• Jul 31, 2025

दिल्ली से नजदीक पाए जाने वाले वाले पहाड़ी राज्य उत्तराखंड पर्यटकों के लिए हमेशा ही पर्यटन हेतु विशेष पसंदीदा जगह है, जहां जाना भी सहज और सुरक्षित होता है इसीलिए यहां की कुछ जगहों के नाम पर्यटकों की ज़ुबान पर फटाफट आ जाते हैं, जिस वजह से वहां भीड़ भी अपेक्षा से कुछ ज्यादा ही होती है, तो ऐसे में सुकून और शांति की तलाश कहीं न कहीं पूरी नही हो पाती, जबकि ऐसा नहीं है, यहां कुछ स्थान ऐसे भी हैं जहां आज भी देहाती आकर्षण रहस्यों की खूबियां बरकरार हैं और यहां आप अपनी इच्छा पूरी कर सकते हैं, तो क्यों न आइए जानते हैं उत्तराखंड के 10 ऐसे स्थानों के बारें में जो थोड़ा कम एक्सप्लोर किए जाते हैं।

1. लोहाघाटः

लोहावती नदी के किनारे पर बसी हुई है यह जगह चंपावत जिले के अन्तर्गत आती है, जहां ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और पौराणिक मान्यताओं का केंद्र है। ग्रीष्म ऋतु में भरपूर बुरांस के फूलों से लोहाघाट की शोभा देखते बनती है। समुद्र तल से लगभग 1750 मीटर ऊंचाई पर  स्थित यह हिल स्टेशन खूबसूरत वादियों, स्वच्छ नीले आकाश और बादलों से बात करते धरातल की सुंदर तस्वीरें प्रस्तुत करते हैं, वहीं एक ओर हरियाली से परिपूर्ण शांत जलवायु के साथ देवदार व ओक के घने वनों की उपस्थिति हिमालय के उस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं जो सबसे कम देखे जाते हैं। लोहाघाट के बारें में किसी ने क्या खूब कहा है कि जब लोहाघाट में स्वर्ग है तो कहीं और क्यों जाना?

प्रमुख आकर्षणः

माउंट एबॉट, बाणासुर का किला, पंचेश्वर महादेव मंदिर, वाराही धाम, बालेश्वर धाम, रीठासाहब, ऋषेश्वर  मंदिर, हिंगला देवी, मायावती अद्वैत आश्रम, एबॉट चर्च इत्यादि जगह घूमने  के साथ ही यहां के प्राकृतिक माहौल में सैर करने के साथ ही कैम्पिंग और यहां मौजूद श्यामलाताल में बोटिंग का भी आनंद ले सकते हैं।

लोहाघाट कैसे पहुंचेः

  • आनंद विहार दिल्ली से या देश की प्रमुख जगहों से उत्तराखंड के अन्य राज्यों के साथ ही टनकपुर, लोहाघाट और कई अन्य जगहांं के लिए बसें आसानी से उपलब्ध रहती हैं।
  • निकटतम एयरपोर्ट व रेलवे स्टेशनः सबसे करीबी हवाई अड्डा पंतनगर, जहां से लोहाघाट के लिए वाहन आसानी से मिल जाते हैं और नजदीकी रेलवे स्टेशन टनकपुर लोहाघाट से लगभग 60 किमी दूर है जहां से आप टैक्सी या अन्य साधनो सें पहुंच सकते हैं।

2. कनातालः

उत्तराखंड की यह जगह शहरीकरण से बहुत दूर है जिसने अपनी वास्तविक सुंदरता को बरकरार रखा है, चंबा-मसूरी मार्ग पर बसे हुए इस गांव से देहरादून, मसूरी और चंबा की दूरी को आसानी से तय किया जा सकता है क्योंकि बेहतर सड़क मार्गों से जुड़ा यह गांव कई ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासतों को सहेज कर प्रस्तुत करता है। अगर आप घने जंगलों के रास्तों पर ट्रैकिंग के शौकीन हैं या पहाड़ों को छेड़ती ताजी हवा के नजारो का लुत्फ लेने  के साथ ही कोमल घास के मैदानों को स्पर्श करना चाहते हैं तो यहां की सैर करना आपके लिए एकदम परफेक्ट है जहां आप बड़े बड़े सेब के बागानों का भी मज़ा ले सकते हैं।

