• Sep 12, 2025

भारत में त्योहारों की खुशबू और उनकी मिठास का स्वाद, यहां की संस्कृति और रीति रिवाजों में रचा बसा है, इन त्योहारों को भारतीय परंपराओं व विरासतों की आत्मा कहना गलत नहीं है। इन्हीं त्योहारों में से एक है दीवाली या दीपावली का त्योहार, इसे भारत का सबसे बड़ा त्योहार माना जाता है, जहां लोग अपने भवनों, घरों और इमारतों पर रोशनी बिखेरते हैं और धूम धड़ाके से पर्व को मनाते हैं।

देश ही नहीं वरन् विदेशों तक में भी इस त्योहार को बहुत आस्था और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है, जहां भले ही इसे अलग अलग तरीकों से मनाया जाता है लेकिन इस दौरान छुट्टियों की बात करें तो एक लंबा वीकेंड तो मिल ही जाता है, ऐसे में दीवाली में घूमने की प्लानिंग बढिया अवसर होता है, यहां हम आपके लिए भारत की 8 सबसे अच्छी जगहों की जानकारी लेकर आए हैं, जहां जाने के लिए दीवाली की छुट्टियां सर्वोत्तम है।

1. अयोध्या

दीवाली त्योहार का नाम आता है तो भगवान राम की नगरी अयोध्या का जिक्र सबसे पहले होता है, कारण इसी जगह पर भगवान राम ने जन्म लिया और 14 सालों के वनवास के बाद अपनी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ अयोध्या लौटे थे, जिसके प्रतीक स्वरूप उस समय यहां के लोगों ने इनकी आने की खुशी का इज़हार घी के दीपों को जलाकर किया था, तभी से दीवाली की यह परंपरा साकार हुई। यूपी के कई जगहों से लोग दीवाली में अयोध्या आकर सरयू नदी के तट पर दीप प्रज्ज्वलित करते हैं। अभी तक यहां के तीन लाख दिये जलाने के रिकॉर्ड को गिनीज़ बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में जगह दी गई है।

दीवाली बहुत उल्लास से भरे जश्न के साथ मनाया जाने वाला त्योहार है जिसकी अवधि चार दिनों तक रहती है। शानदार भव्य नज़ारों की श्रृंखला का दीदार कराता दीपावली उत्सव सरयू नदी के तटों पर जलते दीयों की जगमगाहट से और भी ज्यादा लोक लुभावन प्रतीत होता है। पूरे अयोध्या को सतरंगी झालरों, रंग बिरंगे कागज़ों, रोशनियों और हाथ की बनी सजावटी चीजों से खूबसूरती से संवारा जाता है। आप यहां दीवाली के दिनों की जगमगाहट और खुशहाली देख उत्साहित हुए बिना रह नहीं पाएंगे।

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आसपास घूमने योग्य आकर्षण

दीवाली उत्सव मनाते हुए आप श्री राम जन्मभूमि मंदिर में दर्शन कर सकते हैं, कनक भवन में माता सीता और भगवान राम के पावन आशीर्वाद को प्राप्त करते हुए इसकी भव्य वास्तुकला को निहारें, हनुमान गढी, राम की पैड़ी, देवकाली मंदिर, सीता की रसोई मंदिर और भी कई अन्य मंदिरों की आध्यात्मिकता का पवित्र स्पर्श करें। गुप्तार घाट, तुलसी स्मारक भवन, मर्णी पर्वत, मोती महल, सूरजकुंड, छोटी छावनी देखने के अलावा अयोध्या के नजदीक फैजाबाद, पुण्याहारी, श्रृंगी ऋषि आश्रम और भरतकुण्ड का दर्शन कर सकते हैं।

कैसे पहुंचे

  • सड़क माध्यम से अयोध्या देश के किसी भी हिस्से से पहुंचा जा सकता है। जहां स्वयं की कार या बस आदि वाहनों से पहुंचना आसान है।
  • हवाई मार्ग के माध्यम से अयोध्या जाने के लिए महर्षि वाल्मीकि अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा महज लगभग 10 किमी दूरी पर स्थित है जहां से स्थानीय वाहन अयोध्या के लिए मिल जाते हैं।
  • रेल मार्ग के जरिए अयोध्या के लिए दो प्रमुख रेलवे स्टेशन हैं, अयोध्या जंक्शन और फैजाबाद जंक्शन, जहां से अयोध्या बहुत ही आसानी से पहुंच सकते हैं।

