पुष्कर मेला नाम से प्रसिद्ध यह आयोजन देश के सबसे बड़े ऊंट और पशु मेलों में से एक है, यहां देश विदेश से किसान, व्यापारी वर्ग, लोक कलाकार और सैलानी आते हैं। राजस्थान के पुष्कर में आयोजित होने वाला यह वार्षिक, सांस्कृतिक और पशु मेला है जो हिन्दी महीने के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा को समाप्त होता है। साल 2025 में यह मेला 30 अक्टूबर से 5 नवंबर कार्तिक पूर्णिमा तक चलेगा।
राजस्थानी संस्कृति को प्रदर्शित करता पुष्कर ऊंट मेला पारंपरिक धुनों, लोकनाटिकाओं, प्रतिस्पर्धाओं, आध्यात्मिक अनुष्ठानों और प्रतिष्ठानों के साथ हर्षोल्लास भरा इवेंट भी है। सांस्कृतिक परिदृश्यों व रेगिस्तानी वातावरण के पावन संगम रोमांच पसंद लोगों के साथ ही फोटोग्राफी और यात्री वर्ग के लिए अनूठा अनुभव देने वाला होता है।
पुष्कर ऊंट मेला जिसे पुष्कर मेला भी कहा जाता है, भारत के राजस्थान के एक छोटे से शहर पुष्कर में हर साल मनाया जाने वाला अनोखा सांस्कृतिक समारोह है। इसकी मनाए जाने की कोई विशेष तिथि निश्चित नहीं है बल्कि यह तो कार्तिक पूर्णिमा के आसपास आयोजित होने वाला उत्सव है जो हर साल अक्टूबर या नवंबर के महीने में होता है। धर्मग्रंथो और हिदू धर्म के अनुसार कार्तिक महीना बेहद पवित्र महीनों में से एक है। पुष्कर मेला भारत के सबसे बड़े ऊंट, घोड़े और पशु मेलों में से एक है।
पुष्कर मेले में बहुत भारी संख्या में आगुंतक आते हैं जहां यह हर साल करीब लाखों पर्यटकों को आकर्षित करता है। वास्तव में इस मेले की शुरूआत एक छोटे से मौके से शुरू हुई थी जहां किसान और व्यापारियों के लिए पशु जैसे ऊंट, घोड़े, गाय, भेड़, बकरियां और अन्य मवेशी बेचने और खरीदने के अवसर मिलते हैं और यह आज दुनिया के सबसे बड़े पशु मेलों में से एक गिना जाता है जहां ग्रामीण क्षेत्रों से तकरीबन 35000 पशुओं से भी ज्यादा पशु आते हैं। एक अनुमान के अनुसार यहां करीब 5 से 6 लाख लोग इस मेले में हिस्सा लेने आते हैं।
पुष्कर मेला सिर्फ पशुओं की खरीद फरोख़्त का नहीं बल्कि राजस्थानी संस्कृति के लिए जाना माना उत्सव है, जिसकी प्रसिद्धि समय के साथ और भी ज्यादा बढती जा रही है। राजस्थान के विशाल समारोह के रूप में प्रसिद्ध पुष्कर मेला दुनिया भर के सैलानी, फोटोग्राफर, कलाकार और पुष्कर तीर्थयात्रियों के लिए प्रमुख उत्सव है, जो सिर्फ जानवरों से जुड़ा नहीं है बल्कि बहुत सारी विशेषताओं के लिए जाना जाता है।
पुष्कर मेला रीति रिवाजों, हर्ष और धार्मिकता के अनोखे संगम का दृष्टिकोण प्र्रस्तुत करता है।
पुष्कर मेला सदियों पुरानी परम्पराओं का मान रखता हुआ जीवंत उत्सव है जहां सभी रीति रिवाज़ मूलतः वैसे ही मनाए जाते हैं जैसे उनके पूर्वजों ने उन्हें सिखाया है। ग्रामीण भारत अपने साधारण रूप में हैं। पूरी दुनिया में ऐसे भव्य ऊंट मेले का आयोजन कहीं नहीं होता, जैसा पुष्कर में होता है। पुष्कर का यह मेला अपनी विरासत और धरोहरों को बेहतरी से संजोए रखता है।
