जब कभी भी हम हवाई यात्रा करते हैं तो आम तौर पर विमान के भीतर जो चीजें लोगों को प्रभावित करती है वह है विमान के भीतर की साफ सफाई। अगर यह साफ-सफाई नहीं होती तो शायद ही लोग विमान में सफर करने के लिए इतना पैसा खर्च करते। विमान के भीतर की साफ-सफाई हवाई यात्रा के दौरान सुरक्षा के लिहाज से भी जरूरी है। लेकिन, इतने साफ सुथरे विमान को देखने के बाद आपके दिमाग में कभी यह सवाल आया है कि आखिर इन विमानों की साफ सफाई कैसे की जाती है।
चाहे भारत हो या दुनिया का कोई भी हिस्सा हवाई जहाज की यात्रा जितनी प्रीमियम है उतनी महंगी भी, लेकिन अगर विमानों में साफ सफाई ही न हो तो कोई भी चीज प्रीमियम वाली एहसास कभी नहीं दे सकती है। दरअसल, घरेलु तथा अंतरराष्ट्रीय विमानों में साफ सफाई का विशेष ध्यान रखा जाता है। समय-समय पर सफाई कर्मी विमानों में साफ सफाई करते रहते हैं। इतना ही नहीं विमान में किसी भी तरह का कूड़ न फैले इसके इसका भी विशेष ध्यान रखा जाता है। आपने अगर कभी विमान का सफर किया होगा तो देखा होगा कि खाने के पैकेट्स हों या पानी की बोतलें उसे फर्श पर फेंकने की इजाजत नहीं होती है। विमान में मौजूद कर्मी उन कचरों को बटोरने के लिए समय-समय पर आपके सामने बैग्स लेकर आते रहते हैं। विमान के भीतर की सफाई तो समान्य बात है लेकिन दिम्माग में एक सवाल और आता है कि आखिर इतने बड़े-बडे़ विमान कैसे धोए जाते हैं। तो चलिए आज हम आपको बताते हैं कि विमान के भीतर और बाहर की सफाई किस तरीके से की जाती है और इसमें किन तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है।
आपको बतादें कि विमाम के भीतर की सफाई को दो श्रेणियों में बांटा गया है। पहला कम दूरी के विमानों की सफाई और दूसरा लंबी दूरी के विमानों की सफाईः
घरेलु विमानों की सफाईः आमतौर पर ये वो विमान होते हैं जो कम दूरी का सफर तय करते हैं। लेकिन, इनके दिन भर में कई सारी उड़ानें होती हैं। ये विमान जैसे ही अपने गंतव्य पर पहुंचते हैं वैसे ही सफाई कर्मी विमान के भीतर की सफाई में जुट जाते हैं। विमान के भीतर सफाई के लिए वैक्यूम क्लीनर तथा वेलोसिटी क्लीनर का इस्तेमाल किया जाता है। इन विमानों की सफाई 20 से 30 मिनट में पूरा करना होता है। इसी अंतराल में विमान के भी खाना, सुरक्षा और स्वास्थ्य से जुड़ी सामग्री को भी पहुंचाया जाता है। इन विमानों को कम अंतराल के लिए उड़ान भरना पड़ता है। लेकिन, इनके साफ-सफाई को लेकर ज्यादा सजग रहना पड़ता है।
अंतरराष्ट्रीय विमानों की सफाईः अंतराष्ट्रीय विमान लंबी दूरी के विमान होते हैं। आमतौर पर इन विमानों को 24 घंटे में केवल एक ही उड़ान भरना होता है। तो इस तरह के विमानों को साफ करने में ज्यादा समय तो लगता है लेकिन 24 से 36 घंटों में इनकी सफाई भी एक ही बार होती है। साथ ही इन विमानों की साफ सफाई के लिए समय भी ज्यादा मिल जाता है। इन विमानों की सफाई में तीन से चार घंटे तक का समय लग सकता है। यह समय हवाई अड्डे पर मौजूद सफाई कर्मियों की संख्या पर भी निर्भर करती है।
विमान में पहली बार सफर के दौरान कई लोग इस बात की चिंता में रहते हैं कि आखिर टॉयलेट के बाद इसकी सफाई कैसे की जाएगी। लेकिन अगर आप पढ़े लिखे हैं तो टॉयलेट के भीतर दिए गए निर्देशों का पालन कर के आप सफलता पूर्व टॉयलेट का इस्तेमाल कर पाले हैं।
रेलवे में टॉयलेट का इस्तेमाल कर के आप कई बार फ्लश का इस्तेमाल करना भूल सकते हैं। लेकिन, विमानों में आप फ्लश जरूर चलाते हैं ऐसा इसलिए होता है क्योंकि साफ सुथरी जगह को लोग साफ ही रखना चाहते हैं । हालांकि कई लोगों को साफ सुथरी जगह को गंदा करने में ज्यादा मजा आता है। बहरहाल, जब आप फ्लाइट में फ्लश का प्रयोग करते होंगे तो देखा होगा कि यह फ्लश आम फ्लश से ज्यादा आवाज करता है। दरअसल ऐसा इस लिए होता है क्योंकि फ्लाइट में सामान्य फ्लश का प्रयोग नहीं होता। यह एक तरह का वैक्यूम फ्लश होता है जिसमें पानी का इस्तेमाल बहुत कम होता है जबकि वैक्यूम और केमिकल की मदद से विमानों के टॉयलेट को साफ किया जाता है।
