• Jun 17, 2025

झीलों के शहर के नाम से मशहूर राजस्थान राज्य का यह शहर शानदार खूबसूरती और पवित्र मंदिरों के लिए विश्व विख्यात पर्यटन स्थान है। यह एक ऐतिहासिक नगर है जो किसी समय मेवाड़ साम्राज्य की राजधानी के रूप में जाना जाता था, जिसके प्र्रमाण और चिन्ह आज भी यहां देखने को मिलते हैं, वैसे तो पूरे राजस्थान राज्य में ही आकर्षक किलों की भरमार हैं लेकिन उदयपुर शहर के ऐतिहासिक किले भव्य और आकर्षक हैं जिनका राजसी लुक और संस्कृति अनोखी झलक प्रस्तुत करती है। आइए उदयपुर के खूबसूरत 10 पर्यटन स्थलों के बारें में विस्तार से चर्चा करते हैं इस ब्लॉग में

1. फतेह सागर झीलः

मेवाड़ के महाराणा फतेह सिंह के नाम पर इस कृत्रिम झील का नाम रखा गया है, जिसका निर्माण 1680 के दशक में करवाया गया था। इस झील की सबसे खूबसूरत बात यह है कि इसके अंदर तीन छोटे छोटे आकर्षक द्वीपों का निर्माण भी किया गया है जैसे बड़ा नेहरू पार्क जो लगभग 1.5 वर्ग मील क्षेत्र के अन्तर्गत आता है, दूसरा द्वीप पानी का विशाल जेट फव्वारा वाला एक सुलभ पार्क है जो लगभग 15 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है और तीसरा द्वीप लगभग 1.2 वर्ग किमी क्षेत्र में बसी उदयपुर सौर वेधशाला है। इन पार्कों तक पहुंचने के लिए मोटरबोट की सुविधा है। शाम के समय फतेह सागर झील का नजारा अनुपम प्रतीत होता है।

  • पताः पिछोला लेक के उत्तर में, उदयपुर रेलवे स्टेशन से लगभग 6 किमी दूरी पर
  • समयः सुबह 8 बजे से शाम 4ः30 बजे तक
  • प्रवेश शुल्कः निःशुल्क है, मोटर बोट किराया लगभग 250 रू और स्पीड बोट किराया लगभग 400 रू प्रति व्यक्ति

2. पिछोला झीलः

पिछोला झील बहुत प्राचीन झील है, इसे 13वीं सदी के आसपास बनवाया गया था, नाम पिछोला पिचोली गांव में होने के कारण पड़ गया। शानदार झील की विशेषता को बढ़ाते इसके चार द्वीपों को घूमना बेहद आकर्षक लगता है। इन द्वीपों पर जग निवास, जग मंदिर, मोहन मंदिर बने हुए हैं और अर्सी विलास के नाम से चौथा द्वीप जाना जाता है जो छोटा महल होने के साथ ही गोला बारूद डिपो भी था। वैसे तो यह झील उदयपुर और आसपास के भागों को पानी की सिंचाई और अन्य आपूर्तियों के लिए बनवाई गई थीं लेकिन यह बहुत ही आकर्षक पर्यटन स्थान के रूप में भी जानी जाती है, यहां से सूर्योदय और सूर्यास्त का मनोरम दृश्य देखने को मेवाड़ के महाराणा भी आते थे। विभिन्न प्रकार के पक्षियों के लिए यह एक अभयारण्य के रूप में भी जानी जाती है, जहां टफ्टेड डक, कूट्स, एग्रेटस और किंगफिशर इत्यादि हैं।

  • पताः रामेश्वर घाट, उदयपुर
  • समयः सुबह 9 बजे से शाम 6 बजे तक
  • प्रवेश शुल्कः निःशुल्क, मोटर बोट और स्पीड बोट का औसत किराया लगभग 200 से 400 रूपये तक है।

3. सहेलियों की बाड़ीः

आकर्षक और लुभावने नाम से जाना जाने वाले इस क्षेत्र का निर्माण महाराणा संग्राम ने करवाया था। दरअसल सहेलियों की बाड़ी 48 जवान सहेलियों का समूह था जिसे उदयपुर की राजकुमारी को उनके दहेज के तौर पर दिया गया था। उन्हीं सहेलियों के समूह के लिए इस उद्यान को बनवाया गया था। मनोरम उद्यान के रूप में प्रसिद्ध यह बाड़ी कई फूलों और तालों से समृद्ध है। संगमरमर के बनी आकर्षक मूर्तियां और फव्वारे जो यहां के सुरम्य वातावरण को और ज्यादा आकर्षक बनाते हैं। राजसी महिलाओं को यहां आना और समय बिताना बेहद पसंद था और आज भी यह बाड़ी पर्यटकों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करती है। 

