मानसून का सीजन बहुत ही सुहावना और आकर्षक होता है, जून से सितंबर के मध्य हरियाली लिए वातावरण देखने में बहुत मनोरम प्र्रतीत होता है। एक ओर जहां उत्तर भारत में बारिश की अच्छी आवाजाही देखने को मिलती है तो वहीं पहाड़ी क्षेत्रों में बरसात इतनी ज्यादा नहीं होती है। रेगिस्तानी इलाकों के साथ फेमस टूरिस्ट जगहों पर भी मानसून की दस्तक, मौसम को रंगीनी रूमानियत से भर देती है। हालांकि बरसात के समय लोग यात्रा करने से कतराते जरूर हैं, क्योंकि बारिश की वजह से आने जाने की मशक्कत, ठंडा वातावरण और कुछ अन्य कारण भी होते हैं, पर भारत के मानसून सीजन में पर्यटन के कुछ ऐसे स्थान हैं जो किसी खजाने से कम नहीं हैं। सुदंरतम नजारों के शौकीन हो, रोमांचक गतिविधियों का मजा लेना हो या विभिन्न संस्कृतियों की झलक का दीदार करना हो, मानसून के महीनें हर वर्ग के लिए किसी न किसी तरह से स्पेशल जरूर हैं, आइए इन्हीं विशेषताओं को आधार बनाकर जानते हैं भारत के 15 ऐसे शीर्ष पर्यटन स्थलों के बारें में, जहां मानसूनी मौसम की खूबसूरती के विभिन्न रंग देखने को मिलते हैं।
राजस्थान के नखलिस्तान के रूप में प्रसिद्ध माउंट आबू बरसात के मौसम में और अधिक आकर्षक हो जाता है। माउंट आबू प्राकृतिक खूबसूरती के साथ पौराणिक महत्व की समृद्ध विरासत का भी धनी है। यह कई ऋषि मुनियों के निवास स्थान के साथ उनकी तपस्थली के रूप में जाना जाता है। यह राजस्थान के एकमात्र हिल स्टेशन के रूप में अपनी उपस्थिति दर्ज कराता है, यहां की झीलें, झरने, नदिया, एवरग्रीन वनों की खूबसूरती की वजह से पर्यटकों को विशेष रूप से अपनी ओर आकर्षित करता है। इस जगह को पुराणों में अर्बुदा जंगल की संज्ञा दी गइ्र्र है, जिसे वर्तमान में आबू नाम से जाना जाता है। इस स्थान से जुड़ी कई रोचक किंवदंतियां प्रचलित हैं, जो इसे और खास बनाती है। मानसूनी बारिश यहां रूक रूक कर अपना प्रभाव दिखाती है जिससे यहां का माहौल और अधिक ताजा और परिपूर्ण हरियाली से खुशनुमा हो जाता है।
ऊटी तमिलनाडु का एक प्रसिद्ध हिल स्टेशन है जो बारिश में और अधिक खूबसूरती सहेज कर पर्यटकों का मनोरंजन कराता है नीलगिरी पहाड़ियों पर बसी यह जगह ‘‘हिल स्टेशनों की रानी’’ के रूप में लोकप्रिय पर्यटन स्थल है। हरियाली के बीच बादल से सजे पहाड़ों की खूबसूरती, अपने लुभावने मौसम, बागानों और औपनिवेशिक आकर्षणों की झलक लिए ऊटी में मुदुमलाई राष्ट्रीय उद्यान और बाघ अभयारण्य का संकलन है जो भारत के पहले वन्यजीव अभयारण्य के रूप में जाना जाता है, यहां प्रमुख रूप से बंगाल टाइगर्स ज्यादा पाए जाते हैं साथ ही यहां दुर्लभ नीलगिरी लंगूर भी देखने को मिलते हैं, वन्य जीवों और पक्षियों की कई वर्ग और प्रजातियां देखने को मिलती हैं। विशेष खूबसूरती और खासियत के कारण नीलगिरी माउंटेन रेलवे को यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के रूप में भी घोषित किया गया है।
