भारत की राजधानी नई दिल्ली यूं तो भारत के सभी शहरों से अच्छी तरह कनेक्टड है, लेकिन पहाड़ी क्षेत्रों से इसकी कम दूरी ज्यादा लोकप्रिय बनाती है। बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन या नई दिल्ली एयरपोर्ट, हर रोज कई सौ हजारों यात्री यहां से दूसरे शहरों को आते जाते रहते हैं जो कभी अपने गंतव्य, किसी मीटिंग, पारिवारिक कार्यक्रमों में शामिल होने या सिर्फ पर्यटन के उद्देश्य से ही यात्रा करते हैं। पर्यटन करते समय बहुत सारे तथ्यों में सबसे ज्यादा मायने रखता है, मौसम का मिजाज़ कैसा है? चिलचिलाती गर्मी के बाद आने वाला रेनी सीजन पर्यटन के लिए अलग ही अनुभव प्रदान करता है, इसी अनुभव का एहसास करने के लिए जानते हैं नई दिल्ली के नजदीक मौजूद 10 आकर्षक हिल स्टेशनों के बारें में क्योंकि सुहाने मौसम में पर्यटन का मज़ा दोगुना हो जाता है।
देहरादून शहर के नजदीक अवस्थित मंसूरी अपनी खूबसूरत वादियों, नजारों, परिदृश्यों और ठंडक भरे वातावरण के लिए मशहूर है जो पर्यटकों की एक बहुत बड़ी संख्या को अपनी ओर आकर्षित करता है, ‘‘पहाड़ों की रानी’’ नाम से जाने जाते इस जगह हर साल लाखों सैलानी मौसम का आनंद लेने के लिए आना पंसद करते हैं। मंसूरी शब्द यहां पाई जाने वाली मंसूर झाड़ी के कारण बना है। शिवालिक पर्वतमालाओं की श्रेणियां और दून घाटियों के मनोहर चित्र सुकून का एहसास कराते हैं। हिमालय की गढवाल रेंज तलहटी में मौजूद यह हिल स्टेशन मानसूनी मौसम में अद्भुत परिदृश्यों का निर्माण करते हुए स्वच्छ नीले आकाश में इन्द्रधनुषीय रंगों की सजावट बेहद खूबसूरत लगती है। यहां से आप गंगोत्री और यमुनोत्री तीर्थों के लिए भी यात्रा कर सकते हैं। भरपूर हरियाली, फ्लोरा और फौना से सुशोभित यहां के घने वन, साथ ही यहां बनने वाली विंटरलाइन जो एक प्राकृतिक भ्रम प्रतीत होता है, दर्शकों को बहुत ज्यादा लुभाता है।
हिमाचल प्रदेश की राजधानी के रूप में जानी जाने वाली शिमला फेमस टूरिस्ट प्लेस है, जो सदियों से आकर्षण का केंद्र रहा है। शिमला का औपनिवेशिक महत्व और लोकप्रियता इसके इतिहास और यहां आने वाले पर्यटकों के हुजूम से साफ पता चलता है। बर्फ से ढके पहाड़ों की खूबसूरती के बीच चीड़, देवदार, याक के घने वृक्षों की श्रृंखला, हरे भरे घास के मैदानों की विस्तृतता इसकी उत्कृष्टता का प्रमाण देते हैं। यहां ब्रिटिश औपनिवेशिक काल की बनी कई इमारतें आज भी इसकी महत्ता को बताती हैं, कालका शिमला रेलवे लाइन जिसे यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल का दर्जा प्राप्त है, फेमस पर्यटन आकर्षण हैं जिससे मानसूनी दिनों में घूमना मन को अति लुभाता है। मानसूनी मौसम के दिन नमी लिए और रातें सुहानी होती हैं।
उत्तराखंड का प्रमुख गढवाली रेंजीमेंट को समर्पित एक हिल स्टेशन जहां भारत के गौरवपूर्ण इतिहास के साथ प्रकृति की सौंदर्यता का अनुभव लिया जा सकता है, यहां उपस्थित संग्रहालयों और स्मारकों इस बात की प्रामाणिक पुष्टि करते हैं। पहाड़ो की बारिश और मानसूनी मौसम की झलक जब गीली सड़कों से इस धरा की चमक के साथ घने जंगलों की हरियाली और ज्यादा बढ जाती है और मिट्टी के सौंधेपन की ऐसी खुशबू जो पर्यटकों को प्रकृति का दीवाना बना दे। हल्की धुंध भरे और नमी लिए वातावरण का आकर्षण मानसूनी मौसम के खुशनुमा माहौल में पर्यटन आनंद को कई गुना बढा देता है।
