दशहरा, भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक है जिसकी धूम देश ही नहीं वरन् विदेशों तक भी गूंजती है। बुराई पर अच्छाई की सीख प्रदान करता यह पर्व सिर्फ एक त्योहार तक ही सीमित नहीं है, इसके उल्लास और जोश की झलक देश के हर कोने में देखने को मिलती है। भगवान राम की रावण की जीत के अवसर पर इस त्योहार को मनाते हैं, वहीं कुछ संस्कृतियां इसे देवी दुर्गा द्वारा राक्षसों पर विजय के सम्मान के रूप में भी देखते हैं, साल के आखिरी महीनों में आने वाला यह पर्व त्योहारों के आगमन का प्रतीक स्वरूप भी है। आप देश में किसी भी हिस्से की निवासी हों, दशहरा पर्व की रौनक सें आपका तन और मन दोनों झूम उठेगा।
अगर आप भी लंबी छुट्टियों के इस मौके को एन्जॉए करना चाहते हैं तो यहां आपको दशहरा मनाने के लिए 10 सर्वश्रेष्ठ जगहों के बारें में बताने जा रहे हैं, आइए भारत के 10 मुख्य स्थानों की चर्चा करते हैं, जहां हर जगह की अपनी विशेषताएं और मान्यताएं हैं।
यूपी का वाराणसी शहर मां गंगा की गोद में बसा हुआ पवित्र शहर है जिसे भगवान शिव की नगरी के नाम से जाना जाता है, यहां का दशहरा पर्व बहुत अलग और विशेष है क्योंकि यहां मां गंगा के घाटों और किनारे कई हजारों की प्रज्वलित द्वीपों की कतारें अत्यधिक प्रिय लगती हैं, जगमगाते द्वीपों की खुशहाली और मां गंगा की अद्भुत छवि इस पर्व के महत्व को और भी ज्यादा बढाती है। बनारस की शानदार रामलीला कई वर्षों पुरानी है, जिसमें कलाकारों द्वारा प्रस्तुत की गई नाटकीय मंचन मन मोह लेने वाला होता है। दशहरा पर्व की धूम और इसकी भक्ति के रंग में सराबोर काशी की छवि देखते बनती है। सुबह से ही यहां मां गंगा की पावन धारा में हजारों भक्त पवित्र डुबकी लगाते हैं और दशहरा के पवित्र वातावरण में और भी ज्यादा भक्तिमय हो जाते हैं।
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आसपास घूमने योग्य आकर्षण
रामनगर रामलीला में सबसे पुरानी रामलीला को देखें, सारनाथ बौद्ध स्तूप और अन्य स्मृतियां, बनारस के प्रमुख घाट और मंदिर, रामनगर किले का अवलोकन कर मुगल युग की वास्तुकला को देखें, चुनार का किला और अन्य कई शानदार आकर्षणों का दीदार करने के साथ ही बनारस सिल्क एम्पोरियम से विश्व प्रसिद्ध बनारसी साड़ियों की शानदार खरीदारी कर सकते हैं।
कैसे पहुंचे
भारत की राजधानी दिल्ली में दशहरे की धूम देखने लायक होती है, जहां विशाल भव्य मेले के आयोजन के साथ रावण, कुंभकरण और मेघनाद के विशाल पुतलों का निर्माण किया जाता है, यहां रामलीला मैदान और लालकिला जैसी जगहों पर रामायण महाकाव्य का प्रसिद्ध कलाकारों द्वारा मंचन किया जाता है जिसकी शुरूआत नवरात्रि से ही हो जाती है। नौ दिनों तक चलने वाले नवरात्रि पर्व को दिल्ली मे उत्सव की तरह मनाया जाता है जिसमें शहर की रौनक और भी ज्यादा बढ जाती है। नवरात्रि के समय मांसहारी भोजन से परहेज किया जाता है, कुछ लोग तो प्याज लहसुन भी नहीं खाते हैं। दशहरे मेले में जगमगाते परिदृश्य और विभिन्न स्टॉल की विविधता दशहरे के इस त्योहार को और भी ज्यादा खास बनाती है।