2. दिल्ली

देश की राजधानी दिल्ली की दीवाली की चमक और धमक देखते बनती है जहां यह त्योहार बहुत ज्यादा उमंग, उल्लास और जोश के साथ मनाया जाता है। दीवाली अवकाश के समय यहां कई शानदार आकर्षण हैं जिन्हें देख सकते हैं। चारों ओर बिखरी रोशनी की जगमगाहट और तरह तरह की लाइटों की बनावट बहुत खूब लगती हैं। पिछले कई सालो में दिल्ली में बढते प्रदूषण के कारण यहां आतिशबाजी और पटाखे जलाने पर रोक लगी हुई है। इसके बावजूद भी दिल्ली में दीयों का स्वर्णिम प्रकाश और चारों ओर खूबसूरत सजावट बेहद आकर्षक लगती है।

दिल्ली मे दीवाली की रौनक धनतेरस से लेकर भाई दूज तक बरकरार रहती है। धनतेरस में नई और महंगे सामानों की खरीद से शुरू होने वाला यह त्योहार सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है, इसके अगले दिन छोटी दिवाली यानी नरक चतुर्दशी का त्योहार मनाया जाता है, कहते हैं इस दिन भगवान श्रीकृष्ण द्वारा नरकासुर नाम के राक्षस का अंत कर पृथ्वीवासियों को उसके आतंक से बचाया था, नरक चतुर्दशी के अगले दिन मुख्य दीवाली का त्योहार मनाया जाता है जो कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है, इसके लिए कहते हैं कि भगवान राम ने आज ही के दिन पत्नी सीता को राक्षस रावण का वध कर बचाया था और सपरिवार अयोध्या वापसी की थी। इसी दिन, स्थानीय निवासी दीपों, मोमबत्ती और अन्य साधनों से वातावरण में प्रकाश फैलाते हैं, दीवाली के अगले दिन गोवर्धन पूजा के रूप में मनाते हैं जिसको मनाने का तरीका हर जगह विशेष है, इसे अन्नकूट भी कहते हैं इस दिन भोजन में कुछ खास बनाया जाता है, दीवाली के आखिरी दिन भाई बहन के त्योहार भाई दूज को मनाया जाता है, जिसमें बहने भाई को कुमकुम रोली का टीका लगाकर मिष्ठान वगैरह खिलाती हैं और इसी त्योहार के साथ दीवाली का पांच दिन का यह त्योहार समाप्त हो जाता है।

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आसपास घूमने योग्य प्रमुख आकर्षण

दिल्ली सिर्फ त्योहारो के कारण ही नही बल्कि अन्य बहुत से आकर्षणों की वजह से भी मशहूर है जहां आप वीकेंड छुट्टियों को एन्जॉए कर सकते हैं, पुराना किला जिसे शेरशाह सूरी ने बनवाया था, दिल्ली के पुरानें किलों में से एक है, कहते हैं इसी जगह पांडवों ने इसे अपनी राजधानी बनाया था, जिसे इंद्रप्रस्थ कहा जाता है। इसके अलावा यहां के प्रसिद्ध बाजारां मे खरीदारी का विशेष अनुभव ले सकते हैं। एडवेंचर आईलैंड में रोमांचक गतिविधियों का मज़ा लें, जंतर मंतर, कुतुब मीनार, लालकिला, लोटस टेंपल, चिड़ियाघर, हुमायूं का मकबरा, हौज खास किला के पुरातन आकर्षण में समय बिताएं, वेस्ट टू वंडर पार्क, जामा मस्जिद, अक्षरधाम मंदिर के साथ कई आकर्षक स्थलों को देखें।

कैसे पहुंचे

  • दिल्ली पहुंचने के लिए सड़क मार्ग की भरपूर उपलब्धता है, जहां देश के किसी भी हिस्से से आया जाया जा सकता है।
  • हवाई मार्ग से दिल्ली पहुंचने के लिए इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट से जा सकते हैं।
  • दिल्ली रेल मार्ग से बेहतरी से कनेक्टड है जहां प्रमुख शहरो से ट्रेने आती हैं, दिल्ली में कई प्रमुख रेलवे स्टेशन है जैसे नई दिल्ली रेलवे स्टेशन, आनंद विहार रेलवे स्टेशन, निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन, पुरानी दिल्ली या सराय रोहिल्ला रेलवे स्टेशन और अन्य रेलवे स्टेशन हैं।

