• Aug 26, 2025

कश्मीर, जिसे पृथ्वी के स्वर्ग के नाम से जानते हैं। खूबसूरत वादियां, हरे भरे पहाड़ और गज़ब की सुंदरता लिए पर्वतीय क्षेत्र है। अपने आकर्षक वातावरण, हिमालय की अद्भुत ऊंचाइयों का अनुपम नज़ारा, ऐसा प्रतीत होता है मानो जैसे स्वयं ईश्वर ने अपने हाथों से संवारा हो। हरे घास के मैदानों की विस्तृत भूमि पर पड़ती सूर्य की रोशनी के रंग सुंदरता और वातावरण में चार चांद लगाते है। स्वच्छ नीले आकाश के तले बर्फ से ढके पहाड़ और लंबे लंबे चीड़ देवदार के वृक्ष इस तरह लगते हैं मानो नीले सफेद और हरे रंगों की विस्तृत श्रृंखला बन गई हो जिसके क्षितिज से कश्मीर एक खूबसूरत तस्वीर की तरह नजर आता है। बेनज़ीर, बेमिसाल मौसम की दास्तां सुनाते कश्मीर में पर्यटन  हेतु कई आकर्षण हैं जिनमें से 15 पर्यटन खूबसूरत स्थलों के बारें में आपको विस्तार से बताते हैं।

1. श्रीनगरः

जम्मू कश्मीर की राजधानी के रूप में प्रसिद्ध श्रीनगर की सुंदरता का दूसरा कोई सानी नहीं है। राजधानी होने के साथ ही यह यहां का सबसे बड़ा शहर भी हैं। ऊंचे ऊंचे पहाड़ो की तलहटी में बसी कश्मीर घाटी का यह क्षेत्र झेलम नदी के किनारे बसा हुआ है, साथ ही झीलों की खूबसूरती के क्या कहने? अविस्मरणीय दृश्यों का निर्माण करता श्रीनगर अपने प्राकृतिक वातावरण, शानदार उद्यानों, खूबसूरत झरनों और विभिन्न तरह की विशेषताओं को लेकर प्रसिद्ध है। यहां के पारंपरिक कश्मीरी वस्त्र, शॉल, लकड़ी की नक्काशी से सुशोभित सामान, कालीन और यहां मिलने वाले फल और सूखे मेवों के लिए जाना जाता है। कल्हण ने अपनी राजतंरिगणी में श्रीनगर के बारें में लिखा है कि यह श्री यानी लक्ष्मी देवी का परिचायक है तो वहीं इसका दूसरा अर्थ सूर्य नगर से भी लिया गया है। कश्मीर का संस्थापक सम्राट अशोक को माना जाता है।

श्रीनगर कैसे पहुंचेः

  • निकटतम एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन एवं सड़क मार्गः श्रीनगर हवाई अड्डा, जम्मूतवी रेलवे स्टेशन या उधमपुर रेलवे स्टेशन से बाहर निकलकर बस या कैब के माध्यम से श्रीनगर पहुंच सकते हैं

प्रमुख आकर्षणः कई मनोरंजक गतिविधियों और दर्शनीय स्थलों को घूम सकते हैं। मुगल गार्डन जैसे खूबसूरत बगीचों के साथ शंकराचार्य किला और हरी पर्वत को घूम सकते हैं। कश्मीरी हस्तशिल्प और पारंपरिक वस्त्रों और शॉल को खरीद सकते हैं।

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2. पहलगामः

बैसरान घाटी में मौजूद यह क्षेत्र लोकप्रिय पर्वतीय स्टेशन है और अमरनाथ यात्रा का प्राथमिक बिन्दु है। सर्दियों में चीड़ देवदार के वृक्षों पर पड़ती सफेद बर्फ के परिदृश्य इसके लुभावने परिदृश्यों की खूबसूरती को और बढ़ा देते हैं। हिंदू साहित्य में इस जगह का धार्मिक उल्लेख किया गया है कि यहां भगवान शिव ने अपने बैल को छोड़ा था और जगह का नाम बैलगांव था जो अब पहलगाम नाम से जाना जाता है।

