उदयपुर, खूबसूरत झीलों के आकर्षण से सजा यह शहर अगस्त माह में कुछ ज्यादा ही बेमिसाल प्रतीत होता है। मानसून से लबरेज झीलें पूरे उदयपुर को शानदार आकर्षण प्रदान करती हैं इसके साथ ही इन पर बने महल, मंदिर और स्मारक की शोभा देखते बनती है। मेवाड़ की ऐतिहासिक गौरवपूर्ण कहानियों को सुनाता उदयपुर मानसूनी सीजन में पर्यटन की दृष्टि से बेहद खूबसूरत होने के साथ ही सुरक्षित भी है, अगर आप इस बरसाती मौसम में मैदानी क्षेत्र की सैर करना चाहते हैं तो उदयपुर आपके लिए उत्तम विकल्प है, जहां झीलों के विहंगम दृश्यों देखने के साथ ही वातावरण के करिश्माई अंदाज़ को निहार सकते हैं।
उदयपुर, राजस्थान में अगस्त का महीना हरियाली वातावरण से ओतप्रोत और ठंडक प्र्रदान करने वाला होता है। गीले संगमरमर महलों की श्वेत छवियां मानसूनी सीजन में झीलों पर प्रतिविंबित होती हैं जिसका आकर्षण मन को भीतरी शांति प्रदान करने के साथ ही खूबसूरत अनुभव प्रदान करती हैं। साफ स्वच्छ आकाश की सुंदरता, ऐतिहासिक विरासत के नज़ारें अद्वितीय प्रतीत होते हैं।
तापमान लगभग 22 डिग्री सेल्सियस से लेकर 28 डिग्री सेल्सियस रहता है
उदयपुर में बारिश मध्यम से लेकर कभी भारी भी हो सकती है, भारी वर्षा के साथ ही मौसम साफ और स्वच्छ हो जाता है, जिसके बाद बारिश में अच्छा खासा अंतराल हो जाता है।
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अगस्त की बारिश में पिछोला झील का सुदंर नजारा देखने लायक होता है जिसमें हरी भरी पहाड़ियों की सुंदरता, महलों की भव्यता और पारंपरिक किलो के बीच बसी यह झील दिव्य रत्न की तरह जगमगाती है। आप इस झील पर नाव की सवारी का शानदार अनुभव ले सकते हैं, पिछोला झील की खूबसूरती को बयां करते यहां के दृश्यों की अद्भुत श्रृंखलाएं तन और मन दोनों को आकर्षित करती हैं। इस झील को 13वीं शताब्दी के दौरान बनवाया गया था, जिसका विस्तार महाराणा उदय सिंह ने अपने शासनकाल में कराया था।
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मानसूनी सीजन की सुंदरता का एहसास कराता यह किला विशेष तौर पर बादलों की लुका छिपी और बारिश की बूंदों के सुकून भरे अनुभव को प्रदान करने के लिए ही बनवाया गया था। इसकी अवस्थिति और वास्तुकला बहुत ही आकर्षक है, यहां से बारिश के दौरान पूरे शहर का दीदार करना और आती जाती ठंडी हवाओं को महसूस करना, बारिश के मौसम में इसे परफेक्ट डेस्टिनेशन बनाते हैं। यहां से सूर्यास्त के खूबसूरत नजारों को देखना मंत्रमुग्ध करता है।
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उदयपुर की ये झील पहाड़ियों के बीच बसी अनुपम लगती है, जहां अगस्त माह में हरियाली का आकर्षण देखते बनता है। पिछोला झील के उत्तर में स्थित यह झील महाराणा फतेह सिंह के नाम से जाना जाता है। इसके तीन मंत्रमुग्ध करते द्वीपों पर मौजूद पार्क, चिड़ियाघर, रेस्तरां, जेट फव्वारे, सौर वेधशाला अपने पर्यटकों का भरपूर मनोरंजन करते हैं। उदयपुर की मोती मगरी रोड पर चलने या ड्राइव करने से इस झील का विहंगम नज़ारा स्पष्ट दिखाई पड़ता है। झील में बोटिंग आनंद भी लिया जाता है जिसमें आप साधारण बोटिंग से लेकर स्पीड बोटिंग का भी लुत्फ ले सकते हैं। कृत्रिम झील के आसपास समय बिताते हुए स्वादिष्ट फूड का स्वाद चखना और प्राकृतिक सुंदरता को निहारने का आनंद बारिश के दिनों में कई गुना बढ जाता है।
