• Aug 25, 2025

अगस्त का मौसम बारिश और हरियाली की सौगात लिए पर्यटन स्थलों की खूबसूरती में चार चांद लगा देता है, विशेंषतः दिल्ली और आसपास के मैदानी क्षेत्रों की अपेक्षा पहाड़ी क्षेत्रों की रौनक और मौसम का मिजाज़ हरा भरा, ठंडा और तरोताज़ा कर देने वाला होता है। अगर आप भी दिल्ली या इसके आसपास के इलाके से नजदीकी पहाड़ी क्षेत्रों पर जाने का प्लान बना रहें हैं तो यहां नजदीकी हिल स्टेशनों की पूरी सूची और संपूर्ण मार्गदर्शिका दी जा रही है।

1. शिमला, हिमाचल प्रदेश

हिमाचल प्रदेश की राजधानी और औपनिवेशिक काल के आकर्षण को प्रतीत करता शिमला बारिश की बूंदों में हरा भरा और शांति और सुकून का गढ बन जाता है। जब बरसते बादलों में ऐतिहासिक इमारतों और मोड़दार गलियां रिमझिम बूंदों का आशियाना बन जाता है। ऐसे में आप शिमला में आसपास की कोमल कोहरे से ढकी वादियों को देखने के साथ ही बारिश का मजा लेते हुए धरती के गीलेपन को महसूस कर सकते हैं। जब मन एकदम शांत और प्रकृति के करीब होने का आनंद लेते हुए गहरी सोच में चला जाता है, इन एहसासों को पूरी तरह शब्दों में बांध पाना आसान नहीं होता। कम पर्यटक और हर जगह हरियाली के साथ ही बजट फ्रेंडली होटल्स और बेमिसाल फोटोज़ के लिए सर्वोत्तम पृष्ठभूमि, कुदरत की अनमोल देन है। शिमला का औसत तापमान करीब 14 डिग्री सेल्सियस से लेकर 24.5 डिग्री सेल्सियस तक रहता है, हालांकि दिन की अपेक्षा रातें अधिक सर्द हो सकती हैं।

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प्रमुख आकर्षणः कालका से शिमला ट्रेक पर टॉय ट्रेन का आनंद ले सकते हैं, इसके साथ ही अर्की किला, कुल्लू, नालदेहरा, शिमला संग्रहालय, कुफरी, माल रोड, जाखू हिल, सोलन, समर हिल और कई सारे आकर्षणों का आनंद ले सकते हैं।

दिल्ली से दूरीः लगभग 290 किमी

कैसे पहुंचे

हवाई यात्रा

  • नजदीकी हवाई अड्डे जुब्बड़हट्टी शिमला है, लेकिन यहां से बहुत सीमित उड़ानें संचालित होती हैं, आप चाहें तो चंडीगढ हवाई अड्डे से कैब या बस से लगभग 4 घंटे में शिमला जा सकते हैं।

रेल यात्रा

  • यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल का दर्जा प्राप्त कालका शिमला रेलवे ट्रैक से मनोरम रास्तों का आनंद लेते हुए शिमला जा सकते हैं, मानसून के दौरान यह अच्छा मनोरंजन विकल्प भी है। दिल्ली की कालका से बेहतर कनेक्टिविटी है।

सड़क यात्रा

  • दिल्ली से शिमला की सड़क दूरी लगभग 290 किमी से भी ज्यादा है, जहां आप कार या बस से भी जा सकते हैं। इसके लिए राज्य परिवहन निगम की बसों के अलावा निजी तौर भी बसें मिलती हैं। बारिश के समय रास्ते अवरूद्ध हो सकते हैं इसलिए धैर्य के साथ यात्रा करें।

