केरल में मुख्य रूप से दो तरह के मानसून से बारिश होती है, पहला दक्षिण पश्चिम मानसून जिसे इडवापति कहते हैं, जिसका असर जून से सितम्बर माह तक रहता है और दूसरा मानसून उत्तर पूर्वी मानसून जिसे थुलावर्षम नाम से जानते हैं, जिसकी वजह से अक्टूबर से दिसम्बर के मध्य वर्षा ऋतु रहती है। मालाबार तट पर स्थित केरल राज्य जिसे नारियल की भूमि के नाम से जाना जाता है, बहुतायत में नारियल के बड़े बड़े वृक्ष देखने को मिलते हैं। पौराणिक कथाओं की बात करें तो केरल को ‘‘परशुराम भगवान का क्षेत्र’’ भी कहा जाता है, जिसकी आकृति इनके शस्त्र फरसे से काफी मिलती जुलती है, और भी मान्यताओं के अनुसार भगवान विष्णु के वामनावतार का भी संबंध बताया जाता है, क्षेत्र से संबंधित कई पौराणिक कहानियां प्रचलित हैं जिसकी झलक केरल की संस्कृति में देखने को मिलती है। हरी भरी धरती, लुभावने मौसम के साथ समुद्र के किनारे केरल पर्यटन की दृष्टि से भी बहुत प्रसिद्ध स्थान है, जो मानसून के समय और भी शानदार प्रतीत होती है। क्यों न? मानसूनी मौसम में केरल की सैर करने का प्लान बनाया जाए, जानते हैं केरल के 10 खूबसूरत पर्यटन स्थलों के बारें में, जो बारिश के दिनों में और अधिक आकर्षक हो जाते हैं।
खुशनुमा मौसम और तेज चलती ठंडी हवाएं, हिल स्टेशन की शोभा को कई गुना बढाते हुए पर्यटकों को अपनी ओर लुभाते हैं, मानसूनी मौसम में दिन खुशगवार और राते ठंडक से भरी होती हैं। हरे भरे हरियाली संपन्न परिवेश की अधिकता और मध्यम तापमान की खूबसूरती वागामोन को एक सर्वोत्तम पर्यटन स्थान के रूप में स्थापित करते हैं। अक्टूबर से दिसम्बर के मानसून के समय मौसम बेहद अच्छा रहता है, इसी वजह से यह पीक सीजन रहता है, पर जून से सितंबर के मध्य वर्षा और हवाओं में अधिकता इसे ऑफ सीजन के रूप में बनाते हैं, इस समय जाने का फायदा है कि रूकने हेतु जगहें होटल या रिसार्ट रियायती दर पर मिल जाते हैं।
झरनों, नदियों, झीलों, जलप्रपातों की भरपूर मौजूदगी जो मानसून के दिनों में और अधिक चरम पर प्रवाहित होती हैं, मुख्य आकर्षण है। सफेद बादलों का पहाड़ियों पर आकर ठहरना, साफ स्वच्छ नीले आकाश की खूबसूरती और हरे भरे पेड़ पौधों की मौजूदगी ऐसी प्रतीत होती है जैसे किसी चित्रकार ने स्वयं अपने हाथों से चुनाव कर रंगों से सजाया हो। अद्भुत दृश्यों का संकलन करता यह स्थान विभिन्न प्रकार के वन्य जीवों और पशु पक्षियों का ठिकाना है, जिन्हें देखकर आप आश्चर्य में पड़ सकते हैं। त्रिशूर जिले के पास स्थित यह हिल स्टेशन जैव विविधता और लुप्तप्राय प्राणियों का घर है, जहां इन्हें अनुकूल संरक्षण प्राप्त होता है। मूवी शूटिंग के लिए भी यह हिल स्टेशन सर्वोत्तम जगहों में से एक है, फिल्म रावणन की पूरी शूटिंग लगभग यही पर पूरी की गई थी और भी जैसे दिल से, गुरू व अन्य मूवीज के गीतों की शूटिंग यहां पर संपन्न की गई है।