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महाराणा जगत सिंह के समय पर इस अद्भुत मंदिर का निर्माण कार्य 17वीं शताब्दी के आसपास किया गया था। इस मंदिर की भव्य वास्तुकला मानसूनी सीजन में और अधिक मंत्रमुग्ध करती है जब सफेद संगमरमर पर टप टप गिरती बूंदे आकर्षण के नए आयामों को उत्पन्न करती हैं। इस मंदिर के गर्भग्रह में भगवान विष्णु की चतुर्भुजी प्रतिमा काले रंग के एक ही पत्थर के टुकड़े को तराश कर बनाई गई है। मंदिर में कई प्रार्थना कक्ष है। प्रवेश करते समय गरुड़ पक्षी और भगवान विष्णु की पीतल की मूर्ति के साथ ही हाथियों की दो मूर्तियां श्रद्धालुओं का अभिनंदन करती हुई प्रतीत होती है। इस मंदिर की जटिल नक्काशी बहुत ही बारीक व स्पष्ट होने के साथ ही यहां का परिवेश अकल्पनीय अविस्मरणीय है, जहां वैदिक मंत्रोच्चार प्रार्थनाओं की ध्वनि गुंजाएमान होती है। मेवाड़ राजवंश के सर्वोत्तम स्थापत्य कला का यह बेजोड़ उदाहरण हैं जिसके विशाल नक्काशीदार स्तंभ, दीवारें और भीतरी छतें बेहद आकर्षक हैं। मंदिर में मौजूद शिलालेख पर महाराणा जगत सिंह के योगदान के बारें में निहित है। भगवान विष्णु के मुख्य मंदिर के अलावा अन्य देवी देवताओं के छोटे छोटे मंदिर भी इस मंदिर में स्थापित हैं। इस मंदिर की वास्तुकला मारू गुर्जर शैली से प्रभावित है।
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पिछोला झील के पूर्वी तट पर स्थित यह महल तकरीबन 400 सालों तक बनाया गया है, जिसका निर्माण 1553 के आसपास शुरू हुआ था। भव्यता का परिचय देने वाला यह महल उदयपुर का सबसे बड़ा महल और शान है जिसकी शोभा बारिश के दिनों में और भी आकर्षक हो जाती है जब महल से बाहर होती बारिश को देखना रोमांचक अनुभव प्रदान करता है। रात के समय कृत्रिम रोशनी में उदयपुर सिटी पैलेस का नजारा और भी खूबसूरत हो जाता है, जब झील के ऊपर पैलेस का प्रतिविंब आकर्षित करता है। परिसर के भीतर कई छोटे छोटे महलों की शोभा सिटी पैलेस को अत्यधिक सुंदर बनाती है। इसके अंदर डाकघर, बैंक और कई ट्रैवल एजेंसियों और महत्वपूर्ण शिल्प की दुकानें शोभा बढाती हैं। परिसर के भीतर अमर विलास, बड़ी महल, भीम विलास, चीनी चित्रशाला, छोटी चित्रशाली, दिलखुश महल, दरबार हॉल, फतेहप्रकाश पैलेस, कृष्ण विलास, मोर चौक, मानक महल, लक्ष्मी विलास चौक, रंग भवन, शीश महल और संग्रहालय मौजूद हैं, जिनकी वजह से सिटी पैलेस उदयपुर का लोकप्रिय पर्यटन स्थान है।