2. मसूरी, उत्तराखंड

मानसूनी मौसम में मसूरी की दोपहर भी बादलों की ओट से घिरी होती है। शांत और गहरा सुकून देता मसूरी कुछ अलग सा दिखाई देता है। अगस्त के मौसम में साफ स्वच्छ नीले आकाश की जगह हल्की धुंध से ढकी मौन पहाड़ियों की सुदंरता किसी आश्चर्य से कम नहीं लगती। यह समय मसूरी में बहुत पसंद किया जाता है क्योंकि गर्मियों की तपिश के बाद बारिश की राहत भीतर तक मन को ठंडक देने के साथ ही खुशी का अनुभव प्र्रदान करता है। शांत और आराम देते कैफे, पहाड़ों की शांति और बारिश के बाद सड़कों पर सैर करना रोचक है। मानसून के समय ज्यादा भीड़ की किल्लत नहीं होती और बारिश के दौरान भी सड़कों की बेहतर व्यवस्था के चलते आप आराम से यात्रा कर सकते हैं। कैफे और रोपवे में लंबी कतारों का झझंट नहीं होता और फोटोग्राफी के लिए अच्छा समय है।

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प्रमुख आकर्षणः लाल टिब्बा, लंढौर, कैमल्स बैक रोड, इन्डोर कैफे और ऐतिहासिक चर्च, संग्रहालयों को देखें। बारिश ज्यादा होने पर केम्प्टी फॉल्स को बंद कर दिया जाता है क्योंकि मार्ग अवरूद्ध हो सकता है। आप मस्सी फॉल्स देख सकते हैं यहां जिप लाइनिंग और बोटिंग का आनंद लेने के साथ ही एडवेंचर शौकीन लोग फिसलन भरे रास्तों से बचते हुए ट्रेकिंग भी कर सकते हैं।

दिल्ली से दूरीः लगभग 300 किमी

कैसे पहुंचे

हवाई यात्रा

  • मसूरी से नजदीकी एयरपोर्ट देहरादून का जॉली ग्रांट हवाई अड्डा है जहां से दूरी लगभग 49 किमी है। कैब या बस सुविधा मिलती है।

रेल यात्रा

  • आप देहरादून या ऋषिकेश रेलवे स्टेशन से मसूरी की यात्रा कर सकते हैं, ऋषिकेश से मसूरी की दूरी लगभग 30 किमी है जिसे बहुत आसानी से पूरा किया जा सकता है। 

सड़क यात्रा

  • दिल्ली से मसूरी की यात्रा के लिए सड़क मार्ग विकल्प भी चुन सकते हैं जहां राज्य और निजी तौर पर परिवहन सुविधा मिलती है, आप चाहें तो स्वयं कार ड्राइव कर भी पहुंच सकते हैं।

3. लैंसडाउन, उत्तराखंड

श्वेत बादलों में छिपी हरी भरी पहाड़ियां, ऊंचे ऊंचे देवदार के वृक्षों की घनी श्रृंखला और बारिश से भीगी सड़कें, हरे हरे घास के मैदानों के बीच बहुत ही शानदार दिखती हैं। अगस्त लैंसडाउन में समय बिताने का शानदार समय हे जहां शांत आकर्षण देता यह स्थान पौढी गढवाल में बसा यह क्षेत्र ओक और रोडोडेंड्रेन के वनों की सजीवता को दर्शाता है। मंत्रमुग्ध करती यह जगह बारिश के दिनों में हरियाली के सर्वोत्तम स्थानों में से एक हो जाता है। अगस्त में लैंसडाउन का मौसम 17 डिग्री सेल्सियस से 24.5 डिग्री सेल्सियस तक रहता है, यहां बिजी हिल स्टेशनों की अपेक्षा भीड़ कभी ज्यादा नहीं होती इसलिए इसे उत्तराखंड के छिपे हुए रत्न की संज्ञा दी जाती है। यहां के हर मोड़ हरी भरी घाटियों की सुंदरता और कुहासे से ढकी पहाड़ियों के मनमोहक परिदृश्यों की सुंदरता के मनमोहक परिदृश्यों का सुकून देते हैं।

