प्रयागराज, तीर्थों का राजा कहलाने वाला यह शहर पुरातन काल से ही आस्था, धर्म और विश्वास का केंद्र रहा है। मुगलों से लेकर आधुनिक समय तक पवित्र नगरियों में से एक यह शहर अपने समृद्ध वातावरण, लोककलाओं और संस्कृति के लिए विश्व प्रसिद्ध है। प्रयागराज, जो सबसे बड़े लोकपर्व महाकुंभ की नगरी है, जहां देश ही नहीं वरन् विदेशों से भी लोग आने को लालयित रहते हैं। यहां ऐतिहासिक स्तंभ और शिलालेखों के साथ ही वास्तुकला का बेजोड़ संगम भी मिलता है। हिन्दू धर्म के साथ ही यह जैनियों के लिए भी पावन तीर्थ है जिसके बारें में यहां पाए गए महत्वपूर्ण जैन मंदिरों से ज्ञात होता है। प्रयागराज उत्तर प्रदेश का वाराणसी के बाद दूसरा प्रसिद्ध अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन क्षेत्र हैं, अपने इस आर्टिकल में और विस्तृत रूप से जानते हैं, यहां के शीर्ष 10 घूमने योग्य स्थानों के बारें में
यमुना नदी के किनारें पर बना यह किला अद्भुत परिदृश्यों का निर्माण करता है। किले से यमुना नदी को देखा जाए या यमुना नदी से किले के बाहरी हिस्से को दोनों ही ओर से आकर्षक नज़ारों की श्रृंखला बनती है। मुगल बादशाह अकबर द्वारा निर्मित यह किला अशोक सम्राट के कौशांबी स्थित शिलालेख का संकलन करता है, जो प्राचीन काल की धरोहर है। अकबर द्वारा बनवाये गये सभी किलों में यह सबसे बड़ा किला है। अकबर प्रयागराज की भव्य महिमा से भली भांति परिचित था इसलिए उसने इस किले में पारंपरिक आस्था के केंद्र अक्षयवट वृक्ष को भी शामिल किया। पर्यटकों के लिए आकर्षण के केंद्र के रूप में मशहूर इस किले को राष्ट्रीय महत्व का संरक्षण प्राप्त है।
स्थानः इलाहाबाद किला, इलाहाबाद, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश
समयः सुबह 7 बजे से शाम 6 बजे तक
भारत में नदियों के मिलन स्थान को बहुत पवित्र माना जाता है, प्रयागराज मे यह स्थान तीन नदियों गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों का मिलन बिन्दु है, जो धार्मिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है। यहां बारह सालों में महाकुंभ और छह सालों में अर्द्धकुंभ पर्व का आयोजन होता है, मान्यता है कि यहां स्नान करने और डुबकी लगाने से जन्मों के पापों का क्षरण होता है और व्यक्ति को बैकुंठ धाम की प्राप्ति होती है। त्रिवेणी संगम में वर्ष भर तीर्थयात्रियों का तांता लगा रहता है, जिसमें हिन्दी माह की विशेष तिथियों को भारी भीड़ होती है। गंगा यमुना नदी दृश्य रूप से और सरस्वती नदी भूमिगत होकर मिलती है, हिन्दू धर्म के लिए यह बहुत पवित्र पावन स्थान है।
स्थानः त्रिवेणी संगम, करेली, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश
समयः सुबह 5 बजे से शाम 7 बजे तक
सैंकड़ों मंदिरों की नगरी के रूप में विख्यात प्रयागराज अक्षय वट के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध है, कहते हैं इस वृक्ष का कभी नाश नहीं होता और यह चार युगों से इसी तरह जड़वत् अपनी जगह स्थित है, पातालपुरी मंदिर में इस वट के साथ ही लगभग 40 अन्य देवी देवताओं की प्रतिमा स्थापित है। यह मंदिर अकबर निर्मित किले के तहखाने में प्रतिष्ठित है जिसकी महिमा और विशेषताओं के बारें में जानकर अकबर भी आश्चर्यचकित था, इन्हें संरक्षण देने की दृष्टि से उसने यहां किले का निर्माण करवाया। त्रेता युग में भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण ने अपने वनवास काल के दौरान यहां कुछ दिन बिताये थे और माता सीता ने अपने कंगन का गुप्त दान किया था। अक्षय वट के साथ ही यहां सरस्वती कूप भी है जिसके जल में लोग मोक्ष पाने की आशा से कूदकर अपनी जान दे देते थे। जिसे अकबर के शासनकाल में ढकवा दिया गया था। आज इसका ढका हुआ भाग दर्शन हेतु लाल रंग के निशान से चिन्हित है। इस स्थान से जुड़ी कई किवंदंतियां प्रचलित हैं।