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इस महल को जग निवास महल के नाम से भी जानते हैं जो मेवाड़ राजवंश के गर्मियो में पंसदीदा ठिकाना था, इस महल के आसपास पिछोला झील बहती है और यह जग निवास द्वीप पर बना हुआ ऐसा अनोखा महल है, जहां जाने के लिए नाव की रोमांचक सवारी कर जाया जाता है। इस महल का निर्माण महाराणा जगत सिंह द्वितीय द्वारा कराया गया था। मानसून के दिनों में इस महल की छटा पिछोला झील की मनमोहक उपस्थिति के बीच और भी ज्यादा खूबसूरत हो जाती है। वर्तमान में यह महल एक होटल की तरह संचालित किया जाता है, जहां आप भी समय बिता सकते हैं। इस पैलेस की वास्तुकला राजपूताना शैली है जिसमें स्तंभों वाली छतें, फव्वारें और बाग बगीचे भी हैं जहां दीवारें काले और सफेद संगमरमर पत्थरों से बने होने के साथ ही कीमती पत्थरों के अलंकरण से सजी हुई हैं। पिछोला झील के द्वीप पर बने इस महल के भीतर मौजूद लिली तालाब पर्यटकों को और अधिक रोमांचित करता है। अगर आप भी शाही अंदाज को जीना चाहते है तो लेक पैलेस के ठाट बाट को जी सकते हैं।
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उदयपुर का यह स्थान राणा सांगा की महारानी के साथ आई 48 नौकरानियों के लिए भेंट स्वरूप बनवाया गया था। यह एक लोकप्रिय उद्यान और पर्यटन स्थान है जो फतेह सागर झील के किनारे पर स्थित बेहद आकर्षक है, मानसूनी दिनों में इसकी सुंदरता कई गुना तक बढ जाती है, जहां हरियाली के सुरम्य परिवेश और शानदार रंग बिरंगे फूलों की श्रृंखलाएं पर्यटकों को आकर्षित करती हैं। डिजाइन और निर्माण महाराणा संग्राम सिंह ने स्वयं 1710 के आसपास कराया था। सहेलियों की बाड़ी के बीच बने भव्य जड़ाऊ फव्वारों और तालाब में खिलते कमल के फूलों की उपस्थिति मंत्रमुग्ध करती है। प्रकृति की खूबसूरती के साथ यहां समय बिताना लुभावना रहता है जिसकी हरियाली बारिश के दिनों में खूबसूरती की चरम सीमा पर होती है।
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उदयपुर की यह हवेली राजस्थानी वास्तुकला और भीतरी सजावट के लिए बहुप्रसिद्ध है, जिसकी शोभा अगस्त के महीनें में और भी ज्यादा लुभाती है, इसका निर्माण मंत्री अमर चंद बड़वा ने कराया था, वर्तमान में यह एक संग्रहालय के रूप में भी प्रसिद्ध है जहां महाराणाओं और महारानियों की पेटिंग्स भी लगे हुए हैं, साथ ही यहां की गई कांच की नक्काशी सुदंरता का आकर्षण बढा देती है, शाम के समय यहां होने वाला धरोहर नृत्य शो और ज्यादा आकर्षित करता है। हवेली के भीतर कुआं प्रांगण का इस्तेमाल भंडारगृह और अस्तबल के लिए किया जाता था साथ ही इसका इस्तेमाल रोजमर्रा के कामों के लिए किया जाता था। हवेली की पहली मंजिल पर नीम चौक जगह पीतल के दरवाजों से ढकी हुई थी जिसमें संगीत और नृत्य प्रस्तुतियों का आनंद लिया जाता था। इस हवेली में कांच महल, दरी खाना, तुलसी चौक, मनोरंजन कक्ष, दीवान ए खास और महिलाओं के सजने हेतु श्रृंगार कक्ष भी बना हुआ है। पांच संग्रहालयों के रूप में विभाजित यह हवेली अपने पर्यटकों का भरपूर मनोरंजन कराती है -जैसे पगड़ी संग्रहालय, कठपुतली संग्रहालय, शस्त्र संग्रहालय, विवाह चित्रण खंड और मुख्य हवेली।
