भारत में मानसूनी बारिश के आखिर और ठंड के आगाज़ से पहले सितम्बर महीना पर्यटन के लिए सर्वोत्तम समय में से एक है। बारिश की धीमी फुहार अभी भी है, स्वच्छ आसमान का रंग साफ दिखाई दे रहा है, हरी भरी धरती, पहाड़ियां और घाटियों की गहरी सुंदरता के अलावा पानी से लबरेज झरनों के आकर्षण व समुद्र तटों की खामोश आवाजें हैं। नवीनता और सृजन का संदेश देता यह समय, पीक सीजन की अपेक्षा ज्यादा उपयुक्त है। नए रंग और सांस्कृतिक उत्साह का पैगाम देती प्रमुख पर्यटन जगहें सितम्बर में कम भीड़ और ज्यादा सुकून के साथ ताज़ी हवा व मौसम की खूबसूरती से भी बढकर विशेष फीलिंग कराती कुदरत की अनमोल देन है, इन्हीं के बारें में और विस्तार से बता रहे हैं, ताकि सफल यात्रा योजना बनाने में आसानी हो।
अपने शांत बैकवाटर के लिए मशहूर अलेप्पी को अलपुझा नाम से भी जाना जाता है जहां हाउसबोट और केरल के वृक्षों की छटा देखते बनती है। सितम्बर के समय जब भारी वर्षा नही होती और कभी कभार धीमी फुहारों के बीच अलेप्पी की सुंदरता अपने पूरे शबाब पर होती है। यहां की विशेष ख़ासियत यहां के जलमार्ग हैं जो रंग बिरंगी सर्पिलाकार नावों अपने आकार की अद्वितीयता के कारण और भी ज्यादा शानदार प्रतीत होती हैं, सितम्बर में वार्षिक नौका दौड़ का आयोजन किया जाता है,ै। यह पर्यटन क्षेत्र नहरों, लैगून और झीलों का जाल है जहां मानसून सीजन के बाद हरी भरी हरियाली का आकर्षण और भी ज्यादा चरम पर होता है। अलेप्पी में बैकवाटर्स में हाउसबोट पर सैर करना एक रोमांचक और अतिप्रिय गतिविधि है।
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प्रमुख आकर्षण
आरामदायक हाउसबोट में जीवन की जरूरी चीजों की उपलब्धता के साथ अलेप्पी की सैर कर सकते हैं जहां हरे भरे धान के खेत और नारियल के पेड़ों को देखना प्रिय लगता है। हाउसबोट्स की शोभा देखने के अलावा कुमारकोम पक्षी अभयारण्य में पक्षियों के दर्शन और मधुर आवाज़ों को सुन सकते हैं। कुट्टूनाड, श्री कृष्ण मंदिर, श्री नागराजा मंदिर, करूणाकरण संग्रहालय, पाथिरमानल द्वीप, पल्लिपुरम गांव, पुननप्रा, एडथुआ चर्च, करुमादिक्कुट्टन, चेट्टीकुलंगरा देवी मंदिर, वेम्बनाद और पुन्नमदा झील को देखने का मज़ा लीजिए और सितबंर में नेहरू रेस स्नेक बोट रेस का आनंद ले सकते हैं।
कैसे पहुंचे
हवाई जहाज से
अलेप्पी के निकट हवाई अड्डा कोच्चि इंटरनेशनल एयरपोर्ट है जहां से घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों तरह की उड़ानें मिलती हैं। जहां भारत के सभी प्रमुख शहरों के अलावा प्रमुख देशों से भी पहुंचा जा सकता है।
रेल से
नजदीकी रेलवे स्टेशन कोच्चि, वर्कला और त्रिवेंद्रम है जिनमे से किसी भी रेलवे स्टेशन पर उतरकर स्थानीय वाहन की मदद से अलेप्पी पहुंचा जा सकता है।
