• Sep 30, 2025

महाराष्ट्र में अवस्थित जनस्थान शक्तिपीठ नासिक शहर का प्रतिष्ठित स्थान है जिसे भ्रामरी शक्तिपीठ भी कहा जाता है। 51 शक्तिपीठों में से एक धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण यह शक्तिपीठ अपनी दिव्यता और आध्यात्मिकता के लिए जाना जाता है, इस शक्तिपीठ में मां भुवनेश्वरी की आराधना की जाती है जिन्हें तीनों लोकों की स्वामिनी कहा जाता है। जनस्थान शक्तिपीठ की दिव्यता और भव्यता से प्रभावित होकर भगवान राम लक्ष्मण और माता सीता ने भी वनवास काल में यहां समय बिताया है जो रामायणकालीन समय से इसकी संबंद्धता प्रकट करता है। शांत वातावरण और दैवीय अनुभूति को साकार करता यह शक्तिपीठ अपनी शक्तिशाली आध्यात्मिक संपन्नता के लिए जाना जाता है।

शक्तिपीठों का पौराणिक इतिहास

भारतीय उपमहाद्वीपों में बसे 51 शक्तिपीठों की पौराणिक कथा देवी सती और भगवान शिव से जुड़ी हुई है। माता सती ने भगवान शिव से अपनी इच्छानुसार विवाह किया था। जिससे उनके पिता दक्ष प्रजापति नाखुश थे क्योंकि उनका मानना था कि भगवान शिव के पास दैवीय सुख संपन्नता का अभाव है।

इस कारण राजा दक्ष ने विशाल यज्ञ का आयोजन तो किया पर देवी सती और भगवान शिव को आमंत्रित नहीं किया। इस बात की जानकारी जब देवी सती को हुई तो वह कारण जानने के लिए बिन बुलाए ही अपने पिता के यज्ञ समारोह में चली गईं। कारण पूछने पर वहां उन्हें अपमान का घूंट पीना पड़ा और अपने पति भगवान शिव के लिए अपशब्द सुनने पड़े। इस घटना से आहत होकर देवी सती ने यज्ञ की अग्नि में अपने प्राणो की आहुति दे दी। यह सब जब भगवान शिव को ज्ञात हुआ तब वे बदहवास होकर उनके शव के साथ समस्त लोकों में विचरण करने लगे। 

ऐसी परिस्थिति में भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से देवी सती के शव के टुकड़े किए। जितने टुकड़े जहां गिरे, वहां एक विशेष देवी का प्रादुर्भाव हुआ और वह स्थान शक्तिपीठ कहलाए। इस तरह भारतीय उपमहाद्वीप में 51 शक्तिपीठों की स्थापना हुई। 

जनस्थान शक्तिपीठ की उत्पत्ति का इतिहास

जनस्थान शक्तिपीठ नासिक शहर के वाणी गांव में अवस्थित है। मान्यता है कि यहां देवी सती की ठोड़ी गिरी थी। इस दिव्य घटना से यह स्थान परम पवित्र हो गया और यहां मां भ्रामरी देवी का प्रार्दुभाव हुआ। पौराणिक रूप से महत्वपूर्ण इस स्थान पर भगवान राम ने भी सपरिवार समय बिताया है। जो पंचवटी नाम से जाना जाता है। हर एक शक्तिपीठ में सुरक्षा दृष्टि से भैरव भगवान की उपस्थिति है, यहां वत्सनाभ भैरव की पूजा की जाती है, इसलिए यहां शिव और भगवान विष्णु को मानने वाले संप्रदायों के लिए पूजनीय स्थल है। 

जनस्थान शक्तिपीठ की अद्भुत वास्तुकला और संस्कृति 

  • इस मंदिर की संरचना सादगी से परिपूर्ण बहुत ही साधारण है, इसमें काले बेसाल्ट पत्थरों का उपयोग किया गया है जिनकी शैली हेमाडपंथी हैं। यवनों के आक्रमण भय से इस मंदिर में कलश स्थापित नहीं कराया गया तब से आज भी इस मंदिर के शीर्ष पर शिखर नहीं है। 
  • मंदिर के आंतरिक गर्भग्रह में देवी भुवनेश्वरी की पाषाण मूर्ति है जिसकी सजावट और भव्यता लाल और पीले वस्त्रों, सिंदूर और ताजातरीन पुष्पों से सुशोभित होती है। पंच धातु से बनी मां भुवनेश्वरी की मूर्ति लगभग 38 सेमी ऊंची है और इनकी 18 भुजाओं में विभिन्न तरह के अस्त्र हैं। 
  • पंचवटी के रामायण युगीन स्थलों के निकट यह शक्तिपीठ अपनी अनोखी उपस्थिति से आकर्षित करता है। 
  • नासिक में बसा यह शक्तिपीठ रामायणयुगीन सभ्यता का द्योतक है जहां भगवान राम, लक्ष्मण और माता सीता ने अपना समय बिताया है। 
  • यहां अवस्थित बाबा वत्सनाभ भैरव मंदिर जो शक्तिपीठ की रक्षा करते हैं, इनकी प्रसिद्धि से यह स्थान शाक्त और वैष्णव संप्रदाय दोनों अनुयायियों के लिए पूजनीय स्थान है। 
  • यहां के स्थानीय लोगों द्वारा वर्ष भर मंदिर में पूजा अर्चना किया जाता है, जिसकी नवरात्रि उत्सव के दौरान चमक और रौनक देखते बनती है। नवरात्रि के दिनों में यहां भव्य मेले का आयोजन होता है और इस उत्सव से वातावरण जीवंत हो उठता है। 
  • स्थानीय लोग इस शक्तिपीठ की देवी को अपना संरक्षक और पालक मानते हैं। जिन्हें ज्ञान और धर्म की देवी से संबंद्ध बताया जाता है। 
  • शीत ऋतु के आखिर में यहां सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, महोत्सव प्रस्तुति अत्यधिक शानदार और आध्यात्मिक ज्ञान में वृद्धि करने वाली होती है। 
  • नासिक शहर में गोदावरी नदी के तट पर हर बारह वर्षों में एक बार कुंभ मेले की शोभा को देखने देश विदेश से श्रद्धालु आते हैं और इस शक्तिपीठ में दर्शनों का लाभ प्राप्त करते हैं। 