3. वाराणसी

वाराणसी में बिताया हर पल दिव्य अनुभूति का एहसास देता है, ऐसे में त्योहारों की विशेष रौनक वाराणसी में देखते बनती है। हिंदुओं के सबसे पावन स्थलों में से एक यह नगरी भगवान शिव की नगरी कहलाती है जहां आप दीवाली के दिनों में जाएंगे तो यह समय बनारस की खूबसूरती को बेहतर ढंग से प्रस्तुत करता है। गंगा घाटों पर बिखरी सोने जैसी रोशनी के परिदृश्यों की श्रृंखला, तंग गलियों में सजावट के नज़ारें और जगमग करते दीपों की उपस्थिति वाराणसी में अद्भुत दृश्यों का संकलन करते हैं। बनारस में करीब 80 से अधिक घाट है जहां दीवाली के दीपों की जगमगाहट और गंगा नदी पर पड़ते इनके प्रतिविम्बों की झलक हर मन को अपनी ओर खींच लेती है। पटाखों और आतिशबाजी के धूम धड़ाके वातावरण में जीवंतता और उल्लास का संचार करते हैं।

दीवाली के लगभग दो सप्ताह बाद कार्तिक पूर्णिमासी को यहां देव दीपावली का भव्य आयोजन किया जाता है जिसमें हिंदू देवी देवताओं की शोभायात्रा बहुत धूमधाम से नाचते गाते सड़कों पर निकाली जाती है जहां घाटों में दीपों की श्रृंखलाएं मन मोह लेती हैं। लगभग सभी घाटों मे दस लाख से भी ज्यादा दीपों की जगमगाहट बहुत ही ज्यादा प्रफुल्लित करती है।

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आसपास घूमने योग्य प्रमुख आकर्षण

वाराणसी को कई नामों से जाना जाता है जैसे बनारस, काशी और भी कई अन्य नामो से इसे पुकारा जाता रहा है। भगवान शिव की नगरी काशी में विश्वनाथ मंदिर दर्शन करना बहुत ही विशेष माना जाता है, यह 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है, यहां भगवान शिव के कई छोटे बड़े मंदिरों की भूमि है। अस्सी घाट, दशाश्वमेध घाट, बौद्ध स्मृतियों का अवलोकन करने के लिए सारनाथ में जा सकते हैं जहां प्रमुख बौद्ध स्तूप और अशोक चक्र शामिल है व मणिकर्णिका घाट, राम नगर किला, तुलसी मानस मंदिर, संकट मोचन हनुमान मंदिर आदि में दर्शन आशीर्वाद से अभिसिंचित हो सकते हैं। इसके अलावा सभी प्रमुख घाटों का अवलोकन करने के बाद वाराणसी के प्रमुख बाजारों में खरीदारी का विशेष अनुभव ले सकते हैं जहां बनारसी साड़ियों से लेकर बनारस के हस्त निर्मित उत्पादों को खरीद सकते हैं। दीनदयाल हस्तकला शंकुल और अलकनंदा क्रूज टूर का दीदार कर सकते हैं।

कैसे पहुंचे

  • वाराणसी की सड़क मार्ग के माध्यम जाने की अच्छी उपलब्धता है, जहां श्रद्धालु दूर दूर से बनारस आते हैं।
  • हवाई मार्ग के माध्यम से लाल बहादुर शास्त्री एयरपोर्ट यानी वाराणसी एयरपोर्ट के माध्यम से बनारस पहुंच सकते हैं।
  • रेल मार्ग के जरिए बनारस पहुंचने के लिए बनारस के प्रमुख रेलवे स्टेशनों वाराणसी जंक्शन वगैरह का रूख कर सकते हैं।

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4. मैसूर

मैसूर कर्नाटक का प्रसिद्ध शहर है जो प्राचीन समय से आकर्षण का केंद्र रहा है, त्योहारों के दौरान यह और भी ज्यादा शानदार प्रतीत होता है, विशेषतः दीवाली और दशहरे के पर्व के समय इसकी मोहकता कई गुना बढ जाती है, विशेष बात है कि रात के समय लाइटों की जगमगाहट में मैसूर पैलेस का अद्भुत नज़ारा दिलों पर अमिट असर डालता है। इसकी सजावट और भव्य वास्तुकला के आकर्षक दृश्यों में चार चांद लगाते दीवाली पर्व के इस विशेष त्योहार में विभिन्न तरह के दीयों की डिजाइन और उनकी जगमगाहट यहां के घरों और इमारतों की रौनक भी कई गुना बढा देती है।

