पर्यटन की दृष्टि से जम्मू व कश्मीर का नाम आज भी सर्वोपरि है और गुलमर्ग इसी जगह की एक बेहद नायाब सौगात है जिसे धरती का स्वर्ग कहा जाता है। कभी गौरीमर्ग के नाम से मशहूर यह जगह साल दर साल सैलानियों को अपनी ओर आकर्षित करती रहती है। दूर दूर तक बर्फ का नजारा इसे स्कीइंग रिजॉर्ट के रूप में साथ ही यहां के हरे भरे गोल्फ कोर्स देश में ही नहीं बल्कि विदेशों तक में नंबर वन का दर्जा रखते हैं। दुनिया का सबसे बड़ा इग्लू कैफे के साथ ग्लास इग्लू रेस्टोरेंट और यहां से गुलमर्ग के खूबसूरत परिदृश्यों को देखना बहुत ही आकर्षक प्रतीत होता है। गुलमर्ग अपने हर रूप में अद्वितीय पहचान रखता है, तो आइए यहां की इन्हीं विशेषताओं के बारें में और अधिक बारीकी से समझते हुए 10 सर्वोच्च आर्कषणों की सूची तैयार करते हैं।
गुलमर्ग में शिव भक्तों को समर्पित यह मंदिर किसी आश्चर्य से कम नहीं जिसे साल 1915 में महाराज हरि सिंह द्वारा अपनी पत्नी मोहिनी बाई सिसोदिया के लिए बनवाया गया था, इस कारण इसे मोहिनीश्वर शिवालय मंदिर या रानी मंदिर नाम से भी जानते हैं। हरी भरी पहाड़ी पर बना यह मंदिर किसी आलीशान महल से कम नहीं लगता, जो गुलमर्ग में कहीं से भी दिखता है। इस मंदिर की झलक आपने भी कभी न कभी तो देखी ही होगी जब 1974 की फिल्म आपकी कसम से राजेश खन्ना और मुमताज अभिनीत ‘‘जय जय शिव शंकर’’ गाने को देखा होगा, कुछ याद आया, जी हां यह वही मंदिर है।
यह संग्रहालय गुलमर्ग में बने हाई एल्टीट्यूड वारफेयर स्कूल के अंदर ही स्थित है जिसका उद्देश्य अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्र में कार्यरत सैनिकों की हिम्मत और जज़्बे का सलाम करना है। स्मृतिपूर्ण वस्तुएं रखी हैं, जहां पर्वतारोहण साहसिक मिशन में काम आने वाले उपकरण और अन्य वस्तुओं के संग्रह को देखने का मौका मिलता है। सामान्य मैदानों की अपेक्षा बर्फ के पहाड़ों पर चढना और किसी युद्ध स्तर के कार्य को संभालना कतई आसान नहीं होता, जिसे भारतीय सेना के सैनिक अपनी कला कौशल और पूरा करने वाले एटीट्यूड के साथ संपन्न करते हैं। इसमें अस्त्र शस्त्र के साथ ही उन्हें ऑक्सीजन मास्क और सिलिण्डर, बर्फ को काटने के लिए औजार साथ में विषम परिस्थितियों में जीवन को बचाए रखने के हुनर हेतु जरूरी सामानों को साथ में रखना पड़ता है। इसी प्रभाव को महत्व प्रदान करता यह संग्रहालय हिमालय की बर्फीले पर्वत शीर्षों का आभास कराता है।
गुलमर्ग की विशेष पहचान यह गोंडोला पर्यटकों को अपनी ओर खासा आकर्षित करती है, यहां विश्व की सबसे बड़ी और दूसरी सबसे ऊंची केबल कार है, इसका एशिया में पहला स्थान है। इस केबल कार में एक बार में 6 लोगों को ले जाने की क्षमता है, जो एक घंटे में ही 600 लोगों को केबल कार की सैर करवा देती है। इसका पहला पड़ाव गुलमर्ग से कोंगडूरी को जोड़ते हुए हैं, दूसरा पड़ाव कोंगडूरी से अफरवत चोटी को मिलाता है। तीसरा पड़ाव कोंगडूरी को मैरी शोल्डर से जोड़ता है। गोडोंला की सवारी करते समय आप आसपास के मनोरम दृश्यों का अवलोकन करने के साथ ही बर्फीले पर्वतों के भव्य नजारें के साथ भारत के प्रसिद्ध नंगा पर्वत को भी देखने का लुत्फ ले सकते हैं। गुलमर्ग गोंडोला शानदार आकर्षक सवारी के साथ ही विहंगम दृश्यों की रोचक श्रृंखला के साथ गुलमर्ग का आनंद ले सकते हैं।
