• Sep 17, 2025

दिल्ली से लगभग 40 किमी की दूरी पर हरियाणा के गुरूग्राम में स्थित सुल्तानपुर पक्षी अभयारण्य प्रकृति के साथ समय बिताने का एकांतिक स्थान है जहां खूबसूरत पक्षियों के प्राकृतिक ठिकाने हैं। भीड़भाड़ और तकनीकी के क्षेत्र में तरक्की करते गुरूग्राम में यह स्थान किसी नखलिस्तान से कम नहीं है। जहां प्राकृतिक खूबसूरती के विहंगम दृश्यों के साथ पक्षियों की चहचहाहट व धरती से ऊंचाई पर उड़ते इनके पंखों की परवाज़ का शोर बहुत कुछ सिखाता है। 

अगर आप प्रकृति के इन नायाब तोहफों की मदमस्त छवि और उत्साही उड़ानों में खो जाना चाहते हैं, यह जगह बच्चों, परिवार, दोस्तों या अकेले घूमने के लिए की तैयारी में हैं तो देर किस बात की वीकेंड प्लान कर सुल्तानपुर पक्षी अभयारण्य की ओर रूख कीजिए। 

पक्षी अभयारण्य की स्थापना संकल्पना 

1972 के दशक में इसे आद्रभूमि संरक्षण की तरजीह पर पक्षी अभयारण्य के रूप में मान्यता मिली थी जिसे 1991 में राष्ट्रीय उद्यान बनाया गया था। इस अभयारण्य की स्थापना का श्रेय ब्रिटिश पक्षी विज्ञानी और दिल्ली बर्डवॉचिंग सोसाइटी के मानद सचिव पीटर माइकल जैक्सन को जाता है।

सुल्तानपुर पक्षी अभयारण्य में मौसम 

उत्तर भारत का यह हिस्सा एक विशिष्ट जलवायु क्षेत्र के अन्तर्गत आता है। यहां ग्रीष्मकाल में कभी कभी तापमान 45 डिग्री सेल्सियस के पार हो जाता है और सर्दियों में कभी 0 डिग्री सेल्सियस से भी नीचे पारा गिर जाता हैं हालांकि वर्षा का काल जुलाई से अगस्त के आखिर तक में होता है जो बहुत छोटी ऋतु है। 

सुल्तानपुर पक्षी अभयारण्य जाने का सबसे सही समय

अगर आप सुल्तानपुर पक्षी अभयारण्य घूमने का प्लान कर रहें हैं तो यहां जाने के लिए सुबह का समय सबसे सही है क्योंकि इस समय पक्षी सबसे ज्यादा एक्टिव होते हैं और इनकी गतिविधियां सबसे ज्यादा आकर्षित करती हैं। सुबह 7 बजे से 10 बजे तक अभयारण्य के सबसे खूबसूरत पहलू को देख सकते हैं और साथ ही कम रोशनी में कैमरे में कैद भी कर सकते हैं। दोपहर बाद का समय भी उपयुक्त है जब रोशनी कम और हवा में ठंडक का एहसास हो। 

गर्मियों (अप्रैल से जून) के दिनों में यहां आमतौर पर कम भीड़ देखने को मिलती है क्योंकि तेज़ गर्मी की वजह से पक्षियों की कम चहल पहल और घटता जल स्तर अभयारण्य की हलचल में कमी करता है। इस दौरान अगर आप पानी की पर्याप्त मात्रा के साथ धूप से बचते हुए सुबह के समय यहां जाते हैं तो यहां मौजूद पक्षियों और उनकी गतिविधियों को देख सकते हैं। 

मानसूनी (जुलाई से सितम्बर) मौसम प्रकृति के आगंन में हरियाली का दामन बिखेरता हुआ जब आता है तो खूबसूरत झील में पानी की भरपूर उपलब्धता देखकर तन और मन प्रफुल्लित हो उठता है साथ ही सुबह के समय पक्षियों की चहचहाहट और गतिविधियां प्यारी लगती हैं। लेकिन इस समय रास्तों पर फिसलन और कम दृश्यता होने की वजह से सावधानी बरतते हुए विचरण करना ठीक रहता है। 