दक्षिण भारत के स्वर्ग के रूप में प्रसिद्ध मुन्नार पर्यटकों को खूब भाता है, जो चाय के बागानों के लिए केरल का प्रसिद्ध स्थान है, यह तीन नदियों मुथिरापुझा, नल्लाथन्नी और कुंडली नदियों के मिलन पर स्थित अति आकर्षक है। यहां आप स्थानीय संस्कृति का बेहतर तरीके से समझ सकते हैं जो हजारों सालों से आदिवासियों के रूप में यहां रह रहे हैं, जिन्हें शिकारी संग्रहकर्ता आदिवासी के रूप में जाना गया है। ब्रिटिशकालीन मद्रास प्रेसीडेंसी का यह प्रमुख स्थान रहा है जो कॉफी बागानों के लिए मशहूर रहा है। प्राकृतिक मनोरम दृश्यों का संकलन करते नजारें जो झीलों, उपवनों और चाय व कॉफी बागानों की झलक दिखाते हैं।
इसे कोडागु नाम से भी जाना जाता है जो कर्नाटक के एडमिनिस्ट्रेटिव जिले के रूप में पश्चिमी घाटों के पूर्वी ढलानों पर स्थित है। यह हिल स्टेशन चारों दिशाओं से प्रमुख रूप से मनमोहक स्थानों की सीमाओं से घिरा हुआ है जिसकी सबसे ऊंची चोटी पुष्पगिरी है और यहां की प्रमुख कावेरी नदी इसी के पास स्थित तालाकावेरी नाम जगह से निकलती हैं। इस स्थान की सबसे आकर्षक और खूबसूरत बात यह है कि यहां कई नदियों के लैगून बने हैं, जहां से नदियां अरब सागर में प्रवेश करती हैं। यहां की प्रमुख नदी मुहाने पयस्विनी, तेजस्विनी, कुप्पम, वलपट्टनम इत्यादि हैं। विभिन्न नदियों के विभिन्न मुहानों के नजारें और आकर्षक शांत वातावरण बारिश के मौसम में पानी की भरपूर उपलब्धता के साथ देखने मे और और ज्यादा सुंदर प्रतीत होते हैं।
प्रसिद्ध लोकप्रिय डेस्टिनेशन के रूप में प्रसिद्ध गोवा बारिश के दिनों में हरियाली और पानी से लबरेज नदिया व तालाब तेज बरसते बादलों के बीच सुरम्य वातावरण का निर्माण करते हैं जो यहां के माहौल को ठंडक भी प्रदान करते हैं। गोवा में यह समय ज्यादा भीड़भाड़ वाला न होने के कारण शांतिपसंद करने वाले और प्रकृति प्रेमियों के लिए बहुत सुकून भरा होता है, इस समय आप गोवा में ट्रेकिंग का आनंद ले सकते हैं। इन दिनों में गोवा घूमने के लिए ज्यादा मशक्कत नहीं करनी पड़ती, आसान बुकिंग के साथ ही सस्ती सेवाओं का मजा ले सकते हैं और आपकों ट्रैफिक भी कम मिलता है। मानसूनी मौसम में गोवा का अपना अलग ही रंग देखने को मिलता है।
अलपुझा या अलेप्पी केरल का प्रमुख टूरिस्ट प्लेस हैं जो लक्षद्वीप सागर पर स्थित एक शहर है जिसकी अपनी नगरपालिका भी है। सागर पर स्थित होने के कारण इसकी विशेषता और लोकप्रियता और बढ जाती है जिसे देखने के लिए पर्यटक दूर दूर से आते हैं। यह ऐतिहासिक शहर है जिसके बारें में प्राचीन ग्रंथों में भी जिक्र किया गया है, इसका संबंध संगम युग से बताया जाता है जहां यूरापीय सत्ता ने मसालों के व्यापार के लिए यहां के राजा से व्यापारिक संबंधों का निर्माण किया। सागर पर स्थित इस शहर की सबसे विशेष बात है इसके जलमार्ग और बैकवाटर खूबी। छोटी छोटी शानदार नहरों के रास्ते के लिए इसे ‘‘पूर्व का वेनिस’’ भी कहा गया है।