बस या कार से
केरल राज्य परिवहन बस स्टैंड अलेप्पी तक पहुंचने के लिए केरल के प्रमुख शहरों से बसें आसानी से मिलती है, देश के प्रमुख शहरों से केरल और केरल के प्रमुख शहर से अलेप्पी का सफर तय कर सकते हैं। आप चाहें तो अपने निजी साधन से अलेप्पी पहुंच सकते है या बुक करके भी जा सकते हैं।
राजस्थान का प्रमुख पर्यटक शहर उदयपुर अपनी झीलों और खूबसूरत महलों के लिए जाना जाता है, जिनकी शोभा सितम्बर के महीने मे और ज्यादा देखते बनती है। मानसूनी सीजन के बाद पानी से लबरेज झीलों का संपूर्ण आकर्षण अत्यधिक लुभावना प्रतीत होता है। इस दौरान मौसम 21 से लेकर 29 डिग्री सेल्सियस तक रहता है और हवाएं गर्म और नमी लिए होती हैं। उदयपुर में कई ऐसे अद्भुत आकर्षण हैं जिन्हें जितनी बार भी निहारें, कम ही लगता है। झीलों पर बने अलौकिक नमूनों के शानदार उदाहरण हैं विशेषतः सौर वेधशाला, जलमहल और जग निवास महल हैं यहां पहुंचने के लिए मोटरबोट की सवारी करना बेहद ही रोमांचक अनुभव प्रदान करता है।
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प्रमुख आकर्षण
उदयपुर और इसके आसपास कई ऐसे प्रमुख पर्यटन शीर्ष हैं जिनकी छवि शानदार होने के साथ ही अलौकिक भी है। सिटी पैलेस, लेक पैलेस, पिछोला झील, फतेह सागर झील, जयसमंद झील, ढेबर झील, दूधतलाई झील, सहेलियों की बाड़ी, महाराणाओं की छतरी, बागोर की हवेली, मानसून पैलेस, जगदीश मंदिर, नाथद्वारा मंदिर, प्रताप गौरव केंद्र, एकलिंगजी मंदिर, अमराई घाट, शिल्पग्राम, हाथी पोल बाज़ार, नेहरू गार्डन, बड़ा महल और अन्य आकर्षण केंद्र हैं।
कैसे पहुंचे
हवाई जहाज से
देश या विदेश में कहीं से भी पहुंचने के लिए उदयपुर में महाराणा प्रताप सिंह एयरपोर्ट के माध्यम से पहुंच सकते हैं, जिसकी शहर से दूरी लगभग 22 किमी है।
रेल से
उदयपुर में उदयपुर रेलवे स्टेशन की कनेक्टिविटी देश के सभी प्रमुख शहरों से बेहतर है जहां आने जाने का यह अच्छा माध्यम है।
बस या कार से
भारत के सभी प्रमुख शहरो से उदयपुर के लिए बसें आसानी से उपलब्ध रहती है। उदयपुर बसों के अलावा प्राइवेट टैक्सी या स्वयं की गाड़ी को ड्राइव कर भी पहुंच सकते हैं।
हिमाचल प्रदेश का शांत और शीत रेगिस्तान के रूप में प्रसिद्ध यह जगह बेहद सुकून देने वाली जगहों में से एक है। जहां बौद्ध धर्म की झलक, रीति रिवाज और पंरपराएं देखने को मिलती है। सितम्बर में स्पीति घाटी घूमना सबसे अच्छे समयों में गिना जाता है। जहां लगातार होने बारिश के खतरे से भी राहत मिलती है और हरियाली लिए वातावरण और रंग बिरंगे फूलों की महक और उनकी उपस्थिति से घाटियों के आकर्षण और भी ज्यादा खूबसूरती से पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। सितम्बर में आप मनाली से काजा मार्ग की खूबसूरती का दीदार भी कर सकते हैं। ठंडे रेगिस्तान की इस जगह पर सर्दियों में पारा अत्यंत नीचे चला जाता है इस वजह से सितम्बर महीने में स्पीति यात्रा का अलग ही अंदाज़ देखने को मिलता है।