पहलगाम कैसे पहुंचेः

  • हवाई माध्यम सेः श्रीनगर एयरपोर्ट से 95 किमी की दूरी पर
  • निकटतम रेलवे स्टेशनः उधमपुर से 220 किमी दूर या फिर जम्मूतवी रेलवे स्टेशन से बस  या कैबे के माध्यम से
  • सड़क माध्यमः जम्मू, श्रीनगर, अनंतनाग होते हुए भी पहलगाम पहुंच सकते हैं।

प्रमुख आकर्षणः ट्रैकिंग, घुड़सवारी, दर्शनीय स्थलों की पावन यात्रा और प्रकृति की सुंदरता का आंनद ले सकते हैं।

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3. सोनमर्गः

कश्मीर के गंदेरबल जिले में स्थित यह हिल स्टेशन कश्मीर को तिब्बत से जोड़ने वाला ऐतिहासिक सिल्क मार्ग है जो प्रवेश द्वार के रूप में जाना जाता है। अद्भुत नजारों का संकलन करता यह क्षेत्र इतना खूबसूरत है कि जिसकी कोई मिसाल नहीं दी जा सकती। कारगिल युद्ध के बाद से यह भारतीय सैनिकों के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण स्थान है। अल्पाइन घास के हरे भरे मैदानों के बीच विभिन्न प्रकार की मछलियों से परिपूर्ण नदियां सोनमर्ग की सुंदरता को विशेष रूप से खूबसूरत बनाती हैं। सोनमर्ग से लगभग 15 किमी की दूरी पर दुनिया की छत के नाम से मशहूर जोजीला दर्रा पार करके लेह शहर पहुंचा जा सकता है।

सोनमर्ग कैसे पहुंचेः

  • हवाई अड्डे से दूरीः श्री नगर हवाई अड्डे से लगभग 81 किमी की दूरी पर
  • रेल मार्ग से दूरीः जम्मूतवी रेलवे स्टेशन से लगभग 328 किमी की दूरी पर
  • राष्ट्रीय राजमार्ग 1 या 44 से बस, कैब या टैक्सी बुक करके सोनमर्ग पहुंचा जा सकता है।

प्रमुख आकर्षणः स्नोबोर्डिंग, थजीवास ग्लेशियर और कृष्णासागर झील के मनोरम दृश्यों को निहारने के साथ सिंध नदी में राफ्टिंग कर सकते हैं।

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4. गुलमर्गः

गुलमर्ग जहां गुल यानी फूलों का स्थान या मैदान हो। पंसदीदा फेवरेट हिल स्टेशनों में से एक यह कश्मीर घाटी के बारामुल्ला जिले में स्थित है। यह हिमालय की पीरपंजाल पर्वतीय श्रेणी के अन्तर्गत आता है। कश्मीर के कई हिल स्टेशनों के नाम के आगे मर्ग लगा हुआ जिसका शाब्दिक अर्थ होता है घास के मैदान। फूलों के मैदान नाम से सुशोभित इस क्षेत्र में विभिन्न तरह के फूलों की खूबसूरत चमक देखने को मिलती है। गुलमर्ग पीओके नियंत्रण रेखा के पास स्थित है। भारतीय क्षेत्र गुलमर्ग में सेना ने एक स्की स्कूल की भी स्थापना की है। यह जगह शीतकालीन खेलों के लिए जानी जाती है। यहां से अफरवत चोटी और नंगा पर्वत और हरमुख पहाड़ों के मनोहारी दृश्य प्रस्तुत करते हैं।

गुलमर्ग कैसे पहुंचेः

  • श्रीनगर से गुलमर्ग पहुंचने के लिए आप सड़क परिवहन के रास्ते लगभग 60 किमी की दूरी तय कर जा सकते हो। गुलमर्ग से जम्मू रेलवे स्टेशन लगभग 290 किमी दूर है।

प्रमुख आकर्षणः यहां स्कीइंग, टोबोगनिंग, स्नोबोर्डिंग और हेली स्कीइंग जैसे एडवेंचरर्स एक्टीविटीज कर सकते हैं।