समुद्र के किनारों और किलों की खूबसूरती के संगम को प्रदर्शित करता यह हिल स्टेशन प्राकृतिक सौंदर्यता के साथ ऐतिहासिक गौरव का भी प्रतीक है जो अपने विशाल किले के लिए पूरे केरल में सबसे प्रसिद्ध है। ऊंचे टावरों जहां से तोपें रखी जाती थी, अरब सागर के नजारों का अवलोकन करना, समुद्री तटों के शानदार व्यू और कुदरत के नायाब तोहफों को देखना बहुत ही शानदार अनुभूति प्रदान करता है। यह जगह अपने आकर्षक बैकवाटर्स के लिए भी मशहूर है, झील में अवस्थित मंदिर की आध्यात्मिकता शांत वातावरण में कई गुना बढ जाती है। मानसून का मौसम बेकल घूमने के लिए सर्वश्रेष्ठ है, जो अन्य मौसम की अपेक्षा सबसे प्यारा लगता है। गर्मी के बाद होने वाली बारिश से यहां घूमने का आनंद बढ जाता है।
केरल राज्य भारतीय मसालों के लिए सबसे प्रसिद्ध है, जिसमें थेकेड्डी हिल स्टेशन मसालों के बागानों के लिए जाना जाता है, जिनमें से कुछ मसालों को तो यही के नाम से भी कहकर बुलाया जाता है जैसे थेकेड्डी काली मिर्च साथ ही यह अदरक, लौंग, इलायची, दालचीनी, जायफल और जावित्री के लिए भी प्रसिद्ध हैं। पेरियार राष्ट्रीय उद्यान के पास स्थित इस शहर का शाब्दिक अर्थ ‘‘सागौन भूमि’’ है, जो अपने पर्णपाती वनों और सवाना घास के लिए फेमस है। यह स्थान जंगली जानवरों के लिए उपयुक्त स्थान है, यहां हाथियों, सांभर, बाघों, गौर, शेर पूंछ मकाक और नीलगिरी के लंगूरों का निवास स्थान है। वन्यजीव अभयारण्य, बाघों के लिए भी जाना जाता है। मुल्लापेरियार बांध के द्वारा बनाई गई कृत्रिम झील पेरियार अभयारण्य का एक हिस्सा है जहां सबसे विशाल जंगली हिरण बाइसन झील में पानी पीने के लिए आते हैं, साथ ही इसमें ट्रैकिंग, बोटिंग और जीप सफारी का भी आनंद लेते हुए अभयारण्य तक पहुंचा जा सकता है।
समुद्र तटों के किनारे उपस्थित नारियल पेड़, अरब सागर तटों पर आती जाती समुद्री लहरें और यहां के पर्यटन आकर्षण जो केरल की राजधानी त्रिवेंद्रम से मात्र लगभग 16 किमी की दूरी पर ही अवस्थित हैं, इसे त्रिवेंद्रम के फिरोजा रत्न के रूप में भी जाना जाता है, समुद्र तटों के फिरोजा रंग पानी की खूबसूरती और शांत जल के लिए मशहूर ये तट इंटरनेशनली रूप से भी पहचान बनाते हैं। यहां के समुद्री तटों पर स्नान करना आपको सुखद अनुभूति प्रदान करती है, कोवलम का शाब्दिक अर्थ है ‘‘नारियल का बाग’’ जो यहां भरपूर मात्रा में पाये जाने वाले नारियल पेड़ों के कारण इसे परिभाषित करता है। कोवलम 17 किमी लंबे समुद्र तट में चट्टानी चोटियों द्वारा अलग किए गए तीन समुद्र तट है, तीनों मिलकर कोवलम समुद्र तट को अर्धचंद्राकार आकार प्रदान करते हैं
अरब सागर के मोती के नाम से प्रसिद्ध यह हिल स्टेशन कई नामों से जाना जाता रहा है जैसे बलिता, उदयमार्तंडपुरम। केरल की राजधानी के उत्तर में स्थित एकमात्र ऐसा क्षेत्र है जहां भारतीय महासागर से सटी हुई चट्टानें देखने को मिलती हैं, जो अपने आप में एक अनोखी भूवैज्ञानिक खासियत है जिसे वर्कला संरचना के रूप में जाना जाता है, यह राष्ट्रीय भूवैज्ञानिक स्मारक घोषित किया गया है। यहां मौजूद प्राचीन जर्नादन स्वामी मंदिर करीब 2000 साल पहले अपनी विशेषताओं के कारण प्रसिद्ध वैष्णव तीर्थस्थल हैं। वर्कला को दक्षिण का बनारस या दक्षिण काशी भी कहते हैं। धार्मिक महत्व को बढाती प्रचलित कई किवंदतियां यहां सुनने में आती हैं, इस स्थान को पापों से मुक्ति प्रदान करने वाला भी बताया गया है। प्राचीन ग्रंथ द पेरिप्लस ऑफ़ द एरिथ्रियन सी में भी इस जगह के बारें में बताया गया है।