प्रमुख आकर्षणः

सुरकंडा देवी मंदिर, कोडिया जंगल, टिहरी झील, नई टिहरी, धनौल्टी इन जगहों पर घूमने के साथ ही यहां होम स्टे और कैम्पिंग आपको रोमांचक अनुभव प्रदान करेगा।

कनाताल कैसे पहुंचेः

  • मसूरी चंबा मार्ग पर स्थित इस हिल स्टेशन तक पहुंचने का रास्ता अच्छी तरह कनेक्टड है, यहां के लिए देश के प्रमुख बस स्टेशनों से साधन आसानी से मिल जाते हैं।
  • निकटतम हवाई अड्डा व रेलवे स्टेशनः जॉली ग्रांट एयरपोर्ट, देहरादून कनाताल से लगभग 90 किमी दूर है, जहां से जाने के लिए टैक्सियों की सुविधा उपलब्ध है। करीबी रेलवे स्टेशन ऋषिकेश है जो कनाताल से लगभग 75 किमी है और देहरादून से कनाताल की दूरी लगभग 85 किमी है।

3. चोपताः

भारत के मिनी स्विट्जरलैण्ड के रूप में प्रसिद्ध चोपता उत्तराखंड का छिपा हुआ खजाना है जहां भगवान शिव को समर्पित कई धाम है क्योंकि यह पंच केदार क्षेत्र के मध्य में है। मखमली घास के मैदानों के परिदृश्य, बर्फ की चोटियों के नजारें और कलरव करते पक्षियों की मधुर आवाजें, चोपता को सर्वश्रेष्ठ घूमने वाले स्थानों में एक बनाते हैं। जहां पक्षियों की कई प्रजातियों के दीदार करने को मिलते हैं जिसे कई राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय और जैव विविधता संस्थानों ने पक्षी दर्शन में महत्वपूर्ण दर्जा प्रदान किया है।

प्रमुख आकर्षणः

सबसे ऊंचा पंच केदार मंदिरों में से एक तुंगनाथ मंदिर, उखीमठ, देवरियाताल, कांचुला कस्तूरी मृग अभयारण्य, चंद्रशिला शिखर एवं मंदिर की अलौकिक छटा को देखने के साथ ही यहां ट्रेकिंग का आनंद ले सकते हैं इसके अलावा साइक्लिंग का भी लुत्फ ले सकते हैं।

चोपता कैसे पहुंचेः

  • उत्तराखंड की मुख्य जगहां के साथ ही देश के प्रमुख शहरों से यहां की सड़कें भली भांति कनेक्टड हैं जहां आप बस या कैब के माध्यम से पहुंच सकते हैं।
  • निकटतम हवाई अड्डा व रेलवे स्टेशनः नजदीकी एयरपोर्ट जॉली ग्रांट हवाई अड्डा है जो यहां से लगभग 220 किमी दूर है व नजदीकी रेलवे स्टेशन हरिद्वार है जिसकी दूरी लगभग 225 किमी है , दोनों ही स्थानों से बस या टैक्सी चोपता जाती हैं।

4. पेओराः

रहस्यमयी जगहों की खूबसूरती को सामने लाता पेओरा गांव उत्तराखंड का एक अनमोल रत्न है जहां हरे भरे चरागाहों, कुदरत की सौंदर्यता और स्वच्छ निर्मल बहती हवाओं के झोंके और करिश्माई वातावरण के जादू को बिखेरता यह स्थान हिमालय के कुमांऊ क्षेत्र की वादियों के बीच स्थित है जहां जाने के लिए आपका मन खुद ब खुद लालयित हो उठेगा। इस जगह को उत्तराखंड के फलों के कटोरें के रूप में भी जाना जाता है जहां विभिन्न प्रकार की प्राकृतिक वनस्पतियों की भी भरमार हैं

प्रमुख आकर्षणः

मुक्तेश्वर मंदिर एवं घाटी, रूपकुण्ड झील, चौली की जाली, कैंची धाम नीम करोरी बाबा, हल्द्वानी और देवप्रयाग घूमते हुए हिमालय के परिदृश्यों को निहार सकते हैं। वन उपवन, पशु पक्षियों का दीदार करते हुए अच्छी यादें इकठ्ठा कर सकते हैं।

