गंगटोक, सिक्किम की राजधानी और सबसे बड़े शहर के रूप में पूर्वोत्तर भारत का एक नायाब हीरा है। पूर्वी हिमालय पर्वतमाला की ऊंची चोटियों में स्थित यह शहर हमेशा खूबसूरत मौसम के साथ पर्यटन के केंद्र में रहता है। यह स्थान बौद्ध तीर्थ स्थल के रूप में अति प्रसिद्ध है, जहां सन् 1840 में एनचे मठ का निर्माण हुआ था। यहां स्थित दुनिया की तीसरी सबसे ऊंची चोटी कंचनजंघा का दृश्य बहुत विहंगम प्रतीत होता है। घने जंगलों की अधिकता, पर्वत श्रृंखलाओं का बादलों से बात करना और पवित्र बौद्ध मठों के आध्यात्मिक परिदृश्य सब मिलकर गंगटोक को सर्वश्रेष्ठ अवकाश पर्यटन स्थल के रूप में लोकप्रिय बनाते हैं, आइए गंगटोक के घूमने योग्य 12 स्थानों के बारें में विस्तार से जानते हैं।
पर्यटन की दृष्टि से यह एक आदर्श स्थान है। सिक्किम के राजा ताशी नामग्याल द्वारा बनवाये जाने के कारण इसको इन्हीं के नाम से जाना गया। यहां से दर्शकों को आकर्षक माउंट सनिलोच और माउंट कंचनजंगा का सुंदर परिदृश्य दिखाई देता है। स्वच्छ नीले आकाश के नीचे बर्फ से ढके सुंदर पहाड़ों के शानदार नज़ारें और घने जंगलों के बीच बसे इस व्यू पॉइंट पर पर्यटक विशेष रूप से आना पसंद करते हैं।
स्थानः ताशी व्यू पॉइंट, एन सिक्किम हाईवे, गंगटोक, सिक्किम
समयः सुबह 5 बजे से शाम 6 बजे तक
भगवान हनुमान को समर्पित यह मंदिर भारतीय सेना द्वारा सन् 1952 में बनवाया गया है। इस मंदिर को लेकर किंवदंती है कि जब भगवान हनुमान लक्ष्मणजी को बचाने के लिए संजीवनी बूटी की तलाश में निकले थे और धौलागिरी श्रृंखला के पर्वतों की ओर उड़ान भरने से पहले कुछ समय यहां भी रूके थे, इस कारण इनका यह मंदिर बनवाया गया है। इस मंदिर की अनूठी वास्तुकला और आस पास का वातावरण बहुत मनोरम है। 7200 फीट की इतनी ऊंचाई पर बने इस मंदिर से देखे जाने वाले दृश्य बहुत आकर्षक लगते है और यहां से आप घाटी को चारों तरफ से निहार सकते हैं।
स्थानः 8जेएक्सएच+4एफपी, गंगटोक, सिक्किम
समयः सुबह 5 बजे से शाम 7 बजे तक
शांति सुकून भरे और शानदार सुंदरता लिये जल के मंत्रमुग्ध कर देने वाले दृश्यों को आप यहां फील कर सकते हैं। सर्दियों के मौसम में प्राकृतिक स्पा का काम करने वाला यह गर्म पानी का झरना पर्यटकों को अपनी ओर विशेष आकर्षित करता है, इसमें औषधीय गुणों का समावेश होता है, जिस वजह से पर्यटक यहां ज्यादा दिनों तक रूकना पसंद करते हैं। इसके आस पास खुले आसमाने के नीचे रूकने के लिए तंबू वगैरह के अस्थायी इंतजाम होते हैं जहां पास में रोजमर्रा से जुड़ी जरूरी वस्तुएं आसानी से मिल जाती हैं। आप यहां कैपिंग, स्पा और प्रकृति के नजदीक होने की खूबसूरती को महसूस कर सकते हैं।
स्थानः 68एक्स2+5क्यूक्यू, मायोंग, सिक्किम
समयः सुबह 7 बजे से शाम 6 बजे तक
विविधताओं का संगम लिए गंगटोक का यह पार्क लगभग 205 हेक्टेयर की विस्तृत भूमि पर फैला हुआ है। आमतौर पर जिन वन्य जीवों को हर जगह देखना संभव नहीं हो पाता, यहां आप उन्हें आसानी से देख सकते हैं। यह पार्क लगभग 6500 फीट से 8000 फीट की अत्यधिक ऊंचाई पर स्थित है। कई दुर्लभप्रायः प्रजातियों को यहां निहारा जा सकता है। जानवरों और पक्षियों की कई प्रजातियां यहां निवास करती हैं जैसे तिब्बती वुल्फ, हिमालयन पाम सिवेट्ज, लेपर्ड कैट, गोरल्स इत्यादि और पक्षियों में लेडी एमहर्स्ट तीतर, कालिज, सैटायर ट्रैगोपेन और गोल्डन तीतर।