लोगों के बीच एक अजीबो गरीब अवधारणा यह है कि हवाई जहाजों के टॉयलेट में जो भी अपशिष्ट जमा होता है उसे हवा में ही छोड़ दिया जाता है। लोगों के बीच यह बात होती है कि जब हवाई जहाज किसी समुद्र या पहाड़ के उपर से पार हो रहा होता है तब हवाई जहाज से अपशिष्ट को नीचे गिरा दिया जाता है। लेकिन, यहांं हम आपको बतादें कि ऐसा बिल्कुल नहीं है। दरअसल, जब भी कोई मुसाफिर हवाई जहाज में टॉयलेट का इस्तेमाल करता है तो ऐसी स्थिति में अपशिष्ट पदार्थ एक पिट में जाकर जमा हो जाता है। जिसमें केमिकल की मात्रा पहले से ही मौजूद होती है। यह केमिकल अपशिष्ट पदार्थ के साथ मिलकर रिएक्ट करता है और अपशिष्ट पदार्थ को सुखा या जमा देता है। इसके बाद जब हवाई जहाज एयरपोर्ट पर पहुंचता है तब एक तरह के विशेष उपकरण की मदद से सफाई कर्मी हवाई जहाज में मौजूद टॉयलेट पिट को साफ करते हैं।
सामान्य तौर पर हवाई जहाज की सफाई के लिए दो तरह के प्रक्रिया को अपनाया जाता है। एक प्रक्रिया यह होता है कि विमान को साबुन और पानी की मदद से धोया जाता है। जबकि दूसरे के तहत एक केमिकल और वैक्यूम के तहत विमानों को ड्राई वॉश किया जाता है। जब विमानों को पानी के मदद से धोया जाता है तब विमान में मौजूद सेंसर एरिया को ढक दिया जाता है। ताकि इसमें कहीं से भी पानी न घूसे और विमान को किसी भी तरह का नुकसाव न हो। इस प्रक्रिया में सबसे पहले तो विशेष उपकरणों के प्रयोग से विमान के बाहरी सतह पर झागदार पदार्थ या साबुन लगाया जाता है। इसके बाद तेज प्रेशर वाले पाइप की मदद से विमानों को धोया जाता है।
हाजारों लीटर पानी हो जाता है खर्चः इस तरह से विमान की सफाई में हजारों लीटर पानी का इस्तेमाल होता है। जिसे पानी की बर्बादी के रूप में भी देखा जाता है। ऐसे में कई सारी विमान कंपनियां मौजूदा समय में ड्राय वाश को प्रमुखता दे रही हैं। इस प्रक्रिया में हवाई जहाज के सतह पर एक विशेष तरह का तरल पदार्थ लगाया जाता है जो गंदगी में नमी लेकर आता है और इसके बाद सफाई कर्मी पोछे की मदद से जहाज को पोछ देते हैं। विदेशी विमान कंपनी का दावा है कि इस तकनीक के इस्तेमाल से सालाना 11.7 मिलियन लीटर तक पानी बचाया जाता है।
कहां की जाती है हवाई जहाज की सफाईः हर विमान कंपनी अपना हब बनाने के लिए अतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों पर कु जगह लीज पर लेत हैं। जहां विमानों का रख रखाओ और सफाई का काम होता है। इन हब्स में जो सुविधाएं होती है वह एयरपोर्ट प्रबंधन के तरफ से दी जाती है। जिसके लिए विमान कंपनियां एयरपोर्ट अथॉरिटी को पैसा देती हैं।
केवल साफ दिखने के लिए नहीं होती है सफाईः आपको बतादें कि हवाई जहाज की साफ सफाई विमानों को केवल चमकाने या दिखावे के लिए नहीं की जाती है बल्कि सुरक्षा के लिहाज से भी लगातार विमानों की साफ सफाई बेहद जरूरी होती है। विमानों की धुलाई भी एक तरह से मेंटेनेंस का प्रोसेस माना जाता है।
हर उड़ान के बाद नहीं होती डीप क्लीनिंगः आपको बतादें कि कई बार विमानों की डीप क्लिनिंग की जाती है। इसके लिए विमान के फर्श से लेकर टॉयलेट की दीवारों को भी चमकाने का काम किया जाता है। साथ ही सीटों की भी ड्राई क्लिनिंग की जाती है। फर्श को साफ करने के लिए पहले तो उसमें पानी के साथ शैम्पू मिला कर रगड़ा जाता है और उसके बाद उसे वैक्यूम क्लीनर से साफ किया जाता है। ठीक यही काम टॉयलेट के साथ भी होता है। लेकिन इस तरह की सफाई हर उड़ान के बाद नहीं होती बल्कि महीने में एक या दो बार ही की जाती है।