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प्रमुख आकर्षण
स्पीति में बौद्ध मठों की शानदार अवस्थिति मन को शांति व सुकून के साथ धार्मिक चिंतन भी प्रदान करती है, जहां ये हजारों सालों से अपनी दिव्यता से क्षेत्र की महिमा बढाते हैं। चंद्रताल झील, कुंजुम दर्रा, वैली नेशनल पार्क, त्रिलोकीनाथ मंदिर, धनकर मठ, ताबो मठ और भी कई पर्यटन स्थलों का भ्रमण कर सकते हैं। चारों तरफ हिमालय के पहाड़ों की श्वेत उपस्थिति यहां के आकर्षण में चार चांद लगाती है।
कैसे पहुंचे
हवाई जहाज से
कुल्लू में स्थित भुंतर हवाई अड्डे से स्पीति घाटी के लिए बस या टैक्सी की मदद से पहुंच सकते हैं।
रेल से
नजदीकी रेलवे स्टेशन जोगिंदर रेलवे स्टेशन है जो शिमला में स्थित है, यहां से स्पीति वैली पहुंचने के लिए बस या कार से पहुंच सकते हैं।
बस या कार से
स्पीति वैली के लिए सड़क मार्ग बहुतायत पसंद किया जाता है, जहां आप शिमला तक पहुंचकर स्पीति जाने के लिए बस या अन्य किसी साधन से पहुंच सकते हैं। आप चाहें तो अपनी कार या बाइक से भी स्पीति तक का सफर तय कर सकते हैं। स्पीति वैली पहुंचने के लिए दो सड़क मार्ग है जिनमें से एक कुल्लू मनाली मार्ग और दूसरा किन्नौर मार्ग है।
पवित्र योग नगरी के नाम से मशहूर ऋषिकेश अपने नाम की तरह ही परम पुनीत है जहां मां गंगा की निर्मल धारा पर्यटकों को अपनी ओर बरबस मोह लेती है। ऋषिकेश उत्तराखंड के पवित्र चार धामों की यात्रा का प्रवेश द्वार भी कहा जाता है जिसमें गंगोत्री, यमुनोत्री, बद्रीनाथ और केदारनाथ की यात्रा की जाती है। पर्यटन स्थल की खूबियों को सहेजे ऋिंषकेश आध्यात्मिक आभा को बिखेरता शानदार तीर्थस्थल भी है। जहां कई सारे एडवेंचर्स ट्रेकिंग, हाइकिंग, रिवर राफ्टिंग, कैपिंग का लुत्फ लेने के अलावा योग, ध्यान अभ्यास भी कर सकते हैं। ऋषिकेश की धरती पर तन और मन दोनों ही स्फूर्ति और ऊर्जा से परिपूर्ण हो जाते है।
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प्रमुख आकर्षण
ऋषिकेश की धरा से जुड़े कई पौराणिक तथ्य हैं इनकी रोचकता पर्यटकों को आनंद की अनुभूति कराता है। यहां अवस्थित लक्ष्मण झूला, राम झूला और ऋषिकुण्ड आध्यात्मिक दृष्टि से काफी प्राचीन और महत्वपूर्ण हैं। गीता भवन, नीलकंठ महादेव मंदिर, बीटल्स आश्रम, राजाजी नेशनल पार्क, कौंडियाल, भरत मंदिर, स्वर्ग आश्रम, वशिष्ठ गुफा, त्रिवेणी घाट, नीर गढ झरना, शिवपुरी, कैलाश निकेतन मंदिर, कुंजापुरी मंदिर के दर्शन कर सकते हैं इसके अलावा बंजी जंपिग हाइट्स का रोमांचक अनुभव ले सकते हैं।