स्थानः जवाहर लाल नेहरू रोड, सुनगवा, गंगटोक, सिक्किम
समयः सुबह 9 बजे से 4 बजे तक, साप्ताहिक अवकाशः गुरूवार
कंचनजंगा नेपाल और सिक्किम में एक प्रतिष्ठित पर्वत के रूप में जाना जाता है। जो दुनिया का तीसरा और भारत का पहला ऊंचा पर्वत है, जिसकी ऊंचाई लगभग 8,586 मीटर है। गंगटोक से कंचनजंगा का अविस्मरणीय दृश्य आंखों में संजोए रखता है। जब तस्वीरों में यह इतना मनोरम प्रतीत होता है तो कल्पना कीजिये वास्तविकता में इसकी सुंदरता की क्या सीमा होगी। कंचनजंगा में आप ट्रेकिंग कर सकते हैं और यहां के शांत घने जंगलों की शोभा से रूबरू हो सकते हैं।
स्थानः युकसोम, गंगटोक, सिक्किम
समयः 24 घंटे दर्शनीय
बाबाजी के नाम से प्रसिद्ध हरभजन सिंह पंजाब रेजिमेंट के एक सिपाही रहे हैं जिनकी समाधि पर यह मंदिर बना हुआ है। देश सेवा करते हुए अचानक से लापता हुए इनके मृत शरीर के बारें में इन्होंने अपने साथी सैनिकों को सपने के माध्यम से बताया। सुनते हैं कि आज भी बाबा हरभजन सिंह अदृश्य रूप में देश की सेवा के लिए तत्पर रहते हैं और सैनिकों की मदद करते रहते हैं। इनकी समाधि पर बना यह मंदिर बहुत आकर्षक है, ऊंची पहाड़ी पर बर्फ से ढके मार्गों के बीच इनका बंकर बना हुआ है जहां इनकी वर्दी और आवश्यक वस्तुएं रखी हैं। श्रद्धालु इनका दर्शन कर परिक्रमा करते हैं
स्थानः नाथुला और जेलेप्ला दर्रे के बीच गुजरने वाली सड़क पर लगभग 64 किमी दूर, 9आर8क्यू+85वी, फदामचेन, गंगटोक, सिक्किम
समयः सुबह 9 बजे से शाम 6 बजे तक
गंगटोक में भगवान गणेश का छोटा सा मंदिर, जहां एक बार में एक ही व्यक्ति एडजस्ट कर सकता है, प्रसिद्ध मंदिर है। पहाड़ी पर बना यह मंदिर अपने आकर्षक वातावरण से पर्यटकों को अपनी ओर लुभाता है, यहां से सूर्योदय, सूर्यास्त के नजारों को देखने के साथ ही माउंट कंचनजंगा का अद्भुत दृश्य आंखों में समा सकते हैं। प्रकृति की गोद में बने इस मंदिर का अनोखा वातावरण आपको अलौकिक आनंद और सुकून की अनुभूति कराता है।
स्थानः 8जेआरसी+एचजीएम, जवाहर लाल नेहरू रोड, सुनगवा, गंगटोक, सिक्किम
समयः सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक
भारत चीन के बीच खुली व्यापारिक सीमा चौकियों में से एक है। नाथुला दर्रा डोंगक्या रेंज पर एक पहाड़ी दर्रा है जो सिक्किम और चुम्बी घाटी को लगभग 4,340 मीटर की ऊंचाई पर अलग करता है। नाथुला दर्रे को घूमने के लिए भारतीयों को ही अनुमति मिलती है, इसके लिए परमिट मिलने पर ही यहां घूम सकते हैं, इसके लिए आपके पास अपने पहचान पत्र होने के साथ ही जरूरी दस्तावेजों का होना आवश्यक है। भारत चीन सीमा होने के कारण यहां भारतीय सैनिकों के दस्ते को देखने के साथ ही चीनी सैनिकों के दस्तों को भी देखा जा सकता है। बर्फ से ढके पहाड़ों को देखने और खच्चरों की सवारी करने का यादगार अनुभव यहां मिलता है।
स्थानः ओल्ड सिल्क रूट, नाथूला दर्रा, गंगटोक, सिक्किम