  • पताः पंचवटी, उदयपुर
  • समयः सुबह 9 बजे से शाम 7 बजे तक
  • प्रवेश शुल्कः भारतीयों के लिए लगभग 20 रूपये और विदेशी आंगुतकों के लिए लगभग 50 रूपये 

4. मानसून पैलेसः

दूर खूबसूरत पहाड़ी पर स्थित यह पैलेस बहुत विहंगम दृश्य प्रस्तुत करता है, जिसकी खूबसूरती उसके नाम में ही झलकती है। ऊंचाई पर स्थित यह महल शहर के लुभावने दृश्यों का संकलन करता है जहां से झीलें, महल और आकर्षक प्रतीत होते हैं। यह महल सज्जनगढ़ पैलेस के नाम से भी प्रसिद्ध है, जिसके बारें में कहा जाता है कि महाराणा सज्जन सिंह ने यह महल अपने पैतृक निवास को देखने के लिए इतनी ऊंचाई पर बनवाया था जो आज उदयपुर के मशहूर पर्यटन स्थल के रूप में जाना जाता है। शाम के समय अरावली पहाड़ियों पर जगमगाता यह महल उदयपुर के पर्यटन विशेषता में चार चांद लगाता है।

  • पताः भ्रामपोल गेट के बाहर डॉ. छगन नाथजी की बाड़ी, उदयपुर
  • समयः सुबह 9 बजे से शाम 6 बजे तक
  • प्रवेश शुल्कः भारतीयों के लिए लगभग 175 रूपये व विदेशियों के लिए 505 रूपये प्रति व्यक्ति

5. सिटी पैलेसः

राज महल के नाम से लोकप्रिय इस आकर्षक महल की भव्यता का अंदाज सिर्फ इस बात से लगा सकते हैं कि यह मेवाड़ राजवंश के कई शासकों द्वारा लगभग 400 वर्षों में बना हुआ महल परिसर है, जिसकी शुरूआत महाराणा उदय सिंह द्वितीय ने की थी। पिछोला झील के पूर्वी तट पर स्थित यह महल अपनी शानदार वास्तुकला के लिये जाना जाता है इसमें राजपूत और राजस्थानी संस्कृतियों का सम्मिश्रण हैं। अरावली पर्वत श्रृंखलाओं पर बने इसी महल से शासन का संचालन होता था जिससे यह शानदार होने के साथ ही ऐतिहासिक भी है।

  • पताः ओल्ड सिटी, पिछोला लेक के पास, उदयपुर
  • समयः सुबह 9 बजे से रात 9 बजे तक
  • प्रवेश शुल्कः औसत 40 रूपये, कैमरा ले जाने के लिए 200 रूपये अतिरिक्त शुल्क

6. लेक पैलेसः

पिछोला झील के चार द्वीपों में से एक द्वीप पर यह लेक पैलेस अवस्थित है जिसे जग निवास पैलेस के नाम से भी जानते हैं। चारों ओर से जलमग्न यह पैलेस देखने में बहुत सुंदर प्रतीत होता है जो अब एक होटल के रूप में काम करता है। सफेद संगमरमर से बना यह पैलेस बहुत प्राचीन है जिसका निर्माण महाराणा जगत सिंह द्वितीय ने 17वीं शताब्दी के आसपास करवाया था, जिसको शाही परिवार के ग्रीष्मऋतु आवास के रूप में बनवाया गया था। यहां कई हिट फिल्मों की शूटिंग भी की जा चुकी है।

  • पताः पिछोला झील, पिछोला, उदयपुर
  • समयः सुबह 9 बजे से शाम 6 बजे तक
  • प्रवेश शुल्कः निःशुल्क, मोटर बोट का औसत शुल्क 600 रूपये प्रति व्यक्ति है।