दिल्ली के नजदीक हिल स्टेशनों में नैनीताल सर्वप्रमुख स्टेशनों में से एक है जहां पर्यटन चरम पर रहता है। तालों की खूबसूरती और पहाड़ियों के बीच उनकी उपस्थिति लोगों का ध्यान सबसे ज्यादा आकर्षित करती हैं। मानसूनी समय में झीलों और यहां मौजूद झरनों की आकर्षकता कई गुना लुभाती है, कुमाऊं रीजन में अवस्थित नैनीताल नैनी झील के कारण इस नाम से जाना जाता है जो कई और प्रमुख झील, ऐतिहासिक मंदिरों, जलप्रपातों और दर्शनीय पहाड़ियों के लिए पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। यह ऐसा हिल स्टेशन है जहां वर्ष भर पर्यटकों की भीड़ देखने को मिलती है, झील के अंदर शानदार दृश्यों का लुत्फ लेते हुए नौकायन का आनंद लेना टूरिस्ट्स को सबसे ज्यादा अच्छा लगता है, यहां से वह इन यादों को रील, वीडियो और फोटोशूट के माध्यम से अपनी सबसे अच्छी यादों का संकलन कर खूबसूरत एल्बम का निर्माण करते हैं।
दिल्ली से नैनीताल की दूरी लगभग 325 किमी है जिसे एनएच 9 सड़क मार्ग के माध्यम से तय करने पर लगभग 7-8 घंटो का समय लग सकता है। निकटतम रेलवे स्टेशन काठगोदाम है जिसकी नैनीताल से दूरी लगभग 34 किमी है, सार्वजनिक वाहन या पर्सनल कैब बुक कर पहुंच सकते हैं। हवाई यात्रा करने हेतु आपको निकटतम एयरपोर्ट पंतनगर पहुंचना होगा जो नैनीताल से लगभग 65 किमी की दूरी पर अवस्थित है।
नैनी लेक, नैना देवी मंदिर, टिफिन टॉप, स्नो व्यू पॉइंट, इको केव गार्डन, मॉल रोड, नैनीताल चिड़ियाघर, रोपवे, हनुमानगढी, वुडलैंड वाटरफॉल का आनंद लेते हुए अन्य कई प्रमुख जगहों का सुहाना अनुभव ले सकते हैं।
एक छोटा सा हिल स्टेशन जो हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले में अवस्थित है, जो एक शहर होने के साथ ही छावनी के रूप में भी जाना जाता है। ब्रिटिश शासनकाल में यह जगह औपनिवेशिक हिल की तरह स्थापित की गई थी जो आज प्रसिद्ध पर्यटन स्थल के रूप में पर्यटकों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करता है। कसौली की ढलान लिए ऊपर नीचे जाती हुई पहाड़ियों की संकरी सड़कें और खूबसूरत नजारों का शानदार संगम प्रस्तुत करते हैं। कसौली पर्वतीय स्टेशन से पंजाब और हरियाला के विस्तृत भू भाग की भूमि दिन के समय सूरज की रोशनी और रात के समय कृत्रिम उजाले से प्रकाशित होती हुई, सुंदर लगती हैं। कसौली स्थित चूड़धार की चोटी जो लगभग 3647 मीटर पर अवस्थित है, चीड़, ओक और देवदार के वृक्षों को सम्मिश्रित करती हुई शानदार नजारों के संग्रह का चित्रण प्रस्तुत करती हैं।
दिल्ली से कसौली लगभग 285 किमी है, जिसे बस के माध्यम से तय करने में लगभग 6 घंटों का समय लग सकता है, दिल्ली के आईएसबीटी से कसौली के लिए बसों का सीधा संचालन होता है। कैब या कार द्वारा इसे एनएच 44 और एनएच 5 के माध्यम से तय कर कसौली पहुंचा जा सकता है। ट्रेन के माध्यम से इच्छुक यात्री कसौली के निकटतम प्रमुख रेलवे स्टेशन कालका है, जो कसौली से लगभग 25 किमी दूर है, आप यहां से टैक्सी या सार्वजनिक माध्यम से कसौली पहुंच सकते हैं, आप चाहें तो चंडीगढ हवाई अड्डे से जो लगभग 70 किमी की दूरी पर है, जहां से आप कसौली पहुंच सकते हैं।
