• Jun 12, 2025

आध्यात्मिकता की पराकाष्ठा का सजीव दर्शन कराता भारत कई मंदिर प्रतिष्ठानों और धार्मिक स्थलों का देश है, जहां एक से बढ़कर एक रोचक तथ्य और मान्यताएं छिपी हुई है। ऐसा ही करिश्माई हिंदू तीर्थस्थल अमरनाथ जम्मू कश्मीर के अनंतनाग जिले के पहलगाम क्षेत्र के पास हर साल अपने अद्वितीय दर्शनों से भक्तों को अभिभूत करता है। श्रद्धा, भक्ति और प्रेम की निष्ठा से परिपूर्ण श्रद्धालु हर वर्ष अपने आराध्य के दर्शनों के लिए लालयित रहते हैं। अपने इस आर्टिकल में अमरनाथ से जुड़ी हर एक जानकारी और जरूरी बातें आपसे साझा करते हैं, उम्मीद है यह ब्लॉग आपकी अमरनाथ यात्रा में सहायक हो।

अमरनाथ गुफा से जुड़े पौराणिक रहस्य

अमरनाथ गुफा के बारें में एक रोचक कथा प्रचलित है, कहते हैं कि माता पार्वती ने एक बार भगवान शिव से अमरता के रहस्य को जानने की इच्छा प्रकट की। देवी पार्वती की इस अधीर इच्छा के प्रति इतनी उत्सुकता देखकर भोलेनाथ बाबा उन्हें इस गुफा में ले आए और उनसे कहा कि जब तक मैं अमरता का रहस्य बतलाऊं उसे ध्यान से सुनना और बीच बीच में हुंकार हुं हुं करती रहना। माता ने सहमति जताई और बाबा ने कथा कहना शुरू किया लेकिन थोड़ी देर में माता को नींद आ गई और वहां छिपे हुए एक सफेद कबूतर ने हुंकार देना आरम्भ कर दिया। कथा संपूर्ण होने पर भगवान शिव ने ध्यान दिया कि देवी पार्वती तो सोई हुईं हैं फिर इस गुप्त रहस्य को आखिर किसने सुना और वह क्रोधित होकर गर्जना करने लगे। तब वह सफेद कबूतरों का जोड़ा उनके सामने उपस्थित हुआ और क्षमा मांगते हुए इस संपूर्ण लीला के पीछे भगवान शिव की ही सहमति की बात कही। तब से भगवान शिव इस गुफा में अपने आप एक विशेष समय सीमा में बर्फ के विशाल स्वयंभू शिवलिंग के रूप में प्रकट होते हैं, जिसे हिमानी शिवलिंग भी कहते हैं और वह सफेद कबूतर जोड़े आज भी अमर हैं, जिनके दर्शन गुफाओं में होते हैं। गुफा में अन्य बर्फ के चिन्ह माता पार्वती भगवान गणेश और भैरव के प्रतीक के रूप में जाने जाते हैं।

अमरनाथ गुफा की खोज एवं इतिहास

अमरनाथ गुफा लिद्दर घाटी में अवस्थित है जिसकी खोज के बारें में कई अनुश्रुतियां सुनने को मिलती हैं, कल्हण की राजतंरगिणी और नीलमत पुराण में साथ ही पुरातत्व विभाग लगभग 3900 मीटर ऊंचाई पर उपस्थित इस गुफा को 5 हजार वर्ष प्राचीन मानता है। किंवदंती है कि ऋषि भृगु को हिमालय यात्रा के दौरान श्रावण पूर्णिमा की तिथि पर इस हिमानी शिवलिंग के सबसे पहले दर्शन प्राप्त हुए थे, तब से इस तिथि पर दर्शन करने का अति महत्व है। यह यात्रा श्रावण माह से आरंभ होकर रक्षाबंधन पर्व तक चलती है। साल 2025 में यह यात्रा 3 जुलाई से आरंभ होकर 9 अगस्त तक चलने वाली है जिसके लिए सुरक्षा के कड़े इंतजामों की व्यवस्था की जा रही है।

अमरनाथ यात्रा के दौरान मिलने वाले स्थानों को लेकर भगवान शिव से जुड़े रोचक तथ्यों के साथ बताया जाता है जो इस प्रकार है

अनंतनागः यहां भगवान शिव ने छोटे छोटे कई नागों को छोड़ा, इसलिए इसे अनंतनाग नाम से जानते हैं।
चंदनवाड़ीः कहते हैं इस जगह भगवान शिव ने अपने मस्तक के चंदन को छोड़ा, इस कारण इस जगह को चंदनवाड़ी कहते हैं।
पिस्सू घाटीः यहां अपने से लिपटे कई छोटे बड़े पिस्सू कीटों को छोड़ दिया इस वजह से इसे पिस्सू घाटी कहते हैं।
शेषनागः इस जगह भगवान शिव ने अपने गले के शेषनाग को भी छोड़ दिया और यह स्थान शेषनाग नाम से विख्यात हुई।