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5. बेताब घाटीः

पहलगाम के उत्तर पूर्व में स्थित यह घाटी हगन या हजार घाटी के नाम से भी जाना जाता है। इस घाटी के नाम के पीछे की केमिस्ट्री बहुत रोचक है दरअसल इस घाटी का नाम बेताब घाटी बॉलीवुड फिल्म जो सनी देओल-अमृता सिंह की पहली हिट फिल्म बेताब नाम से पड़ा है। इस घाटी में इस फिल्म की शूटिंग होने के कारण इसका नाम बेताब घाटी के नाम से मशहूर हो गया। यह घाटी पहलगाम से पैदल दूरी पर स्थित है जहां से बर्फीले पहाड़ों से नीचे बहने वाली क्रिस्टल क्लियर और ठंडा पानी की धारा बेहद आकर्षक प्रतीत होती है।

बेताब घाटी कैसे पहुंचेः

  • आप पहलगाम से पैदल चलकर भी इत्मीनान से इस घाटी तक पहुंच सकते हैं।

प्रमुख आकर्षणः प्रकृति की सुंदरता का आनंद लेते हुए ट्रैकिंग और लंबी पैदल यात्रा कर सकते हैं, साथ ही रिवर राफि्ंटग और कैम्पिंग का आनंद भी ले सकते हैं। पारंपरिक वस्त्रों को पहनकर घुड़सवारी करते हुए फोटो खिंचवाना पर्यटकों को खूब लुभाता है।

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6. डल झीलः

मीठे पानी  की झील के नाम से प्रसिद्ध यह झील कश्मीर की पहचान है। श्रीनगर में मिलने वाली यह डल झील सर्दियों के दिनों में बर्फ की तरह जम जाती है जो देखने में बहुत अद्भुत लगता है। पर्यटन और मनोरंजन की दृष्टि से यह बहुत आकर्षक प्रतीत होता है। इस झील को कश्मीर के गहने के रूप में जाना जाता है। मछली पकड़ने और जल संयंत्र कटाई के लिए यह महत्वपूर्ण झील है। इसे फूलों की झील के नाम से भी जानते हैं। इस झील के किनारों पर लकड़ी के घर बहुत मनोरम प्रतीत होते हैं। इस झील पर चलने वाली नाव को शिकारा कह कर पुकारते हैं जिसमें बैठकर पर्यटक झील में नौकायन का आनंद लेते हैं।

डल झील कैसे पहुंचेः

  • श्रीनगर हवाई अड्डे से या मुख्य बस केंद्रो से सड़क मार्ग द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है।

प्रमुख आकर्षणः हाउसबोट में ठहर सकते हैं, झील के आसपास के मुगल उद्यानों जैसे शालीमार बाग और निशात बाग की यात्रा कर सकते हैं, साथ ही झील में कयाकिंग और अन्य वाटर गेम्स का आनंद ले सकते हैं।

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7. दूधपथरीः

दूधपथरी के नाम से प्रसिद्ध इस घाटी को दूध की घाटी के नाम से भी जाना जाता है जो कश्मीर के बडगाम जिले में एक अद्भुत हिल स्टेशन है जो अपने हरे भरे घास के मैदान, जंगलों और घाटियों से होकर बहने वाली शालिगंगा नदी के लिए जाना जाता है। यह घाटी क्षेत्र बहुत ऊंचाई लगभग 8,957 फीट पर स्थित है, जहां प्राकृतिक परिदृश्यों की खूबसूरत श्रृंखला जिसमें शांतिपूर्ण वातावरण के साथ जंगली फूलों का दीदार भी होता है, इस घाटी का इतिहास कश्मीरी संत शेख उल आलम और शेख नूर दीन नूरानी से जुड़ी हुई है जिनके बारें में कहा जाता है कि उन्होने यही प्रार्थनाएं की थीं।

दूधपथरी कैसे पहुंचेः

  • श्रीनगर से इसकी दूरी लगभग 42 किमी है जिसे आप सड़क माध्यम से तय कर पहुंच सकते हैं।

प्रमुख आकर्षणः यहा के लुभावने दृश्यों का आनंद लेने के साथ आप यहां ट्रैकिंग आदि गतिविधियों का मज़ा ले सकते हैं। शहर की भागदौड़ भरी जिंदगी से कुछ पल शांति और तनाव से दूर शालिगंगा नदी के स्वच्छ जल की छवि को निहार सकते हैं।