पेओरा कैसे पहुंचेः

  • नैनीताल और अल्मोड़ा के बीच स्थित यह जगह आप नैनीताल या अल्मोड़ा आकर भी सड़क मार्ग से किसी भी वाहन की मदद से पहुंच सकते हैं।
  • निकटतम हवाई अड्डा व रेलवे स्टेशनः पंतनगर हवाई अड्डा से यहां की दूरी लगभग 100 किमी है, जहां से टैक्सिया और अन्य साधन आसानी से मिल जाते हैं एवं काठगोदाम रेलवे स्टेशन सबसे नजदीक है जिसकी दूरी लगभग 75 किमी हैं

5. चकराताः

ऊंचे पर्वत की मौजूदगी के बीच देवदार, ओक के पेड़ों की घनी श्रृंखलाएं और सफेद बर्फ की चादरों से ढकी पर्वतमालाओं की खूबसूरती का नजारा यमुना घाटी के सर्वोच्चता पर अवस्थित यह हिल स्टेशन अंग्रेजो का फेवरेट समर डेस्टिनेशन रहा है। प्रकृति की चाहत और फोटोग्राफी का शौक रखने वालों के लिए यह जगह किसी स्वर्ग से कम नहीं है, विभिन्न वन्य जीव और प्राणियों के साथ ही उच्च खासियतों वाले वनस्पति औषधियों के भी पेड़ पौधे देखने को मिलते हैं। यहां पक्षियों की विविध श्रृंखलाओं के दर्शन किए जा सकते हैं जहां इनकी मधुर स्वर सुनने को मिलते हैं और जनमानस के मन को मोह लेते हैं।

प्रमुख आकर्षणः

टाइगर फॉल्स जो काफी ऊंचाई से चट्टान के एक कुण्ड में गिरता है, रामताल, कानासर झरना, देव वन, लाखामंडल जो महाभारत काल से संबंधित है जहां लगभग लाख मूर्तियों के अवशेष मिले हैं, बुडर गुफाओं के आकर्षण को समझने का प्रयास कर सकते हैं साथ ही यहां रोमांच की तलाश रखने वालों के लिए बहुत कुछ स्पेशल है, जहां वे ट्रैकिंग और कैम्पिंग का आनंद ले सकते हैं।

चकराता कैसे पहुंचेः

  • मसूरी-चकराता सड़क मार्ग के माध्यम से जाने के लिए राज्य परिवहन बस या निजी कैब के माध्यम से जा सकते हैं। 
  • निकटतम हवाई अड्डा व रेलवे स्टेशनः करीबी एयरपोर्ट जॉली ग्रान्ट एयरपोर्ट, देहरादून है और नजदीकी रेलवे स्टेशन देहरादून है जहां से चकराता की लगभग दूरी 125 किमी है।

6. खिरसूः

शांति से संपन्न वादियों के आकर्षण जो बर्फ से ढके होने के कारण और अनोखे दृश्य प्रस्तुत करते हैं जहां प्राचीन मंदिरों की आध्यात्मिकता में भीगने का आनंद रस और प्रकृति का सामंजस्य देखने को मिलता है, यहां से प्रमुख चोटियों के आकर्षक परिदृश्यों की श्रृंखला का नजारें देख सकते हैं। हरे भरे बागों की हरियाली और पहाड़ों पर होने वाले स्वादिष्ट सेबों का आनंद लेने के साथ ही रमणीक समय बिता सकते हैं जहां प्रकृति के प्रेमपूर्ण वातावरण में घने वनों, पशु पक्षियों और प्रसिद्ध मशरूम वनस्पतियों के साथ ही वादियों की ऊंचाइयों को भी निहार सकते हैं।

प्रमुख आकर्षणः

घंडियाल देवता, ज्वाला देवी मंदिर, देवलगढ, खिरसू पार्क का लुत्फ लेने के अलावा नंदा देवी, पंचाचूली, नंदा कोट, त्रिशूल जैसी पहाड़ियों के आकर्षक नजारों का दीदार करते हुए लंबी सैर और कैपिंग का आनंद ले सकते हैं।

