सितंबर मानसून की अद्भुत छटा को दर्शाता हुआ महीना है, त्योहारों की मिठास घुलने के साथ ही वातावरण में खुशहाली का रंग अपने आप बिखर जाता है। पधारो म्हारे देश की संकल्पना को साकार करता ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से संपन्न राजस्थान हमेशा से ही अपने खूबसूरत परिदृश्यों, आकर्षणों से पर्यटकों को आकर्षित करता रहा है। सितम्बर में इसकी मोहकता और ज्यादा खास हो जाती है क्योंकि रेगिस्तानी इस क्षेत्र में फुहारों के मौसम बाद वातावरण पन्ना रत्न की तरह शानदार और विहंगम प्रतीत होता है। जीवंत नज़ारों की उमंग और उल्लास का शाही अंदाज़ सिर्फ राजस्थान में ही देखने को मिल सकता है। सितम्बर 2025 में राजस्थान में घूमने के लिए क्या विशेष है? जानते हैं इस आर्टिकल में
सितम्बर की हरियाली और ठंडक भरे वातावरण में थार रेगिस्तान के नजदीक जोधपुर शहर घूमने का बढिया समय माना जाता है। राजस्थान के दूसरे सबसे बड़े शहरों में गिना जाने वाला जोधपुर सूर्य नगरी के नाम से विख्यात है जहां 15वीं शताब्दी के जीवन शैली को देखने का स्वर्णिम अवसर मिलता है। शाही इमारतें, रहन सहन, वेशभूषा, लोककहानियां और परंपराओं का विशेष अंदाज़ देखने को मिलता है। जोधपुर के घर, इमारतें अधिकतर नीलें रंग से सराबोर हैं जिनकी सामूहिक सुदंरता ने इसे ‘ब्लू सिटी’ के नाम से नवाज़ा है। राजस्थानी कला का अद्भुत दर्शन कराता जोधपुर सितंबर माह में पर्यटकों के और भी ज्यादा करीब हो जाता है, जहां हरियाली का दामन ओढे माहौल रूमानियत का अनोखा अंदाज़ पेश करता है। जोधपुर कई मायनों में बहुत रोचक शहर है, इस शहर की सीमा पाकिस्तानी बॉर्डर के नजदीक है। यहां कई सारे महल और उनसे जुड़ी विशेषताएं पर्यटकों को हमेशा अचरज में डालती हैं।
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कदम खंडी झरना जहां पहाड़ों की ऊंचाईयों से गिरता पानी अत्यंत प्रिय लगता है। उम्मेद भवन पैलेस जो प्रसिद्ध हस्तियों की शादियों और खूबसूरत परिदृश्यों का दीदार कराता विश्व प्रसिद्ध महल है। राव जोधा डेजर्ट रॉक पार्क, मेहरानगढ किला, जसवंत थड़ा महल इसकी खासियत है कि यहां मौजूद नक्कशीदार बुर्ज और अद्भुत गुंबद दिन में हमेशा सूर्य की रोशनी में रहता है जहां राठौर वंश से जुड़ी गौरवशाली यादों को देख सकते हैं, इसके अलावा मंडोर गार्डन की खूबसूरती को निहार सकते हैं जहां संग्रहालय, मंदिर और ढेर सारी हरियाली लिए पेड़ पौधों को निहारने के साथ ही अन्य आकर्षण स्थलों को भी देख सकते हैं।