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भाद्र्रपद मास और अगस्त माह में पड़ने वाली तीज उत्सव की हरियाली और रौनक उदयपुर में बेहद आकर्षक लगती है, मुख्य रूप से यह त्योहार भगवान शिव और देवी पार्वती के मिलन का प्रतीक है जिसमें यहां महिलाएं पारंपरिक वेशभूषा में सजकर व्रत पूजा पाठ गाते गुनगुनाते हुए शोभायात्रा और नृत्य करती हैं साथ ही अपने हाथों से मूर्तियों को सजाकर पारंपरिक रीति रिवाजों का पालन करती हुई झूलों का लुत्फ लेती हैं।
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अगस्त में 15 तारीख को मनाया जाने वाला देशपर्व और भाद्रपद की अष्टमी को होने वाला जन्माष्टमी त्योहार विशेषतः आकर्षण का केंद्र रहता है। जिसमें देशभक्ति प्रस्तुतियां और कृष्ण झांकी मन मोह लेती है।
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उदयपुर में लोकसंस्कृति और स्थानीय राजस्थानी कार्यक्रमों की चहल पहल अन्यत्र से विशेष होती है, जिसे यहां के महलों और हवेलियों में बहुत ही भव्यता के साथ मनाया जाता है। आप चाहें तो बागोर की हवेली में हर शाम होने वाले ध्वनि और नृत्य शो का आनंद ले सकते हैं।
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उदयपुर, राजस्थान का ऐसा खूबसूरत शहर है जिसे पूर्व के वेनिस की संज्ञा भी दी जाती है। अगस्त में इस शहर की सैर किसी स्वर्ग से कम नहीं जब बारिश की रिमझिम गिरती बूंदे पूरे शहर की रौनक में चार चांद लगा देती है, यहां के संग्रहालय से लेकर भव्य महलों की अनोखी खुशबू और कृत्रिम झीलों से लेकर बने भव्य ऐतिहासिक स्मारकों का शानदार चित्रण मानसूनी शांति व सुकून प्रदान करता है।
अगस्त में राजसी अंदाज़ की चमक, शानदार वातावरण और बरसाती मौसम के अनूठेपन का लुत्फ ले सकते हैं। आप चाहें इतिहास पसंद करते हों या लोकसंस्कृतियों को समझने की इच्छा रखते हों, यहां की शाश्वत सुंदरता हमेशा यूं ही बरकरार रहती है, उदयपुर शहर आपके स्वागत के लिए हमेशा तैयार है।
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प्रश्न 1ः उदयपुर में कौन कौन सी प्रसिद्ध झीलें हैं?
उत्तर 1ः पिछोला झील, फतेह सागर झील, ढेबर या जयसमंद झील, दूध तलाई, उदयसागर झील, कुमारी तालाब, स्वरूप सागर झील, रंग सागर झील और दूध तलाई झील।
प्रश्न 2ः उदयपुर में अगस्त में बारिश का स्तर कैसा रहता है?
उत्तर 2ः मध्यम से भारी बारिश
प्रश्न 3ः उदयपुर में कौन सी पर्वत श्रृंखला हैं?
उत्तर 3ः अरावली पर्वत श्रृंखला
प्रश्न 4ः उदयपुर में बागोर की हवेली में शाम का संगीत कार्यक्रम रोज होता है?
उत्तर 4ः जी हां, प्रत्येक दिन आयोजित किया जाता है।
प्रश्न 5ः उदयपुर में कौन कौन से महल या ऐतिहासिक स्मारक हैं?
उत्तर 5ः लेक पैलेस, सिटी पैलेस, बागोर की हवेली, सहेलियों की बाड़ी, जग निवास मंदिर, जग महल, सौर वेधशाला इत्यादि।