स्पीति घाटी को शीत मरूस्थल के रूप में जाना जाता है, साल भर सैलानियों का आकर्षित करता स्पीति यूं तो हर मौसम में शानदार है, लेकिन मानसूनी मौसम में यह और स्पेशल फीलिंग कराने वाला होता है। ठंडा वातावरण और मरूस्थलीय भूमि के लिए जानी जाने वाली लेकिन जुलाई माह के दौरान यहां के वातावरण में होने वाली संपन्न हरियाली के खुशनुमा माहौल के साथ स्पीति घाटी में चहल पहल की रौनक, ऊंचाई पर मौजूद दर्रों के खुलने से यहां की उपलब्धता सुलभ हो जाती है और भंयकर सर्दी की बजाए पहाड़ों की खूबसूरती में सजीवता आ जाती है और यह सब मिलकर स्पीति को बेस्ट टूरिस्ट प्लेस बनाते हैं, जानते हैं और विस्तार से मानसूनी मौसम में स्पीति की विशेषताओं के बारें में जहां समय व्यतीत करना एक बढिया अनुभव हो सकता है।
शुरूआती मानसूनी समय जुलाई में स्पीति घाटी का मौसम मध्धम बारिश के साथ तेज रोशनी का भी होता है, जहां हरी भरी धरती और सूरज के प्रकाश से जगमगाती नदियों की चमक होती है। वृष्टि छाया प्रदेश के अन्तर्गत आने वाली इस जगह पर ज्यादा वर्षा नहीं होती है, भारी बरसात के दौरान होने वाली दिक्कतों से यहां बचाव होता है।
अगर आप दिन के समय निकलेंगे तो सूर्य भगवान की पर्याप्त रोशनी की वजह से गर्मी का एहसास हो सकता है, जबकि रात्रि के दौरान मौसम बड़ी तीव्रता से बदलकर पर्याप्त ठंड का माहौल प्रदान करता है। मौसम के इस बदलावी स्वरूप से ज्यादा अपेक्षा न रखें, कभी भी बदल सकता है इसलिए दिन में भी घूम रहे हैं तो गर्म कपड़े साथ रखिए।
जुलाई स्पीति के सबसे शानदार महीनों में से एक है, जहां की भौगोलिक विशेषताएं इसे पर्यटन स्तर पर और अधिक आकर्षक बनाती हैं, पहाड़ों की सफेद बर्फ पिघलने से हरी भरी घास की लुभावनी छवि उभरती है, घाटियों में फूलों और हरियाली के परिदृश्य विचरण करते हुए ध्यान आकर्षित करते हैं, पर्यटन योग्य स्थानों की खूबसूरती देखने लायक होती है, आइए, इसके बारें में और विस्तार से जानतें हैं।
सूर्य किरणों के कारण चमकते नीले पानी के मंत्रमुग्ध करने वाले नज़ारें, शांत स्थिर वातावरण को संजोए मनमोहक और आनंददायक प्रतीत होता है, प्रकृति की सुंदर धरोहर के रूप में मशहूर धनकर झील एक जादुई अनुभव प्रदान करती है। जुलाई माह के दौरान हरी भरी घाटी में पशु चरते हुए दिखाई देते हैं, जो सुंदरता के साथ विविध पक्षों को भी उजागर करता है, एक मान्यता के अनुसार कहते हैं कि भगवान विष्णु को ढूंढते हुए भगवान शिव इसी झील पर आए थे और कुछ समय यहां रूके भी थे, इस दौरान उनके वाहन बैल नंदी ने झील का थोड़ा पानी भी ग्रहण किया था, झील की उपलब्धता और प्यास को तृप्त करने के कारण भगवान शिव ने इस झील को हमेशा जल से युक्त रहने का आशीर्वाद प्रदान किया, साथ ही एक किंवदंती यह भी सुनने में आती है कि इंद्रदेव ने इस धरती को उपजाऊ बनाने के उद्देश्य से फरसा फेंका और जगह फूटने से इस झील का निर्माण हुआ।
