नीमराणा किला महल, दिल्ली से महज कुछ घंटों की दूरी पर जयपुर में स्थित एक लोकप्रिय विटेंज आकर्षण है, जिसकी समृद्ध और संपन्न विरासत आज भी पर्यटकों का मन मोह लेती है। स्थापत्य कला संस्कृति और सौंदर्य का बेमिसाल उदाहरण हैं जिसके इतिहास की कहानियां खुद में ही बहुत रोचक हैं। अरावली पर्वत श्रृंखलाओं पर बने इन महलों की विलासिता और मंत्रमुग्ध करती खोज पर्यटकों को दूर से ही रोमांचक और सुकून का एहसास कराते हैं। घुमावदार सड़कें और पहाड़ियों से घिरे किले की भव्यता प्रभावशाली रूप से अपनी ओर आकर्षित करती है। नीमराणा कई सारे महलों और आकर्षणों का भव्य कलेक्शन है जो कृत्रिम रूप से कुदरत की सबसे शानदार बनावट है। 15वीं शताब्दी से अपनी बेजोड़ उपस्थिति से सुखद अनुभव कराता यह महल इस समय शाही विरासत होटल में तब्दील हो गया है, आप भी राजसी ज़िंदगी का आनंद ले सकते हैं।
नीमराना का इतिहास कई हज़ारों साल पुराना है, जिसकी छवि समृद्ध संस्कृति और अनमोल विरासत का गढ है। यह किला शहर करीब दस हेक्टेयर भूमि पर फैला है, कहा जाता है कि निर्माण करीब 15वीं शताब्दी के आसपास पृथ्वीराज चौहान ने कराया था, सन् 1947 गिरते हुए अग्रभाग और दरारों के चलते में तत्कालीन राजा राजिंदर सिंह को मजबूरी में इसे छोड़ना पड़ा। वर्तमान में यह महल हेरिटेज होटल में अपनी शान बरकरार रखे हुए है, जहां आगुंतक ठहरकर शाही जीवन शैली के अंदाज़ों का लुत्फ लेते हैं। विटेंज शैली के कमरे, राजसी डाइनिंग आउटलेट रूपरेखा के साथ इस रिसॉर्ट का मज़ा ले सकते हैं। इस किले में 74 कमरों के साथ स्पा और दो स्विमिंग पूल है। हैंगिग गार्डन, रूफ रेस्टोरेंट, एम्फीथियेटर और कॉन्फ्रेंस रूम मौजूद हैं।
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अलवर के महाराजा विनय सिंह की खूबसूरत दूरदर्शिता का परिणाम यह झील रूपारेल नदी की सहायक नदी पर तटबंध बनवाकर कृत्रिम तरह से तैयार की गई थी, जिसका उद्देश्य अलवर शहर को पानी उपलब्ध कराना था। इस झील को लेकर कई किंवदंतियां सुनने में आती है, जहां सिर्फ पानी ही नहीं बल्कि शांत ठहरे वातावरण में मगरमच्छों की भी अच्छी संख्या हैं, आसपास के घने वनों की समृद्ध जैव विविधता और पक्षियों की करीब 100 से अधिक प्रजातियां आकर्षण का केंद्र है। झील के किनारे पर बना सिलिसेढ लेक पैलेस महाराजा विनय सिंह ने भरतपुर की राजकुमारी व अपनी महारानी शीला देवी के लिए बनवाया था। जहां से शिकार के लिए आसानी होती थी और वर्तमान में यह हेरिटेज होटल के रूप में मशहूर है। करीब 13 किमी दूरी तक बनी यह झील पर्यटकों का मन मोह लेती है। आरामदायक और शाही अंदाज वीकेंड को महसूस करना चाहते हैं तो सिलिसेढ झील और पैलेस की सैर अद्भुत है।
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कुआंरा या अलवर दुर्ग के नाम से मशहूर इस किले के निर्माण के बारें में किवंदंती है कि किले को अलावर खां ने तैयार करवाया था, अरावली पहाड़ी पर लगभग 300 मीटर की ऊंचाई पर स्थित इसका क्षेत्रफल करीब 5 किमी तक फैला हुआ है। इस किले में 6 प्रवेश द्वार हैं जिन्हें पोल प्रत्यय लगाकर बुलाया जाता है जैसे चांद पोल, सूरज पोल, कृष्ण पोल, लक्ष्मण पोल, अंधेरी पोल और जय पोल कहा जाता है। बाला किले के बारें में कहा जाता है कि यहां अकबर ने अपने पुत्र सलीम उर्फ जहांगीर को तीन