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आसपास घूमने योग्य आकर्षण
पुतले दहन के साथ ही शानदार आतिशबाजी और मेलों की रौनक देखते बनती हैं, इसके अलावा आप कई जगहों को देख सकते हैं जैसे पुराना किला, इंडिया गेट, अक्षरधाम मंदिर, लाल किला, हौज खास किला, एडवेंचर आईलैण्ड, राष्ट्रपति किला, लोटस टेंपल, शिल्प संग्रहालय और अन्य जगहों को देखने के साथ ही दिल्ली की प्रसिद्ध बाजारों को देखने के साथ ही खरीदारी का आनंद भी ले सकते हैं।
कैसे पहुंचे
कर्नाटक का मैसूर राज्य प्रसिद्ध शहर है जहां पर्यटन के कई सारे विकल्पों की श्रृंखला मौजूद है, साथ ही मैसूर का दशहरा त्योहार विश्व भर अलग पहचान रखता है जहां मैसूर पैलेस को विविध तरह के रंगों से जगमगाती लाइटों से सजाया जाता है जिसकी अद्वितीय छवि रात्रि के स्वर्ग सी सुंदर दिखाई पड़ती है। दशहरा रंग में सजे यहां कई सारे मेलों का आयोजन किया जाता है जो करीब 10 दिनों तक चलता है, विविध तरह के कई सारे स्टॉलों के साथ यहां कई तरह की धार्मिक, सांस्कृतिक और पौराणिक मान्यताओं से जन्मी कहानियों का नाटकीय मंचन किया जाता है जिनमें एक प्रस्तुति मां दुर्गा द्वारा महिषासुर का अंत भी शामिल है। मैसूर दशहरे को देखने के लिए हर साल लाखों की संख्या में पर्यटक यहां आना पसंद करते हैं। मेले के आखिरी दिन में लगभग 5 किमी लंबी शोभायात्रा निकाली जाती है जिसमें कई तरह की झांकियों और नृत्य आकर्षण मोहित करते हैं। इसमें हाथी देवी की मूर्ति के साथ ढोल ताशे और बैंड बाजे की धुनों पर लोग नाचते झूमते खुशी का इज़हार करते हैं। मैसूर की यह परंपरा बहुत सालों से अनवरत चल रही है। मैसूर के इस दशहरा उत्सव की तुलना कहीं और से नहीं हो सकती है। मैसूर का दशहरा उत्सव मैसूर और कर्नाटक की संस्कृति और परंपराओं का जीवंत उदाहरण प्रस्तुत करता है।
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आसपास घूमने योग्य आकर्षण
दशहरा उत्सव देखने के साथ ही मैसूर पैलेस की खूबसूरती का दीदार कर सकते हैं इसके अलावा जगमोहन पैलेस, करण झील, मैसूर के चिड़ियाघर श्री चामराजेंद्रा जूलॉजिकल पार्क में वन्य प्राणियों की झलक के साथ वनस्पतियों की झलक भी देख सकते हैं, यह विश्व के सबसे पुराने चिड़ियाघरों में से एक है, इसके अलावा रेल म्यूज़ियम की सैर कर सकते हैं जहां 18वीं शताब्दी के बने पुराने मॉडल के इंजन और रेलों को देख सकते हैं। वृंदावन पार्क में फूलों की विविध प्रजातियों और उनके मनमोहक आकर्षणों को निहार सकते हैं। कृष्णराज सागर डैम, चामुंडी पहाड़ी या चामुंडेश्वरी मंदिर के दर्शन करें इसके अलावा यहां कई प्रसिद्ध चर्चों के आकर्षण हैं। मैसूर से लगभग 39 किमी दूरी पर स्थित सोमनाथ पुरा में प्राचीन केशव मंदिर और श्रवणबेलगोला जो यहां से तकरीबन 90 किमी दूर है, गोमतेश्वर स्तंभ का अवलोकन कर सकते हैं।
कैसे पहुंचे