स्वच्छ आकाश, सूर्य का पर्याप्त प्रकाश और आसपास के ऊंचे ऊंचे परिदृश्यों के साथ बारालाचा दर्रे के नीचे स्थित यह झील भागा नदी से निकलती है, जो चंद्रभागा नदी की एक सहायक नदी है। यह विश्व की 21वीं सबसे ऊंचाई पर होने वाली झील के साथ ही भारत की तीसरी सबसे ऊंची झील होने का रिकार्ड कायम करती है। स्वच्छ निर्मल जल की सौगात देती यह झील मानसूनी मौसम के दौरान पिघलती बर्फ के साथ ही आकर्षक हरियाली के श्रृंगारित दृश्यों की झलक दिखाती है। मनाली से लेह जाने के रास्ते में यह झील पर्यटकों का ध्यान अपनी ओर खींचती है, जिसकी आध्यात्मिक मान्यता भी है, कहते हैं इस जल में स्नान करने से मनुष्य के पापों का नाश हो जाता है। सूर्य देवता की झील के रूप में मशहूर इस झील के मनोरम परिदृश्य बहुत लुभावने और शानदार प्रतीत होते हैं।
श्वेत और स्वर्ण शिखर से सुशोभितयह मठ स्पीति घाटी के शांत स्थिर वातावरण में स्थित है जो बौद्ध संस्कृति का परिचायक है, जो अपनी विरासत को संजोए हुए यहां आने वाले सैलानियों को रूबरू कराता है। प्राचीन बौद्ध मठों के रूप में इसे तिब्बती लोत्सावा रिनचेन जंगपो द्वारा 9वीं शताब्दी में स्थापित कराया गया था, इस मठ के भित्ति चित्र, पेंटिग्ंस, कलाकृतियां और उत्कृष्ट वास्तुकला की वजह से इसकी तुलना अंजता की गुफाओं से की जाती है, यहां पाई जाने वाली पांडुलिपियां, मूल्यवान मूर्तियों की शोभा और कला के रहस्य जिसे बहुत तरीके से सहेज कर रखा गया है, जिसे आप यहां स्वयं अनुभव कर सकते हैं।
हिमाचल प्रदेश में कई दर्रे पाए जाते हैं जो अपनी अद्वितीयता के लिए जाने जाते हैं, इन्हीं में से एक है कुंजुम दर्रा, जो हिमालय की ऊंचाई पर मौजूद लाहौल और स्पीति के मध्य एक महत्वपूर्ण रास्तें के रूप में कार्य करते हैं जो अपने आंगुतकों को विशेष रूप से आकर्षित करता है, वैसे यह हमेशा बर्फ से ढकी चोटियों से गुलजार रहता है पर मानसूनी मौसम में इस पर थोड़ा फर्क पड़ता है, वैसे यहां पाए जाने वाला ग्लेशियर विश्व के दूसरे सबसे लंबे ग्लेशियर और हिमाचल प्रदेश का सबसे बड़े ग्लेशियरों में से एक है। दर्रे में कुंजुम माता का मंदिर भी स्थित है, जो राजसी परिवेश में आध्यात्मिक वातावरण का निर्माण करता है। जिसके बारें में कई मान्यताओं का चलन है और इस वजह से यहां तीर्थयात्रियों की भीड़ दर्शन को लालायित रहती है।
जादुई रूप से प्रसिद्ध चंद्रताल झील हिमाचल प्रदेश में स्वर्गतुल्य आकर्षण प्रदान करती है, जो समुद्र टापू पठार पर स्थित और चंद्र नदी के नजदीक हैं। चंद्रमा की अर्ध छवि की जैसी दिखने वाली यह झील पर्यटकों के लिए इस नाम से इसीलिए जानी जाती हैं। चंद्रताल झील को रोमांच और शांति प्रदान करने वाले आदर्शों के रूप में जाना जाता है जो उत्साही और सुकून की चाहत करने वाले पर्यटकों के लिए आनंद प्रदान करने वाली होती है, अगर आप भी क्रिस्टल क्लियर पानी में अपनी छवि देखना चाहते हैं तो चंद्रताल झील को घूम सकते हैं।