वर्षों तक नजरबंद करके रखा था। कुछ इतिहासकार इसे हसन खान मेवाती द्वारा बनाए जाने को मान्यता देते हैं, इस किले की दीवारों पर ऐतिहासिक ग्रंथों और जटिल नक्काशी का जीवंत चित्रण किया गया है। इंडो इस्लामिक शैली का बेजोड़ नमूना है, इस किले में बंदूक चलाने के लिए करीब 445 स्थान हैं जो करीब 8 गढों, 15 बड़े और 51 छोटे टावरों से घिरे हुए हैं। इस किले में एक रेडियों स्टेशन का भी संचालन होता है, जिसको देखने के लिए पहले अनुमति लेनी पड़ती है।
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नीमराणा की इस बावड़ी के बारे में कहते हैं कि भारत की सबसे गहरी और बड़ी बावड़ियों में से एक है जिसका निर्माण बेहतर जल प्रबंधन के लिए किया गया था। इसका निर्माण राजवंशों द्वारा 15वीं शताब्दी के आसपास कराया गया था जिसमें करीब 177 सीढियां नीचे उतरकर ठंडक प्रदान करती बावड़ी का आनंद देखने को मिलता है। कहते हैं इस बावड़ी में कई गुप्त रास्ते हैं जो इसे नीमराणा महले से जोड़ते हैं। रहस्यमयी और ऐतिहासिक उपस्थिति को साकार करती यह बावडी नीमराणा घूमने जाएं तो अवश्य देखने योग्य है।
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राजस्थान का यह उद्यान शाही बंगाल टाइगर्स के लिए जाना जाता है जहां अन्य वन्यजीवों की उपस्थिति भी आकर्षित करती है, तेंदुएं, हिरण, लकड़बग्घें और अन्य विविध प्रजातियों की भी प्रचुरता है। जीवों के साथ ही यह पक्षी दर्शन के लिए सुयोग्य स्थान है, यहां तकरीबन 200 से ज्यादा पक्षियों की प्रजातियां पाई जाती हैं जिनमें भारतीय मोर से लेकर कई विदेशी पक्षियों की श्रृंखलाएं हैं। राजा महाराजाओं के समय में यह उनके शिकारगाह का काम करता था। वनों की सघन हरियाली के साथ ही यहां बहुत सारे पुराने मंदिर, किले और खंडहर मौजूद हैं जिनकी अवस्थिति दर्शाती है कि इस क्षेत्र में मानव और जानवरों के मध्य सामंजस्यपूर्ण और रोमांचक नजारें देखने को मिलते थे।
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18वीं शताब्दी में निर्मित यह किला अरावली की तलहटी में बाला किले के ठीक नीचे ही स्थित है जो मुगल और राजपूताना वास्तुशैली का उत्तम उदाहरण है, इसे सिटी पैलेस के नाम से भी जाना जाता है। इस महल का निर्माण महाराजा विनय सिंह ने कराया था जिन्होंने महल के भीतर राजपूतों के गौरव और सम्मान को प्रदर्शित करने के लिए द्वारनुमा मंडप बनवाया था। आज इस महल को सरकारी कामो के ऑफिस की तरह उपयोग में लिया जाता है, जिसमें संग्रहालय भी दर्शनीय है। इस किले में मुगल और राजपूत राजाओं के राजसी अंदाज़ की झलक एक साथ देखने को मिलती है।
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पैराडाइज वाटर पार्क गर्मी की तेज धूप से राहत भरी ठंडक प्रदान करता है जहां रोमांच, मस्ती और उत्साह से भरपूर पानी से जुड़ी रोमांचक गतिविधियां आगुंतकों को प्रिय लगती हैं। मनोरंजन और उल्लास से भरी राइडिंग और पानी की कलाकारी अकेले, परिवार और दोस्तों संग यादगार और प्रफुल्लित अवसर प्रदान करता है। आप यहां वाटर स्लाइडिंग, वेव पूल और लेज़ी रिवर जैसी विशेषताओं का आनंद ले सकते हैं। नीमराणा घूमने जाएं तो वाटरपार्क की सैर अद्भुत प्रतीत होती है।