दीवाली के समय पूरे शहर की रंगाई और सफाई के काम से इसकी सुंदरता मन को मोह लेने वाली होती है। यहां एक दूसरे का मिठाई खिलाना और बांटना दीवाली की मुख्य परंपरा मानी जाती है जहां इसकी मिठास में घुली प्रेम प्यार के रंग दीवाली की खुशहाली को और भी ज्यादा बढा देते हैं। गली मोहल्लो में रखे दीयों की कतारें और घरों, प्रतिष्ठानों के बाहर सतरंगी रंगोलियों की अलौकिक छाप और सुदंरता दीपावली को बहुत ज्यादा खास बनाता है।

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आसपास घूमने योग्य प्रमुख आकर्षण

मैसूर में दीवाली के आकर्षण दृश्यों और उत्साह के साथ कई प्रमुख स्थलों को देख सकते हैं, जहां चेन्नाकेशव मंदिर जो कावेरी नदी के तट पर बना है, अनुपम वास्तुकला का परिचायक है, चामुंडेश्वरी मंदिर में मां चामुंडा का आशीर्वाद प्राप्त करें जो कम से कम 1000 फीट ऊंची पहाड़ी पर बना हुआ मंदिर है, त्रिनेत्रश्वर स्वामी मंदिर जो भगवान शिव के त्रिनेत्र स्वरूप के दर्शन कराता हुआ द्रविड़ वास्तुकला का परिचय देता है। एशिया के दूसरे सबसे लंबे चर्च के रूप में प्रसिद्ध सेंट फिलोमेना चर्च का दीदार करें, जगनमोहन पैलेस देखें, चिड़ियाघर में वन्य जीवों का अवलोकन करें, प्रसिद्ध करणजी झील की मोहकता को निहारें और रेल संग्रहालय में 18वीं शताब्दी के इंजनों का ऐतिहासिक आनंद लें।

कैसे पहुंचे

  • कर्नाटक के मैसूर शहर जाने के लिए कर्नाटक या देश के किसी भी प्रमुख शहर से सड़क माध्यम से मैसूर यात्रा संपन्न की जा सकती है।
  • निकटतम एयरपोर्ट बेंगलुरू हवाई अड्डा है जहां से स्थानीय वाहनों के जरिए मैसूर की सैर कर सकते हैं।
  • मैसूर का नजदीकी रेलवे स्टेशन मैसूर के मध्य में ही है, मैसूर रेलवे स्टेशन के रास्ते आप बहुत आसानी से मैसूर पहुंच सकते हैं।

5. उदयपुर

राजस्थानी गौरव और संस्कृति को प्रदर्शित करता उदयपुर झीलो के शहर के नाम से विश्वविख्यात शहर है। यहां दीवाली उत्सव की रौनक और झीलों पर प्रतिविबिंत होते दीयों और आतिशबाजी की छवियां सभी को बेहद आकर्षक परिदृश्य प्रदान करती हैं। दीवाली पर्व से शोभाएमान सभी घरों की छतों और मुख्य दरवाजे की सुंदर सजावट और फूलों की झालरें साथ में बनी रंगोलियों की आकर्षक डिजाइन्स और उनके रंगों का अनोखापन दीपावली की मोहकता को और भी प्रसिद्ध बनाती है। शाम के समय होती आतिशबाजी की शानदार आवाजें और रोशनी भरे नज़ारें जब पिछोला झील के ऊपर देखें तो और भी ज्यादा आकर्षक लगते हैं। दीपावली के दिन यहां श्रद्धालु धन की माता देवी लक्ष्मी के दर्शनों के लिए भटियानी चौहट्टा महालक्ष्मी मंदिर में दर्शन करने जाते हैं।