पुष्कर ऊंट मेला हिंदू महीनों के अनुसार मनाया जाता है। जो देवोत्थान एकादशी से लेकर कार्तिक पूर्णिमा तक चलता है, साल 2025 में पुष्कर मेले की ऑफिशियली तारीखें इस प्रकार हैं जो इस प्रकार है।
30 अक्टूबर 2025 | देवोत्थान एकादशी | आरंभ होगा |
30 अक्टूबर से 5 नवंबर 2025 | मुख्य मेला | |
5 नवंबर 2025 | कार्तिक पूर्णिमा | समापन तिथि |
देवोत्थान एकादशी के दिन मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु जो चातुर्मास काल में शयननिद्रा में चले जाते हैं, इस एकादशी से जाग जाते हैं और पुनः सृष्टि का कार्यभार संभालते हैं। कहते हैं कि भगवान विष्णु की प्रबोधिनी एकादशी से ही शुभ कार्यों का सिलसिला शुरू हो जाता है।
देवोत्थान या प्रबोधिनी एकादशी से लेकर कार्तिक पूर्णिमा तक कार्तिक महीने के अंतिम पांच दिन बहुत ही शुभ माने जाते हैं, इसीलिए इन्हीं दिनों में व्यापार, प्रतियोगिताओं, पूजा आराधना संबंधी अनुष्ठानों और पुष्कर झील में इन दिनो होने वाले पवित्र पूजा पाठों और स्नान के लिए सबसे अधिक भीड़ देखने को मिलती है।
इन्हीं सब वजहो से कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी से लेकर पूर्णिमासी तक सबसे शुभ समय होने के कारण पुष्कर मेले की रौनक और भी ज्यादा खूबसूरती से बढ जाती है।
तिथियां | प्रमुख आकर्षण |
30 अक्टूबर - | उद्घाटन, पशुधन वाणिज्यिक वर्ग और उत्सव की शुरूआत |
31 अक्टूबर से 3 नवंबर | ऊंट व्यापार प्रमुख है साथ ही पशुधन व्यापारी अन्य मेवेशियों की खरीद फरोख्त का काम भी करते हैं। इसके अलावा यहां सौंदर्य प्रतियोगिताएं लोक कार्यक्रम और अन्य प्रसिद्ध प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं। |
4-5 नवंबर | ऊंट दौड़, सबसे लंबी और आकर्षक मूंछ प्रतियोगिता के साथ ही पगड़ी प्रतियोगिता और पुष्कर झील में पवित्र स्नान करने के लिए लाखों की संख्या में आपको भीड़ दिखाई देगी। |
विशेष : अगर आप ज्यादा भीड़भाड़ में मेले का आनंद नही ंलेना चाहते तो शुरूआती दिनो में ही मेले का आनंद लेने का प्रयास करें। अंतिम दिनों में बहुत ज्यादा भीड़ होती है इसीलिए इआप 30 अक्टूबर से 3 या 4 नवंबर तक मेले का लुत्फ ले सकते हैं।
पुष्कर मेला 2025 साहसी कार्यक्रमों, रंगारंग प्रस्तुतियों और राजस्थानी स्थानीय अनुभवों से सराबोर है जहां आप अपने शौक अनुसार जैसे अच्छा खाना, फोटोग्राफी, धार्मिकता या खरीदारी की इच्छा रखते हैं तो आप यहां के लिए कुछ न कुछ स्पेशल जरूर है।
राजस्थानी संस्कृति में प्रमुख लोकनृत्य और लोकगीतों की विविध प्रस्तुतियों का आनंद लें और यहां के प्रमुख कालबेलिया नृत्य, घूमर, कठपुतली शो और राजस्थानी गीतों की धुनों पर नाचते नचाते कलाकारों की छवियों को निहारें।
मेले में मुख्य मैदान के पास स्ट्रीट आर्टिस्ट और संगीतकारों के प्रमुख प्रदर्शन का अनुभव लें।