20वीं शताब्दी के समय महाराजा हरि सिंह द्वारा बनवाया यह पैलेस गुलमर्ग के खूबसूरत आकर्षणों में से एक है, जिसे देखने दुनिया भर से लाखों सैलानी हर साल आते हैं और इसकी भव्यता के मुरीद बन जाते हैं। इस ढांचे में लकड़ी का काम ज्यादा प्रयोग किया गया है, जो यूरोपीय वास्तुकला से ज्यादा प्रभावित लगता है। कश्मीर के राजा रणबीर सिंह के शाही महल की तरह भी इसे जाना गया है, जिसमें 15 कमरे और केंद्रीय हॉल भी है। यहां उन्हीं के काल का कुछ फर्नीचर भी देखने को मिलता है जिसमें शीत ऋतु में कमरों को गर्म रखने हेतु चिमनी खासा आकर्षित करती हैं। पर्यटकों को देखने के लिए यहां बहुत कुछ है जिसमें बारूद संग्रहण कक्ष, घोड़ों के लिए काष्ठ का अस्तबल और महारानी तारादेवी के साथ महाराजा हरि सिंह की तस्वीर बहुत आकर्षक लुक प्रदान करती है।
गुलमर्ग की सुहावनी और लुभावनी घाटियों में से एक खिलनमर्ग आकर्षक फूलों और घास के मैदानों का संग्रह करती हुई घाटी है, जहां वसंत और ग्रीष्म ऋतु का नजारा अति मनोरम होता है जब विभिन्न तरह के फूलों की शोभा और हरी हरी घास से यह घाटी गुलजार रहती है और शीतकाल में होती बर्फबारी के बीच स्कीइंग का शौक रखने वालों के लिए यह स्थान किसी स्वर्ग से कम नहीं होता। मानसूनी समय में यहां की सघन हरियाला हर किसी को आकर्षित करती हैं जहां आप फोटोग्राफी आदि का मज़ा ले सकते हो। यहां दुर्लभ वन्य प्राणियों को भी देखा जा सकता है जैसे मरमोट, खरगोश के साथ कई पक्षियों की प्रजातियों के भी दीदार करने को मिलते हैं।
अफरवत पर्वत के आधार पर मौजूद यह झील जमी हुई झील के नाम से मशहूर है जो लगभग नवंबर से लेकर गर्मियों की शुरूआत तक जमी रहती है। तकरीबन 3840 मीटर की इतनी ऊंचाई पर स्थित यह झील एक त्रिभुज आकार में जमी हुई बर्फ के रंग के ट्रे की भांति प्रतीत होती है, जो देखने में अति सुंदर लगती है और ग्रीष्म ऋतु में नीले रंग के पानी की तरह दिखाई पड़ने वाला नजारा पहाड़ की चोटियों से देखने पर बहुत अद्भुत और आकर्षक प्रतीत होता है। आप यहां तक पहुंचने के लिए गोंडोला के द्वितीय चरण में अफरवत पीक तक पहुंच सकते हैं इसके बाद वहां से ट्रैकिंग या टट्टू से झील तक पहुंच सकते हैं। सर्दियों के दिनों मे आप इस झील पर आइस स्केटिंग का लुत्फ भी ले सकते हैं जहां से बर्फ से ढकी पर्वत की चोटियां आभामय प्रतीत होने के साथ ही फोटो सैशन के लिए उपयुक्त होती हैं जहां भव्य नजारों की विशेष श्रृंखलाओं का खुशनुमा माहौल होता हैं।