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प्रमुख आकर्षणः मानसूनी दिनों में भुल्ला ताल झील में पानी से लबरेज आकर्षक नजारें प्रिय लगते हैं, इसकी विशेषता है कि यह भारतीय सेना द्वारा बनाई गई है, नाव की सवारी का आनंद लें। सेंट मैरी चर्च, दरवान सिंह संग्रहालय, गढवाल रेजिमेंट और युद्ध स्मारक, तारकेश्वर मंदिर और अन्य चर्चित स्थलों की शोभा को निहारें।

दिल्ली से दूरीः लगभग 260 किमी

कैसे पहुंचे

हवाई यात्रा

  • निकट हवाई अड्डा जॉली ग्रांट एयरपोर्ट, देहरादून है, जहां से बस या टैक्सी द्वारा लैंसडाउन जा सकते हैं।

रेल यात्रा

  • नजदीकी रेलवे स्टेशन कोटद्वार से लैंसडाउन की दूरी लगभग 45 किमी है, जहां से बस या टैक्सी से पहुंच सकते हैं।

सड़क यात्रा

  • दिल्ली से लैंसडाउन जाने के लिए कोटद्वार होकर जाना पड़ता है। जहां राज्य और निजी परिवहन दोनों तरह की बसों का संचालन किया जाता है, आप चाहें तो कार ड्राइव कर भी लैंसडाउन पहुंच सकते हैं।

4. नैनीताल, उत्तराखंड

नैनी झील के किनारे बसा यह हिल स्टेशन दिल्ली के नजदीक और सबसे ज्यादा प्रसिद्ध भी है। मानसूनी दिनों में यहां की खूबसूरती और आकर्षण देखने लायक होता है। जहां हरियाली और धुंध के बीच रोमांटिक माहौल बनता है, यहां का माहौल इस समय कम भीड़ की वजह से बहुत शांत और प्रिय लगता है। ऐसे में मॉल रोड की सैर और खरीदारी करने का मज़ा अलग ही होता है। बारिश की वजह से मौसम साफ और प्रदूषण धूलरहित हो जाता है। ताजी हवा और बादलों की रौनक के साथ शांत और पूरे वेग से बहती नदियां और झीलें सभी के मन मोह लेती हैं। मौसमीय हरीतिमा की छवि स्वच्छ और शीतल हवा में पहाड़ियों की चमक और आरामदायक वातावरण पर्यटकों को खूब रिझाता है। मानसूनी मौसम में नैनीताल यात्रा करना यादगार अनुभव प्रदान करता है।

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प्रमुख आकर्षणः नौकुचियाताल, भीमताल, टिफिन टॉप, हनुमानगढी इत्यादि देखने के साथ ही इको केव गार्डन का आनंद लेते हुए झील किनारे टहलना रोचक अनुभव देता है, नैना देवी मंदिर के आध्यात्मिक दर्शन, स्थानीय भोजन का आनंद लेने के साथ ही कैफे में थोड़ी देर शांति से बैठकर चाय या कॉफी पीते हुए आराम कर सकते हैं। अविस्मरणीय आनंद के लिए यादों की फोटोग्राफी कर एल्बम भी बना सकते हैं।

दिल्ली से दूरीः लगभग 310 किमी 

कैसे पहुंचे

हवाई यात्रा

  • नैनीताल के नजदीकी हवाई अड्डों मे से एक पंत नगर एयरपोर्ट है जहां से नैनीताल की दूरी लगभग 54 किमी है।

रेल यात्रा

  • निकटतम रेलवे स्टेशन काठगोदाम से नैनीताल की सैर के लिए कार या बस द्वारा पहुंच सकते हैं जिसकी दूरी लगभग 23 किमी है।