मंकी प्वाइंट, सनसेट पॉइंट, क्रिस्ट चर्च, गिलबर्ट ट्रेल, कसौली ब्रेवरी स्मारक को देखने के साथ ही अन्य पर्यटन स्थानों का आनंद ले सकते हैं।
हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले के अर्न्तगत आने वाला एक खूबसूरत हिल स्टेशन है जो ब्यास नदी के तट पर स्थित, पौराणिक रूप से पवित्र शहरों में गिना जाता है जिसे देवताओं की घाटी भी कहते हैं। मानसूनी सीजन में यहां अच्छी खासी या कभी कभी धीमी बारिश होती है, जो माहौल नया सा कर देती है, अगर आप प्रकृति को करीब से देखना चाहते हैं तो मनाली का आनंद ले सकते हैं, जहां चीड़ देवदार और ओक के वृक्ष की हरियाली और बढ जाती है।
दिल्ली से भुंतर एयरपोर्ट पहुंचकर लगभग 50 किमी तय कर आप मनाली पहुंच सकते हैं। आप चाहें तो रेल माध्यम से चंडीगढ रेलवे स्टेशन से बस या टैक्सी की मदद से भी मनाली जा सकते हैं। दिल्ली से मनाली की दूरी सड़क माध्यम से लगभग 540 किमी है।
हिडिम्बा देवी मंदिर, मनु मंदिर, पुराना मनाली, नेहरू कुंड, सोलंग व रोहतांग घाटियों और नदियों के अद्भुत नजारें, जोगिनी झीलों का आकर्षण और ऊंची चोटियों के परिदृश्य और यहां उपस्थित प्रमुख दर्रों की सैर कर सकते हैं।
भारत की योग नगरी या योग राजधानी के नाम से पहचान रखता धार्मिक शहर ऋषिकेश, बरसाती मौसम में पर्यटकों का ध्यान अपनी ओर विशेष रूप से आकर्षित करता है, हरियाली भरे परिदृश्यों की शानदार श्रृंखला, ऊबड़ खाबड़ रास्तों से चलकर प्रकृति का आनंद लेना, अगर आप दिल्ली शहर की शोरगुल जिंदगी से थोड़ा ब्रेक लेना चाहते हैं तो वीकेंड वगैरह पर ऋषिकेश जाना एक बेहतर विकल्प हो सकता है, इसे ऋषि मुनियों की धरती के नाम से भी पुकारा जाता है, अक्सर यहां दर्शनार्थी ध्यान योग साधना करते हुए दिख जाते हैं तो मां गंगा के तट पर निहित आध्यात्मिकता को महसूस करने के उद्देश्य से यहां आते हैं, बारिश कभी पूरे प्रभाव से होती है, कभी मध्धम असर बिखेरती हुई प्रतीत होती है। ऋषिकेश में इस दौरान हिंदू त्योहारी सीजन भी होने के कारण पर्यटकों की अच्छी संख्या देखने को मिलती है। प्रकृति की छांव में गंगा नदी के तट और ऊंचे पहाड़ों की उपलब्धता, यहां आने के लिए भला किसका मन नहीं होगा? ऋषिकेश, प्रसिद्ध शहर हरिद्वार से बहुत नजदीकी दूरी पर ही स्थित धार्मिक शहर है।
दिल्ली से ऋषिकेश पहुंचने के लिए आप रेल द्वारा सीधे ऋषिकेश रेलवे स्टेशन पहुंच सकते हैं या फिर हवाई मार्ग द्वारा जॉली ग्रांट एयरपोर्ट, देहरादून से कैब या सार्वजनिक वाहन के माध्यम से ऋषिकेश जा सकते हैं। सड़क माध्यम से यहां की दूरी लगभग 245 किमी है जिसे आप एनएच 334 के माध्यम से तय कर सकते हैं।
व्हाइट वाटर में राफि्ंटग, बंगी जंपिग का आनंद लेते हुए अन्य तीर्थ स्थलों को देख सकते हैं जैसे रामझूला, परमार्थ निकेतन आश्रम, लक्ष्मण झूला, त्रिवेणी घाट, बीटल्स आश्रम, नीलकंठ महादेव मंदिर, तेरह मंजिल मंदिर, वशिष्ठ गुफा मंदिर.