अमरनाथ यात्रा का रोडमैपः

हिंदू धर्म का वैभव अमरनाथ यात्रा बहुत परम पावन भक्तिमय यात्रा है जिसके बारें में कहा जाता है कि भगवान भोलेनाथ के साक्षात् दर्शन कराते इस स्थान पर आने वाला प्रत्येक प्राणी खुशनसीब है जिसे अपने दर्शनों के लिए स्वयं भगवान शिव ने चुना है। इनके दर्शन करने से भक्त जन्ममरण के बंधन से मुक्त हो जाता है। आइए जानते हैं इस परम पुनीत यात्रा का रोडमैपः

  • अमरनाथ यात्रा पर जाने के दो रास्ते एक पहलगाम होकर और दूसरा सोनमर्ग के समीप बालटाल से है।
  • सबसे पहले आपको अपनी सुविधानुसार पहलगाम या बालटाल तक पहुंचना है।
  • जम्मू कश्मीर के श्रीनगर से पहलगाम या बालटाल तक पहुचने के लिए आप हवाई अड्डे, रेलवे स्टेशन या बस स्टैंड की मदद ले सकते हैं।
  • श्रीनगर से पहलगामः इन दोनों शहर के बीच की लगभग दूरी 88 किमी है। पहलगाम से एनएच 1ए और के.पी. रोड के माध्यम से आपको लगभग 2.5 घंटे लग सकते हैं।
  • श्रीनगर से बालटालः राष्ट्रीय राजमार्ग 1 के माध्यम से लगभग 96 किमी दूरी को तय करने में आपको लगभग 3.5 घंटे का समय लग सकता है।
  • इसके आगे की यात्रा आपको अपने चलकर या किसी विशेष परिस्थिति में खच्चर, पालकी आदि की सवारी से कर सकते हैं।

बालटाल से अमरनाथ यात्राः

जम्मू से उधमपुर जाने के रास्ते में बालटाल के लिए, जम्मू से आसानी से बसें मिल जाएंगी। बालटाल कैंप से श्रद्धालु एक दिन में ही अमरनाथ गुफा की यात्रा कर वापस बालटाल कैंप लौट सकते हैं। बालटाल से अमरनाथ गुफा की दूरी अति दुर्गम रास्तों से होकर 14 किलोमीटर है और सुरक्षा की दृष्टि से अति संवेदनशील भी है। जिसका क्रम इस प्रकार से है- बालटाल-डोमेल-बरारी मार्ग-संगम-अमरनाथ गुफा।

पहलगाम से अमरनाथः सुरक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण यह यात्रा पैदल रास्तों से इस प्रकार गुजरती है।
पहलगाम-चंदनवारी-पिस्सू टॉप-शेषनाग-पंचतरणी-अमरनाथ गुफा।

  • पहलगाम प्राकृतिक सुंदरता लिए प्रसिद्ध पर्यटन स्थल भी है और जम्मू से इसकी दूरी लगभग 315 किमी है। पहले दिन यात्रा की शुरूआत करते हुए यहां से पैदल मार्ग तय कर सबसे पहले चंदनवाड़ी पहुंचना है, जो पहलगाम से लगभग 8 किमी की दूरी पर है। यहां रात में ठहरने के लिए कैंप लगाए जाते हैं और पहले दिन की यात्रा यही समाप्त होती है।
  • चंदनवाड़ी से पिस्सू घाटीः दूसरे दिन चंदनवाड़ी से पिस्सू घाटी की चढ़ाई करनी होती है, जो काफी परेशानी वाली घाटी है। कहते हैं पिस्सू घाटी पर देवताओं और राक्षसों के बीच भयंकर युद्ध हुआ था, जिसमें देवताओं की विजय हुई थी।
  • पिस्सू घाटी से शेषनागः यह यात्रा इसी दिन संपन्न हो सकती है, शेषनाग की चंदनवाड़ी से 14 किमी की दूरी है, यह रास्ता खड़ी चढ़ाई वाला दुर्गम रास्ता है। शेषनाग में पाई जाने वाली नीली झील देखने में इतनी विलक्षण प्रतीत होती है यह प्रकृति के आश्चर्य से कम नहीं लगती है। मान्यता हैं इस शेषनाग झील में हर दिन किसी भी वक्त शेषनाग भगवान स्वयं दर्शन देते हैं जिसका सौभाग्य किसी किस्मतवाले को ही मिल पाता है। इसी के साथ दूसरे दिन की यात्रा की समाप्ति होती है।
  • शेषनाग से पंचतरणीः तीसरे दिन की यात्रा शुरू करते हुए तीर्थयात्री बैववैल टॉप और महागुणास दर्रे को पार करते हैं। महागुणास चोटी से पंचतरणी का रास्ता ढलान लिए हुए है, यहां बहने वाली छोटी छोटी पांच नदियों के कारण इस स्थान का नाम पंचतरणी पड़ा। चारों ओर से पहाड़ों की ऊंची चोटियों से ढके होने के कारण यहां ठंड के साथ साथ ऑक्सीजन की मात्रा में भी कमी पाई जाती है इसलिए सेहत के प्रति सतर्क रहें।
  • पंचतरणी से अमरनाथ यात्राः आप चाहें तो तीसरे दिन ही अमरनाथ गुफा जो पंचतरणी से लगभग 8 किमी दूर रह जाती है, उसके पास पहुंचकर डेरा डाल सकते हैं। और उसके अगले दिन दर्शन पूजा अर्चना संपन्न कर पंचतरणी लौटते हुए उर्पयुक्त क्रम से वापसी कर सकते हैं।