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हेरिटेज होटल के रूप में प्रसिद्ध 14वीं शताब्दी में निर्मित यह पहाड़ी किला फेमस टूरिस्ट प्लेस है, जो स्पा और सनबॉथ के साथ छत पर स्वीमिंग पूल की सुविधा प्रदान करता है। शाही विलासी जीवन का मज़ा देता यह किला चारों ओर से हरियाली से भरे खेतों से घिरा हुआ है, जहां से प्रकृति की नजदीकी भी महसूस होती है। राजस्थानी शैली में सजा यह किला आरामदायक वीकेंड की छुट्टियों के लिए मशहूर है। यहां से सूर्योदय और सूर्यास्त के नजारें अद्भुत और आकर्षक लगते हैं। केसरोली किले के पास आप नीलकंठ मंदिर, पांडुपोल और भानगढ इत्यादि जगहों का अवलोकन कर सकते हैं।
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द्वापरकालीन पहचान रखता यह स्थान अफगान शासक शेरशाह सूरी और बीरबल के जन्मस्थान के रूप में जाना जाता है। भागवत पुराण में इस जगह का जिक्र नंदीग्राम नाम से किया गया है। कहते हैं कि पहले यह जगह जंगलों से घिरी हुई थी और यहां शेरों का घर हुआ करता था। जंगलों को साफ करके यह जगह बसी इसलिए इसका नाम नाहरनौल पड़ा जो अब नरनौल नाम से जाना जाता है। नरनौल में कई आकर्षक स्थल हैं जैसे जलमहल, सुभाष पार्क, चोर गुबंद और महेंद्रगढ जिला यहां का प्रमुख आकर्षण है।
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नीमराणा की यात्रा पर निकले हैं तो तिजारा फोर्ट पैलेस इसी के पास बेहतर विलासिता और आरामगाह अनुभव प्रदान करता वृहद और दिवास्वप्न की भांति प्रतीत होने वाला महल है जो एक हेरिटेज होटल है। 19वीं शताब्दी के इस फोर्ट पैलेस में करीब 71 सुइट्स और रूम्स हैं, जिनके अद्भुत नामों की श्रृंखला और आकर्षक दृष्टि आपका मन मोह लेगी। वीकेंड पर घूमने के लिए यह किला महल बहुत ही उपयुक्त जगह है जो अरावली पर्वत श्रृंखला की ऊंचाई पर बना यह किला हरियाली और शांति सुकून प्रदान करते इस वातावरण की शोभा को और अधिक बढा देता है। तिजारा फोर्ट पैलेस में शादी पार्टी वगैरह को यादगार बनाने वाली बुकिंग भी होती है।
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राजस्थानी और इतालवी शैली पर बनी यह हवेली बग्गर का विशेष आकर्षण हैं, इसका निर्माण सन् 1928 में किया गया था। इस हवेली में विभिन्न भित्तिचित्रों की कलाकारी पर्यटकों को विशेष रूप से आकर्षित करती है, जिसमें स्वर्गदूतों का उड़ना, हवाई जहाजों और मोटरकारों में देवताओं के चटकीले चित्रों के रंग बिरंगे परिदृश्य मनमोहक हैं। झुंझुनू के शानदार हेरिटेज होटल्स में से एक यह जगह बेहद ही खास और विशेष है।
ऐतिहासिक खूबसूरती और राजसी विरासत का पर्याय नीमराणा फोर्ट पैलेस का अंदाज़ और हेरिटेज विशेष कमरों की शोभा देखकर तन और मन शांति और सुकून के साथ खुशियों के शाही पलों को भी महसूस करता है। जहां विंटेज कारों से आस पास के गांवों का भ्रमण, ऊंट की सवारी और सांस्कृतिक संध्याओं का आनंद रिफ्रेशमेंट प्रदान करता है। आप चाहें अकेले हो या परिवार व दोस्तों के संग, नीमराणा आपको खूबसूरत याद देने के साथ ही कभी न भूलने वाले शानदार पलों के रूप में अनमोल तोहफे देता है।
राजस्थान की सबसे खूबसूरत जगहों में से एक नीमराणा, राजधानी और आसपास के इलाकों के लिए सर्वोत्तम हॉलीडे थेरेपी देने जैसा है जहां आप राजस्थानी स्वाद के साथ फ्रेंच, स्नैक्स और थाई लज़ीज व्यंजनों के रेस्टोरेंट का भी आनंद लेते हुए ऐतिहासिक युग के सफर पर निकल सकते हैं।