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8. वैष्णो देवी गुफा मंदिरः

जम्मू में माता वैष्णो देवी का प्राचीन मंदिर त्रिकूट पर्वत पर अनंतकाल से हिन्दुओं का पवित्र तीर्थस्थल है जहां का मनमोहक और आध्यात्मिक वातावरण प्राकृतिक खूबसूरती के साथ साथ सांस्कृतिक पक्ष को भी उज्जवलित करता है। चरण पादुका से शुरू होकर यह यात्रा अर्द्धकुंवारी मंदिर, मां के मुख्य भवन और भैरव बाबा के मंदिर के दर्शन करने से पूर्ण होती है। इस पावन यात्रा में भक्तजन बड़ी श्रद्धा से शामिल होते हैं जिसमें मन को शांति मिलती हैं और तन को खूबसूरत वातावरण का एहसास। ऊंचाई पर पहुंचकर ऐसा लगता है जैसे बादलों के बीच से होकर मार्ग गुजरता हो। कटरा से मंदिर यात्रा करने हेतु आप पैदल, पालकी, घोड़े या खच्चर की मदद ले सकते हैं।

वैष्णो देवी गुफा मंदिर कैसे पहुंचेः

  • निकटतम रेलवे स्टेशन श्री माता वैष्णों देवी कटरा स्टेशन है। जम्मूतवी से कटरा 13 किमी दूर है जहां बस या कैब कर पहुंचा जा सकता है।
  • निकटतम हवाई अड्डा जम्मू है जो कटरा से 50 किमी दूरी पर है।

प्रमुख आकर्षणः  प्राकृतिक और आध्यात्मिक दर्शनों से अभिभूत हो सकते हैं।

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9. शिवखोड़ीः

भगवान शिव को समर्पित यह गुफा अति प्राचीन है जिसमें प्राकृतिक रूप से शिवलिंग स्थापित है जो पर्यटन की दृष्टि से प्रसिद्ध स्थल है। यह रियासी के पास संगर गांव में स्थित शांतिपूर्ण मंदिर है जहां 3-4 किमी की पैदल यात्रा करके पहुंचा जा सकता है, आप चाहें तो सुविधानुसार टट्टू या पालकी की मदद से भी मंदिर तक पहुंच सकते हैं। प्राकृतिक सौंदर्य के धनी इस वातावरण में प्रत्येक महाशिवरात्रि को बहुत बड़े मेले का आयोजन होता है। लगभग 200 मीटर लंबी प्राकृतिक रूप से बनी गुफा की घाटी और शिवलिंगम अपने भक्तों को एक खास तरह की प्राकृतिक बनावट के कारण बहुत आकर्षित करता है। गुफा के प्रवेश मार्ग की चौड़ाई और विशाल क्षेत्रफल के कारण इसमे एक बार में लगभग 300 भक्त समा सकते हैं, जिसका मुख्य कक्ष छोटा है। ऐसा माना जाता है कि इस गुफा से एक रास्ता अमरनाथ की ओर जाता है जिसको किसी के ना लौटने के कारण बंद कर दिया गया है। इस शिवलिंग पर अपने आप जल की बूंदे गिरती है जो इसकी महानता को और बढाती हैं। अमरनाथ गुफा की तरह यहां भी कबूतर देखे जा सकते हैं।

शिवखोड़ी कैसे पहुंचेः

  • कटरा (जम्मू एवं कश्मीर) से बस या निजी वाहन बुक कर आप शिवखोड़ी जा सकते हैं। जिसकी दूरी लगभग 80 किमी है।

प्रमुख आकर्षणः प्राकृतिक रूप से बनी गुफा की सुंदरता का आनंद ले सकते हैं, स्थानीय संस्कृति के साथ साथ हस्तशिल्प वस्तुओं की खरीदारी कर सकते हैं।

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10. परी महलः

ज़बरवान पर्वतीय श्रृंखला पर बना सात सीढ़ीदार मुगल उद्यान श्रीनगर में स्थित है जहां से डल झील के खूबसूरत नजारों का दीदार होता है। इस महल का निर्माण शाहजंहा के शासनकाल के दौरान हुआ था जो इस्लामी वास्तुकला पर बना हुआ है जिसमे मेहराबदार दरवाजों के साथ सीढीदार उद्यान और पानी के स्त्रोतों का संगम है। माना जाता है कि इसका निर्माण बौद्ध खंडहरांं के अवशेषों पर हुआ है, जहां एक पुस्तकालय होने के प्रमाण भी मिलते हैं जहां ज्योतिष खगोल विज्ञान जैसे विषयों पर शोध और शिक्षण कार्य हुआ करता था। शाहजहां के बड़े बेटे दाराशिकोह ने यहां रहने के दौरान इस महल का निर्माण करवाया था। इस शानदार महल का उपयोग विभिन्न बॉलीवुड फिल्मों की शूटिंग के दौरान भी किया गया है, जो पर्यटकों के लिए एक यादगार और फोटोग्राफी फेवरेट जगह है।

