मानसूनी की शानदार रंगत में सराबोर लैंसडाउन हरियाली का अद्भुत नमूना प्रस्तुत करता है जहां चारों ओर ओक के वृक्षों की सघनता से लेकर घुमावदार भीगे रास्तों की भीनी सी खुशबू और ठंडी हवाओं के झोंके, कल्पना से परे वातावरण की खूबसूरती से रूबरू कराते हैं। उत्तराखंड के पौढी गढवाल क्षेत्र का स्थान लैंसडाउन उन चुनिंदा हिल स्टेशनों में से एक है जहां अगस्त माह भी पर्यटन की खूबसूरती में चार चांद लगाने का काम करता है। बरसाती मौसम में प्रकृति का प्रत्येक कोना हरे भरे रंगों से भर जाता है और देवलोक की अनुभूति कराता है।
अगस्त में लैंसडाउन का अलग ही रंग निखरता है जिसमें शांति, प्रकृति, रोमांस और इतिहास के अनछुए पहलूओं को महसूस कर सकते हैं।
माह अगस्त में लैंसडाउन का मौसम खूबसूरत और लुभावना होता है, जहां रूक रूक कर होती बारिश की निशानियां मन को भाव विभोर कर देती हैं। खूबसूरत हरियाली परिवेश को बढाता मानसून पर्यटकों को बेहद शांति सुकून प्रदान करता है। ठंडी पुरवाईयां तन और मन दोनों को तरोताजा एहसास कराने के साथ ही यादगार अनुभव देती हैं। बारिश न हो तो सूर्य की भरपूर रोशनी के साथ वातावरण सुनहरी चमक के साथ मनोरम परिवेश का निर्माण करता है।
तापमान की अधिकतम रेंज 21 डिग्री सेल्सियस से लेकर न्यूनतम 26 डिग्री सेल्सियस तक रहती है।
बारिश की गति मध्यम से भारी, कभी कभार अत्यधिक ज्यादा भारी होती है जब ऑरेंज अलर्ट जारी हो।
नमी का स्तर मध्यम से उच्च रहता है, लेकिन ठंडी हवा के झोंके बेहतर मौसम का एहसास कराते हैं।
लैंसडाउन पर्यटकों की कम भीड़ और शांत वातावरण के लिए लोकप्रिय स्थान है, जहां बारिश की बूंदे तपिश से राहत देने के साथ ही स्पष्ट और साफ रास्तों की सौगात भी देती हैं। घाटियों की हरियाली और कुहासे से लयबद्ध पहाड़ियों के परिदृश्य मनमोहक होते हैं।
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भारतीय सेना द्वारा बनाई गई यह झील अगस्त के मानसूनी माह में पानी की उपलब्धता से लबरेज विहंगम दृश्य प्रस्तुत करती है। शांत नाव की सवारी के साथ ही पानी को स्पर्श कर सकते हैं और शानदार पिकनिक स्थल में परिवार या दोस्तों संग समय बिता सकते हैं। इस झील का नाम गढवाली शब्द भुल्ला पर है जिसका अर्थ होता है छोटा भाई। इस झील के आसपास स्वच्छ और हरियाली की राहत प्रदान करता वातावरण है जिसमें बच्चों का पार्क, बांस का मचान और कई सुंदर से फव्वारों का आकर्षण हैं। यहां सुबह 8 बजे से लेकर शाम 6 बजे तक समय बिता सकते हैं।
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लैंसडाउन की यह चर्च करीब 1895 के आसपास बनना शुरू हुई थी जिसे 1947 के बाद संग्रहालय में तब्दील कर दिया गया। यह चर्च अपनी विक्टोरियन शैली के कारण पर्यटकों का ध्यान आकर्षित करती है। इसके शानदार रंगीन कांचों की खिड़कियां आगुंतकों का विशेष ध्यान खींचती है। इसकी फोटो गैलरी और गढवाल राइफल्स का 10 मिनट का शॉर्ट वीडियो पर्यटकों द्वारा बहुत पसंद किया जाता है।