भारत अपने अनोखे और अनूठेपन के लिए दुनिया भर में जाना जाता है, ऐसा ही एक और उदाहरण हैं बस्तर का दशहरा पर्व, हर साल आने वाला यह त्योहार, पर्व करीब 75 दिनों तक मनाए जाने वाला भव्य उत्सव है जिसका इंतज़ार स्थानीय श्रद्धालुओं के साथ साथ बाहरी आगुंतको को भी रहता है। यहां का दशहरा उत्सव दुनिया भर में सबसे लंबा चलने वाला उत्सव है जिसमें रथयात्रा का आकर्षण सबसे ज्यादा बहुप्रतीक्षित है जिसके पीछे कई रोचक तथ्यों की श्रृंखला है, दरअसल रथयात्रा में बनने वाले रथ की लकड़ी बिलौरी के बेदरगुड़ा के जंगलों से परंपरावादी तरह से तुरलु खेतला के आकार के साढे तीन फुट लंबे और लगभग तीन फुट गोल साल के पेड़ को लाकर बनाया जाता है। यह उत्सव सिर्फ उत्साह और उमंग का ही नहीं वरन् कठिन नियम अनुष्ठान का भी है, इसके तहत जैसे किसी लड़की का कांटों के बिस्तर पर झूलना और किसी लड़के का कंधे तक पानी में डूबे रहना और लगातार नौ दिनों तक पहरे देना आदि शामिल हैं। यहां मौजूद आदिवासियों की रीति रिवाजों और स्थानीय देवी देवताओं के साथ माता दंतेश्वरी की खूब श्रद्धा भक्ति के साथ पूजा अर्चना की जाती है। राजसी बस्तर पैलेस से जुलूस के समय पारंपरिक लोकनृत्य और संगीत के साथ निकाला जाता है जिसमें माता की सवारी को ले जाने वाला हाथी भी शामिल होता है, इसी पर बैठकर माता की प्रतिष्ठित मूर्ति ले जाई जाती है।
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आसपास घूमने योग्य आकर्षण
दशहरे उत्सव के अलावा यहां चित्रकोट जलप्रपात, तीरथगढ जलप्रपात, तामड़ा घुमड़ जलप्रपात का बहाव देखने के साथ ही कुटुमसर गुफा की प्राकृतिक आकृति और शिवलिंग के दर्शन भी कर सकते हैं। कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान, दलपत सागर झील, कैलाश गुफा, मिचनार हिल की खूबसूरत हरियाली, बस्तर पैलेस की भव्य वास्तुकला और दंतेश्वरी मंदिर की आध्यात्मिकता को महसूस कर सकते हैं।
कैसे पहुंचे
कोलकाता दुर्गा पूजा के लिए प्रसिद्ध स्थान है, पूरे पश्चिम बंगाल में नवरात्रि की धूम विश्व स्तर पर जानी जाती है, जिसके आखिरी दिन में दशहरे मेले का उत्सव देखने लायक होता है, अक्सर नवरात्रि की नवमी तिथि को ही दशहरा होता है, ऐसे में दिन के समय हुगली नदी में माता की प्रतिमाओं के विसर्जन के दौरान नाच गाना और अन्य सांस्कृतिक और पारंपरिक रीति रिवाजों का पालन किया जाता है जैसे एक दूसरे को गुलाल लगाना और भव्य मूर्तियों पर गुलाल उड़ाना, बंगाल के स्पेशली दिनों में इस दिन को गिना जाता है। बंगाल की दुर्गा देवी की प्रतिमा अद्वितीय छवि लिए होती है जिनकी आकृति और मुख इतने सजीव प्रतीत होते हैं कि उनकी दिव्य उपस्थिति से माहौल जीवंत और आनंद प्रदान करने वाला होता है। रात्रि में स्ट्रीट फूड का स्वाद, चहल पहल भरा माहौल, स्पीकरों पर चलते गानें और उनकी दिव्यता से सराबोर माहौल दशहरे के उत्सव में चार चांद लगाने का काम करते हैं।
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आसपास घूमने योग्य आकर्षण