परी महल कैसे पहुंचेः

  • श्रीनगर शहर या हवाई अड्डे से बस या टैक्सी के माध्यम से इस स्थान पर पहुंचा जा सकता हैं।

प्रमुख आकर्षणः परीमहल की वास्तुकला का आनंद लेते हुए विदेशी फूलों और फलों के बागानों का दीदार कर सकते हैं। हरियाली भरे माहौल में शांति से गहन चिंतन मनन कर सकते हैं, उद्यानों की खूबसूरती को देखते हुए डल झील का शानदार दृश्य देख सकते हैं।

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11. युसमर्गः

इस पवित्र घास के मैदान को यीशु का मैदान कह कर पुकारते हैं इसलिए इसका नाम युसमर्ग है जो कश्मीर के बुडगाम जिले का खूबसूरत हिल स्टेशन है। मान्यता है कि यहां जीसस का आना हुआ था, हालांकि इस बात के पुख्ता कोई ठोस प्रमाण नहीं मिलते हैं। सफेद बर्फ से ढके पहाड़, जहां पर्वतीय वृक्षों के मैदानों से सुशोभित अल्पाइन घाटी देखने का आनंद तब और बढ़ जाता है जब यहां की सनसेट पीक से डूबते सूर्य को देखा जाता है।

यहां की प्रमुख पीक में से त्रट्टेकूट पीक का नाम भी प्रसिद्ध है। पीर पंजाल श्रेणियों में बसा यह हिल स्टेशन दूधगंगा नदी के तट पर है जिसकी जेहलम नाम की एक सहायक नदी है। अपने नीले पानी के लिए प्रसिद्ध यहां की नीलनाग जो कि छोटी सी झील है, पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र रहती है।

युसमर्ग कैसे पहुंचे

  • आप श्रीनगर से करीब 55 किमी दूर स्थित इस जगह पर बसों या टैक्सी के माध्यम से पहुंच सकते हैं।

प्रमुख आकर्षणः पर्यटक यहां कई साहसिक गतिविधियों में हिस्सा ले सकते हैं, जैसे स्कीइंग, बोटिंग, घुड़सवारी, ट्रैकिंग करने के साथ ही मछली पकड़ने के हुनर को आजमा या सीख सकते हैं।

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12. इंदिरा गांधी ट्यूलिप गार्डनः

पहले यह मॉडल फ्लोरीकल्चर के नाम से ज्ञात रहा है जो श्रीनगर में स्थित है और एशिया का सबसे बड़ा ट्यूलिप गार्डन है जो लगभग 74 एकड़ क्षेत्रफल में फैला हुआ है। इस गार्डन में लगभग  75 किस्मों के ट्यूलिप हैं साथ ही फूलों की 46 किस्में हैं जिसमें से कुछ फूलों की किस्मों को हॉलैंड से लाया गया है। शानदार सी कश्मीर घाटी में फूलों की खेती वाला यह स्थान पर्यटन के नजरिए से बहुत खास है जिसें हर साल कई लाख पर्यटन देखने आते हैं। पूरे एशिया में अपना रिकॉर्ड बनाता यह गार्डन विभिन्न फूलों की प्रदर्शनी उत्सव को मनाता है जहां का अद्भुत और आकर्षक नज़ारा पर्यटन प्रेमियों के मन को मोह लेता है।

इंदिरा गांधी ट्यलिप गार्डन कैसे पहुंचेः

  • श्रीनगर में मुख्य केंद्र से लगभग 12 किमी दूरी स्थित इस गार्डन में पहुंचने के लिए आप स्थानीय बस या टैक्सी की मदद ले सकते हैं।

प्रमुख आकर्षणः ट्यूलिप फूलों का आनंद लेने के साथ ही पहाड़ों और झीलों के दृश्यों का लुत्फ ले सकते हैं और हस्तशिल्प प्रदर्शनियों में हिस्सा ले सकते हैं।

