डलहौजी, हिमाचल प्रदेश का एक बहुत ही खूबसूरत हिल स्टेशन, प्रतीत होता है जैसे इस जगह के लिए प्रकृति ने अपने सारे खजाने खोल दिए हैं। चंबा शहर के पास मौजूद इस जगह की आकर्षकता को कई नई पुरानी बॉलीवुड फिल्मों में भी दर्शाया जा चुका है। डलहौजी नाम ब्रिटिश गवर्नर जनरल लॉर्ड डलहौजी के नाम पर रखा गया है, इन्होंने इस जगह को ग्रीष्मकालीन रिट्रीट के रूप में बनाया था। धौलाधार पर्वत श्रृंखलाओं की पांच पहाड़ियों पर स्थित यह पर्वतीय स्थल मनमोहक वादियों और बहुत सारे अन्य आकर्षणों की नगरी है।
डलहौजी में प्रकृति का आशीर्वाद लिये कई आकर्षक चीजें हैं, उन्हीं में से एक है चंबा जिले की चमेरा झील, जिसका प्राकृतिक सौन्दर्य अनोखा है। चमेरा बांध द्वारा बना यह जलाशय चमेरा झील कहलाती है, जिसकी ऊंचाई 1700 मीटर है। इसे रावी नदी द्वारा पानी की आपूर्ति होती है साथ ही यहां के ग्रामीण क्षेत्रों के निवासियों के लिए यह झील पानी उपलब्ध कराती है। यह एक कृत्रिम झील है, जो पर्यटकों के लिए लोकप्रिय पर्यटन स्थल है और हरे भरे पेड़ों की सुदंरता के साथ मनमोहक घाटियां के बीच घिरी हुई है। बोटिंग, फिशिंग जैसी कई सारी जल क्रीड़ा आप यहां कर सकते हैं।
स्थानः चंबा, हिमाचल प्रदेश
उपयुक्त समयः मार्च से जून, सितंबर से नवंबर
यह डलहौजी की सबसे ऊंची चोटी के रूप में प्रसिद्ध है, जहां सर्दियों के मौसम में बहुत बर्फबारी होती है। बर्फ की सफेद चादर से ढकी चोटियाँ, संग लिए हरियाली का दामन और भी बहुत मनमोहक नज़ारे, बहुत खूबसूरत प्रतीत होते हैं, जो इसे एक शानदार पर्यटन स्थान बनाते हैं। आप यहां ट्रेकिंग, स्कीइंग और भी अन्य साहसिक गतिविधियां कर सकते हैं। यहां पर पाए जाने वाले अल्पाइन वृक्षों के समूह, विविध तरह के फूलों की कतारें और हरियाली लिए हुए गहरी घाटियां, यही सब वो घटक हैं जो पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं।
स्थानः डैनकुंड चोटी, डलहौजी
उपयुक्त समयः मार्च से जून, सिंतबर से नवंबर
हिमाचल प्रदेश के डलहौजी में स्थित यह विशेष झरना, चंबा घाटी के विहंगम दृश्यों से ओतप्रोत है, सफेद पर्वतमालाएं और हरे देवदार के वृक्ष जो यहां की खूबसूरती में चार चांद लगा देते हैं। ‘सतधारा’ जैसा कि नाम से समझ आता है सात धाराएं। दरअसल यह झरना सात शानदार झरनों के पानी को एक साथ लाकर, लगभग 2036 मीटर की ऊंचाई से एक साथ गिराता है, जो देखने में अति मनमोहक प्रतीत होता है। मान्यता है कि इसके पानी में औषधीय गुणों का समावेश मिलता है, जो त्वचा की समस्याओं में लाभ देता है। यह स्थान उन पर्यटकों को बहुत शांति और सुकून देता है जो जिंदगी की व्यस्तताओं में खुद को समय देना भूल जाते हैं।
स्थानः पंचपुला, चत्रयारा, डलहौजी
उपयुक्त समयः मार्च से जून