समयः सुबह 8 बजे से शाम 6 बजे तक, साप्ताहिक अवकाशः सोमवार और मंगलवार
सात बहनों के नाम से प्रसिद्ध थोड़ी थोड़ी दूरी पर सात अलग अलग स्थानों से बहने वाले इन झरनों को संयुक्त रूप से सेवन सिस्टर्स वॉटरफॉल कहते हैं। घाटियों के बीच बहने वाली जल की धाराएं अति मनोरम प्रतीत होती हैं। अव्यवस्थित चट्टानों पर झरनों का बहता हुआ स्वच्छ नीर विहंगम दृश्यों और सुरम्य वातावरण का संगम है। मानसूनी महीनों में सातों जलधाराएं अपने पूर्ण रूप में यहां बहती हैं जिसे देखने के लिए सैलानी दूर दूर से भारी संख्या में आते हैं। यह परिवार के साथ समय बिताने का और प्रकृति को निहारने का अद्भुत स्थान है।
स्थानः गंगटोक से 32 किमी की दूरी पर, गंगटोक-लाशूंग हाईवे, गंगटोक, सिक्किम
समयः सुबह 8 बजे से शाम 5 बजे तक
मुस्कुराते हुए फूलों की यह प्रदर्शनी गंगटोक में आपके स्वागत के लिए तैयार रहती है। सिक्किम और पहाड़ी क्षेत्रों के विभिन्न खूबसूरत फूलों का समावेश यहां देखने को मिलता है, जो एक ही जगह पर देखने पर बहुत आकर्षक दृश्य बनाते हैं। यहां एमजी मार्ग से पैदल रास्ते को पार करके आया जा सकता है। मज़े की बात यह है कि वर्ष भर यहां इन पुष्पों के मनमोहक दृश्यों को निहारा जा सकता है पर अप्रैल से मई के महीनों के बीच होने वाला फूल शो विशेष छवि को परिभाषित करता है। गंगटोक आएं तो इस प्रदर्शनी को देखते हुए प्रकृति की बनाए इन पुष्प रूपी तोहफे को खुलकर सराहें।
स्थानः 8जेजे8+अरिथंग, गंगटोक, सिक्किम
समयः सुबह 9 बजे से शाम 5ः15 मिनट तक
स्वास्तिक के घने जंगलों में गंगटोक के पास पर्यटन हेतु अति प्रसिद्ध आकर्षण है जहां ऊंचाई से बहता हुआ यह प्राकृतिक झरना है। इस स्थान को लेकर किंवदंती है कि यहां मौजूद मूर्तियां या अन्य चीजें लोककल्याण के रूप में शैमानिक उपचार का प्रमाण देते हैं जो इस झरने के पास बनी गुफाओं में रहने वाली आत्माओं की पूजा किया करते हैं। यह झरना दो एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है, जिसके पास मौजूद ऊर्जा पार्क पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है।
स्थानः बांझकरी जलप्रपात, गंगटोक, सिक्किम
समयः सुबह 8 बजे से शाम 6 बजे तक
बौद्ध मठों की विशेषता को प्रदर्शित करता गंगटोक का यह मठ रॉयल पैलेस के परिसर में अवस्थित है, इसमें पहले शाही परिवार के शादी संबंध, राज्याभिषेक आदि कार्यक्रमों का आयोजन होता था। मठ का शांत वातावरण ध्यान साधना के लिए बहुत सर्वोत्तम स्थान है। घने जंगलों की हरियाली के बीच, बर्फ से ढके पहाड़ों की श्रृंखला के विहंगम दृश्यों के साथ मठ में आध्यात्मिक शांति और सुकून का एहसास होता है।
स्थानः सेक्रेटरियरेट रोड, विशाल गांव, गंगटोक, सिक्किम
समयः सुबह 6 बजे से शाम 4 बजे तक
गंगटोक, बर्फीले पहाड़ों की छवि, वनों और वन्यजीवों का आकर्षण, मंदिरों, बौद्ध मठों की धार्मिकता के साथ शानदार प्राकृतिक झरने, झीलें और पार्कों का अद्भुत स्थान है। जहां से हिमालय के कुदरती नजारों के बीच शांत प्रकृति की सुंदरता का सुकून भरा एहसास होता है। जहां छुट्टियों को बिताने का अवसर दिवास्वप्न से भी सुंदर हो सकता है।