राजस्थान का फेमस टूरिस्ट प्लेस उदयपुर जिसकी जितनी तारीफ की जाए, कम है। भव्य और अनुपम प्रतीत होती झीलों की भरपूर मौजूदगी इसे झीलों के शहर की संज्ञा प्रदान करते हैं। जहां सितम्बर का महीना, मानसून के बाद बेहद लुभावना चित्रण प्रस्तुत करता है। अरावली पहाड़ियों के बीच बसा उदयपुर राजस्थान में घूमने के मामले में उच्च स्थान रखने के साथ ही राजस्थान का सरताज कहलाता है। ऐतिहासिक किले, खूब सारी झीलें और विश्व विख्यात मंदिरों के लिए मशहूर उदयपुर महाराणाओं की धरती है। यहां का खान पान, रीति रिवाज, पंरपराए और लोक संस्कृति अन्वेषण करें। राजस्थानी विरासतों और गौरवगाथाओं की धरती उदयपुर अपने महलों, वेध शालाओं और झीलों के बीच बने द्वीपों के लिए पर्यटकों के बीच खासा लोकप्रिय है। किले, महलों और मंदिरों की अद्वितीय वास्तुकलाओं की झलक मन को भाव विव्हल करती है।
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प्रमुख झीलों में पिछोला झील, फतेह सागर झील, दूध तलाई झीलों व अन्य के अलावा सिटी पैलेस, जलमहल, सहेलियों की बाड़ी, जग मंदिर पैलेस, मानसून पैलेस जिसे सज्जनगढ महले के नाम से भी जानते हैं।
राजस्थान का हर शहर स्पेशल है जहां की अपनी विशेषताएं हैं, बीकानेर राजस्थान के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है जहां विविध तरह के आश्चर्य सैलानियों को आकर्षित करते हैं। जहां खाने पीने संबंधित आधुनिक आश्चर्यों से लेकर पुरातन ऐतिहासिक चमत्कारों के रोचक तथ्य और वास्तुशिल्प भव्यता सभी को अपनी ओर खींचती है। राजस्थान के मध्य में स्थित बीकानेर रेगिस्तान की रेतीले समुद्र तट पर अलौकिक आकर्षण पैदा करता है। सितम्बर माह में विश्व विख्यात रेगिस्तान की धरती पर सुकून की हवा और ठंडक प्रदान करता यह बीकानेर का यह आकर्षण मंत्रमुग्ध कर देने वाले नज़ारों की श्रृंखला प्रदान करता है। जहां सर्द रातों के चमकते सितारों की चमक और शांति प्रदान करती हजारों यादगार अनुभवों की कहानी है। राजस्थान की मूल प्राकृतिक संरचना को दर्शाता और पहचान कराता बीकानेर अपनी अविस्मरणीय अनुभवों के लिए पर्यटकों के बीच प्रसिद्ध शहर है।
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करणी माता मंदिर जहां विशेष रूप से सफेद चूहों की मौजूदगी प्रकृति का नया रूप ही सामने प्रकट करती है। कि ऐसा हो सकता है? यहां विशाल संख्या में चूहों का आकर्षण आस्था का नया अध्याय सामने दिखाते हैं जहां इनका करणी माता की शरण में रहना और मंदिर की वास्तुकला सभी का मन मोह लेती है। इसके अलावा गजनेर अभ्यारण्य, जूनागढ किला, लालगढ पैलेस, इंटरनेशनल ऊंट फेयर, लक्ष्मीनाथ मंदिर, गंगा सिंह संग्रहालय, भंडारासर जैन मंदिर, लग्ज़री हवेली, बीकाणा चौपाटी व अन्य स्थलांं को देख सकते हैं।
राजस्थान के सबसे बड़े शहरों में से एक और थार रेगिस्तान के बिल्कुल मध्य में स्थित इस शहर को स्वर्ण नगरी के नाम से जाना जाता है। विस्तृत रेगिस्तानी परिदृश्यों, सांस्कृतिक विरासत और किलों के लिए प्रसिद्ध यह शहर सिर्फ राजस्थान का ही नहीं बल्कि पूरे भारत का लोकप्रिय आकर्षण केंद्र है। गोल्डेन रेत के नजारें, बलुआ पीले पत्थरों की शोभा से सजे महलों की भव्यता इसे सुनहरे शहर की स्थापना 11वीं शताब्दी के आसपास रावल जैसल द्वारा की गई थी, जैसलमेर ऐतिहासिक राजपूताना योद्धाओं के समर्पण और शूरवीरता के किस्से यहां आने वाले पर्यटकों को जाहिर करता हुआ आकर्षक करता है।
