ऊबड़ खाबड़ रास्तों को पार करना पड़ता है। सिक्किम के खूबसूरत झरनों में से एक यह झरना मानसूनी समय में बहुत ज्यादा तीव्र उफान पर होता है जो सजग रहने को प्रेरित करता है। यहां के मंत्रमुग्ध करते परिदृश्यों के बीच आप बढिया फोटोग्राफी कर सकते हैं।

  • पताः लाचुंग, मंगन, उत्तरी सिक्किम
  • समयः सुबह 9 बजे से शाम 6 बजे
  • प्रवेश शुल्कः कुछ नहीं

7. युमथांक घाटीः

फूलों की घाटी के नाम से भी इसे जाना जाता है, जहां हिमालय के विस्तृत क्षेत्रफल पर गुनगुनाते घास के मैदानों की उपलब्धता, गूंजती नदियों की मधुर ध्वनि, धुआं निकलते गर्म झरनों की मौजूदगी, हरे भरे चरागाहों की भरपूर सुलभता इसे पर्यटन के प्रति एकदम परफेक्ट बनाती है। समुद्री सतह से इसकी ऊंचाई करीब 3500 मीटर है, जिसमें आप मौसमी फूलों की सुगंध को महसूस कर सकते हैं। यहां कई विदेशी फूलों की प्रजातियों के भी दीदार होते हैं जो इस घाटी को कई तरह के रंगों में सजाने का काम करते हैं। जो देखने में ऐेसे प्रतीत होती है मानो किसी कलाकार ने अपने सारे रंगों को धरती पर बिखेर कर रख दिया हो।

  • पताः युमथांग घाटी, लाचुंग, उत्तरी सिक्किम
  • समयः सुबह 6 बजे से शाम 5 बजे
  • प्रवेश शुल्कः कोई शुल्क नहीं है।

8. लाचेनः

करीब 2600 मीटर की समुद्री तल से ऊंचाई पर अवस्थित यह स्थान अपनी अनोखी वास्तुकला के घरों के लिए फेमस है, जिसे हिमालयी भूटिया शैली के घरों के रूप में जाना जाता है। तिब्बती धर्म और वास्तुशिल्प का ऐसा नायाब उदाहरण शायद ही कहीं और देखने को मिलता हो। यहां अवस्थित लाचेन मठ के प्रार्थना चक्रों को निहारें और गुरू पद्मसंभव की प्रतिमा का आशीर्वाद प्राप्त करें। प्रकृति की खूबसूरती को बयां करता यह स्थान त्सो ल्हामो जैसी ऊंची झीलों के लिए भी जाना जाता है। यहां दजुम्सा समुदाय की रीति रिवाजों का पालन किया जाता है।

  • पताः चुगंथांग, लाचुंग, उत्तरी सिक्किम
  • समयः सुबह 8 बजे से दोपहर 1 बजे तक समय उपयुक्त है।
  • प्रवेश शुल्कः कुछ नहीं

9. चुंगथांगः 

लाचेन नदी और लाछुंग नदी के मिलन बिन्दु पर मौजूद यह स्थान पर्यटकों को अपनी खूबसूरती से बहुत आकर्षित करता है, जो लगभग 5500 फीट की ऊंचाई पर स्थित एक गांव हैं। यहां की धार्मिक मान्यताओं में इसे बहुत पवित्र माना जाता है, कहते हैं कि पूज्य गुरू पद्मसंभव ने इस धरती को अपने ध्यान हेतु चुना था, जिसके बाद यहां की आध्यात्मिक ऊर्जा का स्तर कई गुना बढ गया है। चुंगथांग का शाब्दिक अर्थ भी सबसे ज्यादा नायाब क्षेत्र ही होता है। यहां मौजूद पूजनीय चट्टान पर गुरु पद्मसंभव की प्रतिकृति की भी देखने को मिलती है। यहां होती धान की खेती के पीछे भी कई कहानियां सुनने को मिलती हैं।

  • पताः चुगथांग, लाचुंग, उत्तरी सिक्किम 
  • समयः सुबह 7 बजे से दोपहर 1 बजे तक
  • प्रवेश शुल्कः कुछ नहीं 

10. चोपता घाटीः

समुद्री सतह से लगभग 13200 फीट की भव्य ऊंचाई पर अवस्थित चोपता घाटी एक शांत और रमणीक स्थान है। यहां मौजूद अल्पाइन वनों की श्रृंखलाएं, बर्फ से ढके पहाड़ और मोड़दार नदियों के बीच मंत्रमुग्ध करते नजारें, प्रकृति प्रेमियों को स्वर्ग जैसा लुक प्रदान करते हैं। यहां दुर्लभ प्रजातियों के प्राणियों को भी देखा जा सकता है जैसे लाल लोमड़ी, कस्तूरी मृग, हिमालयी मोनाल और लाल रंग के तीतर जैसे प्रवासी पक्षियों की झलक भी देखी जा सकती है। यहां से आप गुरूडोंगमार झील जैसे ऊंचे स्थानों पर ट्रेकिंग कर पहुंच सकते हैं। 

  • पताः लाचुंग, उत्तरी सिक्किम
  • समयः सुबह 7 बजे से दोपहर 1 बजे का समय उपयुक्त है।
  • प्रवेश शुल्कः कुछ नहीं 

निष्कर्ष

अंत में, सिक्किम की हर दिशा बेहतर पर्यटन की दिशा सुनियोजित करती है किन्तु उत्तरी सिक्किम का यह हिस्सा लाचुंग गांव कई सारे ऐतिहासिक, प्राकृतिक और सांस्कृतिक पक्षों से अपने पर्यटकों को सुकून और शांति प्रदान करता है। बर्फीले आनंद से लेकर घास के मैदानों और विभिन्न फूलों की खुशबूओं तक लाचुंग गांव का सानी नहीं हैं। यहां अवस्थित मठों की धार्मिकता और पवित्र वातावरण सैलानियों को प्रकृति के उपहार को देने के साथ ही आध्यात्मिकता की सर्वोच्च ऊंचाइयों तक भी पहुंचाता है। 

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