कैसे पहुंचे
हवाई जहाज से
उत्तराखंड के देहरादून में प्रमुख हवाई अड्डे जॉली ग्रांट से ऋषिकेश के लिए लगभग 35 किमी दूरी तय करके पहुंचा जा सकता है।
रेल से
यहां अवस्थित ऋषिकेश रेलवे स्टेशन पहुंचकर स्थानीय वाहनों से आसानी के साथ पहुंचा जा सकता है।
बस या कार से
देश के प्रमुख शहरों से ऋषिकेश के लिए सीधे बस सेवा या अपनी कार के माध्यम से पहुंच सकते हैं।
पूर्व का स्कॉटलैंड कहे जाने वाले और मेघालय की राजधानी के नाम से प्रसिद्ध पूर्वोत्तर शहर लोकप्रिय पर्यटन स्थल है, जहां सितम्बर के जसमय मानसून अपनी लौटने की तैयारी में होते हैं और अपने संग लाए झरनों के तेज बहाव, हरी भरी हरियाली से आंचल और ताज़ी हवा के झोंके छोड़ जाते हैं। कभी कभी फुहारों की बौछार और कभी कोहरे के साथ पहाड़ियों के परिदृश्य, शिलांग के मंत्रमुग्ध करते नज़ारें पर्यटकों को यहां की असल खूबसूरती से बखूबी रूबरू कराते हैं। घने जंगलों से लेकर मनोरम स्थानों की दृश्यता सभी को अपना मुरीद बना लेती है। सितम्बर में यह जगह अपने करिश्माई अंदाजों को बिखेरता शानदार प्रदर्शन करता है, जहां गारो खासी जंयतियां पहाड़ियों के बीच बसा मेघालय प्रकृति की सबसे सुंदर धरोहर के रूप में जानी जाती है। इस माह मे यहां का तापमान लगभग 16 से लेकर 23 डिग्री सेल्सियस तक रहता है जिसमें कभी कभी गिरती रिमझिम बूंदों की कतारें यहां की खूबसूरती और भी ज्यादा बढा देती हैं।
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प्रमुख आकर्षण
शिलांग के झरनों की शोभा बारिश के बाद स्वर्ग की सुदंरता से कम नहीं लगती, बिशप फॉल्स, एलीफेंट फॉल्स, सेवन सिस्टर्स फॉल्स। उमियम झील में शांत नौकायन का आनंद लें, गोल्फ कोर्स की हरियाली का अंदाज निहारें, वार्ड्स झील के किनारे भ्रमण करें, मावफ्लांग पावन जंगल की सैर करें, डॉन बास्को म्यूज़ियम, शिलांग पीक, लैटलम घाटी, कैथेड्रल चर्च शिलांग और लेडी हैदरी पार्क को घूमने के अलावा स्थानीय पुलिस बाजार में खरीदारी का अनुभव लेते हुए स्थानीय लज़ीज व्यंजनों का स्वाद चखें।
कैसे पहुंचे
हवाई जहाज से
गुवाहाटी शिलांग राजमार्ग से लगभग 29 किमी दूरी पर स्थित उमरोई में अवस्थित एयरपोर्ट से आप शिलांग तक के लिए स्थानीय वाहनों की मदद से पहुंच सकते हैं।
रेल से
शिलांग शहर का सबसे करीबी रेलवे स्टेशन गुवाहाटी रेलवे स्टेशन है, जहां से शिलांग तक की यात्रा कर पहुंच सकते हैं।
बस या कार से
शिलांग का सफर गुवाहाटी के रास्ते तय किया जा सकता है। जहां से काफी संख्या में बसें और कैब पर्यटकों को शिलांग यातायात उपलब्ध कराती हैं।