अलपुझा के नाम से लक्षद्वीप सागर पर स्थित खूबसूरत पर्यटन आकर्षण जिसकी सुदंरता मानसून के दिनों में और भी ज्यादा बढ जाती है, यह अपने जलमार्गों और बैकवाटर्स के लिए मशहूर जगह के रूप में जाना जाता है, यहां के बोट हाउस के परिदृश्य पर्यटकों को विशेष रूप से अपनी ओर आकर्षित करते हैं। अपने आकर्षक व्यूज के लिए यह जगह पूर्व के वेनिस के रूप में जाना जाता है, जिसे केरल निवासी तर्शीश भूमि भी कहते हैं। जून से सितंबर मानसूनी दिनों में यहां भारी बारिश होती है जिससे मौसम ठंडा और सुहावना होता है, हरियाली का विस्तार, कई आयुर्वेदिक स्पा प्रदान करते केंद्र तन और मन दोनों को राहत पहुंचाते हैं। अगर आप प्रकृति प्रेमी हैं तो मानसून में यहां जाना स्वर्ग की अनुभूति करने के समान है, शांतिप्रिय वातावरण में इस समय हाउसबोटिंग का लुत्फ लेना बहुत भाता है।
कोट्टायम शहर के पास एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है जो बैकवाटर के लिए जाना जाता है। यहां होने वाली बोट रेस और औपन्यासिक सफलताओं पर आधारित यहां की भूमि बहुत आकर्षक पर्यटन स्थल है। कुमारकोम को जिम्मेदार पर्यटन परियोजना के लिए सर्वश्रेष्ठ राष्ट्रीय पुरूस्कार और पर्यावरण के लिए पीएटीए ग्रैंड अवार्ड भी प्राप्त किया है। हरे भरे घास के मैदानों के बीच से निकलती झीलों के आकर्षक नजारे और लंबी बोट्स पर्यटकों को यहां के शानदार परिदृश्यों से मिलवाता है। कुमारकोम वेटलैण्ड क्षेत्र होने के साथ ही पर्यटकों द्वारा सबसे ज्यादा विजिट किये जाने वाला स्थान है, यहां स्थानीय पक्षियांं के साथ ही प्रवासी पक्षियों का भी आना होता है।
केरल राज्य के इडुक्की जिले के पास अवस्थित मुन्नार हिल स्टेशन जहां चाय के बागानों की मौलिक खूबसूरती, कतारों में होती व्यवस्थित खेती, ऊंची चोटियों के नजारें और हर ओर हरियाली के शानदार परिदृश्यों की श्रृंखला जहां की घुमावदार सड़कें, घने वन सब मिलकर इसे इतना खूबसूरत स्थान बनाते हैं कि यह दक्षिण भारत के स्वर्ग के रूप में जाना जाता है। मुन्नार की झील किनारों पर लगे चाय के बागान घुमावदार पहाड़ियों को और मोहकता से परिपूर्ण कर देते हैं। जून से सितंबर के बीच होने वाले मानसून में यहां की खूबसूरती और चाय का स्वाद अद्वितीय होता है जो नदियों और झीलों को और अधिक जीवंतता से भर देती है।
केरल का प्रमुख वायनाड शहर बहुत ही फेवरेट टूरिस्ट प्लेस है जहां के मनोरम दृश्य, झीलों, घने वनों के साथ पक्षियों की चहचहाहट और मधुर स्वर पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। पश्चिमी घाटों की हरियाली संपन्न सीमाआेंं को सहेजता हुआ वायनाड अपने वन्य जीवन, समुद्री किनारों और जंगलो के लिए जाना जाता है।
केरल को भगवान का आशीर्वाद कहते हैं जो अद्भुत नजारों, बेमिसाल मौसम और समुद्र तटों का पवित्र राज्य है, दो बार मानसूनी मौसम का आनंद लेते केरल में यूं तो हर मौसम शानदार है लेकिन बरसात का मौसम केरल पर्यटन की बहुत ही स्पेशल फीलिंग देता है। भीगी सड़कें, हल्की धुंध भरे परिदृश्य और वनो की हरी भरी पत्तियों से गिरती हुई बूंदे, अरब सागर की मुस्कुराती लहरें और नारियल पानी का अनोखा स्वाद जो कहता है, इस मानसून आइए केरल की सैर पर निकलते हैं।