7. आहड़ स्मारकः

यहां मेवाड़ साम्राज्य के लगभग 400 वर्ष पूर्व बने 250 से अधिक ऊंचे गुबंद के आकार के मंडप हैं , जो विभिन्न महाराणाओं की लगभग 19 समाधि हैं जिनका यहीं अंतिम संस्कार किया गया है। इस स्थान को सती का महान स्थान के रूप में भी जाना जाता है वजह महाराणाओें के साथ उनकी रानियां भी अपने प्राण न्यौछावर कर देती थी। उनको प्रतिविबिंत करने के उद्देश्य से यहां उनके पुतले प्रदर्शित किए जाते हैं। यह समाधियां एक विशाल परिसर में अवस्थित है जो एक दूसरे के बगल में एक श्रृंखला का निर्माण करती हुई स्थित हैं। यह चार स्तंभों वाली एक छोटी छतरी से लेकर महल तक हैं जिसमें प्रमुख समाधि महाराणा अमर सिंह और संग्राम सिंह द्वितीय की है।

  • पताः मुख्य सड़क, अयाड, गणपति नगर, उदयपुर
  • समयः सुबह 9ः45 मिनट से शाम 5ः15 मिनट तक
  • प्रवेश शुल्कः औसत 10 रूपये

8. श्री नाथजी मंदिरः

यह मंदिर कृष्ण प्रेमियों के लिए स्वर्ग के समान है, इस मंदिर का इतिहास बेहद रोचक है। वृंदावन की यह प्रतिमा दिव्य स्वरूप स्वयंभू है जिसके बारें में कहा जाता है कि जब मंदिरों को नुकसान पहुंचाया जा रहा था उस समय यह प्रतिमा छुपते छिपाते यहां लाई गई, जिसका मेवाड़ के महाराणा ने खुले दिल से अभिनंदन और धन्यवाद दिया। भगवान श्रीनाथ जी की प्रतिमा यहां श्रीकृष्ण के गोवर्धन पर्वत उठाने वाली लीलास्वरूप हैं जो स्वतः ही गोवर्धन पर्वत के पास शिला से प्रकट हुई थी, इसलिए भगवान श्री नाथ को यहां एक बच्चे की तरह पूजा जाता है, दिन भर में 8 बार उनकी पोशाक बदली जाती है। भोग में 56 प्रकार के प्रसाद बनाए जाते हैं और इनके चमत्कारों की लंबी श्रृंखला इनके भक्तों द्वारा सुनने में आती है।

  • पताः नाथद्वारा, उदयपुर
  • समयः सुबह 5 बजे से दोपहर 12ः30 बजे तक, दोपहर 3 बजे से रात 8ः30 बजे तक
  • प्रवेश शुल्कः निःशुल्क

9. बागोर की हवेलीः

बागोर की हवेली में सौ से ज्यादा कमरों का संकलन हैं जिनमे कला संस्कृति और अनूठेपन का समावेश देखने को मिलता है। भीतरी भाग में लगे शीशे और दर्पण बताते हैं कि रानियों, राजकुमारियों के लिए यह सजने संवरने का भी अनोखा स्थान था। रंगीन कांचों से बनी पेंटिग की सजावट हवेली का मुख्य आकर्षण हैं। यहां महिला विशेष स्नानघर, निजी कमरे, लिविंग रूम, पूजा रूम और मनोरंजन कमरों को भी देख सकते हैं। राजपूत काल के यहां अद्भुत प्रतीक चिन्ह, बक्से, हाथ के पंखे और भी अन्य वस्तुएं यहां देख सकते हैं।

  • पताः ओल्ड सिटी, पिछोला, उदयपुर
  • समयः सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक
  • प्रवेश शुल्कः भारतीयों के लिए औसत 45 रूपये और विदेशियों के लिए औसत 75 रूपये, कैमरे के लिए अतिरिक्त शुल्क लगभग 50 रूपये

10. जगदीश मंदिरः

जगदीश मंदिर शाही महल के पास सबसे बड़ा और प्राचीन मंदिर है जो सन् 1651 से लगातार पूजा जा रहा है। ऊंचे चबूतरे पर अवस्थित यह मंदिर जगन्नाथ राय का है जिन्हें अब जगदीश नाम से जाना जाता है जो भगवान विष्णु को समर्पित एक प्रमुख स्मारक भी है। यहां गरूड़, जो भगवान विष्णु का विशेष वाहन है उसकी आकर्षक पीतल की प्रतिमा है जो देखने में बहुत भव्य प्रतीत होती है। यह मंदिर मारू गुर्जर शैली का अनुपम उदाहरण है यहां सुंंदर अलंकृत की गईं नक्काशियों की सजावट देखने को मिलती है।

  • पताः सिलवटवरी, सिटी पैलेस रोड, उदयपुर
  • समयः सुबह 5 बजे से दोपहर 2ः30 मिनट तक, शाम 4 बजे से रात 10ः30 मिनट तक
  • प्रवेश शुल्कः निःशुल्क
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