हिमालय की बहुत हाईट पर स्थित स्पीति वैली भारत और तिब्बत के मध्य स्थित हैं जो भारत के शीत मरूस्थल के रूप में प्रसिद्ध है। यहां का शांत वातावरण, साफ स्वच्छ नीला आकाश, ऊंची ऊंची वादियां और स्पीति घाटी में स्पीति नदी का प्रवाहित होना अनुकूल पर्यटक क्षेत्र के रूप मे स्थापित करते हैं। वृष्टि छाया प्रदेश के अन्तर्गत होने के कारण स्पीति वैली में बहुत ज्यादा बारिश नहीं होती, हल्की फुल्की बूंदाबांदी के साथ बादलों का छाया रहना बहुत आकर्षक प्रतीत होता है। सुंदरता का खजाना स्पीति घाटी बर्फ से ढके पहाड़ों, सुनहरे प्राचीन मठो और ऐतिहासिक स्मारकों का स्थान है जो घूमने का आकर्षण कई गुना बढा देते हैं। फोटोग्राफी का शौक रखने वालों के लिए यह जगह स्वर्ग से कम नहीं है जो एडवेंचर्स के लिए भी लोकप्रिय प्लेस है साथ ही आप यहां अपने रोमांच को बढाते हुए हिम तेंदुए को भी देख सकते हैं, पत्थरों की बनी बौद्ध भिक्षुओं की गुफाएं पर्यटकों का ध्यान अपनी ओर खींचती हैं।
इस घाटी को घूमने का सर्वोत्तम समय मानसून का है, जब हरियाली के साथ ही फूलों की शोभा देखते बनती है, साल के कुछ महीने जब बारिश का समय आता है तब यहां का नजारा सबसे आकर्षक प्र्रतीत होता है। यह घाटी एक राष्ट्रीय उद्यान के रूप में जानी जाती है जहां शानदार दृश्यों के साथ ही दुर्लभ या लुप्तप्राय जानवर भी देखने को मिलते हैं जैसे कस्तूरी मृग, एशियाई काला भालू, भूरा भालू, हिम तेंंदुआ, लाल लोमड़ी और नीली भेड़ों के साथ पक्षी वर्ग में हिमालयन मोनाल तीतर देखने को मिलते हैं। फूलों की घाटी स्थानिक अल्पाइन फूलों के मैदानों और वनस्पतियों की वैराइटीज के लिए फेमस प्लेस है जहां नंदा देवी बायोस्फीयर रिजर्व भी है, जो यूनेस्को में भी शामिल है। विभिन्न वैराइटीज के फूलों से शोभित चमोली स्थित इस पार्क में धुएं भरे बादल और हरियाली का परिदृश्य इनकी महत्ता और खूबसूरती को अलग ही आयाम पर पहुंचाते हैं।
लुढकती पहाड़ियों की छवि दिखाता शिलांग मेघालय की राजधानी है, जो अपनी स्पेशल प्राकृतिक खूबसूरती के कारण ‘‘पूर्व का स्कॉटलैंड’’ कहलाता है। मेघालय की गारो खासी जयंतिया पहाड़ी आकर्षण का केंद्र होने के साथ मेघालय की सीमा भी बनाती है। शिलांग के झरने बरसात के मौसम में बहुत शानदार प्रतीत होते हैं, भरपूर पानी की उपलब्धता के साथ ऊंचाई से गिरते हुए झरने देखने में अति लुभावने लगते हैं। प्रदूषण रहित माहौल और सुखद वातावरण के साथ स्थानीय निवासियों का मददपूर्ण व्यवहार शिलांग को पर्यटन के लिए और अधिक योग्य बनाता है। सड़क मार्ग से इसकी अच्छी कनेक्टिविटी है बजाए रेल और हवाई मार्ग के। एनएच 6, एनएच 106 और एनएच 206 से शिलांग बेहतर रूप से भारत के प्रसिद्ध भागों से जुड़ा हुआ हैं।
झीलों के शहर के रूप में विख्यात उदयपुर बारिश के मौसम में और खूबसूरत दर्शनीय स्थल बन जाता है, क्योंकि झीलों मे पानी की मात्रा अधिकाधिक होती है। ब्रिटिशर्स द्वारा तो इसे ‘‘भारत महाद्वीप पर सबसे रोमांटिक स्थान’’ की संज्ञा दी गई, यहां अपनी जड़ें, गौरवमय इतिहास, संस्कृति के साथ महाराणाओं के युग के महलो के लिए जाना जाता है। कई सारे पर्यटन स्थलों को खुद मे समाहित करता उदयपुर धार्मिक दृष्टि से भी अति महत्वपूर्ण शहर है, यहां भगवान श्रीनाथ का मंदिर अवस्थित है, जो खुद से प्रकट मूर्ति है और यहां वृन्दावन से लाकर स्थापित किए गए थे। उदयपुर की गरिमा की झलक यहां के महलों और अन्य स्मारकों में भली भांति झलकती है जो राजपूताना गौरवमयी पूर्वजों की धरती के रूप प्रसिद्ध है।