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13. शंकराचार्य मंदिरः

इसे ज्येष्ठेश्वर मंदिर के नाम से भी जानते हैं जो श्रीनगर की कश्मीर घाटी में जबरवान रेंज के शीर्ष पर अवस्थित है। भगवान शिव के आशीर्वाद से अभिभूत करते इस मंदिर का विहंगम दृश्य भक्तों को अपनी ओर विशेष रूप से आकर्षित करता है। इस मंदिर के निर्माण की कोई विशेष अवधि ज्ञात नहीं है जो इसकी प्राचीनता को इंगित करता है। जिस पहाड़ी पर यह स्थित है उसका संदर्भ  राजतंरगिणी से मिलता है उन्होंने इस पहाड़ी को गोपाद्रि या गोपा पहाड़ी के नाम से बताया है। उन्होंने इस मंदिर को स्थापित करने का श्रेय 371 ईसा पूर्व के तहत राजा गोपादित्य को दिया है जिन्होंने इसे शिव ज्येष्ठरुदा के रूप में बनवाया था तो वहीं कुछ का कहना है कि राजा मिहिरकुल इस मंदिर के संस्थापक थे। विदेशी इतिहासकारों का मानना है कि इस मंदिर का निर्माण 17-18वीं सदी के आसपास हुआ है, हालांकि कुछ ने इस बात का ख्ांडन किया है। इस मंदिर के इतिहास के बारें में कई किवंदतियां प्रचलित हैं जिसमें प्रसिद्ध किंवदंती यह भी है कि इस मंदिर का दौरा आदि शंकाराचार्य ने किया था तब से इस मंदिर और अवस्थित पहाड़ी को इन्हीं के नाम से जाना गया।

शंकराचार्य मंदिर कैसे पहुंचे

  • श्रीनगर शहर के मुख्य केंद्र से लगभग 5 किमी दूरी पर स्थित इस मंदिर पहाड़ी तक आप स्थानीय बस या टैक्सी के जरिए पहुंच सकते हैं। मंदिर तक पहुंचने के लिए लगभग 243 सीढ़ियों को चढ़ना पड़ता है।

प्रमुख आकर्षणः मंदिर पहुंचने में बर्फ से सजे रास्तों का खूबसूरत अवलोकन कर सकते हैं साथ ही मंदिर परिसर में दिव्यता का अनुभव कर सकते हैं।

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14. अरु घाटीः

जम्मू कश्मीर के अनंतनाग जिले के पास अरु घाटी जिसके अदाव के रूप में प्रसिद्ध अरु गांव पर्यटकों अपनी ओर विशेषतः आकर्षित करता है। यहां का सुरम्य वातावरण, अद्भुत परिवेश लिये घास के मैदान और झीलों पहाड़ों का शानदार संगम कैपिंग और ट्रैकिंग के लिए जाना जाता है। गांव का नाम अरु नदी के तट पर बसे होने के कारण है जहां जम्मू कश्मीर का सबसे बड़ा चारा बीज केंद्र है। यह गांव कश्मीर घाटी के सबसे बड़े ग्लेशियर कोलाहोई साथ ही मारसर झीलों और कटरीनाग घाटियों के लिए आधार बिंदु हैं। इस घाटी के आसपास लगभग 20 अल्पाइन झीलों, पहाड़ियों और घास के मैदानों की उपलब्धता है। सर्दियों के दिनों में होने वाली बर्फबारी में पर्यटक स्कीइंग के साथ अन्य साहसिक गतिविधियों में प्रतिभाग कर सकते हैं। 
अरु घाटी कैसे पहुंचे

  • अरु घाटी पहुंचने के लिए आपको पहलगाम से आसानी से टैक्सी मिल जाएंगी जो लगभग 12 किमी दूर अरु घाटी गंतव्य तक पहुंचा देंगी।

प्रमुख आकर्षणः यह घाटी ट्रैकिंग करने वालों के लिए मशहूर है, यहां कई ट्रेकिंग ट्रेल्स कैंप के बेस हैं। सुंदर घास के मैदानों पर घुड़सवारी का आनंद ले सकते हैं साथ ही विभिन्न स्थानीय संस्कृतियों का अवलोकन कर सकते हैं।