सूर्योदय की धरती के नाम से प्रसिद्ध अरूणाचल प्रदेश में तवांग विशाल हिमालय की छांव में बसा शानदार खूबसूरत आकर्षण है जहां प्राचीन नज़ारे, समृद्ध संस्कृति और मठां की शांत आध्यात्मिकता तवांग को अनूठा और अद्भुत बनाती है। तवांग धार्मिकता का पर्याय है जहां 17वीं शताब्दी के बने मठो मंदिरों की शोभा आज भी आधुनिक लगती है। समुद्री तल से करीब 3000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित तवांग मंत्रमुग्ध करते दृश्यों, झरनों और अन्य प्राकृतिक आकर्षणों की धरती है जहां पर्यटक साल भर आना पसंद करते है। सितम्बर में तवांग और भी ज्यादा खूबसूरती को संजोता हुआ प्रतीत होता है, मदमस्त हरियाली का हरा भरा अंदाज़ और एडवेंचर एक्टविटी के लिए तवांग सर्वोत्तम जगहो में से एक है।
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प्रमुख आकर्षण
गुदपी पर्वतमाला, तवांग घाटी, माधुरी झील, तवांग मठ, गोरीचेन चोटी, संगेत्सर व सेला झीलों के नीले पानी के अद्भुत नजारों का आनंद लें। तंकत्संग गोम्पा मठ में शांति सुकून का एहसास करें। यहां हाइकिंग और अन्य गतिविधियो का आनंद ले सकते हैं। विस्तृत पहाड़ों के आकर्षण और शंकुधारी वनों की बहुलता इस हिल स्टेशन को और भी ज्यादा पर्यटन योग्य बनाते हैं। तवांग मठ में मनाए जाने वाले लोसर उत्सव की धूम देखने लायक होती है। फोटोग्राफी का शौक रखने वालों के लिए यह जगह स्वर्ग से कम नहीं है।
कैसे पहुंचे
हवाई जहाज से
निकटतम एयरपोर्ट सोनीबाड़ी हवाई अड्डा है जिसकी दूरी तवांग से लगभग 330 किमी है। गुवाहाटी हवाई अड्डे के माध्यम से भी तवांग की दूरी तय कर जाया जा सकता है।
रेल से
तवांग से तेजपुर रेलवे स्टेशन नजदीक है जिसकी दूरी लगभग 300 किमी है, स्थानीय वाहनो के द्वारा तवांग जाया जा सकता है।
बस या कार से
तवांग यात्रा के लिए सड़क मार्ग प्रमुख है क्योंकि प्लेन और रेल माध्यम से आने के बाद भी सड़क रास्ते से ही तवांग जा सकते हैं, ऐसे में आप बस या अपने साधन से भी गुवाहाटी, तेजपुर, सिलचर जैसे शहरो से तवांग यात्रा संपन्न करने के लिए पहुंच सकते हैं।
कर्नाटक दक्षिण भारत का खूबसूरत हिल स्टेशन है जिसे दक्षिण का स्कॉटलैंड भी कहा जाता है। जहां सितम्बर घूमने के उद्देश्य से आदर्श समय है, हरियाली भरा आंगन और रंग बिरंगे फूलों से सजी घाटियों के मनोरम परिदृश्य, विभिन्न तरह के पक्षियांं के होने और सुमधुर आवाजों से गुंजाएमान वातावरण की छवि पर्यटकों को रिझाती है। कॉफी बागानों की सघनता और खुशबू इस मौसम में कुछ ज्यादा ही प्रिय लगती है जब मौसम में हल्की ठंडक हो और हाथ में ओरिजनल कॉफी का प्याले से चुस्की लेते इस मौसम में कूर्ग का अनुभव बहुत ही यादगार है। झिलमिलाती नदियों के नजारें, मदमस्त हरियाली से ढकी पहाड़ियां, कभी कभार गिरती बूंदे और धुंध से ढका वातावरण सब मिलकर कूर्ग को बेहतर बनाते हैं। भ्रमण करते हुए खूबसूरती का अवलोकन करना आंखों के साथ ही तन मन को भी आनंद का एहसास कराते हैं। सितम्बर के दौरान कूर्ग का मौसम करीब 17 से लेकर 25 डिग्री सेल्सियस तक रहता है जो रात के समय और भी कम हो जाता है।