जनस्थान शक्तिपीठ मंदिर का समय

  • प्रातःकाल मंदिर खुलने का समय : सुबह 6 बजे 
  • रात्रि में मंदिर बंद होने का समय : रात 9 बजे  

जनस्थान शक्तिपीठ से जुड़े रोचक तथ्य 

  • जनस्थान शक्तिपीठ में अवस्थित माता भुवनेश्वरी यानी भ्रामरी मां की मूर्ति को सिदूंर से सजाया जाता है क्योंकि यह सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है।
  • मां भ्रामरी सात चोटियों की माता के रूप में जानी जाती है जो स्वंयभू है, कहते हैं यहां आशीर्वाद लेने के लिए भगवान राम और माता सीता भी आए थे। 
  • मां भ्रामरी महिषासुर मर्दिनी के रूप में जानी जाती हैं क्योंकि उन्होनें भैंसे के रूप में असुर महिषासुर का वध किया था। सप्तश्रृंग पर्वत की तलहटी में जहां से श्रद्धालु इस मंदिर के लिए सीढियां चढने की शुरूआत करते हैं वहां एक अद्भुत आश्चर्य में डालने वाला नक्काशीदार पत्थर का सिर स्थापित है जिसके लिए कहा जाता है कि यह उसी राक्षस का सिर है।
  • सप्तश्रृंग पहाड़ी का दंडकारण्य वन का भाग बताया जाता है जहां से भगवान राम के जीवन से जुड़ी महाग्रंथ रामायण की उत्पत्ति मानी जाती है। 
  • जनस्थान शक्तिपीठ की गिनती 18 प्रतिष्ठित महाशक्तिपीठों में की जाती है जो अत्यंत पूजनीय हैं। 

जनस्थान शक्तिपीठ में होने वाले अनुष्ठान उत्सव 

देवी भुवनेश्वरी का एक नाम भ्रामरी भी है जिनकी उपासना सप्तश्रृंगी रूप में की जाती है क्योंकि देवी के चारों ओर सात पहाड़ियों की चोटियां हैं। 

इस शक्तिपीठ में प्रतिदिन मां का स्नान, ध्यान किया जाता है और मां की आरती, पुष्पार्चन और देवी सूक्त का पाठ किया जाता है। मां भ्रामरी को प्रतिदिन नए वस्त्र और नए आभूषण पहनाए जाते हैं। 

जनस्थान शक्तिपीठ में यूं तो हर दिन मां का ध्यान वंदन किया जाता है लेकिन विशेष तिथियों और दिनो में इनकी विशेष आराधना की जाती है। मंगलवार, शुक्रवार, अमावस्या और पूर्णिमा तिथियों में मंदिरों की भव्यता और कई गुना बढ जाती है। 

शक्तिपीठों मेंं नवरात्रि उत्सव की धूम देखने लायक होती है जब साल में दो बार आने वाली नवरात्रि उत्सव और मेले की चमक चैत्र और आश्विन माह में होने वाली नवरात्रि उत्सव श्रद्धालुओं को और भी ज्यादा आकर्षित करती है, इन दिनों इस शक्तिपीठ में श्रद्धालुओ की अत्यधिक भीड़ होती है। 

जनस्थान शक्तिपीठ के आस पास घूमने योग्य स्थान 

पंचवटीः नासिक में यह स्थान भगवान राम, लक्ष्मण और देवी सीता के वनवास काल में समय बिताने के लिए प्रसिद्ध है। इसी स्थान पर शूर्पनखा जो रावण की बहन थी, लक्ष्मण जी ने नाक और कान काटे थे और माता सीता का अपहरण भी इसी स्थान से हुआ था। भ्रामरी शक्तिपीठ की यात्रा पर आएं तो पंचवटी दर्शन कर सकते हैं। 