पुष्कर ऊंट मेले मे ऊंट और मवेशियों का व्यापार देखने के लिए सुबह का समय बेहद खास है क्योंकि सुबह के समय मौसम और धूप में तेजी देखने को ज्यादा नहीं मिलती और ज्यादा शोर शराबा भी नहीं मिलता है।
यहां जानवरों को यूं ही नहीं बल्कि सजा धजा कर तैयार किया जाता है जहां इन ऊंटों पर कपड़ें, रंग बिरंगी घंटियां और मोतियों की सजावट देखने को मिलती हैं।
यहां का ऊंट नृत्य जो सुनने में ही इतना रोचक लगता है कि इसकी प्रस्तुति देखने में और भी ज्यादा मनमोहक लगती है।
पुष्कर मेले में आयोजित अद्भुत प्रतियोगिताओ में भाग लें, इनमें से प्रमुख प्रतियोगिताएं इस प्रकार हैं।
पगड़ी बांधना
सबसे लंबी मूंछें
रस्साकशी जो सैलानियों और स्थानीय लोगों के बीच आयोजित की जाती है।
दुल्हन पोशाक प्रतियोगिता
इन अनोखी प्रतियोगिताओं में भाग लेकर आप बहुत उत्साहित अनुभव कर सकते हैं।
पुष्कर अजमेर के निकट एक रेगिस्तानी शहर है जहां इस मेले का आनंद लेते हुए आप कई सारी साहसिक गतिविधियों का आनंद ले सकते हैं।
यहां गर्म हवा के विशाल बैलून में सवारी कर मेले के अनुपम दृश्यों का ऊंचाई से अवलोकन कर निहार सकते हैं।
रेतीले टीलों पर ऊंट की सवारी का रोमांचक अनुभव प्राप्त करें।
घुड़सवारी कर आसपास के गांवों का भ्रमण और सवारी का आनंद लें।
राजस्थानी संस्कृति की तरह ही राजस्थानी स्वाद भी लाजवाब है यहां के कई पारंपरिक, गैर पांरपरिक डिशेज का स्वाद चखें और राजस्थानी स्वाद का आनंद लें
बाटी चूरमा, कचौरी, मालपुआ, पोहा और दही छाछ जैसे स्ट्रीट फूड खाएं।
कार्तिक का पूरा महीना पवित्र नदियों और झीलों मे स्नान करने के लिए शुभ माना जाता है, जिसमें कि प्रबोधिनी एकादशी से लेकर कार्तिक पूर्णिमा का समय तो अति शुभ होता है इसलिए मेले का आनंद लेने के साथ ही पुष्कर झील में स्नान का आध्यात्मिक लाभ जरूर उठाएं।
पूरे विश्व में पुष्कर में ही ब्रह्मा जी का एकमात्र मंदिर है, इनके दर्शन कर आशीर्वाद लाभ प्राप्त करें।
राजस्थानी हस्तशिल्प से बनी अनूठी वस्तुओं का संकलन कर सकते हैं, जैसे राजस्थानी चूड़ा, चांदी के आभूषण, ऊंट के चमड़े से बनी वस्तुएं, रंगीन पगड़ियों और लाख की बनी वस्तुओं को खरीद सकते हैं और याद के तौर पर यहां से एक से बढकर एक स्मृति चिन्हों को खरीद सकते हैं।
पुष्कर ऊंट मेला, सिर्फ साधारणतः एक मेला नहीं है बल्कि राजस्थानी संस्कृति में सराबोर पुष्कर का पवित्र वातावरण हर किसी को अपनी ओर आकर्षित करता है, जहां कला और सौंदर्य के कई उदाहरण आज भी सैलानियों को इसकी खूबसूरती और रोचक इतिहास की कहानी बयां कर रहे हैं। ऊंटों की सजावट से लेकर पुष्कर झील का आध्यात्मिक सफर व हस्तशिल्प सामानों से लेकर लोकगीतों, नृत्यो की धूम तक, इस मेले में हर सैलानी वर्ग के लिए क्या कुछ नही है। यदि आप ग्रामीण भारत की उन्नत छवि को निहारना चाहते हैं तो पुष्कर मेले का आनंद लीजिए और राजस्थान के इस अनोखे अंदाज़ को स्वयं महसूस कीजिए।