केरल का ऐसा क्षेत्र जो अपने प्राचीन इतिहास स्मारकों गुफाओं, मसालों बागानों की खुशबू, विविध वन्य प्रजातियों के घर और आदिवासी संस्कृति के लिए मशहूर है जो अभूतपूर्व जानकारी, सांस्कृतिक खूबसूरती और कौतूहल प्रदान करता है। यहां का नाम ‘‘वायल नाडु’’ से प्रेरित है जिसका मतलब होता है ‘‘धान के खेतों की भूमि’’ यह इसकी हरी भरी विस्तृत भूमि और कृषि के प्रति संपन्नता को दर्शाता है। प्रकृति की सुंदरता को समेटे यह क्षेत्र हरियाली लिये पहाड़ियों की अदम्य परिवेश के बीच में प्राकृतिक रूप से प्रवाहित झरनों की अद्भुत झलक पेश करता है, जहां शांति, हरियाली और प्रकृति का मिलन होता है। मानसून के दौरान यहां का माहौल जीवंत हो उठता है जब घने जंगल, ढलान लिए पहाड़ियां और मोड़दार नदियों का यह क्षेत्र और सजीवता धारण कर लेता है। अगर आप वायनाड घूमने की प्लानिंग कर रहे हैं तो मानसूनी मौसम बेस्ट है, क्योंकि इस दौरान यहां के झरने आपको हैरत में भी डाल सकते हैं। ट्रैकिंग और अन्य एडवेंचर्स गतिविधियों के लिए सर्वोत्तम जगह है, झरनों की प्राकृतिक खूबसूरती को देखने के साथ ही इसमें खेलते हुए भीगने का अपना ही मज़ा है।
लुढकती पहाड़ियों के सुरम्य परिवेश के साथ हरे भरे घास के मैदानों और घने जंगलों की विरासत लिए यह क्षेत्र अपने पर्यटकों को मानसून के दिनों में खासा आकर्षित करता है, बरसात के बाद मिट्टी की सौंधी खुशबू, भीगे हुए रास्ते और धुंध वाली सुबहों का शानदार नजारा आकर्षित करता है। व्यस्त, शोरगुल भरी मुंबई और पुणे के मध्य स्थित यह हिल स्टेशन बेहतर कनेक्टीविटी वाली जगह है जहां आप आसानी से पहुंच सकते हैं,इस दौरान यहां ट्रैंकिग करते हुए प्राकृतिक नजारों को नजदीकी से महसूस करना तन मन को अद्भुत सुकून देता है। लोनावाला के पास ही खंडाला हिल स्टेशन भी मौजूद है, जो लोनावाला की तरह ही बहुत खूबसूरत जगह है। मानसूनी मौसम में लोनावाला में अच्छी खासी बारिश होती है, इसलिए बेहतर होगा इस मौसम में अपने साथ छाता या रेनकोट कैरी कर लें। सह्याद्रि पर्वतमाला के बीच बसा हिल स्टेशन पर्यटकों के लिए कई आकर्षण का केंद्र है, जो महाराष्ट्र के स्कॉटलैंड के रूप में भी प्रसिद्ध है। यह स्थान हार्ड कैंडी चिक्की उत्पादन के लिए अति प्रसिद्ध है, जो वैश्विक स्तर पर भी अपनी विशेष पहचान रखती हैं, अगर आपको बारिश में भीगना अच्छा लगता है तो मानसून यहां भीगने और प्रकृति को और करीब से जानने का अच्छा समय है।