सोमेश्वर जलप्रपातः नासिक शहर से करीब 7.5 किमी की दूरी पर सोमेश्वर जलप्रपात की छटा देखते बनती है जहां सोमेश्वर मंदिर है जो भगवान शिव को समर्पित प्रसिद्ध मंदिर है। भ्रामरी शक्तिपीठ दर्शनों के बाद  भगवान शिव के इस मंदिर में दर्शन आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। 

सुंदरनारायण मंदिर : नासिक शहर के इस मंदिर को गंगाधर ने लगभग 17वीं शताब्दी में तैयार करवाया था जो भगवान विष्णु को समर्पित है जिसकी वास्तुकला अति मनमोहक है। जनस्थान शक्तिपीठ यात्रा में इस मंदिर की यात्रा भी जोड़ सकते हैं। 

सीता गुफा : पंचवटी के निकट इसी स्थान से लंका के राजा रावण ने माता सीता का अपहरण किया था। यह एक गुफा है जहां आज भी लक्ष्मण रेखा के निशान देखने को मिलते हैं। अन्य महत्वपूर्ण अवशेष भी आज यहां दर्शनों हेतु प्राप्त होते हैं। 

कालाराम मंदिरः पंचवटी के समीप ही कालाराम मंदिर है जिसकी स्थापना 17वीं शताब्दी के समय गोपिकाबाई ने कराया था जो यहां के पेशवा हुआ करते थे। इस मंदिर की विशेषता है कि इसकी बनावट त्रयंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग से मिलती जुलती है। इस मंदिर का निर्माण भी काले रंग के पत्थरों से हुआ है। 

पाण्डवलेनि गुफाः इस गुफा के नासिक गुफाएं भी कहते हैं, इसका अन्य नाम पाण्डव या द्रोपदी गुफा भी है। प्राचीन मान्यताओं के अनुसार यहां पांडव वनवास काल में रूके थे और इन्हीं गुफाओं में उन्होंने शरण ली थी। अन्य मतों के अनुसार इन गुफाओं का संबंध भगवान बुद्ध से भी बताया जाता है। 

प्रसिद्ध मोदकेश्वर मंदिरः यह प्रसिद्ध मंदिर भगवान गणेश जी को समर्पित है जो बहुत ही प्राचीन और महत्वपूर्ण है। इस मंदिर में भगवान गणपति को उनके प्रिय भोग लड्डू या मोदक के प्रसाद अर्पित करने के रूप में जाना जाता है। यहां के मोदक नारियल और गुड़ से बनाए जाते हैं। 

जनस्थान शक्तिपीठ करते समय यात्रा सुझाव

  • नासिक मां भ्रामरी शक्तिपीठ घूमने जाएं तो रामायण सर्किट टूर का आनंद लें 
  • यात्रा करते समय डिहाइड्रेशन न हो इसलिए पानी की बोतल साथ रखें 
  • धूप से बचाव के लिए सनस्क्रीन और छतरी साथ रखें।
  • छुट्टियों और मेले के दौरान मंदिर में ज्यादा भीड़ होती है, कृपया सावधानी बरते
  • शक्तिपीठ स्थान पर धार्मिक स्नान के लिए रामकुंड स्थित गंगा घाट दौरा करें। 

जनस्थान शक्तिपीठ कैसे पहुंचे 

हवाई मार्ग से 

नासिक का निकटतम हवाई अड्डा ओज़र हवाई अड्डा है, जहां से जनस्थान शक्तिपीठ के लिए स्थानीय वाहनों की भरपूर उपलब्धता रहती है। 

रेल मार्ग से 

जनस्थान शक्तिपीठ से नजदीकी रेलवे स्टेशन नासिक रोड है जिसकी मंदिर से लगभग दूरी 7.5 किमी है। जिसे आप आसानी से तय कर मंदिर दर्शन के लिए पहुंच सकते हैं। 

सड़क मार्ग से 

नासिक की सड़क मार्ग से बेहतर कनेक्टिविटी की वजह से आप देश के प्रमुख शहरों से आसानी से पहुंच सकते हैं जहां इस शक्तिपीठ के नजदीक में त्रयंबकेश्वर बस स्टेशन है जिसकी लगभग दूरी 3 किमी है। 

निष्कर्ष

जनस्थान शक्तिपीठ और इसका आध्यात्मिक महत्व श्रद्धालुओं के लिए परम आस्था का केंद्र है। रामायणकालीन युग से भी प्राचीन यह शक्तिपीठ आज भी भक्तों की सर्व मनोकामनाओं को साकार करता आध्यात्मिक तीर्थस्थल है। नासिक की पावन धरती पर मां गोदावरी नदी के तट पर अवस्थित भुवनेश्वरी  या भ्रामरी शक्तिपीठ सदियों से अपने चमत्कारों और विरासतों से भक्तों का कल्याण कर रहा है। बेहद शांत वातावरण में मौजूद यह शक्तिपीठ अपनी अवस्थिति और भौगोलिक विशेषताओं की वजह से और भी ज्यादा विस्मयकारी आकर्षण उत्पन्न करता हुआ शक्तिशाली स्थान है, जहां मां भ्रामरी सदैव अपनी दिव्य उपस्थिति से भक्तो को धन्य करती हैं।

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