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प्रमुख आकर्षण
राजा की सीट, हाथी दुबारे शिविर, मण्डलपट्टी चोटी, श्री ओंकारेश्वर मंदिर, सरकारी संग्रहालय, इरूपु झरना, अबे झरना, राजा की टाम्ॅब, निसारगाधामा रिजर्व, नलकंड पैलेस, निसर्ग धाम पक्षी विहार, लिंगाराजेंद्र कब्र, मेडिकरी किला और अन्य आकर्षणों को निहार सकते हैं।
कैसे पहुंचे
हवाई जहाज से
नजदीकी हवाई अड्डे मंगलौर एयरपोर्ट और कोझीकोड एयरपोर्ट से कूर्ग की दूरी तय कर पहुंच सकते हैं। यहां बेंगलुरू इंटरनेशनल एयरपोर्ट या चेन्नई इंटरनेशनल एयरपोर्ट से भी पहुंचा जा सकता है।
रेल से
निकटतम रेलवे स्टेशन हसन, मैसूर, थालास्सेरी है, इसके अलावा मंगलोर रेलवे स्टेशन से भी कूर्ग जाया जा सकता है।
बस या कार से
कूर्ग, देश के प्रमुख शहरों से अच्छे से जुड़ा हुआ है जहां मैसूर से इसकी दूरी लगभग 120 किमी, हासन से 150 किमी और मंगलौर से करीब 130 किमी है, जहां से कूर्ग सड़क माध्यम से पहुंच सकते हैं।
भारत की लगभग 3000 मीटर की ऊंचाई पर बसा यह क्षेत्र बाइकर्स और एडवेंचर्स पसंद लोगों के लिए स्वर्ग जैसा है। लद्दाख अपनी अद्वितीय सुदंरता और स्वच्छ निर्मल नीले आकाश की छवि को साकार करते किसी दिवास्वप्न से कम नहीं है। यहां मौजूद झीलों की ऊंचाईयां, बर्फ से सराबोर पहाड़ों की सुंदरता, मठों की पुरातन संस्कृति और घाटियों के आकर्षण पर्यटको को अपनी ओर रिझाते ऊंचे दर्रों को पार करते हिमालय और कराकोरम की पर्वत श्रृंखलाओं के दिव्य आकर्षण हैं जहां सियाचिन ग्लेशियर से लेकर मुख्य ग्रेट हिमालय के परिदृश्य आकर्षित करते हैं।
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प्रमुख आकर्षण
पेंगोग झील की नीली झलक, मैग्नेटिक हिल, लेह पैलेस, चादर ट्रेक, फुगताल मठ, गुरूद्वारा पथर साहिब, शांति स्तूप, खारदुंग ला दर्रा, हेमिस मठ, कारगिल, त्सोकर झील, मोरीरी झील, स्टोक पैलेस, माउटेंन बाइंकिग, लेह मार्केट और रिवर राफ्टिंग का मज़ा ले सकते हैं।
कैसे पहुंचे
हवाई जहाज से
लेह लद्दाख पहुंचने का सर्वश्रेष्ठ मार्ग हवाई मार्ग है जहां लेह स्थित कुशोक बकुला रिम्पोछे हवाई अड्डे से पहुंचना आसान है।
रेल से
नजदीकी रेलवे स्टेशन जम्मूतवी है जिसकी लेह लद्दाख से दूरी करीब 700 किमी है।
बस या कार से
श्रीनगर लेह राजमार्ग या मनाली लेह राजमार्ग के रास्ते बस या अपने साधन से लेह लद्दाख जाया जा सकता है।