हिंदू धर्म का यह एक प्रसिद्ध मंदिर है, जो 1200 मीटर चोटी पर स्थित है। यह मंदिर देवी भद्रा को समर्पित है, जिनकी लगभग दो फीट लंबी प्रतिमा काले रंग की है, जिससे जुड़ी एक कहानी यह है कि देवी ने राजा प्रताप सिंह को स्वप्न में दर्शन देकर कहा कि उनकी यह मूर्ति भ्राण नाम के स्थान पर छिपी हुई है, जिसे वहां से लाकर मंदिर बनाने को कहा। राजा ने ठीक वैसे ही किया और इस मंदिर में वही मूर्ति विराजमान है। अर्थात् देवी की यह मूर्ति स्वयंभू है, जिसकी महिमा अपरम्पार है। नवरात्रों में यहां विशेष हवन का आयोजन होता है।
स्थानः भलेई, डलहौजी से 30 किमी दूरी।
उपयुक्त समयः मार्च से जून, जुलाई से सिंतबर
डलहौजी में शॉपिंग के उद्देश्य से यह जगह एक दम परफेक्ट है। अगर आप तिब्बती संस्कृति और हस्तशिल्प के शौकीन हैं तो यहां जाकर आपका यह शौक कई गुना बढ़ जाएगा।यहां आप सुंदर हैण्डीक्रॉफ्टस, गर्म कपड़े, शॉल, रंग बिरंगे हाथ के बने गलीचे, गृह सज्जा आईटम, हस्तनिर्मित आभूषण, और चंबा की विशेष चप्पलें इन सबकी खरीदारी कर सकते हैं जो यादों को संजोने की दृष्टि से पर्यटन का एक खूबसूरत पहलू होता है। आप यहां से सस्ते गैजेट्स और खिलौने भी खरीद सकते हैं।
स्थानः मोती टिबा, डलहौजी
उपयुक्त समयः मार्च से जून, अक्टूबर से फरवरी
यह डलहौजी में बनने वाला पहला चर्च है, इस कारण इसका विशेष ऐतिहासिक महत्व है। हरे भरे वातावरण, शांत घाटियों के बीच बसे इस शहर की शान यह चर्च, खूबसूरती और विरासत का अनोखा सम्मिश्रण हैं। इसकी वास्तुकला रोमन कैथोलिक पर आधारित है और इसका संबंध प्रोटेस्टेंट समुदाय से है। डलहौजी में ब्रिटिश शासन की दास्तां बयां करता यह चर्च कई स्मृतियों से परिपूर्ण है और विक्टोरियन काल को दर्शाता है। अगर आप कला, पर्यावरण और शांति के शौकीन हैं तो यकीनन यहां आपकी तलाश पूरी हो सकती है।
स्थानः गांधी चौक, डलहौजी
उपयुक्त समयः मार्च से जून
गंजी पहाड़ी, नाम से ही अनोखी प्रतीत होती हुई यह पहाड़ी पठानकोट रोड पर स्थित छोटी पहाड़ी है। इस जगह न कोई पौधा है, न कोई पेड़, यही वजह कि पहाड़ी को इस नाम से इंगित करते हैं। यह एक मनोहारी क्षेत्र है जहां आप कैम्पिंग का आनंद ले सकते हैं।यहां के शानदार रास्ते ट्रेकिंग के लिए बहुत मज़ेदार वातावरण बनाते हैं।आप फोटोग्राफी संकलन को करने के साथ ही परिवार के साथ पिकनिक का मज़ा ले सकते हैं या कुछ समय अकेले ताज़ी हवा को महसूस करते हुए खूबसूरत वादियों को निहार सकते हैं। देवदार के वृक्षों और शांत घाटियों के बीच बसे इस शहर में यह पहाड़ी एक अलग ही दृश्य संरचित करती है, जिसकी अपनी विशेष महत्ता है।
स्थानः पठानकोट सड़क, डलहौजी
उपयुक्त समयः मार्च से जून
रमणीक पंचपुला डलहौजी आने वाले अधिकांश पर्यटकों की सबसे पसंदीदा जगहों में से एक है।यहां का आकर्षक वातावरण, देवदार, चीड़, पाइन वृक्षों की हरे आंचल में सिमटा, शीतलता देने वाली जलधाराएं, हमेशा से ही इसे एक बेहतर मनोरंजक स्थान बनाती हैं। जहां आप प्रकृति को बहुत पास से समझ सकते हैं। यहां कई महत्वपूर्ण झरने हैं जो अन्य जल निकायों को पानी देते हैं। बारिश के दौरान मनोरम लगते यह झरने हर ओर हरियाली का संचार करते हैं जिससे माहौल बहुत खुशनुमा और प्रकृति प्रफुल्लता से परिपूर्ण रहती है। पंचपुला ट्रेकिंग के लिए भी बहुत प्रसिद्ध है, कुछ ट्रेक तो यहां से शुरू होकर डलहौजी या आस पास के अन्य स्थानों तक ले जाते हैं।आप एडवेंचर के शौकीन हों या फोटोग्राफी के, यहां की खूबसूरती सभी को लुभाती है।