खिरसू कैसे पहुंचेः

  • खिरसू जाने के लिए प्रसिद्ध जगहों से बसे संचालित होती है इसके अलावा नेशनल हाईवे 119 के माध्यम से खिरसू जाया जा सकता है। 
  • निकटतम हवाई अड्डा व रेलवे स्टेशनः नजदीकी एयरपोर्ट जॉली ग्रांट हवाई अड्डा देहरादून है एवं निकट रेलवे स्टेशन कोटद्वार है जहां स खिरसू की दूरी लगभग 110 किमी है जिसे टैक्सी या बस के माध्यम से तय किया जा सकता है।

7. ग्वालदमः

गढवाल और कुमाउं हिमालय के मध्य बसा यह हिल स्टेशन अपनी बर्फ से ढकी चोटियों, घने जंगलों की हरियाली और बागानों के लिए जाना जाता है, जहां से समुद्र तल करीब 1700 मीटर नीचे है। उत्तराखंड के चमोली जिले में अवस्थित अपनी सीढीदार खेती के लिए भी जाना जाता है। मंत्रमुग्ध कर देने वाले परिदृश्यों की कतारें यहां प्रकृति के सौंदर्य, अनगिनत बेनाम फूलों की महक और बेमिसाल झरनों की मौजूदगी को साकार करती अद्भुत प्रतीत होती है।

प्रमुख आकर्षणः

बौद्ध धर्म का खंभा मंदिर, अंगोरा फॉर्म, बांधनगढी मंदिर की धार्मिकता को महसूस करते हुए रूपकुंड झील के रास्ते ट्रैकिंग का अनुभव ले सकते हैं जहां कई और भी ट्रैक्स हैं। यहां बहती हुई पिंडारी नदी को निहारने के साथ ही प्रमुख चोटियों के भव्य राजसी परिदृश्यों को देख सकते हैं। एडवेंचर्स के शौकीन है तो ड्राइविंग के साथ ही कैपिंग का आनंद लेते हुए रात के समय मौजूद सितारों की खूबसूरती को अपने भीतर बसा सकते हैं।

ग्वालदम कैसे पहुंचेः

  • गढवाल और कुमाऊं क्षेत्र के बीच स्थित होने की वजह से यहां दोनों ही क्षेत्रों से सुविधाजनक तरह से पहुंचा जा सकता है। ग्वालदम पहुंचने के लिए राज्य परिवहन बसें और कैब आसानी से मिल जाती हैं। जो विभिन्न जगहों जैसे नैनीताल से लगभग 150 किमी दूर स्थित है और बैजनाथ से मात्र लगभग 20 किमी की दूरी पर ही है।
  • निकटतम हवाई अड्डा व रेलवे स्टेशनः ग्वालदम का सबसे निकटतम हवाई अड्डा पंतनगर एयरपोर्ट है जो यहां से लगभग 200 किमी की दूरी पर है जो घरेलू उड़ानों के लिए है। अंतरराष्ट्रीय यात्रा के लिए दिल्ली एयरपोर्ट के माध्यम से जाया जा सकता है, पंतनगर से दिल्ली के लिए हफ्ते में लगभग चार बार प्लेन का आवागमन होता हैं।
  • निकटतम रेलवे स्टेशन काठगोदाम है जो ग्वालदम से लगभग 170 किमी दूरी पर स्थित है जो देश के लगभग सभी प्रमुख शहरों से बेहतर कनेक्टिविटी रखता है और यहां से ग्वालदम के लिए बस या कैब आसानी से मिल जाती हैं।

8. मंडलः

उत्तराखंड के चमोली जिले में अवस्थित यह गांव उत्तराखंड के मिनी स्विट्जरलैण्ड नाम से जाना जाता है, जिसकी खूबसूरती और शहरीकरण से दूरी इसकी वास्तविक सुंदरता में चार चांद लगाने का काम करते हैं। प्रकृति की देन हिमालय की खूबसूरती में वृद्धि करते आकर्षक परिदृश्यों, स्वच्छ निर्मल वातावरण, शांति लिए वन और मधुर आवाज में कलरव करते पक्षियों की संगीतमय ध्वनि मन को भाव विभोर करती है। जहां पथरीले रास्तों से होते हुए ट्रैकिंग का भी आनंद लिया जा सकता है, जहां से गुजरते हुए आप हरी भरी घास के मैदानों का अंदाज देख सकते हैं। देवभूमि उत्तराखंड में कई मंदिरों की उपस्थिति है जहां दर्शन कर आप आध्यात्मिक, धार्मिक तरह से प्रकृति को एक नई उमंग के साथ फील भी कर सकते हैं। तीन रंगो के सम्मिश्रण से दिखते यहां के आकर्षण एक विहंगम परिदृश्य का निर्माण करते हैं जैसे हरियाली लिए धरातल, पहाड़ों की सफेदी और स्वच्छ नीला आकाश जो मानो एक कतार में अपनी सुखद उपस्थिति को साकार कर रहे हों और सभी को मिलजुल कर रहने का संदेश दे रहें हों।