सड़क यात्रा

  • सड़क द्वारा जाने के लिए भारत के सभी प्रमुख शहरों से नैनीताल के लिए बसें संचालित होती हैं जहां आप अपनी सुविधानुसार यात्रा की शुरूआत कर सकते हैं, इच्छानुसार कार ड्राइव कर भी नैनीताल पहुंच सकते हैं।

5. परवाणु, हिमाचल प्रदेश

हिमालय की तराई क्षेत्र में बसा यह क्षेत्र बेहद आकर्षक और लुभावना है जहां के मंत्रमुग्ध करने वाले परिदृश्यों की अनोखी श्रृंखला आंखों को सुकून प्रदान करती है। हरे भरे घास के मैदानों पर चीड़ और देवदार के लंबे लंबे वृक्ष और घाटियों के बीच बहती जलधाराएं परवाणू को पर्यटन के लिए अनुकूल बनाने के साथ ही हिमालय की शिवालिक श्रेणियों की भव्यता देखते बनती है। यहां आप केबल कार की सवारी का आनंद लेने के साथ ही ट्रिम्बर ट्रेल रिजार्ट का लुत्फ ले सकते हैं। परवाणू में फलों से लदे बाग, मानसून का सबसे गहरा और अनोखा आकर्षण हैं, जहां सेब और आडू के ताज़े फलों का स्वाद चख सकते हैं साथ ही यहां खरीदारी करने का रोचक अनुभव भी प्राप्त करने के साथ ही फल आधारित उत्पादों के ताजा अचार, जैम और मुरब्बा आदि को खरीद सकते हैं, स्वयं इस्तेमाल करने के साथ ही और किसी को भी निशानी स्वरूप में दे सकते हैं।

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प्रमुख आकर्षणः काली माता, मनसा देवी, श्री बालाजी मंदिर, कैक्टस गार्डन, गोरखा किले, पिंजौर और पंचकूला का आकर्षण अनुभव कर सकते हैं।

दिल्ली से दूरीः लगभग 269 किमी

कैसे पहुंचे

हवाई यात्रा

  • नजदीकी एयरपोर्ट चंडीगढ है जिसकी परवाणू से लगभग दूरी 30 किमी है, जिसे तय कर परवाणू आराम से पहुंच सकते हैं।

रेल यात्रा

  • कालका रेलवे स्टेशन से परवाणू की दूरी मात्र लगभग 2 किमी के आसपास है। कालका पहुंचकर स्थानीय वाहनों द्वारा परवाणू पहुंच सकते हैं।

सड़क यात्रा

  • दिल्ली से चंडीगढ या अंबाला के रास्ते आराम से परवाणू जा सकते हैं।

6. कसौली, हिमाचल प्रदेश

हिमाचल प्रदेश की वादियों मे बसा कसौली मानसूनी सीजन में हरी भरी सुंदरता के साथ बहुत शानदार दिखाई देता है। जहां बादलांं की ताजी बारिश और मौसम में वनस्पतियों की हरियाली उपस्थिति यहां के रमणीक स्थलों की शोभा में और बढोत्तरी कर देती है। प्रकृति, इतिहास, शांति और मंत्रमुग्ध करने वाले नज़ारों की रोचकता के बीच अनगिनत प्रिय अनुभव महसूस होते हैं। मानसून के दिन कसौली को जीवंत रंग बिरंगे फूलों के उत्साह, बारिश और हवा के मीठे संयोजन की खुशबू और कभी कभी होने वाली मूसलाधार बारिश की ध्वनि से गुजाएंमान करती है। पर्यटकों का एक खास ही वर्ग जो मानसून में यहां आना पसंद करता है जिसमें शांति भरे वातावरण में आगुतंकों को विशेष खूबसूरती से परिचय कराता यह हिल स्टेशन शहरों की व्यस्त और भागदौड़ भरी जिं़दगी से राहत की सांस प्रदान करता है।