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अगस्त में यहां अक्सर बादलों की छांव पहाड़ी को ढक लेती है जहां शानदार परिदृश्य का निर्माण होता है। लैंसडाउन में करीब 2000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह व्यू पॉइंट पिकनिक के लिए बहुत ही खूबसूरत जगह है जहां से लैंसडाउन का नजारा बेहद आकर्षक और यादगार है। इतनी ऊंचाई से सूर्यास्त और सूर्योदय के नजारें वाकई खूबसूरत और विहंगम प्र्रतीत होते हैं। लैंसडाउन मार्केट से टिप इन टॉप की दूरी लगभग 2 किमी है और इस जगह आपको करीब 200 मीटर की दूरी पैदल ही तय करनी पड़ती है शेष के लिए सड़क गाड़ी परिवहन के लिए उपयुक्त है।
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बारिश के दौरान बेहतर अंदरूनी गतिविधि के तौर पर इस संग्रहालय को देखना एक अच्छा अनुभव हो सकता है। यह संग्रहालय दरवान सिंह नेगी के नाम पर गढवाल राइफल्स के उज्ज्वल सैन्य गौरव की कहानियां बयां करता है। दरवान सिंह नेगी विक्टोरिया क्रॉस विजित व्यक्ति थे, जिन्होंने पहले विश्व युद्ध के समय पर ब्रिटिश भारतीय सेना की 39वीं गढवाल राइफल्स का नेतृत्व किया था। संग्रहालय निर्माण 1983 में हुआ, दो मंजिला इस इमारत में स्वतंत्रता पूर्व से लेकर स्वतंत्रता के बाद भी वीर सैनिकों की फोटोज़, चित्र, सम्मान, उपलब्धियां, प्रशंसा पत्र, रीति रिवाज, प्रमाण पत्र दस्तावेज, युद्ध विजित चिन्ह, पुराने कपड़े, पदक और युद्ध सबंधी वस्तुएं देखने का अवसर मिलता है। सैलानी यहां संग्रहालय देखने के बाद बाग बगीचे का भी लुत्फ ले सकते हैं जो मानसूनी महीने में और खुशगवार फूलों से लदा होता है।
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लैंसडाउन का यह स्थान अगस्त में और ज्यादा खूबसूरत वातावरण के साथ हिमालय की बर्फ से ढकी शानदार वादियों का दीदार कराता है, यह स्थान ट्रेकिंग करने वालों के लिए स्वर्ग समान है जहां से आप लोकप्रिय ट्रेकिंग मार्गों को चुन कर आगे बढ सकते हैं। जयहरीखाल से होते हुए खैबर दर्रे के प्रसिद्ध ट्रेकिंग ट्रेक को चुन सकते हैं।
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लैंसडाउन एक छावनी क्षेत्र के रूप में बहुत पहले से जाना जाता है, यहां की गढवाल राइफल्स की बहादुरी की कहानियां और वीरता किसी से छिपी नहीं है, जिन्होंने हमेशा से ही विश्व स्तर पर भी अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है। इसी प्रतिष्ठा को सम्मान देने के उद्देश्य से सन् 1923 में लॉर्ड रॉलिसंन ऑफ ट्रेंट ने इस जगह का उद्घाटन किया था जहां यह गढवाल राइफल्स के नाम से मशहूर हुआ। मानसूनी समय में दोपहर में बेहतर समय बिताने की परफेक्ट जगह है।
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लैंसडाउन का यह मंदिर मां दुर्गा के भक्तों पर कृपा बरसाता है। यह मंदिर एक गुफा के अंदर स्थित है जहां इसे सबसे पुराने शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। श्रद्धालुओं का मानना है कि इस मंदिर में दर्शन करने से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और सभी मन की इच्छाएं पूरी करती हैं। यहा मन्नत का लाल कपड़ा बांधने का चलन है जिसको लेकर कई किंवदंतियां भी सुनने को मिलती है। मंदिर के पास ही एक और मंदिर है जो भगवान शिव को समर्पित है। दुर्गा मंदिर के पास बहती जलधारा भक्तों के लिए कौतूहल और दिव्य वातावरण का निर्माण करता है।ं कई छोटे झरनों की शोभा देखते बनती है, जिनके विहंगम दृश्यों में भक्त आध्यात्मिक और प्राकृतिक खूबसूरती के मधुर मिलन का एहसास करते हैं। इस मंदिर में सुबह 6 बजे से रात 8 बजे तक दर्शन कर सकते हैं।