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थार रेगिस्तान के प्रवेश द्वार के रूप में प्रसिद्ध जैसलमेर, अपने किले के साथ सम के धोरे जहां मिट्टी के संगीत और लोकनृत्य देखे जा सकते हैं। रेतीली ऊंचाईयों से सूरज के उदय और अस्त होते परिदृश्य मंत्रमुग्ध करते हैं। प्रमुख जैन मंदिर घूमिए और कुलधरा गांव, पटवों की हवेली, तनोट माता मंदिर का दर्शन कीजिए, जिसका रखरखाव भारतीय सेना द्वारा किया जाता है, हिंगलाज माता का आशीर्वाद प्राप्त होता है। गड़ीसर झील, सलीम सिंह की हवेली, व्यास छतरी, बड़ा बाग और मरूस्थल राष्ट्रीय उद्यान के साथ कई अन्य प्रमुख स्थलों का भ्रमण कर सकते हैं।
राजस्थान की राजधानी और पिंक सिटी के नाम से मशहूर यह शहर अपनी विरासत में मिली खूबसूरती और लोक स्मारकों, प्राचीन महलों, आकर्षणों और अपनी अद्वितीयता के कारण पर्यटकों की पहली पसंद बना रहता है। सितम्बर के महीनें में यहां की शोभा, विशाल महल प्रांगणो और हरी भरी धरती का आंगन देखनें में बहुत आनंददायी होता है। अपनी भव्यता और अनूठे समृद्ध इतिहास से संपन्न जयपुर आज भी राजस्थानी संस्कृति का भली भांति परिचय देता है। रोमांस हो या इतिहास जानने की रूचि, लगभग सभी वर्ग के लिए जयपुर परफेक्ट जगह है, जो इसे राजस्थान की बेहतर घूमने वाली जगहों में से एक बनाते हैं।
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सिटी पैलेस, आमेर किला, जंतर मंतर, बिड़ला मंदिर, जलमहल, चिड़ियाघर, बिरला मंदिर, हवामहल, गलता धाम, नाहरगढ किला, रामनिवास उद्यान, झालाना सफारी, पन्ना मीना कुंड और महारानी की छतरी के साथ ही कई सारी सर्वश्रेष्ठ जगहों का दौरा कर सकते हैं।
राजस्थान जैसे रेगिस्तानी क्षेत्र में नखलिस्तान के रूप में प्रसिद्ध माउंट आबू फेमस हिल स्टेशन सितम्बर माह में और भी ज्यादा सुंदर और हरे भरे पहाड़ों की हरियाली में सराबोर सैलानियों को बहुत ही ज्यादा आकर्षित करता है। समुद्रतल से लगभग 1220 मीटर की हाइट पर बसे इस पहाड़ी क्षेत्र का मानसून के बाद परिदृश्य बिल्कुल हरियाली भरे स्वर्ग की तरह दिखता है, इसे राजस्थान के शिमला की संज्ञा भी दी जाती है। पौराणिक दृष्टि से लोकप्रिय माउंट आबू ऐसा पहाड़ी क्षेत्र है जिसके बारे में ग्रंथों में भी मिलता है। माउंट आबू धार्मिक दृष्टि से संपन्न होने के साथ ही रोमांटिक लोगों की भी खास पसंद है।
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प्रमुख जैन मंदिर दिलवाड़ा मंदिर, करीब 900 साल पुराना है, इसकी बनावट और भव्यता यहां की आध्यात्मिक आभा को और भी ज्यादा बढाती हैं। नक्की झील का सितम्बर माह में पानी से लबालब होना और पहाड़ी दृश्यों के बीच बसी यह झील पर्यटकों को खासा आकर्षित करती है। गुरू शिखर चोटी, अचलगढ किला, ब्रह्माकुमारी पीस संस्थान, टॉड रॉक, हनीमून प्वांइट, श्री रघुनाथ जी मंदिर, अधर शक्तिपीठ और ट्रेवर टैंक के साथ माउंट आबू की खूबसूरती को निहार सकते हैं।