गुलमर्ग की एक खूबसूरत पहाड़ी धारा के रूप मे बहने वाली यह नदी गुलमर्ग आने वाले सभी पर्यटकों को आकर्षित करती है, दरअसल अफरवत पर्वत की पिघलती हुई बर्फ ही इस धारा का परिणाम होती है जो मोड़दार रास्तों में प्रवाहित होने के बाद सोपोर के पास झेलम नदी में समाहित हो जाती है। इसके दोनों ओर एक सीनरी जैसा लुक देखने को मिलता है, जिसमें हरी भरी घास और विभिन्न प्रजातियों के फूलों के परिदृश्यों का चित्रण निहारने का अवसर मिलता है। प्रवाहित धारा का मधुर स्वर और प्रकृति का संगम करते अद्भुत दृश्यों की श्रृंखला के साथ तन और मन को तरोताजा करने का अवसर मिलता है, जिसमे चाहें तो मौन अवलोकन या परिवार, दोस्तों संग मौज मस्ती कर समय बिता सकते हैं, आप यहां एडवेंचर एक्टीविटी जैसे कैंपिंग, ट्रैकिंग या पिकनिक का सुहाना मजा लेने के साथ ही सुकून के पल एन्जॉए कर सकते हैं।
मुस्लिम अनुयायियों के लिए यह दरगाह बहुत महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है जहां जियारत बाबा रेशी की यह दरगाह है, जिनकी मृत्यु सन् 1480 में हुई थी। सन्यासी होने से पहले यह कश्मीर के राजा जैनुलाब्दीन के दरबारी थे इनका मूल नाम सूफी संत बाबा पयामुद्दीन था, चीटियों के एक समूह की भविष्य के प्रति चिंता को देखकर उनका मन दरबारी जीवन से विरक्त हो गया और उन्होंने सूफी जीवन को अपना लिया और बाकी का जीवन लोगों की सेवा में लगा दिया। समुद्र तल से बहुत ज्यादा करीब 7,000 फीट की ऊंचाई पर बनी यह दरगाह पर्यटकों का ध्यान इसलिए भी आकर्षित करती है। इसके निर्माण में कई जगह की स्थापत्य शैलियों का सम्मिश्रण देखने को मिलता है, जहां गुरूवार और शुक्रवार को बहुत भीड़ दर्शनों के लिए आती है। प्राकृतिक खूबसूरती के अनोखे वातावरण में आध्यात्मिक वातावरण का संगम अलौकिकता प्रदान करता है।
कश्मीर की वादियों में उपस्थित गुलमर्ग जगह में गोल्फ कोर्स खेलने का आनंद बहुत अनोखा है, जहां हरियाली का दामन थामे वादियों और घास के मैदान हैं। जहां चीड़ और देवदार के आकर्षण आपके खेल में और दिलचस्पी बढाने के काम आएंगे। यहां का सुहावना मौसम आपको मनोरंजन करने के खूब सारे अवसर प्रदान करता है। तकरीबन 2700 मीटर ऊंचा हरा भरा गोल्फ कोर्स शायद ही आपने कहीं और देखा हो? यहां की प्रकृति गोल्फ के लिए इतने वृहद स्तर पर सटीक है कि गुलमर्ग सिर्फ घूमने फिरने के लिए ही नहीं बल्कि खेल प्रेमियों के लिए भी विशेष जगह है।
यह भी एक पहाड़ी धारा है जिसकी गुलमर्ग से दूरी लगभग 5 किमी है। सौम्य, शांत मधुर सी बहने वाली यह धारा एक आनंद और असीम शांति का अनुभव कराता इसका मीठा और पीने योग्य पानी इसे और विशेष बनाता है। यहां आप मछली पालन की कला को भी आजमा सकते हैं। इसे शिनमाहिन्यू के नाम से भी लोग पुकारते हैं। शानदार सुरम्य वातावरण का निर्माण करती यह धारा पर्यटकों को खूब लुभाती है। आप चाहें तो यहां पिकनिक और फोटोग्राफी का भी भरपूर मजा ले सकते हैं।
कश्मीर हवाई अड्डे या जम्मूतवी रेलवे स्टेशन से पहुंचकर लोकल बस या टैक्सी के माध्यम से गुलमर्ग जा सकते हैं या फिर निजी वाहन से भी जम्मू कश्मीर की यात्रा के माध्यम से गुलमर्ग जा सकते हैं।
गुलमर्ग, एक स्वर्ग और भी कई सारे उपनामों से इस जगह को जाना जाता है। प्रकृति की गोद में बसा यह स्थान हर एक ऋतु में अपना अलग ही अंदाज प्रस्तुत करता है, परिदृश्य, सवारी, खेल, धार्मिकता हर पहलू में गुलमर्ग सर्वश्रेष्ठ है, और सैलानियों को हमेशा आकर्षित करता है।