बेहतर मौसम की बात करें तो गुरूग्राम में अक्टूबर से लेकर मार्च तक का मौसम सर्द और ठंड से भरा होता है। सुहाने मौसम में पक्षियों की गतिविधि ज्यादा सक्रिय होती हैं, इसके अलावाय यहां प्रवासी पक्षियों का भी इसी समय आना होता है। जहां यूरोप, साइबेरिया और मध्य एशिया की बहुत ज्यादा ठंड भरी सर्दियों से बचकर हज़ारों की तादाद में पक्षी सुल्तानपुर पक्षी अभयारण्य में शरण लेते हैं। यहां उन्हें प्रजनन से लेकर आवास और भोजन के सभी पैमानों में अनुकूलन मिलता है। इस समय अभयारण्य का जीवंत वातावरण व स्थानीय पक्षियों के साथ विदेशी पक्षियों की अठखेलियां आकर्षित करती है। 

सुल्तानपुर पक्षी अभयारण्य घूमने क्यों जाएं 

राजधानी दिल्ली से कुछ ही दूरी पर स्थित यह अभयारण्य प्राकृतिक हरियाली और शांति सुकून प्र्रदान करता है। जहां रोजमर्रा की जिं़दगी में होने वाली आपधापी़ और शोर शराबे में सुकून भरी राहत का ठिकाना मिलता है। तकनीकी भरे शहरी जीवन में कुदरत की छांव में प्राकृतिक अनमोल कृतियों का दीदार होने के साथ ही लगभग 140 एकड़ से भी ज्यादा क्षेत्रफल में बने इस अभयारण्य की मनमोहक झील और पक्षियों के आवास और उनकी भोजन व्यवस्था देखकर मन में कौतूहल का संचार होता है। यहां मौजूद झाड़ियों, घास के मैदानों और कंटीले बबूल के पेड़ों की बहुतायत देखने को मिलती है, जहां स्थानीय और प्रवासी पक्षियों के आराम से रहते हैं। 

यह अभयारण्य पीक सीजन में करीब 260 प्रजातियांं से भी ज्यादा पक्षियो के आवास के रूप में काम करता है जहां का वातावरण रंगों की चित्रकारी और मनमोहक ध्वनियों से आकर्षक वातावरण में बदल जाता है। हंसों और बत्तखों के समूहों के साथ दलदली जगह पर रहते सारस और पानी में खेलते किंगफिशर, देखने में अति सुदंर लगते हैं। खूबसूरत फोटोग्राफी और पक्षियों को चाहने वालों के लिए यह जगह बेहतरीन स्वर्ग और मानसिक शांति प्रदान करती है। 

यह जगह शिक्षण संस्थानों के लिए जानकारी प्रदान करने वाले स्थानों में से एक है जहां उनके विद्यार्थी समूह और कई क्लब पक्षियों को देखने के साथ ही उनके आवासों की जानकारी के साथ पारिस्थितिकी संरक्षण और जैव विविधता की गहन जानकारी प्राप्त करने के साथ ही प्रकृति की सजीवता को अपनी आंखों से महसूस कर सकते हैं, जो उनकी समझ को और ज्यादा व्यावहारिक बनाती है। 

सुल्तानपुर पक्षी अभयारण्य का समय और शुल्क

यह अभयारण्य सुबह 7 बजे से खुलता है जो शाम 4ः30 मिनट पर बंद हो जाता है, अभयारण्य को बेहतर और व्यवस्थित तरह से घूमने के लिए इसके खुलने के समय की जानकारी बहुत जरूरी है जिससे आप यहां सुबह की हल्की ठंडक में पक्षियों और उनकी गतिविधियों को अच्छे से निहार सकें। सुबह 7 बजे से 10 बजे के दौरान का समय या शाम को धूप हल्की हो जाने के बाद का समय यहां घूमने के लिए श्रेष्ठ है। 