राजस्थानी पंरपरा और प्रमुख जनजातीय समुदाय मीणा का निवास स्थल रहा बूंदी अपने आकर्षक परिदृश्यों और हरियाली से पर्यटन के लिए उपयुक्त स्थान है, यहां सितम्बर में पहाड़ियों पर आई हरीतिमा और हरे भरे घास के मैदानों के मंत्रमुग्ध कर देने वाले नज़ारों के साथ कई सारे प्राचीन महलों की श्रृंखला देखने को मिलती है, जिसकी वास्तुकला बरोई और पुरानी है। बूंदी अपने प्रमुख शाही अंदाज और शानदार पैलेस की भव्यता के लिए जाना जाता है। जहां कई सारी पराक्रम और हौसले के किस्से सुनने और देखने को मिलते हैं। यहां कई सारे ऐतिहासिक स्थल, नदी, झील और झरनों का प्रमुख आकर्षण हैं। पौराणिक और वीरता की मिसाल लिए बूंदी हाड़ा राजपूतों के लिए जाना जाता रहा है। ब्रिटिश शासन के दौरान भी बूंदी इनके अधीन नहीं था जो इसकी शूरवीरता का प्रमाण है। देश आजाद होने के बाद इसे राजस्थान राज्य के अन्तर्गत जोड़ा गया।
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तारागढ किला, मोती महल, बादल महल, गढ पैलेस, हाथी पोल, सुख महल, चौरासी खंभो की छत्री, भूरा जी का कुंड, नवल सागर झील, फूल महल, दभाई कुंड, रानी जी की बावड़ी, शिक बुर्ज, घूमने के साथ ही अन्य प्रसिद्ध जगहों को देखना आकर्षक लगता है।
ब्रह्मा जी के प्रमुख मंदिर की वजह से पुष्कर का नाम पूरे विश्व में बहुत प्रसिद्ध है, यहां मौजूद कई सारे घाटों और मंदिरों के कारण पुष्कर धाम भी कहा जाता है। संस्कृत भाषा के इस शब्द का अर्थ है ‘कमल’ जहां ज्ञान और पवित्रता की धाराएं बहती हैं। राजस्थान का यह शहर रेगिस्तान की रेत में आध्यात्मिकता का प्रभाव देती झील जैसा है जहां मंदिरों से गुजांएमान ध्वनियां और ऊंट की सवारी करना अत्यंत आनंददायी होता है। पुष्कर में राजस्थानी संस्कृति की अनोखी छाप दिखाई पड़ती है जिसमें वहां के स्थानीय स्वाद की खुशबू, बाजारों की जीवंतता और हस्तशिल्प राजस्थानी संस्कृति से परिचय कराते नजारें और पारंपरिक वेशभूषा में स्थानीय लोगों की सादगी और सुंदरता तन और मन में कौतूहल का संचार कर देती है।
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पुष्कर झील, ब्रह्मा मंदिर, श्री सावित्री मंदिर, गायत्री माता मंदिर, पाप मोचनी मंदिर, रणजी मंदिर, गुरूद्वारा साहिब, गौ घाट जैसे कई प्रमुख स्थानों पर भ्रमण कर सकते हैं। कार्तिक पूर्णिमा जो अधिकतर अक्टूबर या नवंबर में पड़ती है, इस समय यहां आयोजित होने वाले पशु मेले को देख सकते हैं