अमरनाथ यात्रा की तैयारी जितनी सरकारी रूप से महत्वपूर्ण है उतनी व्यक्तिगत रूप से भी। अपनी फिटनेस को पहली प्राथमिकता देते हुए यात्रा की तैयारी प्रक्रिया को आगे बढ़ाना है।

कैसे करें अमरनाथ यात्रा 2025 का पंजीकरणः

अमरनाथ यात्रा 2025 का पंजीकरण ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों ही मोड में संपन्न किया जा सकता है। ऑनलाइन मोड के लिए श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड की आधिकारिक वेबसाइट jksasb.nic.in पर जाकर प्रक्रिया पूरी करनी होगी और ऑफलाइन मोड के लिए चयनित बैंकों जैसे एसबीआई, पीएनबी, जम्मू एंड कश्मीर बैंक, येस बैंक की लगभग 562 शाखों में जाना होगा और प्रक्रिया पूरी करनी होगी। इसके लिए आपको जरूरी दस्तावेजों और कुछ मेडिकल प्रमाणपत्रों की भी आवश्यकता होती है।

जरूरी दस्तावेजी की सूचीः

  • पासपोर्ट साइज फोटो
  • भारत सरकार द्वारा जारी कोई एक पहचान प्रमाण पत्र जैसे आधार कार्ड, पासपोर्ट, वोटर आईडी कार्ड या ड्राइविंग लाइसेंस में से कोई भी एक।
  • मेडिकल दस्तावेज में आपके पास हेल्थ सर्टिफिकेट होना आवश्यक है। स्वास्थ्य प्रमाणपत्र के बिना यात्रा करना अनुमन्य नहीं है।

ऑनलाइन मोडः

  • आधिकारिक वेबसाइट jksasb.nic.in पर जाएं
  • वेबसाइट पर अमरनाथ यात्रा रजिस्टर लिंक या इसी तरह का जो भी विकल्प मौजूद हो, क्लिक करें।
  • यात्रा रजिस्ट्रेशन फॉर्म में यात्रा मार्ग, तारीख, यात्री की जानकारी और मेडिकल संबंधित डिटेल पूर्ण रूप से भरें।
  • पासपोर्ट साइज फोटो के साथ बताई जरूरी दस्तावेजों की सूची अपलोड करें।
  • नियत पंजीकरण भुगतान करें
  • पंजीकरण फॉर्म डाउनलोड कर उसकी हार्डकॉपी निकाल कर अपने पास रखें।

ऑफलाइन मोडः

  • उर्पयुक्त बताई गई किसी बैंक शाखा में जाएं
  • यात्रा के लिए पंजीकरण फॉर्म प्राप्त करें
  • फॉर्म में जरूरी जानकारी भरें
  • फॉर्म के साथ बताए गए आवश्यक दस्तावेजों की हार्ड कॉपी जमा करें
  • नियत पंजीकरण राशि का भुगतान करें।
  • फॉर्म जमा करें और उसकी रसीद अवश्य प्राप्त करें।

अमरनाथ यात्रा 2025 से संबंधित महत्वपूर्ण तिथियांः

  • ऑनलाइन और ऑफलाइन पंजीकरण आरंभ तिथिः 14 अप्रैल 2025
  • अमरनाथ यात्रा आरम्भिक तिथिः 3 जुलाई 2025
  • अमरनाथ गुफा में दर्शन अवधिः लगभग 37 दिन
  • अमरनाथा यात्रा समाप्ति तिथिः 9 अगस्त 2025