प्रमुख आकर्षणः

उत्तराखंड के इस गांव में कई अनोखे आकर्षण हैं जिसमें यह प्रमुख हैं, कल्पेश्वर ट्रैक, अनुसूया देवी मंदिर ट्रैक, अत्रि मुनी आश्रम, सागर गांव, रूद्रनाथ मंदिर, गोपेश्वर, गोपीनाथ मंदिर, देवरिया ताल, मक्कू मठ इत्यादि का आनंद लेते हुए यहां से चोपता गांव तक ट्रैकिंग कर पहुंच सकते हैं।

मंडल कैसे पहुंचेः

  • सड़क माध्यम से बस या अपने वाहन द्वारा ऋषिकेश या देहरादून के रास्ते मंडल पहुंच सकते हैं।
  • निकटतम हवाई अड्डा व रेलवे स्टेशनः हवाई रास्ते से जाने के लिए जॉली ग्रांट एयरपोर्ट, देहरादून से वाया टैक्सी या बस जा सकते हैं जिसकी अनुमानित दूरी 240 किमी है, इसके अलावा ऋषिकेश रेलवे स्टेशन से करीब 200 किमी को पार करके आप मंडल पहुंच सकते हैं।

9. पंगोटः

उत्तराखंड के नैनीताल से करीब 13 किमी दूरी पर कुसियाकुटोली तहसील के अन्तर्गत स्थित इस गांव की विशेषता, यहां का प्रेमपूर्ण वातावरण और गुंजाएमान होते पक्षियों की कई प्रजातियों के दर्शन हैं। अगर आप भी पक्षियों की विभिन्न प्रजातियों को निहारना चाहते हैं तो पंगोट की सैर जरूर करें, जिसमें हरियाली का दामन थामें पहाड़ियों की विशाल उपस्थिति के साथ दूर दूर तक शांत ध्यान करने योग्य वातावरण की मौजूदगी है जिसमें करीब 500 से 600 पक्षियों की प्रजातियां निवास करती हैं। हल्की धुंध लिए वातावरण जहां तालों व झीलों की भी कोई कमी नहीं है।

दिन के समय यहां का ठंडक प्रदान करता पर्यावरण और शाम के वक्त सूर्यास्त के खूबसूरत विहंगम परिदृश्य मन को मोह लेते हैं। पंगोट में बर्मा ब्रिज एक्टीविटी करना एक नया अनुभव प्रदान करता है, रोमांचक आनंद के साथ ही यहां की ज़िप लाइनिंग एक्टीविटी भी पर्यटकों को खूब भाती है। आप यहां ट्रैकिंग, कैपिंग करने के साथ ही रॉक क्लाइम्बिंग भी कर सकते हैं।

प्रमुख आकर्षणः

वुडपेकर प्वाइंट या धार पोखरा जहां से आप पक्षियों को निहार सकते हैं। पंगोट नाला, किलबरी पक्षी अभयारण्य, स्नोव्यू पॉइंट, नैना देवी मंदिर, नैनीताल झील, टिफिन टॉप, कैंची धाम, सातताल, इको केव गार्डन अन्य कई प्रमुख आकर्षण हैं जहां आप आनंद ले सकते हैं।

पंगोट कैसे पहुंचेः

  • राष्ट्रीय राजमार्ग 87 पर नैनीताल से करीब 15 किमी पहले स्थित है। आप देश के प्रमुख शहरों से नैनीताल के लिए आसानी से बस या टैक्सी की सुविधा प्राप्त कर सकते हैं, जहां से बेहद कम समय में ही आप पंगोट की यात्रा कर सकते हैं।
  • निकटतम हवाई अड्डा व रेलवे स्टेशनः सबसे करीबी हवाई अड्डा पंतनगर हवाई अड्डा है जहां से पंगोट की दूरी लगभग 60 किमी है और यह दूरी आप कैब या बस से पूरी कर सकते हैं, इसके अलावा काठगोदाम रेलवे स्टेशन से पंगोट की दूरी अनुमानित करीब 20 किमी है जिसे करीब 40 से 45 मिनट में ही पूरा किया जा सकता है।