साप्ताहिक बंदी : मंगलवार, बेहतर प्रबंधन और रखरखाव के लिए एक दिन बंद रखा जाता है। 

प्रवेश शुल्क की दरें बहुत ही नॉमिनल हैं जिसे आसानी से देकर आप पूरे परिवार, दोस्तों या अकेले भी यहां का दीदार कर सकते हैं। 

भारतीय : लगभग 5 रूपये प्रति व्यक्ति 

विदेशी : लगभग 40 रूपये प्रति व्यक्ति 

अगर आप कैमरा, फोटोग्राफी शूटिंग या अन्य कोई उपकरण ले जा रहे हैं तो परमिशन लेने के साथ ही उचित शुल्क का भुगतान कर ले जा सकते हैं। जिसकी अनुमानित दर आधार 25 रूपये से 150 रूपये या इससे भी ज्यादा हो सकता है। यहां वैध पहचान प्रमाण पत्र लाना जरूरी है। 

सुल्तानपुर पक्षी अभयारण्य में देखने योग्य पक्षियों और वनस्पतियों के प्रकार 

स्थानीय पक्षियों की बात करें तो यहां कॉमन हूपो, पैडीफील्ड पिपिट, लिटिल कॉर्मोरेंट, कबूतर, पर्पल सनबर्ड, भारतीय मैना, यूरेशियन थिक नी, व्हाइट-थ्रोटेड किंगफिशर, स्पॉट बिल्ड डक, पेंटेड स्टॉर्क, व्हाइट आइबिस, ब्लैक हेडेड आइबिस, लिटिल इग्रेट, ग्रेट इग्रेट, कैटल इग्रेट और इंडिया क्रेस्टेड लार्क आदि पक्षियों की कई प्रजातियों को देखने का मौका मिलता है। 

यह स्थान पक्षियों के चाहने वालों के लिए स्वर्ग समान है, यहां 90 से अधिक प्रजातियों के प्रवासी पक्षियों का आना होता है जैसे साइबेरियन केन, ग्रेटर फ्लेमिंगों, रफ ब्लैक विंग्ड स्टिल्ट, कॉमन टील, कॉमन ग्रीनशैंक, नॉदर्न पिंटेल, येलो वैगटेल, व्हाइट वैगटेल, नॉर्दर्न शॉवेलर, रोजी पेलिकन आदि जिनकी संख्या सर्दियों के दिनों में ज्यादा और गर्मियों में कम होती है। कुल मिलाकर वर्ष भर यहां पक्षियों की स्थानीय और विदेशी पक्षियों की विभिन्न प्रजातियों को देखने का आनंद मिलता है। घास के मैदानों और जलीय वन्य पक्षियों की संपन्न विविधता का घर यह अभयारण्य वास्तव में सर्द ऋतु में और खास प्रतीत होता है। 

सर्द ऋतु में आने वाली पक्षियों और स्थानीय पक्षियों की बेमेल सम्मिश्रण में पूरे पंखों को फैलाकर उड़ते देखना, विभिन्न चोंचो से दाने चुगना और उनकी चहचहाहट के गीत सुनना मन को सुर ताल की मंत्रमुग्ध करने वाली जादुई दुनिया में ले जाता है। 

सुल्तानपुर पक्षी अभयारण्य में वनस्पतियों की फिकस प्रजातियां, अकेशिया, अकेशिया टॉर्टिलेस, निलोटिका, नीम और बेरी को देख सकते हैं जिन्हें पक्षियों द्वारा भी बेहद पसंद किया जाता है। 

सुल्तानपुर पक्षी अभयारण्य में करने व देखने योग्य गतिविधियां 

इस पक्षी अभयारण्य में पक्षियों को देखने के अलावा और भी कई गतिविधियों का आनंद ले सकते हैं। जहां प्राकृतिक अनुभवों का आनंद बड़ा ही विहंगम और यादगार है। शांति सुकून की गोद में हर पल को एन्जॉए करते इस अभयारण्य में और भी कई चीजों का मज़ा ले सकते हैं। 