स्थानः सीवीजेएच 429, फोर्ट, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश
समयः सुबह 6 बजे से शाम 6ः30 बजे तक
गंगा नदी किनारे अवस्थित यह मंदिर, हनुमान जी की अनोखी प्रतिमा जो लगभग 20 फीट लंबी है और पृथ्वी से लगभग 6-7 फीट नीचे है। बजरंगबली की यह प्रतिमा लेटी हुई मुद्रा में अवस्थित है। इस मंदिर की स्थापना संत समर्थ गुरू रामदास ने की थी, जहां हनुमान जी के साथ ही शिव-पार्वती, गणेश, दुर्गा, काली और नवग्रह की प्रतिमाएं भी स्थापित हैं। लेटे हुए हनुमान जी की प्रतिमा को लेकर मान्यता है कि लंका विजय के पश्चात् हनुमन्त महाराज बहुत ज्यादा गंभीर असहनीय पीड़ा और दर्द की वजह से थक गए थे, तो माता सीता के कहने पर इस पवित्र स्थान पर लेट गए थे। तब से यहां की महिमा और बढ़ गई। प्रतिमा के बाएं पैर के नीचे कामदा देवी और दाएं पैर के नीचे अहिरावण दबा है। दायें हाथ में राम लक्ष्मण और बाएं हाथ में गदा सुशोभित है। मंदिर के चमत्कारों से जुड़ी कई स्थानीय किंवदंतियां है, संगम स्नान करने आये भक्त, इस मंदिर में आकर अपनी हाजिरी जरूर लगाते हैं।
स्थानः इलाहाबाद किला, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश
समयः प्रातः 5 बजे से दोपहर 2 बजे तक, शाम 5 बजे से रात 8 बजे तक
जवाहर प्लेनेटेरियम, स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू का जन्म प्रयागराज में ही हुआ था। इनके निवास को आनंद भवन के नाम से जाना जाता है जो पर्यटकों के लिए दर्शनीय स्थल है, इसी के पास जवाहर तारामंडल अवस्थित है। यहां खगोलिकी और अंतरिक्ष से संबंधित जिज्ञासाओं के उत्तर मिलते हैं, एक ऐसी जगह जहां अंतरिक्ष की पूरी सैर की जा सकती है। सितारों, ग्रहों, उपग्रहों अन्य और भी अंतरिक्ष संबंधी चीजों को बारीकी से समझा जा सकता है। यहां होने वाला खगोलीय शो बच्चों और युवाओं को बेहद पसंद आते हैं। ज्ञानवर्धक शिक्षा के साथ स्वस्थ मनोरंजन भी होता है।
स्थानः टैगोर टाउन, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश
समयः सुबह 11 बजे से शाम 4 बजे तक, साप्ताहिक अवकाशः सोमवार और अन्य राजपत्रित अवकाश
प्रवेश शुल्कः 40 रूपये
अमर शहीद चन्द्रेशखर आजाद के बलिदान के इतिहास को सहेजता यह पार्क देश के स्वतंत्रता संघर्ष की कहानी को स्वर्णाअक्षरों में अंकित करता है। अल्फ्रेड पार्क के साथ ही इस पार्क को कंपनी बाग के नाम से भी जाना जाता है, जो एक सार्वजनिक पार्क है। यह पार्क विशाल क्षेत्रफल लगभग 133 एकड़ में फैला हुआ है। सन् 1931 क्रान्तिकारी चन्द्रशेखर आजाद ने आजादी की लड़ाई में जूझते हुए अंग्रजों के हाथों मरना ना स्वीकारते हुए स्वयं इसी पार्क में खुद को गोली मार ली थी। चन्द्रशेखर आजाद जी के व्यक्तित्व से अंग्रेजी सत्ता इतनी भयभीत और हतप्रभ थी कि उनके मृत शरीर के पास भी घंटों तक किसी ब्रिटिशर्स की जाने की हिम्मत नहीं हुई कि कहीं यह उनका कोई साहसिक कृत्य तो नहीं है, ऐसे थे आजादी के दीवाने चन्द्रशेखर आजाद, जिनके नाम में ही स्वतंत्रता का सार छिपा है। कालांतर में इस स्थान पर चन्द्रशेखर आज़ाद स्मारक बनी हुई है जो उस दास्तां को बयां करती है। शाम के वक्त होने वाला लाइट एंड साउंड शो पर्यटकों को खूब लुभाता है।
स्थानः जॉर्ज टाउन, प्र्रयागराज, उत्तर प्रदेश
समयः सुबह 5 बजे से रात 9 बजे तक