दीपावली के समय उदयपुर लाइट फेस्टिवल के मंत्रमुग्ध करते परिदृश्यों को देखना अद्भुत और रोमांचक लगता है, इसकी शुरूआत साल 2012 से सरकार द्वारा की गई है जिसमें उदयपुर के राजसी अंदाज़ को बखूबी दिखाना और शाही ठाठ बाट के साथ दीवाली त्योहार को मनाने का उद्देश्य है। इस लाइट फेस्टिवल में विभिन्न प्रसिद्ध गायकों द्वारा सुंदर प्रस्तुतियां, अलग अलग अंदाज के डीजे, कला प्रदर्शन, फूड स्टॉल और एंटरटेनमेंट की अद्भुत गतिविधियों के साथ ही आसमान में उड़ने वाले पेपर दीयों की शोभा उदयपुर और उसके बाहरी क्षेत्रों में भी इसकी चमक बिखेरते हैं।

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आसपास घूमने योग्य प्रमुख आकर्षण

दीवाली के पर्व को एन्जॉए करने के साथ ही यहां मानसून पैलेस से पूरे उदयपुर शहर का नज़ारा देखें, सिटी पैलेस, ताज लेक पैलेस की भव्यता निहारें साथ ही पिछोला झील, फतेह सागर झील, दूधतलाई झील में पानी के करिश्माई अंदाज़ों को सहेजें, झील आईलैण्ड पर बने जगनिवास, सौर वेधशाला और मंदिरों पर जाने के लिए मोटरबोट की सवारी का मज़ा लें। उदयपुर के आसपास बूंदी के राजमहलो के आकर्षणों को देखने के साथ ही रानियों की बावड़ियों को भी देख सकते हैं।

कैसे पहुंचे

  • सड़क मार्ग की बेहतर उपलब्धता है जहां कहीं से भी उदयपुर की यात्रा करना आसान है।
  • हवाई मार्ग की बात करें तो महाराणा प्रताप एयरपोर्ट उदयपुर का अपना एयरपोर्ट है जहां देश के प्रमुख हवाई अड्डों से पहुंच सकते हैं।
  • रेल मार्ग के लिए उदयपुर रेलवे स्टेशन पहुंचकर उदयपुर सिटी घूम सकते हैं जो शहर के मध्य में स्थित है।

6. शिमला

हिमाचल प्रदेश की राजधानी और पर्वतीय क्षेत्रों में दीपावली पर्वत की जगमगाहट देखते बनती है, जहां भव्य हिमालय की वादियों में दिवाली त्योहार के झिलमिलाते दीपों की कतारें और रोशनियो से नहाता यह पहाड़ी शहर दीवाली की दिव्य झलक दिखाने के साथ ही पहाड़ों के अनुपम नज़ारों और मौसम का सुमधुर संगम प्रदान करता है जहां पर्यटक परफेक्ट छुट्टी की प्लानिंग कर सकते हैं। दिवाली में यहां की बाजारें और मॉल रोड की सजावट आपको और भी ज्यादा यहां से जोड़े रखती है। गांधी चौक पर जगमग करती लाइटें और पहाड़ो पर बने घरों में दूर दूर तक फैले टिमटिमाते दीयो के आकर्षण से पूरा शहर सराबोर हो उठता है।

शिमला में दीवाली की रौनक और यहां मौजूद पहाड़ियों पर मंदिरों की घंटियों की आवाजें, पूजापाठ और पवित्र दिव्यता के आकर्षण इसे दीवाली स्पेशल डेस्टिनेशन बनाते हैं जहां द रिज, समर हिल्स, कुफरी व जाखू हिल पर बना जाखू मंदिर और भी ज्यादा शानदार आकर्षण प्रस्तुत करते हैं।

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आसपास घूमने योग्य प्रमुख आकर्षण

दीवाली आकर्षण के साथ ही यहां कई और भी विशेष आकर्षण हैं जैसे अर्की किला में आप राजपूताना और मुगल दोनों तरह की वास्तुकला का अद्भुत संगम देख सकते हैं, कुल्लू जिसे देवताओं की घाटी के नाम से भी जानते हैं यहां विज नदी को भी निहार सकते हैं, नालदेहरा खूबसूरत से हिल स्टेशन की मोहकता को देखें, मनाली और आसपास के अन्य हिल स्टेशनों को भी घूम सकते हैं। यूनेस्को विश्व धरोहर कालका शिमला रेलवे ट्रेक पर रेल यात्रा का सुखद अनुभव उठाएं। 