सतारा जिले के नजदीक स्थित यह हिल स्टेशन महाराष्ट्र राज्य के विशेष स्थानों में से एक है, लोनावाला खंडाला की तरह यहां भी पंचगढी और महाबलेश्वर हिल स्टेशन आसपास ही स्थित हैं, कई सारे बोर्डिंग स्कूलों की उपस्थिति के बीच एकाग्र और खामोश परिवेश की खूबसूरती और स्ट्रॉबेरी उत्पादन के लिए जाना जाता है, तो वहीं महाबलेश्वर की आध्यात्मिकता और सौंदर्य फील करना आनंददायक है। बरसाती समय में प्रकृति को चाहने वालो की यहां अच्छी खासी भीड़ देखने को मिलती है, जहां छोटी पैदल यात्रा का आनंद लेते हुए मौसमी फलों शहतूत, रसभरी और ब्लूबेरी का स्वादिष्ट स्वाद चख सकते हैं और इन यादों को फोटोग्राफी भी कर सकते हैं, मानसूनी महीनों की खासियत है कि यहां बारिश कभी कभार हल्की फुल्की होती है जिससे यहां का वातावरण हरियाली संपन्न और प्रकृति के सबसे खूबसूरत पहलू को प्रस्तुत करता है, जब नदियां और झरने बारिश से अच्छी तरह परिपूर्ण होकर बहते हैं। बेहतर बात यह है कि मानसून पीक सीजन न होने के कारण यहां रूकना और घूमना अन्य मौसम की अपेक्षा थोड़ा सस्ता हो सकता है।
पौढी गढवाल क्षेत्र के अन्तर्गत आने वाला यह हिल स्टेशन अपनी सुरम्य वातावरण के साथ ही ब्रिटिश औपनिवेशिकों के लिए भी जाना जाता है। यहां का प्रमुख गढवाल रेजीमेंट अपने गौरवमय इतिहास से हर भारतीय को गर्व की अनुभूति कराता है जिसकी दास्तां यहां के संग्रहालय बयां करते हैं। गढवाली लोग इसे कालू और डांडा पहाड़ियों की उपस्थिति के कारण कालूडांडा नाम से पुकारते थे जिसका लैंसडाउन नाम 18वीं शताब्दी में अंग्रेजी वायसराय के नाम पर रखा गया। ब्रिटिश शासनकाल के दौरान से ही यह क्षेत्र कैंट प्रमुख रहा है, जो बेहद शांत और शानदार परिवेश का उदाहरण है। लैंसडाउन को मानसून सीजन के समय पर्यटन हेतु सेफ माना जाता है, जहां इस दौरान पेड़ पौधों और घास के मैदानों के दृश्य अद्भुत प्रतीत होते हैं।
सबसे अधिक वर्षा होने वाले क्षेत्रों में दूसरे नंबर पर आने वाला यह क्षेत्र अपनी बारिश के कारण कई रिकार्डों में दर्ज जगह के रूप में प्रसिद्ध है, यहां होने वाली बारिश के कारण यहां का जनजीवन इसी अनुसार अपना जीवन यापन करता है, यहां की विलक्षण संस्कृति की झलक और अनूठापन पर्यटकों को अपनी ओर विशेष रूप से आकर्षित करता है। गारो खासी जयंतिया पहाड़ियों के साथ ही यह नाम यहां की आदिवासी जातियों के भी हैं, जिनमें से खासी समाज मातृसत्तात्मक व्यवस्था पर प्रंबधित है। वर्षा ऋतु में यहां भारी बारिश और आकर्षक ग्रीनरी देखने को मिलती है जो अपने पर्यटकों का ध्यान विशेष रूप से अपनी ओर खींचती है।
भारत में मानसूनी मौसम की अद्भुत छटा और रंगत की बात ही निराली है। तेज चलती ठण्डी हवाएं, रिमझिम गिरती वर्षा की बूंदे कभी धीमी, तो कभी संतुलित मूसलाधार बारिश के रूप में प्रकृति की सबसे खूबसूरत देन हैं। चहुँओर हरियाली ही हरियाली का माहौल, पशु, पक्षी के साथ वन्य जीवन भी तेज गर्मी के प्रकोप से झुलसने के बाद राहत भरी बरसात से ठंडक का एहसास करता है और ऐसे में हमारे पर्यटन स्थल और अधिक खूबसूरती के साथ अपने पर्यटकों का स्वागत करने को तैयार रहते हैं, बारिश के साथ इन खूबसूरत स्मृतियों का संकलन करते हुए इन पलों को महसूस कीजिए और खुलकर आनंद लीजिए।