10. मुनस्यारीः

उत्तराखंड के पिथौरागढ जिले के अन्तर्गत आने वाला खूबसूरत हिल स्टेशन है, जहां से नेपाल और तिब्बत की सीमाएं नजदीक है। कैलाश मानसरोवर यात्रा आयोजित होते समय यह स्थान आधार शिविर की तरह काम करता है। चारों ओर से पर्वतो के कवच से घिरा मुनस्यारी पौराणिक रूप से भी अति पावन स्थान है, जहां विश्व का लोकप्रिय पर्वत पंचचूली जिसकी पांच चोटियां हैं जिसके बारें में कहा जाता है कि यह पांचो पांडव के स्वर्ग जाने का प्रतीक हैं। मुनस्यारी के बाईं ओर नंदा देवी और त्रिशूल पर्वतों की चोटियां हैं, इसके दाईं ओर आगुंतको के लिए फेवरेबल पिकनिक स्पॉट भी हैं। यह हिल स्टेशन समुद्र तल से करीब 2200 मीटर ऊंचाई पर स्थित है जहां के आकर्षक नजारें और पवित्र मान्यताएं पर्यटकों का वर्ष भर स्वागत करती हैं।

प्रमुख आकर्षणः

मुनस्यारी में ही नंदा देवी मंदिर स्थित है जिसका सौम्य परिवेश, हरे भरे घास के मैदानों के बीच मां के श्वेत भवन और पृष्ठभूमि में धुंध भरे पर्वतों की उपस्थिति तन और मन दोनों को पवित्र करने का काम करती है। खलियां टांटी जहां से पंचचूली के आकर्षक नजारों का दीदार होता है, इसके अलावा मुनस्यारी का हरी भरी हरियाली के जंगलो के बीच मौजूद थामरी कुंड अनोखा आकर्षण पैदा करता है। अन्य प्रमुख आकर्षणों में आप हरे भरे मैदानों के दृश्य के साथ ही जोहार घाटी के विहंगम परिदृश्यों का दीदार भी कर सकते हैं।

मुनस्यारी कैसे पहुंचेः

  • देश के प्रमुख शहरों से पिथौरागढ के लिए बस या कैब सुविधा उपलब्ध होती है, पिथौरागढ से करीब 100 किमी की दूरी वाया लोकल कैब तय कर आप मुनस्यारी पहुंच सकते हैं।
  • निकटतम हवाई अड्डा व रेलवे स्टेशनः पंतनगर हवाई अड्डे से करीब 250 दूरी तय कर आप मुनस्यारी  जा सकते हैं, इसके अलावा करीबी रेलवे स्टेशन काठगोदाम और टनकपुर से लगभग 280 किमी दूरी तय कर आप मुनस्यारी का आनंद पा सकते हैं।

निष्कर्षः

अंत में, उत्तराखंड में कई ऐसे छिपे हुए खजाने हैं जिनके बारें में बहुत कम लोगों को जानकारी है, देवभूमि उत्तराखंड की धरती ईश्वर के दिव्य आशीर्वाद के साथ ही प्रकृति के बेमिसाल पहलू को प्रस्तुत करती है यहां समय बिताना तन और मन को पूरी तरह रिफ्रेश करने जैसा है जिसका रूमानियत और मखमली वातावरण अपने पर्यटकों के लिए हमेशा ही कुछ विशेष कुछ नया प्रदान करता है। प्राकृतिक और सास्ंकृतिक संस्कृति की ऐतिहासिक विरासत के परिचायक उत्तराखंड के ये हिल स्टेशन किसी करिश्मे से कम नहीं, जहां रोचक तथ्यों और भव्य आकर्षणों की कोई कमी नहीं है, तो फिर उत्तराखंड चाहें पहली बार जाएं या बार बार अब से इन हिल स्टेशनों को भी एक्सप्लोर करना न भूलें।

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