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15. निगीन झीलः

इस झील को नगीना झील के नाम से भी जाना जाता है जो अपने यूट्रोफिक नेचर के कारण जानी जाती है। जिसका अभिप्राय पानी में मौजूद पोषक तत्वों की भरपूर मात्रा से है, दरअसल ऐसे पानी में शैवाल रूपी जलीय पौधों की अत्यधिक वृद्धि होने से अच्छे बैक्टीरियों की उपस्थिति पानी के गुणों मे वृद्धि करता है। यह संकीर्ण जलडमरूमध्य के रूप में डल झील के साथ खुशाल सर और गिर सर झीलों से भी जुड़ा हुआ है। हरि पर्वत के पास स्थित इस झील का विलो और चिनार पेड़ों से घिरा होना इसे नगीना नाम से मशहूर करता है जहां से बर्फ से ढकी पीर पंजाल पर्वत श्रेणी का दीदार इसे और भी अधिक खूबसूरत बनाता है।

निगीन झील कैसे पहुंचेः

  • श्रीनगर मुख्य केंद्र से 10 किमी दूर अवस्थित इस झील तक स्थानीय पब्लिक वाहनों की मदद से पहुंच सकते हैं।

प्रमुख आकर्षणः यहां से पक्षियों को निहारते हुए विभिन्न तरह की जल क्रीड़ाओं का आनंद ले सकते हैं।

कश्मीर घूमने का सर्वोत्तम समयः

कश्मीर में हर मौसम में पर्यटन का अलग ही आनंद है। कश्मीर का मिजाज़, विभिन्न मौसम के पहलू के हिसाब से पर्यटकों को कैसे अपनी ओर आकर्षित करता है, आइए समझते हैं।

  • वसंत ऋतु (फरवरी से मार्च): इस समय सुहाने मौसम के साथ फूलों के खिलने का भी मौसम होता है जो पर्यटन की दृष्टि प्रकृति की सुंदरता को विशेष रूप से बढ़ा देता है।
  • ग्रीष्म ऋतु (मार्च से जून): यहां का तापमान अन्य जगहों की अपेक्षा ठंडा रहता है और मौसम में भी राहत रहती है। दर्शनीय स्थलो की आरामदायी यात्रा का आनंद लेने के साथ रिवर राफ्टिंग और ट्रैकिंग का लुत्फ ले सकते हैं।
  • मानसून ऋतु(जुलाई से सितंबर): कश्मीर में हल्की से मध्यम बारिश होती है, जो भारत के अन्य हिस्सों की अपेक्षा कम होती है, जिससे तापमान घूमने के उद्देश्य से उपयुक्त रहता है। इस दौरान सोनमर्ग, युसमर्ग और पहलगाम जैसी खूबसूरत जगहों की सुंदरता और बढ जाती है।
  • शरद ऋतु (सितंबर से नंवबर): सुनहरे वातावरण के लिये यह मौसम जाना जाता है जिसमें कश्मीर के शानदार परिदृश्यों को देखने के साथ ही मनोरम स्थलों का अविस्मरणीय अनुभव कर सकते हैं।
  • शीत ऋतु (दिसम्बर से जनवरी): बर्फ से ढके कश्मीर का ठंडा वातावरण स्कीइंग के शौकीन पर्यटकों के लिए स्वर्ग जैसा सुखद अनुभव देने वाला होता है साथ ही अन्य बर्फीली गतिविधियों का भी आनंद ले सकते हैं। इस मौसम में तापमान शून्य से भी नीचे चला जाता है इसलिए स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखते हुए पर्यटन का मज़ा लेना हितकर होता है।

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निष्कर्षः

भारत का मुकुटमणि गौरव कश्मीर, यहां विलक्षण पर्यटन स्थलों की भरमार है। आकर्षक वातावरण, खूबसूरत नज़ारे और दिव्य पवित्र तीर्थ स्थलों की मान्यता को साकार करता यह प्रदेश सैलानियों की पसंदीदा लिस्ट में विशेष रूप से सर्वोपरि रहता है। जहां पहाड़, झील, घास के मैदान, नदी और घाटी के साथ प्रकृति की खूबसूरती बढ़ाते हर घटक की प्रचुरता है जिसमें स्थानीय सांस्कृतिक कलाओं का भरपूर समावेश मिलता है जो पर्यटन की दृष्टि से इसे और अद्भुत बनाता है।

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