हावड़ा ब्रिज, मार्बल पैलेस, बिरला मंदिर, साइंस सिटी, बिरला तारामंडल, काली घाट मंदिर, फोर्ट विलियम, सेंट पॉल कैथेड्रल, साल्ट लेक सिटी, पार्क स्ट्रीट, भारतीय संग्रहालय, दक्षिणेश्वर मंदिर, जैन मंदिर, अलीपुर चिड़ियाघर, बॉटनिकल गार्डन, विक्टोरिया मेमोरियल, ईडन गार्डन, कुमारतुली के अलावा अन्य कई आकर्षणों को निहार सकते हैं।
कैसे पहुंचे
कुल्लू हिमाचल प्रदेश के प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में से एक है जहां पहाड़ी आकर्षण के साथ ही दशहरे उत्सव का आयोजन देखते बनता है जिसके अनोखेपन की वजह से यह और भी ज्यादा प्रसिद्ध है दरअसल यहां दशहरा मनाने का रिवाज यह है कि जब सभी जगह दशहरा उत्सव समाप्ति की ओर होता है, यहां उस समय से यह उत्सव शुरू होता है। लंकादहन नाम से यहां मुख्य समारोह आयोजित करते हैं, जिसमें व्यास नदी के किनारे करीब 250 से भी ज्यादा देवी देवताओं की दिव्य उपस्थिति में यह उत्सव पूरे एक सप्ताह तक चलता है, जिसके एक परिप्रेक्ष्य में भगवान राम द्वारा रावण विजय की कथा भी शामिल है किन्तु यहां का मुख्य उत्सव इस पर केंद्रित नहीं होता है। यहां के दशहरा पर्व आयोजन में दुनिया भर से श्रद्धालु आते हैं, एक अनुमान के अनुसार इसमें लगभग 4 लाख से भी ज्यादा लोग शामिल होते हैं, इसी वजह से इस उत्सव को ‘‘अंतरराष्ट्रीय उत्सव’’ की संज्ञा दी गई है। दशहरे के दिन से शुरू होकर यह उत्सव लगभग सात दिनों तक चलता है, औपचारिक रूप से यहां के मुख्य देवता भगवान रघुनाथ के मंदिर में सभी देवी देवताओं को लाया जाता है। यह उत्सव कुल्लू के ढालपुर मैदान में मनाया जाता है।
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आसपास घूमने योग्य आकर्षण
दशहरा उत्सव एन्जॉए करने के साथ ही यहां के लोकनृत्य नाटी का आनंद लें, जिसमें हिमाचली संस्कृति का सार प्रस्तुत किया जाता है। स्थानीय रीति रिवाजों की रोचकता को समझें इसके अलावा कुल्लू में ग्रेट हिमालयन पार्क में वन्य जीव आकर्षणों को देखें, प्राचीन मंदिरों की शोभा के साथ गर्म झरनों के अंदाज आपको हैरत में डाल देंगे। यहां के प्राचीन मंदिरों में बिजली महादेव मंदिर, हनोगी माता मंदिर, मणिकरण साहिब, वैष्णो माता मंदिर में आशीर्वाद प्राप्त करें, चंद्रखनी पास, केसरधर, भंटर, सुल्तानपुर पैलेस, नग्गर, भृगु झील, खीरगंगा, तीर्थन वैली का आकर्षण निहारें।
कैसे पहुंचे
बंगाली रीति रिवाजों के अनुसार मुंबई में भी भव्य तरह से दशहरा पर्व मनाया जाता है जिसमें नवरात्रि के नौ दिनों तक माता भगवती की पूर्जा अर्चना और मूर्ति स्थापना भी की जाती है, जिनकी छवि बंगाली पैटर्न पर ही बनी होती है क्योंकि यह मुख्यतः बंगाली मूल के कलाकारों द्वारा ही बनाई जाती हैं और इसे मनाने के पीछे बंगाली लोगों की परम आस्था रहती है। मुंबई में गणपति महोत्सव बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है, जिसकी प्रसिद्धि भारत ही नहीं विदेशो में भी रहती है। इसके अलावा यहां के कुछ भागों में मां भगवती को समर्पित नवरात्रि और दशहरे की रौनक भी स्वर्ग के आकर्षण से कम नहीं लगती। यहां माता के पंडालां की सजावट और दूर दूर तक जगमगाती रोशनी की चमक आकर्षित करती है। अंधेरी, जुहू, खार, वाशी और सांता क्रूज जैसे क्षेत्रों में दशहरे और नवरात्रि की हलचल आकर्षण बढाती हैं।