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प्रमुख आकर्षणः ट्रेकिंग और प्रकृति की सुंदरता को निहारते हुए चलना, ऐतिहासिक स्थलों पर बारिश का आनंद लेना, मंकी पॉइंट और स्थानीय भोजन का स्वाद चख सकते हैं और सूर्यास्त, टिम्बर ट्रेल, कसौली क्लब, मंकी प्वाइंट, कृष्ण भवन मंदिर, श्री बाबा बालकनाथ मंदिर, क्राइस्ट चर्च का दीदार कर सकते हैं।

दिल्ली से दूरीः लगभग 300 किमी

कैसे पहुंचे

हवाई यात्रा

  • चंडीगढ एयरपोर्ट से करीब 70 किमी की दूरी तय कर कसौली जाया जा सकता है। चंडीगढ की कनेक्टिविटी भारत के सभी प्रमुख शहरों से है।

रेल यात्रा

  • कालका निकटतम रेलवे स्टेशन से कसौली लगभग 40 किमी दूरी पर है जहां से बस या कैब की मदद से कसौली जाना आसान विकल्प है।

सड़क यात्रा

  • दिल्ली, शिमला, चंडीगढ और सोलन से सीधी बसें कसौली लेकर जाती है। जिसमें कई बसे हिमाचल प्रदेश राज्य परिवहन निगम की भी रहती हैं, सुविधानुसार बसों या अपनी कार से आप कसौली पहुंच सकते हैं।

7. धर्मशाला, हिमाचल प्रदेश

हिमाचल प्रदेश का तिब्बती संस्कृति से सजा यह हिल स्टेशन मानसूनी महीनों में ताजी और हरी भरी हो जाती है। जहां भीगी सड़कों पर चलती ठंडी हवाएं, बेमिसाल झरनों की मोहकता और कम भीड़ का आकर्षण देखते बनता है। यह वह समय होता है जब आप कहीं बैठकर आराम से चाय पीते हुए धुंध भरे वातावरण की छवि को निहारने के साथ ऊंचे ऊंचे पहाड़ों के साथ घाटियों की गहराई को देख प्रकृति की अनमोल देन को धन्यवाद कह सकते हैं। धर्मशाला शांत, स्वच्छ और निर्मल हिल स्टेशन है जहां हर पर्यटक को अनूठी अनुभूति का एहसास होता है। अगस्त में यहां का मौसम अच्छी बारिश वाला होता है जहां मौसम ज्यादातर ठंडा और लुभावना रहता है। बारिश का स्तर कभी बहुत कम, कभी तेज और कभी औसत होता है। कोहरे से ढकी पहाड़ियों और चीड़, देवदारों के वृक्षों की हरियाली का सुखद अनुभव मिलता है। जहां शांति, ताज़गी और प्राकृतिक सुंदरता का सुंदर मेल होता है।

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प्रमुख आकर्षणः बारिश के दिनों में भागसूनाग झरने की खूबसूरती चरम पर होती है, डल झील में भरपूर पानी की उपलब्धता, वाइल्डरनेस चर्च की ऐतिहासिकता देखें इसके अलावा चाय के बागान और नड्डी व्यू पॉइंट से धर्मशाला का अद्भुत नजारा देखने के साथ ही यादों में कैद कर सकते हैं।

दिल्ली से दूरीः लगभग 450 किमी

कैसे पहुंचे

हवाई यात्रा

  • धर्मशाला हवाई अड्डा नजदीकी है, जहां लगभग 12 किमी का सफर तय कर पहुंच सकते हैं।

रेल यात्रा

  • धर्मशाला से करीब 20 किमी की दूरी पर कांगड़ा रेलवे स्टेशन है जहां से आप धर्मशाला पहुंच सकते हैं।

सड़क यात्रा

  • धर्मशाला के लिए सड़क का रास्ता बहुत प्रसिद्ध है जहां दिल्ली जैसे प्रमुख शहरों से धर्मशाला के लिए सीधे बस या टैक्सी के माध्यम से पहुंचा जा सकता है।