उत्तराखंड राज्य का एक फेमस हिल स्टेशन जो लंढौर, मसूरी के साथ अन्य हिल स्टेशन के भी नजदीक और गढवाल तहसील की तलहटी में अवस्थित है, लेकिन धनौल्टी में पर्यटकों की सीमित संख्या के कारण यहां प्रकृति के आशीर्वाद के साथ शांति भरे वातावरण का संग प्राप्त होता है। वर्षा ऋतु में मध्यम से लेकर भारी बारिश का प्रभाव होता है, भीगे हुए परिदृश्यों के नजारें, नवलय नवताल पर सुखद अनुभूति प्रदान करते हैं, इस दौरान यहां की गजब की हरियाली के साथ फिसलन भरे रास्तों का भी जोखिम होता है जिससे बचते हुए आपको अपनी यात्रा संपन्न करनी है। बरसाती मौसम अन्य मौसम की अपेक्षा ऑफ सीजन होता है, जब बेहतर रियायती दरों पर ठहरने और अन्य सुविधाएं आसानी से मिल जाती हैं।
दिल्ली से धनौल्टी तक की दूरी लगभग 285 किमी है, जो सड़क माध्यम एनएच 7 से आसानी से तय कर मालसी शहर तक पहुंच वहां से धनौल्टी जाने वाली सड़क पर शिफ्ट होकर की जा सकती हैं, आप चाहें तो देहरादून रेलवे स्टेशन के माध्यम से या जॉली ग्रांट एयरपोर्ट, देहरादून से कैब या बस के माध्यम से धनौल्टी जा सकते हैं, दिल्ली से देहरादून तक बस माध्यम से भी पहुंचा जा सकता है। देहरादून से धनौल्टी की दूरी लगभग 60 किमी हैं।
सुरकंडा देवी मंदिर, इको पार्क, दशावतार मंदिर, देवगढ किला, आलू खेत, टिहरी बांध और एप्पल ऑचर्ड रिजॉर्ट घूमते हुए कई साहसिक गतिविधियो का लुत्फ ले सकते हैं।
हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले के नजदीक स्थित चैल हिल स्टेशन अपने खूबसूरत मौसम और घने वनों की हरियाली के लिए पर्यटकों के दिल में अपनी अलग जगह बनाता है, यहां अग्रेंजो ने चैल पेलेस सन् 1892 में बनवाया था जो उस समय ग्रीष्माकालीन ठहरने के स्थान के रूप में जाना जाता रहा है। शानदार हरियाली लिए पहाड़ियों के नजारें और श्वेत बादलों के ठहराव भरे दृश्य यहां के प्रति रोमांचकता को बढावा देते हैं। कैंपसे और हाइकर्स के लिए यहां आना बहुत लोकप्रिय है, जहां ट्रैकिंग भी बहुत लोकप्रिय शौक है। मानसून समय मे यहां बर्फबारी का आनंद लेने के बजाए आप निर्मल वातावरण का आनंद ले सकते हैं, जो एकांत के शौकीनों के लिए फेमस डेस्टिनेशन है।
दिल्ली से चैल की लगभग दूरी 340 किमी है, जिसे आप नजदीकी रेलवे स्टेशन कालका या निकटतम एयरपोर्ट चंडीगढ से तय कर किसी पर्सनल या सार्वजनिक वाहन से चैल तक पहुंच सकते हैं, कालका से चैल की लगभग दूरी 80 किमी तक है व चंडीगढ से चैल की लगभग दूरी 114 किमी है। आप चाहें तो सोलन, चंडीगढ या शिमला के रास्ते सड़क माध्यम से भी चैल तक पहुंच सकते हैं
काली का टिब्बा, वन्यजीव अभयारण्य, सिद्ध बाबा का मंदिर, साधुपुल झील व अन्य आकर्षण
कनाटल बादलों के खूबसूरत नजारें, पहाड़ियों की चोटियों से दिखने वाली हरियाली के दृश्य बहुत मनमोहक प्रतीत होते हैं, उत्तराखंड का एक प्यारा सा गांव है जो पर्यटन की दृष्टि से जाना जाता है, यही वो स्थान है जहां माता सती का सिर गिरा था, इस कारण इसे सुरकंडा कहते हैं। बरसाती दिनों में आकर्षक परिदृश्यों के साथ धुंध भरे वातावरण का निर्माण पर्यटको को विशेष रूप से लुभाता है।
ऋषिकेश या देहरादून पहुंचकर आसानी से कनाटल पहुंच सकते हैं।
सुरकडा मंदिर, कोडिया जंगल, टिहरी डैम और झील
दिल्ली से नजदीक यह सभी हिल स्टेशनों की श्रृंखला वास्तव में अद्भुत आश्चर्य और कल्पना से परे हैं, मानसूनी ऋतु में बिजी शेड्यूल से अगर राहत पाना हो तो इन स्थानों को वीकेंड के दौरान भी घूमा जा सकता है, जहां समय बिताना, हरियाली को निहारते हुए भीगी सड़कों पर चलने का मजा ही कुछ और है, इसे स्वयं महसूस कीजिए।