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आसपास घूमने योग्य आकर्षण
दशहरे मेले के आयोजन के अलावा मुंबई में अन्य कई शानदार उदाहरण हैं जिसमें नेहरू प्लेनेटेरियम में सूर्य, चंद्रमा और अन्य ग्रहों की स्थिति और अन्य रोचक जानकारी के बारें में प्रैक्टिकल रूप से सीख सकते हैं। श्री सिद्धिविनायक मंदिर में दर्शन करें, मरीन ड्राइव पर सैर का आनंद लें, गेटवे ऑफ इंडिया की भव्यता देखें, हाजी अली दरगाह समुद्र के बीचों बीच है, आध्यात्मिक स्पर्श करें, संजय गांधी नेशनल पार्क, मॉनेटरी म्यूजियम, एलिफेंटा आईलैण्ड, जुहू बीच, वीरमाता जीजाबाई भोसले चिड़ियाघर, हैंगिग गार्डन, एस्सेल वर्ल्ड, पवई झील, काला घोड़ा कला भवन, कन्हेरी गुफाएं, फिल्म सिटी मुंबई को देखें। मुंबई के स्ट्रीट फूड को जरूर चखें, बेमिसाल स्वाद के लिए जाना जाता है।
कैसे पहुंचे
गुजराती संस्कृति में रचा बसा दशहरा आपके तन और मन दोनों को प्रफुल्लित करता है। अहमदाबाद में नवरात्रि उत्सव की चमक और आकर्षण देखते बनता है, जिसमें कि यहां का गरबा नृत्य विश्व प्रसिद्ध है। पंडालों में गरबा नृत्य की प्रस्तुतियां और जीवंत आनंदमय माहौल, ऐसे में प्रकृति का हर कोना मुस्कुराता है। डांडिया धुन पर थिरकते नृत्य के कदमों की आहट और स्वादिष्ट व्यंजनों की खुशबू। अहमदाबाद में नवरात्रि पर्व के साथ ही आखिरी दिन मनाया जाने वाला दशहरा पर्व अपनी संस्कृति, ऐतिहासिकता और परंपराओं को फिर से संजोता है, जहां बुराई पर अच्छाई की जीत स्वरूप रावण, मेघनाद और कुंभकरण के पुतलों का दहन किया जाता है।
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आसपास घूमने योग्य आकर्षण
दशहरे और नवरात्रि पर्व की धूम के अलावा यहां साइंस सिटी का अवलोकन कर सकते हैं, साबरमती आश्रम, अदालज कुंआ अहमदाबाद, अक्षरधाम मंदिर अहमदाबाद, कैलिको वस्त्र संग्रहालय, कमला नेहरू चिड़ियाघर, लाल दरवाजा, इस्कॉन मंदिर, सरदार वल्लभ भाई पटेल राष्ट्रीय संग्रहालय, परिमल गार्डन, लॉ गार्डन, भद्र किला, किशोर दरवाजा, वैष्णो देवी मंदिर, जामा मस्जिद, कांकरिया झील और ऑटो वर्ल्ड विंटेज कार म्यूजियम को देखने के साथ ही अन्य कई प्रमुख जगहों का दीदार कर सकते हैं।
कैसे पहुंचे
राजस्थानी संस्कृति और परंपराओं को समर्पित कोटा का दशहरा पर्व बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है, जहां भक्ति और मनोरंजन का उम्दा संगम देखने को मिलता है। बड़े बड़े झूलों के आकर्षण और नाटकीय ढंग से रावण, मेघनाद, कुंभकर्ण के विशालकाय पुतलों का दहन और भी ज्यादा भव्य लगता है जहां स्थानीय कलाकारों द्वारा रामायण का नाट्य रूपांतरण भी होता है और दर्शक फिर से रामायण युग में खुद को महसूस करते हैं। राजस्थानी लोकनृत्य घूमर और कालबेलिया नृत्यों की प्रस्तुतियां यहां आने वाले लोगों का मन मोह लेती हैं। झिलमिल रंग बिरंगी सजावट और स्थानीय स्वाद की खुशबू दशहरा पर्व का उत्साह कई गुना बढा देता है।