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भगवान शिव का प्रसिद्ध मंदिर तारकेश्वर महादेव मंदिर करोड़ों शिव भक्तों की आस्था का केंद्र है जिसके बारे में कहते हैं कि यहां भगवान शिव की आराधना तारकासुर ने इसी स्थान पर की थी, जिससे प्रसन्न होकर महादेव ने उसे इच्छित वरदान यही कि उसकी मृत्यु शिवपुत्र के हाथों होगी दिया था। तारकासुर जानता था कि उनकी पहली पत्नी सती जीवित नहीं है, तो पुत्र कैसे होगा इसलिए वह खुद को अमर मानने लगता है। कालांतर में भगवान शिव का विवाह माता पार्वती से होने के बाद उन्हें कार्तिकेय पुत्र की प्राप्ति होती है और इन्होंने ही तारकासुर का वध कर धरती पर संतों की रक्षा की। तारकासुर के यहां तपस्या करने और फल पाने संबंधी कालक्रम के चलते यह मंदिर तारकेश्वर महादेव मंदिर नाम से पूजा जाता है। इस मंदिर के पास ही माता पार्वती का मंदिर है और देवदार के वृक्षों की ओम आकार की श्रृंखला है जिसको लेकर मान्यता है कि इन्हें देवी पार्वती ने भगवान शिव को छाया प्रदान करने हेतु स्वयं को देवदार वृक्षों के रूप में स्थापित किया है। इस मंदिर के पास ही एक कुंड है जिसका पवित्र जल मंदिर शिवलिंग पर अर्पित किया जाता है। यहां महिलाओं के स्नान के लिए विशेष कुंड सुविधा है जो बंद आकार में है। यहां की मान्यता है कि किसी शुभ काम के होने पर यहां घंटियां चढाई जाती हैं।
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लैंसडाउन मे ंमानसूनी समय में कई सारे स्ट्रीट फूड का बेमिसाल स्वाद चख सकते हैं, यहां कई सारे होटल्स और रेस्तरां बने हैं जहां आप यहां का पारंपरिक गढवाली भोजन के अनुपम स्वाद को चखने के साथ ही मारवाड़ी, चीनी और इंडियन आदि वैराइटीज के लज़ीज व्यंजनों को खा सकते हैं। उत्तराख्ांड राज्य में होने की वजह से लैंसडाउन में प्रसिद्ध डिशेज कप्पा, खताई और आलू के गुटके के स्वादिष्ट भोजन का आनंद ले सकते हैं।
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निकटतम हवाई अड्डाः देहरादून का जॉली ग्रांट हवाई अड्डा, जहां से कैब या बस द्वारा लैंसडाउन जा सकते हैं।
निकटतम रेलवे स्टेशनः कोटद्वार रेलवे स्टेशन से करीब 50 किमी का सफर तय करके लैंसडाउन पहुंच सकते हैं।
अपनी कार या सड़क मार्ग से यात्रा करने के लिए पहले कोटद्वार जाना होगा, वहां से दूसरी बस या अपनी कैब से लैंसडाउन का सफर तय कर सकते हैं।
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अंत में, लैंसडाउन एक बेहद खूबसूरत हिल स्टेशन है जहां आप बरसाती महीने अगस्त में कई सारे मनोरंजन के विकल्प अपना सकते है, जहां रिमझिम बारिश की खूबसूरती के साथ ही धुंध और हरियाली के परिदृश्यों की खूबसूरत वादियां हैं। मानव निर्मित भुल्ला झील में बत्तख नाव का आनंद लेने के साथ ही प्रकृति और प्रवासी पक्षियों को निहार सकते हैं। प्राचीन गौरवशाली इतिहास की गाथा समेटे संग्रहालयों का अवलोकन करने के साथ ही गुफाओं की सैर व प्राचीन मंदिरों की सैर कर सकते हैं। लैंसडाउन का शांत परिवेश आपको हर तरह से मानसिक और शारीरिक रिफ्रेंशमेंट प्रदान करता है।
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