कर्नाटक की राजधानी और सिलिकॉन वैली के नाम से प्रसिद्ध बेंगलुरू जिसे पहले बंगलौर नाम से जाना जाता रहा है। सितम्बर के महीने में कुछ ज्यादा ही खूबसूरती प्रस्तुत करती है जहां दिन और रात के शानदार परिदृश्य पर्यटको को लुभाते हैं। आधुनिकता के लिए बंगलौर देश के प्रमुख शहरों में नंबर तीन पर आता है तो वहीं इसे पर्यटन के लिए शीर्ष स्थानों में गिना जाता है। यहां मौजूद प्राचीन ऐतिहासिक विरासतों के आकर्षण के साथ कुदरत की प्राकृतिक धरोहरें भी हैं जिनके अंदाज़ इसे बहुत खास बनाते हैं। यहां अवस्थित संग्रहालय और आर्ट गैलरी इसकी सांस्कृतिक समृद्धता को बखूबी दर्शाते हैं। बंगलौर की नाइटलाइफ और जीवंत लाइफस्टाइल आधुनिक और प्राचीन संस्कृति का सुखद मेल कराता है।
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प्रमुख आकर्षण
नंदी हिल्स, कब्बन पार्क, उलसूर झील, टीपू सुलतान का समर पैलेस, बन्नेरघट्टा उद्यान, विधानसभा, लालबाग, बुल मंदिर, बेंगलुरू पैलेस, इनोवेटिव फिल्म सिटी इन सभी के अलावा बेंगलुरू के मॉल और बाजारें विश्व प्रसिद्ध हैं।
कैसे पहुंचे
हवाई जहाज से
बेंगलुरू का हवाई अड्डा केम्पेगोड़ा इंटरनेशनल एयरपोर्ट से बेंगलुरू पहुंच सकते हैं।
रेल से
बेंगलुरू सिटी रेलवे स्टेशन और यशवंतपुर रेलवे स्टेशन से बेंगलुरू पहुंच कर घूमा जा सकता है।
बस या कार से
बेंगलुरू की देश के प्रमुख शहरों से सड़क मार्ग की बेहतर कनेक्टिविटी है जहां बस या कैब से आसानी से आवागमन कर सकते हैं।
सितम्बर ऊटी घूमने के लिए सर्वश्रेष्ठ समय में से एक है जहां हरे भरे चाय के बागान, शानदार भव्य झीलें और लुभावने मौसम के सम्मिश्रण से बेहद खूबसूरत परिदृश्य का निर्माण होता है। इन दिनों यह हरियाली के स्वर्ग से कम नहीं लगता है जिनकी खूबसूरती से घिरी झील के शांत परिदृश्य और उनमें नाव की सवारी का आनंद, यूकेलिप्टस के पेड़ों और पहाड़ियों की ऊंचाईयां सभी को मज़ेदार अनुभव देती हैं। नीलगिरी पर्वत की खूबसूरती और विहंगम नजारों से मैसूर को देखना ऊटी का विशेष आकर्षण हैं। जहां कई सारे झील झरनें और पार्कों की उपस्थिति मन को भाव विव्हल कर देती है।
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प्रमुख आकर्षण
ऊटी झील, डोडाबेट्टा चोटी जो यहां की सबसे ऊंची चोटी है। सिम्स पार्क, पाइकारा झील और झरनों के अद्भुत आकर्षण को महसूस करें। बॉटनिकल गॉर्डन और ऊटी टॉय ट्रेन की सवारी का आनंद लें। सेट स्टीफंस चर्च, जनजातीय अनुसंधान केंद्र, मुदुमलाई वन्यजीव अभयारण्य, रोज़ गार्डन, हिमस्खलन झील, मुरूगन मंदिर, एमरॉल्ड लेक, और स्थानीय भोजन का स्वाद चखें।
कैसे पहुंचे
हवाई जहाज से
कोयंबटूर हवाई अड्डा नजदीकी है जहां से देश के सभी प्रमुख शहर जुड़े हुए हैं।
रेल से