अजमेर शहर को सिर्फ किसी खास धर्म के लिए ही नहीं बल्कि सभी धर्मों के लिए मुख्य माना जाता है। चारों ओर से अरावली पर्वतमाला में घिरा यह शहर बड़ी सी झील के परिक्षेत्र में बसा हुआ है। इस शहर को सातवीं शताब्दी के समय महाराज अजयराज सिंह ने बसाया था, इस जगह को इन्हीं के नाम से अजयमेरु कहा जाता जिसे अब अजमेर नाम से जाना जाता है। अजमेर ख्वाज़ा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह के कारण विशेष रूप से प्रसिद्ध है जहां कई सारी विशेषताएं और आध्यात्मिक चमत्कारों की बात सुननें में आती है। ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती फारस के महान सूफी संत थे जिनकी दरगाह पर अकबर भी मन्नत मांगने आगरा से अजमेर पैदल चलकर आए थे। इस दरगाह का निर्माण 13वीं शताब्दी के आसपास हुआ था।
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अजमेर शरीफ दरगाह में शाम के कव्वाली कार्यक्रम को सुन और देख सकते हैं। सितम्बर माह में आना सागर झील जिसे 12वीं शताब्दी के आसपास पृथ्वीराज चौहान के दादाजी अर्नोराज ने बनवाया था, आज भी उसका भव्य आकर्षण निहार सकते हैं और तारागढ किले की ऐतिहासिक दीवारों पर सदियों की विरासत को महसूस कर यहां की खास वास्तुकला से अभिभूत हो सकते हैं।
सितम्बर में पर्यटन के लिए भरतपुर सर्वोत्तम ठिकाना है जहां खुशगवार मौसम में कई सारे ऐसे महल और मंदिर हैं जिनकी शोभा मन को आकर्षित करती है। भरतपुर की स्थापना 17वीं शताब्दी के समय महाराजा सूरजमल ने की थी, जिसका नाम प्रभु श्री राम जी के छोटे भाई भरत के नाम पर रखा गया है। भरतपुर अपनी भौगोलिक स्थिति और ऐतिहासिक रूप से महत्ता की वजह से सैलानियों के लिए प्रमुख पर्यटन केंद्र के रूप में जाना जाता भरतपुर खास है।
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केवलादेव भरतपुर राष्ट्रीय उद्यान, जहां करीब 350 से अधिक प्रजातियों के पक्षी और प्रवासी पक्षी दर्शन करने के साथ ही सांभर, चीतल नीलगाय आदि पशु भी देख सकते हैं। भरतपुर में बहुत ही प्रसिद्ध मंदिर भी हैं जैसे बांके बिहारी मंदिर, लक्ष्मण मंदिर, गंगा मंदिर जिसे बनने में 91 वर्ष लगे हैं और इसमें सारी वास्तुकलाओं जैसे दक्षिण, मुगल, भारतीय, राजपूत शैली का सम्मिश्रण पाया जाता है जिसकी सुदंरता विश्वप्रसिद्ध है। भरतपुर महल और संग्रहालय, धौलपुर पैलेस के साथ ऐतिहासिक लोहागढ किले में भ्रमण कर सकते हैं।
अंत में, सितम्बर महीना मानसून के खत्म और सर्दी की शुरूआत का महीना होता है जब वातावरण में न तो ज्यादा गर्मी होती है और न ही ज्यादा सर्दी होती है और साथ ही हरियाली संपन्न वातावरण के मंत्रमुग्ध करने वाले नज़ारों की रौनक तन मन को राजस्थान की गलियों में ले जाती है, जहां ऐतिहासिक सांस्कृतिक विरासतों के अनमोल खज़ानों के साथ कई ऐसे नखलिस्तान हैं जहां आप कुदरत और मानवीय उत्कृष्ट कलाओं के शानदार परिदृश्यों की श्रृंखलाओं का दीदार करते हैं जो अपने पर्यटको के शानदार स्वागत के लिए हमेशा तैयार और स्नेह भरा आमंत्रण प्रेषित करती हैं।
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