कैसे पहुंचे 

  • सड़क मार्ग से शिमला पहुंचने के लिए दिल्ली, चंडीगढ, अंबाला या कालका से बसों का सीधा संचालन होता है जहां से आप शिमला के लिए सवार हो सकते हैं। 
  • शिमला का नजदीकी हवाई अड्डा जुबड़हट्टी है जहां से शिमला के लिए स्थानीय वाहन की मदद लेकर पहुंच सकते हैं। 
  • निकटतम रेलवे स्टेशन जोगिंदर नगर है जहां से शिमला के लिए शेयरिंग वाहन या बुकिंग कर शिमला हिल स्टेशन पहुंचना आसान है। 

7. मथुरा

दीपो के त्योहार दीवाली का महत्व तीर्थ स्थानों में और भी ज्यादा बढ जाता है जहां भक्ति भावना में आनंदित हो जाने के साथ ही दीवाली उत्सव की जीवंतता और उत्साह अन्य किसी भी जगह से कई गुना ज्यादा होता है वैसे तो मथुरा शहर और इसके आसपास का इलाका भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं के लिए जाना जाता है लेकिन दीवाली उत्सव जो भगवान राम के वनवास से वापस लौटने के लिए केंद्रित है, यहां बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। दरअसल उत्तर भारत में दीवाली पांच दिनों का ऐसा त्योहार है जिसका हर दिन किसी न किसी विशेषता को सहेजता है। इसमें दीवाली के एक दिन पहले का दिन यानी नरक चतुर्दशी की कथा में भगवान श्री कृष्ण द्वारा नरकासुर को मारने के लिए मनाया जाता है। दीवाली के समय मथुरा और वृंदावन में रासलीला का आयोजन भक्तो को अतिप्रिय लगता है। सभी प्रमुख और छोटे बड़े मंदिरों को बहुत करीने से सजाया जाता है। मंदिरों में विशेष आरतियां और प्रार्थनाएं की जाती हैं जहां भगवान श्रीकृष्ण की चित्रकारी और सुंदर दृश्य आकर्षित करते हैं। 

वृंदावन में सभी जगह दीपों की भरमार देखने को मिलती हैं, कुंज गलियों में बने घरों की साज सज्जा और दीवाली मनाने का अंदाज अच्छा लगता है। दीवाली के अगले दिन गोवर्धन पूजा की जाती है जहां साक्षात् गोवर्धन पर्वत स्थापित है और इससे जुड़ी प्राचीन पौराणिक कहानियों की निशानियां यहां आज भी उसी रूप मे देखने को मिलती है। गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा और पूजा अर्चना विशेष रूप से फलदायी मानी जाती है। यहां के हर मंदिर, गली, घरों, प्रतिष्ठानांं और इमारतों में दीवाली की बेमिसाल रौनक देखने को मिलती है।

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आसपास घूमने योग्य प्रमुख आकर्षण

मथुरा का श्रीकृष्ण जन्मभूमि स्थान को देखें और उस समय के कारागार को देखें, वृंदावन की स्वयंभू युवा मूर्ति से सुसज्जित बांके बिहारी मंदिर पर आध्यात्मिक स्पर्श करें, रमण रेती पर कुछ समय बिताएं और भगवान बलराम के मंदिरों को देखें, द्वारिकाधीश मंदिर की उत्कृष्ट बनावट देखें, कंस किले पर गौर करें, यमुना नदी किनारे नाव और नौकायन का आनंद सहेजें, निधिवन में वृक्षों की अजीबोगरीब बनावट के दर्शन करें जिनके बारें मे कई स्थानीय कहानियां सुनने को मिलती हैं। शालीग्राम शिला से स्वयं प्रकट हुई मूर्ति के दर्शन राधा रमण मंदिर में करें। प्रेम मंदिर, इस्कॉन मंदिर, चंद्रोदय मंदिर, प्रियाकांतजू मंदिर और वैष्णो मंदिर के दर्शन कर मन्नत मांग सकते हैं। 

कैसे पहुंचे 

  • सड़क मार्ग से मथुरा राजधानी दिल्ली के बेहद नजदीक है जहां से स्थानीय बसें या अपने वाहन से भी मथुरा वृंदावन की यात्रा पर जा सकते हैं। 
  • मथुरा के नजदीकी एयरपोर्ट में आगरा एयरपोर्ट है जिसकी मथुरा से लगभग दूरी 54 किमी है और दिल्ली के इंदिरा गांधी एयरपोर्ट से लगभग 144 किमी दूरी है। दोनों ही एयरपोर्ट से मथुरा जाने के लिए बस या कैब सुविधा मिल जाती है। 
  • रेल मार्ग से मथुरा जाने के लिए मथुरा जंक्शन रेलवे स्टेशन पहुंचकर स्थानीय टैक्सी की मदद से मथुरा और वृंदावन बिना किसी दिक्कत के पहुंचा जा सकता है। 