शैक्षिक भ्रमण : यहां स्कूल और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए जैव विविधता, प्रकृति संरक्षण और पारिस्थितिकी तंत्र से जुड़ी प्रैक्टिकल जानकारी सीखने का मौका मिलता है। जहा पेड़ पौधों, वेटलैंड और पक्षियों संबंधित बुनियादी सीख मिलती है। प्रकृति और पक्षियों के साथ विभिन्न वनस्पतियों के गुणों के बारें में जानने का मौका मिलता है। 

फोटोग्राफी : विभिन्न पक्षियों और झीलों के साथ घनी वनस्पतियों के अद्भुत विहंगम नज़ारों की करिश्माई रूप को कैमरे में बेहतरीन फोटोज़ के माध्यम से संकलित कर रख सकते हैं। अलग तरह के पक्षियों के एक साथ रहने का अद्भुत दृश्य और पूरे पंखों से फड़फड़ाते पक्षियों की सैर मन को भी नई ऊंचाई प्रदान करने का काम करती है। सुंदर पक्षियों की सोलो फोटोग्राफी भी बहुत पसंद की जाती है। 

सैर : अगर आप पैदल घूमने के शौकीन हैं तो यहां आपको एक स्वस्थ सैर करने का मौका मिलता है जहां झील के करीब कम से कम 3-4 किमी की धीमी या तेज सैर करना तनमन को तनावमुक्त रखने के साथ ही प्रकृति की खूबसूरती को भी महसूस कराता है। 

पिकनिकः आप यहां परिवार के साथ किसी कोने या अनुमन्य जगह पर घर के बने खाने का भी स्वाद लेने के साथ पक्षियों की छवि निहार सकते हैं। 

पर्यटकों को मिलने वाली सुविधाएं 

  • पक्षियो को देखने के लिए विभिन्न जगह पर चार वॉच टावर बनाए गए हैं, साथ ही कई जगह बैठने के लिए बेंचे और शौचालय आदि की सुविधा भी बेहतर है। 
  • पर्यटकों को गाइड करने के लिए कई जगह शैक्षिक व्याख्या केंद्र भी बने हुए हैं। 

सुल्तानपुर पक्षी अभयारण्य के आसपास दर्शनीय स्थल 

शीतला माता मंदिरः आध्यात्मिक भक्ति को प्रगाढ करता यह मंदिर गुरूग्राम के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक हैं, जहां श्रद्धालु भारी संख्या में दर्शन करने आते हैं। 

लेजर वैली पार्क : म्यूजिकल फाउंटेन और बच्चों के लिए खूब सारी मस्ती के मौके प्रदान करता यह पार्क सुंदर परिदृश्यों वाला उद्यान है। 

हेरिटेज म्यूजियम मानेसरः ऐतिहासिक परिवहन से आधुनिकता की कहानी को बयां करता यह म्यूज़ियम अन्यत्र से अलग और अद्वितीय है, जहां विंटेज कार और अन्य आकर्षण आपका स्वागत करते हैं। 

सुल्तानपुर पक्षी अभयारण्य कैसे पहुंचे 

  • दिल्ली मेट्रो की येलो लाइन का हुडा सिटी सेंटर उतरकर वहां से स्थानीय वाहनो से लगभग 18 किमी की यात्रा तय कर पहुंच सकते हैं। 
  • दिल्ली से एनएच 48 के रास्ते कार या बस से जा सकते हैं। 

निष्कर्ष

पक्षियों को निहारना एक रोचक अनुभव हो सकता है, विशेषतः जब आप दिल्ली जैसी जगहों में रहते हैं। स्थानीय और विदेशी पक्षियों की हलचल भरी रौनक, झील का आकर्षण और प्राकृतिक वनस्पति, सब मिलकर इस आर्द्रभूमि को और ज्यादा खूबसूरत बनाते हैं, जहां समय व्यतीत करना प्रकृति की गोद में प्रसन्नता के साथ ज़िदंगी जीने के हुनर को सीखना है

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