चारों ओर से घिरा यह उद्यान, चालीस एकड़ में फैला हुआ है। बलुआ पत्थर का बना मकबरा मुगल समय के उत्कृष्ट वास्तुकला का आकर्षक उदाहरण है। यहां शाह बेगम उर्फ मनभावती बाई का मकबरा स्थित है, जिनके बारें में कहा जाता है कि पति जहांगीर और बेटे खुसरो के विवादों से परेशान उन्होंने आत्महत्या कर ली थी। उन्हीं के पास खुसरो की बहन निथर का खाली मकबरा जो सबसे विशाल क्षेत्रफल में बना हुआ है। तीन मकबरों में से सबसे आखिर में बना मकबरा खुसरो का है, जालीदार खिड़कियों के साथ बने इस मकबरे के पास ही खुसरो की घोड़ी की कब्र भी स्थित है। मकबरे की डिजाइन और मुगल वास्तुकला की झलक देखने को पर्यटक दूर दूर से आते हैं।
स्थानः मुहल्ला खुल्दाबाद, नियर प्रयागराज जंक्शन रेलवे स्टेशन, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश
समयः सुबह 6 बजे से शाम 7 बजे तक
भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का प्रमुख केंद्र स्वराज भवन 1920 के दशक में अनौपचारिक रूप से उस समय की कांग्रेस पार्टी का मुख्यालय था जिसे मोतीलाल नेहरू ने दान कर दिया था। आज यह संग्रहालय के रूप में एक दर्शनीय स्थल है जहां आजादी के समय से संबंधित वस्तुएं पर्यटकों के दिल में देश प्रेम की गहराई को साझा करती हैं। यहां होने वाला लाइट एंड साउंड शो बहुत लुभावना प्रतीत होता है जिसके हर रोज चार शो होते हैं। यहां बच्चों को कला और शिल्प सिखाने के लिए क्लासेज भी चलाई जाती हैं।
स्थानः स्वराज भवन रोड, टैगोर टाउन, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश
समयः सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक
प्रयागराज के छावनी क्षेत्र में स्थित मनकामेश्वर महादेव मंदिर भगवान शिव के भक्तों का अति प्रिय स्थान है जहां एक ओर सरस्वती घाट पर यमुना नदी बह रही है और दूसरी ओर हर दिन सैकड़ों भक्त यहां श्रद्धापूर्वक आते हैं। मंदिर की वास्तुकला और इतिहास आकर्षक है जिसके आस पास के नज़ारेंं बड़े मनोरम प्रतीत होते हैं। मंदिर के बारें में मान्यता है कि इस शिवलिंग की स्थापना स्वयं महादेव ने अपने हाथों से की है और यहां भक्तों की मनोकामना की पूर्ति होती है इसलिए इस मंदिर को मनकामेश्वर मंदिर कहते हैं।
स्थानः फोर्ट रोड, किडगैंग, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश
समयः सुबह 5 बजे से रात्रि 10 बजे तक
आकर्षक छवि लिए यह पुल यमुना नदी पर बना हुआ बड़ा आकर्षक प्रतीत होता है, ब्रिज की खूबसूरती के साथ यमुना नदी का दृश्य बहुत सुंदर लगता है। सन् 2004 में बने इस पुल का उद्देश्य था ओल्ड नैनी ब्रिज के ट्रैफिक को कम करना। लगभग डेढ़ मीटर लंबे बना यह पुल केबल स्टेड पुल होने के साथ ही भारत का पहला पुल है जो 6 लेन में विभाजित है। इसका सबसे लंबा फैलाव लगभग 260 मीटर है, इसे एक केबल द्वारा संभाला जाता है जो पुल के कंक्रीट एंकर में होता है। यह पुल प्रयागराज और राष्ट्रीय राजमार्ग 27 के बीच कनेक्शन का भी काम करता हैं। आधुनिक बनावट और पुल का बेहतरीन उपयोग देश के विकास में समृद्धि संपन्नता लाने में सहायक है।
स्थानः नैनी ब्रिज, इलाहाबाद किला, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश
समयः 24 घंटे खुला रहता है।
प्रयागराज घूमने के लिए सबसे अच्छा मौसम अक्टूबर से मार्च का होता है क्योंकि इस दौरान शीत ऋतु का प्रभाव होता है। न्यूनतम तापमान लगभग 8 डिग्री सेल्सियस से 25 डिग्री सेल्सियस रहता है, खुशगवार मौसम में पर्यटन लुभाता है।
संगम नगरी प्रयागराज तीर्थों की नगरी होने के साथ ही पौराणिक और ऐतिहासिक महत्वों का शहर है। यहां के तट, मंदिर, उद्यान और स्मारक स्थल अपने घूमने वालों के लिए हमेशा से आकर्षण का केंद्र रहे हैं। शानदार इतिहास और यूपी का घनी आबादी वाला यह क्षेत्र विधिक राजधानी होने के साथ ही और भी कई मायनों में बेहद खास है। अगर आप भी कला के विभिन्न पक्षों को एक शहर में देखने के उत्सुक हैं तो प्रयागराज की यात्रा आपकी उत्सुकता को पूर्ण रूप से संतुष्ट कर सकती है।