कोयबंटूर रेलवे जंक्शन निकटतम रेलवे स्टेशन है जहां से ऊटी पहुंच सकते हैं।
बस या कार से
ऊटी सड़क मार्ग से भली भांति जुड़ा हुआ है जहां देश के मुख्य शहरों से आसानी से पहुंच सकते हैं।
गुजरात की शान द्वारका हमेशा ही खूबसूरत परिदृश्यों और मौसम का शहर है जो भगवान श्रीकृष्ण की नगरी है। सितम्बर में द्वारका की छवि कभी तेज कभी धीमी बारिश की खूबसूरती में और अधिक सुहावनी लगती है। जहां देश विदेश से लोग यहां के सुंदर नजारों और गोमती नदी किनारे बने ऐतिहासिक मंदिर द्वारिकाधीश का आशीर्वाद लेने आते हैं। यहां से थोड़ी दूर पर बेट द्वारका जो समुद्र के आईलैण्ड के रूप में अवस्थित है, यहां मानसून सीजन में मोटर बोट से जाना थोड़ा दिक्कत भरा हो सकता है लेकिन सितम्बर माह में यहां जाने के द्वार खुल जाते हैं जो समुद्र की स्थिति पर निर्भर करता है। द्वारका के आसपास कई प्रमुख मंदिर और खूबसूरत पर्यटन स्थल हैं जहां आप अकेले या परिवार संग शांति और सुकून की छांव में क्वालिटी समय बिता सकते हैं।
प्रमुख आकर्षण
द्वारका के आसपास कई सारे मंदिर और आकर्षण स्थल हैं जहां पर्यटन के लिए जाया जा सकता है। रूकमणि मंदिर, द्वारका तट, गोपी तालाब, शिवराजपुर बीच, द्वारका सनसेट पॉइंट, भटकेश्वर महादेव मंदिर, गोमती नदी तट, बेट द्वारका, द्वारका लाइट हाउस, सोमनाथ मंदिर, समुद्री तट, संग्रहालय, चंद्रभागा शक्तिपीठ, त्रिवेणी घाट, नागेश्वर ज्योतिर्लिंग और गिर राष्ट्रीय उद्यान के साथ कई सारे अद्भुत आकर्षणों का अनुभव ले सकते हैं।
कैसे पहुंचे
हवाई जहाज से
निकटतम हवाई अड्डा जामनगर और पोरबंदर एयरपोर्ट है जहां से द्वारका की लगभग 100 किमी दूरी तय कर पहुंचा जा सकता है।
रेल से
द्वारका रेलवे स्टेशन से द्वारका आसानी से पहुंचा जा सकता है।
बस या कार से
द्वारका देश के सभी प्रमुख शहरों से भली भांति जुड़ा हुआ है, जहां से बस या कैब माध्यम से आसानी से द्वारका पहुंचा जा सकता है।
सितम्बर में भारत का अनोखा ही आकर्षण देखने को मिलता है जब वातावरणीय मौसम मेंं मानसून विदाई पर और सर्दी अपने स्वागत को तैयार रहती है। ऐसे में भारत के उत्तर से लेकर दक्षिण तक और पूरब से लेकर पश्चिम तक कई शानदार उदाहरण हैं जिनकी निराले और अद्भुत परिदृश्य पर्यटकांं को शांति सुकून प्रदान करने के साथ ही नई तरंग और ऊर्जा से ओतप्रोत करते हैं। आप इतिहास प्रेमी हो या रोमांचक गतिविधियों के शौकीन, चाहें आध्यात्मिक आभा स्पर्श करने में रूचि रखते हों या मौजमस्ती का समय बिताना चाहते हों, भारत के हर कोने में कुछ न कुछ स्पेशल जरूर है। इन्हीं विशेषताओं को स्वयं महसूस करें और यादगार पलों को सुनहरी यादों में संजोना चाहते हैं तो सितम्बर में भारत के इन स्थलों की यात्रा का अवलोकन कीजिए।