8. चकाराता, उत्तराखंड

मानसून में उत्तराखंड की सैर दिल्ली के नजदीक होने के साथ ही कई नए रोचक अनुभवों को प्रदान करती है। चकराता में बारिश का मौसम इसकी सुदंरता को जादुई रूप से बढाने का काम करता है जहां भीगते पहाड़ों से गिरती बूंदे, घने जंगलों की सादगी और गढवाल क्षेत्र में बसे इस हिल स्टेशन की शांति सभी पर्यटकों को भाती है। मंत्रमुग्ध करते नजारों, बारिश की गति और मोड़दार रास्तों की शोभा चकाराता को परफेक्ट रेनी डेस्टिनेशन बनाते हैं। पहाड़ियों की हरियाली और झरनों का बहाव ठंडी हवा के साथ ताज़ी बहती बयार, मानो धरती पर स्वर्ग यहीं हैं। फोटोग्राफी और सुकून की तलाश करने वालों के लिए यह बहुत फेमस प्लेस है।

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प्रमुख आकर्षणः चकराता समुद्री तल से करीब 7 हजार फीट की ऊंचाई पर मौजूद बेहद शांत और आकर्षक स्थल है जहां आप मंदिर, झरनों की शोभा को निहारने के साथ ही यहां चिरमरी नेक, टाइगर फॉल्स, बुधेर गुफाओं के साथ चारों ओर बिखरी सुंदरता का आनंद ले सकते हैं। यहां के स्थानीय भोजन मंडवे की रोटी, झंगूरे की खीर, अरसा, चैसोणी, भांग की चटनी, कंडाली का साग के साथ अन्य कई अद्वितीय स्वाद को चख सकते हैं, शायद जिनके नाम आपने पहले कभी सुने भी न हो। साहसिक गतिविधियों जैसे ट्रेकिंग और हाइकिंग भी कर सकते हैं।

दिल्ली से दूरीः लगभग 300 किमी

कैसे पहुंचे

हवाई यात्रा

  • चकराता वायुमार्ग से जाने के लिए नजदीकी एयरपोर्ट जॉली ग्रांट एयरपोर्ट का रूख करना होगा जहां से चकराता की दूरी लगभग 115 किमी है, इसके लिए आसानी से बस, टैक्सी या कैब की सुविधा मिल जाती है।

रेल यात्रा

  • देहरादून रेलवे स्टेशन से चकाराता की दूरी को तय कर जाया जा सकता है जिसके लिए स्थानीय वाहनों की संपूर्ण उपलब्धता रहती है।

सड़क यात्रा

  • चकराता देश के सभी प्रमुख शहरों से अच्छे से कनेक्टड है, जहां दिल्ली से देहरादून और देहरादून से मसूरी जाने वाली बस के माध्यम से या स्वयं अपने वाहन से चकराता पहुंच सकते हैं।

निष्कर्ष

अंत में, मानसून का मौसम उत्तर भारत में स्फूर्ति और ताजगी का संचार करता है वहीं पहाड़ी क्षेत्रों में आई जीवंतता और उत्साह, दिल्ली जैसे मैदानी क्षेत्रों के निवासियों का स्वागत करने को तैयार रहते हैं, एकांत प्रकृति की सैर करना हो या परिवार या दोस्तों के संग भी मौसम का सुखद स्पर्श करना हो। कभी हल्की या गहरी धुंध के नजारें, पहाड़ों पर छाई हरियाली की खुमारी और हवाओं के करिश्माई अंदाज को रूह तक महसूस कर सकते हैं, जहां यकीनन आपको शांति भरी उमंग और उल्लास की स्पेशल फीलिंग आने वाली है तो फिर अगस्त के इस मौसम का खुलकर आनंद लीजिए साथ में पहाड़ी रौनक को दिलों में भर लीजिए।

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