8. ओडिशा

समुद्र किनारे बसा ओडिशा अपनी रोचकताओं और अनोखेपन के लिए भारत में प्रसिद्ध है जहां दीवाली त्योहार अलग ढंग से मनाया जाता है, यूं कहें कि ओडिशा में यह त्योहार केवल प्रकाश पर्व ही नहीं बल्कि काली पूजा विशाल अनुष्ठान और बड़बदुआ डाका समारोह के लिए मशहूर है, दीवाली के लगभग पन्द्रह दिन पहले ही इस भव्य उत्सव की तैयारियां शुरू हो जाती हैं जिसमें हर्ष और उल्लास की कोई सीमा नहीं होती। मां काली की प्रतिमा को पंडालों में सजाया जाता है और मुख्य दीवाली की रात्रि तक कई सारी पूजाओं का अनुष्ठान किया जाता है। 

मां काली की पूजा के दौरान शोभायात्रा और जुलूस भी निकाले जाते हैं और प्रतिमा को मंदिर दर्शन भी कराए जाते हैं। बड़बदुआ डाका एक तरह से पूर्वजों को याद करने का दिन है जिन्हें इस पूजा में शामिल होने के लिए आमंत्रित और आवाहन किया जाता है। जगन्नाथ मंदिर पुरी में जूट की लकड़ियों को जलाया जाता है जो पूर्वजों को बुलाने का एक तरीका माना जाता है। यहां के अनोखे अनुष्ठान और रीति रिवाज अन्य जगहों की दीवाली समारोह से भिन्न और अद्वितीय हैं।

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आसपास घूमने योग्य प्रमुख आकर्षण

दीवाली पर्व की समरसता में जैन धर्म की दो प्रमुख गुफाओं उदयगिरी और खंडगिरी का अवलोकन कर सकते हैं, भितरकनिका राष्ट्रीय उद्यान में वन्य आकर्षणों को निहारें, धौलगिरी पहाड़ियों में कलिंगा युद्ध की स्मृतियों को देखें, चिलिका झील की खूबसूरती में पिकनिक का मज़ा लें। नंदनकानन नेशनल पार्क और कोणार्क मंदिर के अद्वितीय छवि को निहारें साथ ही जगन्नाथ पुरी मंदिर के भव्य दर्शनों का आनंद ले।

कैसे पहुंचे

  • ओडिशा राज्य पहुंचने के लिए सड़क मार्ग की बेहतर उपलब्धता है जहां नजदीकी राज्यों और प्रमुख शहरां से ओडिशा के लिए वाहन आसानी से मिल जाते हैं।
  • ओडिशा में इंटरनेशनल एयरपोर्ट भी है जहां से आप हवाई रास्ते से ओडिशा पहुंच सकते हैं जैसे पुरी इंटरनेशनल एयरपोर्ट
  • ओडिशा की रेल सुविधाएं भी बेहतर है जहां पुरी या भुवनेश्वर अधिकतर शहरो में रेलवे स्टेशनो की बेहतर मौजूदगी है।

निष्कर्ष

अंत में, दीपावली खुशियों, उल्लास और जश्न मनाने का त्योहार है जहां भारत के इन प्रमुख शहरों में दीवाली के मौसम में अलग ही आकर्षण देखने को मिलता है, इन पांच दिनों में कहीं धन की देवी महालक्ष्मी की पूजा के साथ दीवाली के विभिन्न रीति रिवाजों का पालन होता है तो कहीं कई दिनों पहले से मां काली की पूजा की तैयारी शुरू हो जाती है, कहीं लाइट उत्सव का आयोजन होता है, कहीं बाजारों से गुलज़ार वातावरण मंत्रमुग्ध कर देते हैं। वास्तव में दीवाली एक त्योहार नहीं बल्कि जीवंत आनंद प्रदान करता और सामुदायिक एकता व समरसता को बढावा देता उत्सव है जिसकी रौनक में हर कोई खुशहाली और दिव्यता का परम अनुभव करता है।

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