शाही पर्वतों के बीच शांति प्रदान करती झील श्रीखंड पर्वतशिखरों के ढलानों पर स्थित है जो हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले के नाको गांव में है, इसीलिए इसे नाको झील के नाम से जानते हैं, गांव के खूबसूरत परिदृश्यों को प्रतिविबिंत करती नाको झील लोकप्रिय आकर्षण का केंद्र है, जहां की सीमा से लगे चिनार और विलो के पेड़ जुलाई माह में हरी भरी हरियाली से और संपन्न हो जाते हैं जिससे अद्भुत सुरम्य और अलौकिक परिदृश्यों के जादुई नजारें पर्यटकों का मन मोह लेते हैं। झील के पास ही एक पवित्र चट्टान स्थित है जिसके बारें में कथन है कि इससे बौद्ध गुरू पद्मसंभव की याद जुड़ी हुई है, जिन्होंने पहले बौद्ध मठ के निर्माण में सहयोग किया था। सुबह शाम के समय पक्षियों की आवाज़ें मंत्रमुग्ध करने वाली होती हैं।
स्पीति में पर्यटन सिर्फ एक दायरे तक सीमित नहीं है, यहां मनोरंजन के कई विकल्प है, जुलाई में स्पीति वैली में करने लायक कई प्रसिद्ध चीजों का संकलन प्रस्तुत हैः
जुलाई में विभिन्न तरह के रास्तों का खुल जाना जो अन्य मौसमों में संभव नहीं, इस सीजन की खूबसूरती है
इस मौसम में इन रास्तों पर आप ट्रैकिंग का भरपूर आनंद ले सकते हैं।
जुलाई माह में अधिकतर विभिन्न मठों में उत्सव, समारोह और धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन होता है, ऐसे में आप यहां इनमें शामिल होकर बौद्ध संस्कृति को जानने के साथ ही आध्यात्मिक शांति का सुखद अनुभव कर सकते हैं। प्रसिद्ध लादरचा महोत्सव अगस्त माह में आयोजित होता है।
इस बारें में आप और अधिक वहां की स्थानीय निवासियों से जान सकते हैं।
स्थानीय होमस्टे का आनंद लेते हुए स्पीति की संस्कृति को जान समझ सकते हैं, वहां के जनजीवन, रहन सहन और स्थानीय भोजन की डिशेज़ को चखते हुए उनकी अद्वितीय क्षमता को परख सकते हैं। यहां के लोग बहुत मिलनसार और आतिथ्य का गंभीरता और सजगता से पालन करते हैं।
स्पीति के सुदंरतम नजारों को भला कौन अपनी यादों में संजोना नहीं चाहेगा? अद्भुत प्राकृतिक सौंदर्य को देखकर आपका भी मन कहेगा, इसे तस्वीरों में कैद कर लिया जाए, आप चाहें प्रोफेशनल फोटोग्राफर हो या न हों, लेकिन हर किसी के लिए यहां तस्वीरों का संग्रह करना बरबस एक शौक बन कर उभरता है, जिसे जब चाहे देखकर फिर से जिया जाए।
मानसून के शुरूआती मौसम जुलाई तक स्पीति वैली शिमला किन्नौर मार्ग और मनाली के रास्तों से जाना आसान और सुलभ है, जहां से आप राउंड ट्रिप का आनंद ले सकते हैं।
शिमला किन्नौर मार्ग
यह रास्ता सुगम है जो वर्ष भर खुला रहता है, धीरे धीरे ऊचाई को ओर बढता हुआ एक लंबा रास्ता है लेकिन बेहद सुरक्षित है।
मनाली मार्ग, रोहतांग और कुंजुम दर्रे से होकर जाने वाले रास्ता
यह मार्ग जून मध्य से खोला जाता है, जो जुलाई में पूरी तरह खुल जाता है, अमूमन यह स्पीति तक जाने का छोटा रास्ता है जो कुछ चैलेंजस के साथ कुछ पथरीला भी हैं। प्राकृतिक सुंदरता को समाहित करते इस रास्ते पर अनुभवी चालकों का जाना ही उपयुक्त है।
हवाई मार्ग द्वारा:
स्पीति वैली निःसंदेह जुलाई में घूमने योग्य आकर्षणों में से एक है जहां वर्ष भर के मौसम की तुलना में जुलाई के अद्भुत मौसम के नजारों का दीदार करने को मिलता हैं तो वहीं दूसरी ओर शांत हिमालय के प्राकृतिक वातावरण में ऑफ सीजन में जाने से सुकून का एहसास होता है, जहां प्रकृति और संस्कृति का अलौकिक मेल देखने को मिलता है, जो सजीवता प्रदान करने के साथ ही प्रेम की नियति और नियति के प्रेम को पंख लगा देता है।