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आसपास घूमने योग्य आकर्षण
दशहरा पर्व की धूम देखने के अलावा कोटा इंजीनियरिंग परीक्षाओं की तैयारी के लिए जाना जाता है इसके अलावा यहां कई विविध आकर्षणों की श्रृंखला देखने को मिलती है जिसमें सेवन वंडर्स पार्क, खड़े गणेश जी का मंदिर, ब्रज विलास पैलेस सरकारी संग्रहालय, किशोर सागर, जगमंदिर पैलेस, कंसुआ शिव मंदिर, सिटी पैलेस, गरड़िया महादेव मंदिर, कोटा बैराज, चंबल गार्डन धौलपुर कोटा, कोटा गढ पैलेस म्यूजियम, कैथून से साड़ियां खरीद सकते हैं, गैपरनाथ जलप्रपता की भव्यता, राव माधो सिंह संग्रहालय, दरा वाइल्ड लाइफ सेंचुरी, शिवपुरी धाम, चंबल ब्रिज, बूंदी की रानी की बावड़ी और लकी बुर्ज देखने के साथ ही कई प्रसिद्ध स्थानों का दौरा कर सकते हैं।
कैसे पहुंचे
हैदराबाद में दशहरा पर्व को अनोखे तरह से मनाया जाता है, यहां दशहरे के दौरान बथकुम्मा उत्सव जो एक पुष्प उत्सव है, आयोजित किया जाता है। नवरात्रि से ही इस पर्व को मनाने का सिलसिला शुरू हो जाता है जो दुर्गाष्टमी तक रहता है। नौ दिनों की इस समय में महिलाएं छोटे छोटे बथकुम्मा यानी पीतल की थाली में गोलाकृति में चमकीले फूलों की लड़ियों को सजाती है और हर नवरात्रि की शाम में उनके इर्द गिर्द सामूहिक नृत्य करती हैं और फिर इन्हें शाम के समय विसर्जन कर दिया जाता है। इस पर्व की खुशबू और रौनक हर किसी को अपनी ओर आकर्षित करती है। हैदराबाद को मोतियों का शहर माना जाता है जहां रीति रिवाज और आधुनिक युग का सुंदर मेल देखने को मिलता है। दशहरे पर काला राम जुलूस की रंग बिरंगी रोशनी और आध्यात्मिकता चरम पर होती है।
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आसपास घूमने योग्य आकर्षण
परंपरावादी उत्सवों की चमक के साथ ही कई असाधारण शानदार उदाहरण हैं जिनका अवलोकन करना अच्छा अनुभव प्रदान करता है। जैसे चारमीनार जो हैदराबाद का प्रमुख आकर्षण हैं देख सकते हैं, लगभग 200 एकड़ से ज्यादा जगह में बने रामोजी फिल्म सिटी को निहारें, सालार जंग म्यूजियम में लगभग 12वीं शताब्दी के मानव निर्मित कलाकृतियों का अवलोकन करें भी कई मंदिरों जैसे बिरला मंदिर व श्री शैलम मंदिर की आध्यात्मिक स्पर्श का अनुभव कर सकते हैं।
कैसे पहुंचे
भारत त्योहारों का देश है, जिसमे दशहरा सिर्फ एक आनंदमय उत्सव ही नहीं बल्कि अपनी संस्कृति, विरासत और अच्छे संदेशों को प्रसारित करता एक जीवंत और आधुनिक अनुभव है। आप चाहें कोलकाता में इस पर्व का आनंद ले या राजस्थान के कालबेलिया और घूमर नृत्य की धुनों पर झूमें, मैसूर की दशहरा जगमगाहट हो या कुल्लू के लंकादहन उत्सव की रौनक हो, हर जगहों का अपना विशेष आकर्षण हैं जहां अद्भुत नज़ारों की श्रृंखला और दशहरा पर्व का रंग बिरंगा इतिहास आपको कभी न भूलने वाले यादगार पलों को प्रदान करता है, तो दशहरा पर्व के इस पावन अनुष्ठान में शामिल होने के लिए तैयार हो जाइए