अमरनाथ यात्रा पर जाते समय सावधानी बरतने वाली महत्वपूर्ण बातेंः

  • यात्रा के समय मौसम की स्थिति पर विशेष ध्यान दें और मौसम पूर्वानुमान जानकारी के साथ खुद को अपडेट जरूर रखें।
  • पंजीकरण प्रक्रिया शीघ्रता से पूर्ण करें क्योंकि सीटों की संख्या नियत रहती है।
  • अपनी स्वास्थ्य जांच कर प्रमाण पत्र अवश्य प्राप्त करें।
  • एक फोन नंबर से सिर्फ चार लोगों का ही रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं।
  • गर्भवती महिलाएं यात्रा नहीं कर सकती हैं
  • 13 वर्ष से कम आयु के व 70 वर्ष से ज्यादा आयु वर्ग के लोगों की यात्रा की मनाही है।
  • अमरनाथ यात्रा एक सुरक्षा की दृष्टि से भी अतिसंवेदनशील यात्रा है इसलिए किसी भी संदिग्ध परिस्थिति के होने पर तुरंत वहा आर्मी कैंप के जवानों से संपर्क करें।

अमरनाथ यात्रा संबंधित जरूरी वस्तुएंः

  • बारिश की अनिश्चितता के चलते प्लास्टिक या रबर के बने जूतों को प्राथमिकता दें।
  • प्राथमिक चिकित्सा बॉक्स और जरूरी दवाई के साथ डॉक्टरी परामर्श पर्चा अवश्य साथ रखें
  • वहां के मौसम अनुसार गर्म कपड़े साथ रखें
  • यदि बैटरी वाली टॉर्च है तो उसे पूर्णतया चार्ज रखें।
  • यात्रा के दौरान अन्य मोबाइल कंपनियों के सिम की अपेक्षा बीएसएनएल कंपनी के पोस्टपेड सिम सुचारू रूप से काम करते हैं, यह बात ध्यान में रखते हुए यात्रा की तैयारी करें।

अमरनाथ यात्रा पर भोजन की उपलब्धताः

अमरनाथ यात्रा पैदल रास्ते के दौरान जगह जगह भंडारा आदि भोजन की निःशुल्क व्यवस्था रहती है। जहां भोजन में रोटी, दूध, बिस्किट, दाल, चावल, मिठाई, चाय, ब्रेड जैसे साधारण व्यंजन आप खा सकते हैं, साथ ही रहने के कैंप और रोजमर्रा के स्वाभाविक जरूरतों का इस्तेमाल फ्री में कर सकते हैं।

निष्कर्षः

अमरनाथ यात्रा, एक धार्मिक तीर्थयात्रा है, जहां के दुर्गम रास्तों और कठिनाईयों को पार करते हुए भक्त भोलेनाथ के हिम स्वरूप को देखने जाते हैं, जहां विशाल हिमखण्ड से बना उनका शिवलिंग अद्भुत अकल्पनीय और साक्षात् चमत्कार का प्रमाण हैं। ऊंचे पहाड़ों, नदियों, झीलों और गहरी खाईयों के बीच प्रकृति की शानदार खूबसूरती के साथ आध्यात्मिकता का बोध कराता तन और मन दोनों को पवित्र करता है।

अमरनाथ यात्रा संबंधित पूछे जाने वाले अक्सर 05 प्रश्नोत्तरः

प्रश्न1ः अमरनाथ यात्रा 2025 कब से शुरू हो रही है?
उत्तर1ः अमरनाथ यात्रा 2025, 3 जुलाई, गुरूवार से शुरू हो रही है। 

प्रश्न2ः अमरनाथ यात्रा 2025 समाप्ति तिथि क्या है?
उत्तर2ः 9 अगस्त 2025 अमरनाथ यात्रा की समाप्ति तिथि है।

प्रश्न3ः क्या अमरनाथ धाम की द्वादश ज्योतिर्लिंगों में होती है?
उत्तर3ः नहीं, अमरनाथ धाम की गिनती द्वादश ज्योतिर्लिंगों में नहीं होती, अतुलनीय अमरनाथ धाम भक्तों के लिए विशेष पावन तीर्थ है।

प्रश्न4ः अमरनाथ धाम किस भगवान को समर्पित है?
उत्तर4ः भगवान शिव को समर्पित अमरनाथ धाम उनके आशीर्वाद से अभिभूत स्थान है।

प्रश्न5ः क्या अमरनाथ यात्रा कभी भी कर सकते हैं?
उत्तर5ः नहीं, यह यात्रा श्रावण मास की स्कंद षष्ठी तिथि से आरंभ होती है और श्रावण पूर्णिमा रक्षाबंधन तक चलती है।

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