स्थानः बस स्टॉप, पंचपुला, डलहौजी
उपयुक्त समयः जुलाई से सितंबर, मार्च से जून, दिसंबर से फरवरी
चंबा जिले के पास हिल स्टेशन के रूप में प्रसिद्ध यह जगह डलहौजी आने वाले पर्यटकों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करती है। हिमालय की तलहटी में धौलाधार पर्वत श्रृखंलाओं के मध्य बसा यह क्षेत्र एक छोटे से पठार पर स्थित है। खज्जियार तीन पारिस्थितिकी तंत्र व्यवस्थाओं को खुद में समेटे हुए है जैसे झीलें, चारागाह और जंगल। यहां की मौन खूबसूरती और प्राकृतिक वातावरण की आकर्षकता के कारण खज्जियार को ‘भारत के मिनी स्विट्जरलैंड’ की संज्ञा भी दी गई है, जो इसे विश्व प्रसिद्ध बनाता है। खज्जियार दुनिया भर में लगभग 160 स्थानों में से एक है जो स्विट्जरलैण्ड के साथ स्थल आकृति की समानता रखता है। यहां भक्त शिरोमणि श्रीहनुमान जी की एक बड़ी सी प्रतिमा स्थापित है, जिसके दर्शन कर आप भक्ति के रंग को भी महसूस कर सकते हैं। झीलों के आकर्षण को चारों ओर से निहारना, चीड़ और देवदार के जंगलों में बिन कुछ कहे लंबी पैदल यात्रा करना कितना ही कुछ अद्भुत है यहां की वादियों में जो पर्यटकों अपनी ओर खींच ही लेती हैं। आप यहां घुड़सवारी और पैराग्लाइडिंग का भी मज़ा ले सकते हैं।
स्थानः खज्जियार, चंबा, डलहौजी से लगभग 24 किमी की दूरी
उपयुक्त समयः मार्च से जून, दिसंबर से फरवरी
अगर आप प्रकृतिवादी और वन्य जीवों के प्रति आपके अन्दर उमंग उल्लास है तो यह अभयारण्य आपके लिए सर्वोत्तम स्थान है। जैव विविधता के धनी इस अभयारण्य में विभिन्न पक्षी प्रजातियां, हिमालयी काले भालू, हिरण, तीतर, सीरो यहां पाए जाने वाले कुछ सामान्य जानवर हैं। यहां के कुछ मुख्य आकर्षण इस प्रकार हैं- भौंकने वाला हिरण, उड़ने वाली गिलहरी, हिमालयन नेवला, रीसस बंदर, हिमालयन लोमड़ी और अन्य कई आश्चर्यजनक स्तनधारी जीव प्रजातियां हैं। शंकुधारी, ओक, रोडोडेंड्रेन वनों की सुंदरता, हरी घास के मैदान और कई जड़ी बूटियां इन क्षेत्रों में पाई जाती हैं। इस अभयारण्य की खूबसूरती से अगर आप अच्छे से वाकिफ़ होना चाहते हैं तो ट्रेकिंग सबसे अच्छा तरीका है।
स्थानः चंबा, डलहौजी से लगभग 12 किमी दूर
उपयुक्त समयः मार्च से जुलाई
डलहौजी हिल स्टेशन को ब्रिटिश काल के दौरान औपनिवेशिक आकर्षण मिला। यहां के विंहगम परिदृश्य, सुकून भरा वातावरण, नित नयी ताजगी का संचार करती जल धाराएं, देवदार और चीड़ के शांत जंगल, स्वच्छ नीले आसमान, हरे धरातल, और रंग बिरंगे फूल, पशु, पक्षी। एक ऐसी जगह जिसमें प्रकृति के सारे रंग समाये हैं। तो क्यों न डलहौजी की इस खूबसूरती को और नजदीक से निहारा जाए।