हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में एक छोटा सा स्थान ‘कसोल’ जो पार्वती नदी के तट पर पार्वती घाटी में स्थित है। यह हिमालयी हॉटस्पॉट, मलाना और खीरगंगा के नज़दीकी ट्रेक के लिए बेस के रूप में कार्य करता है। बहुतायत संख्या में इजरायली पर्यटकों के आने के कारण इसे ‘भारत का मिनी इज़रायल’ भी कहते हैं। वर्ष में अधिकतर समय मौसम शानदार रहने के कारण, पर्यटकों को बहुत लुभाता है। दिसंबर और फरवरी तक यहां अच्छी खासी बर्फबारी होती है। यहां नव वर्ष की पूर्व संध्या पर होने पर होने वाला विशेष उत्सव आकर्षण का केन्द्र है, जिसका आनंद लेने के लिए पूरे विश्व से बड़ी संख्या में सैलानी आते हैं। कसोल में पर्यटन के लिए और क्या क्या स्पेशल है, आइए जानते हैं इस ब्लॉग में।
तीर्थन घाटी अपने हिमालयी पहाड़ो के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध है, यहां के घास के मैदान, बाग, गांव, झरने नैसर्गिक सुंदरता का पर्याय है। तीर्थन नदी का उद्गम स्थल होने के कारण इस घाटी को तीर्थन घाटी के नाम से जानते हैं। आप यहां ट्रेकिंग और दिन भर की पैदल यात्रा कर सकते हैं। आप यहां कई साहसिक गतिविधियों में हिस्सा ले सकते हैं, जैसे रैपलिंग, फिशिंग, कैम्पिंग। कई तरह के पक्षी यहां मिलते हैं, जिन्हें देखकर रोमांच का अनुभव करेंगे। यह घाटी ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क का प्रवेश द्वार है। आप यहां स्थानीय संस्कृति, पांरपरिक वास्तुकला और नैसर्गिक सुंदरता का आनंद ले सकते हैं। अनुपम भोजन और फेस्टिवल्स को एन्जॉय कर सकते हैं। इस घाटी में कई सारे खूबसूरत गांव हैं, जिन्हें पर्यटक घूमना पसंद करते हैं।
स्थानः तीर्थन घाटी, कुल्लू जिला, हिमाचल प्रदेश
उपयुक्त समयः अप्रैल से सितंबर
प्रकृति की भव्यता लिये ग्रहण ट्रेक पुराने और नये कसोल को बांटने वाले पुल से शुरू होता है। ऊंचे ऊंचे देवदार के वृक्षों से गुजरता हुआ यह ट्रेक, कई सारे लकड़ी के पुलों का पार करता है, जो बहुत खूबसूरत परिदृश्यों को सहेजता है। ट्रेक, ग्रहण नाले के बाईं ओर चलता है और जहां यह नाला खत्म होता है, वहां थोड़ी ऊंचाई पर ग्रहण गांव स्थित है, जो छोटा व आत्मसंपन्न हैं। शांतिपूर्ण वातावरण, वृहद पहाड़ों की बर्फ से ढकी हुई ऊंची चोटियों से घिरे इस गांव का लुभावना दृश्य पर्यटकों को खूब लुभाता है। हरियाली लिए खेतों में काम करते हुए स्थानीय लोग जिनकी आंखों में सादगी की चमक है। ग्रहण गांव का नज़ारा शांति से भरे स्वर्ग जैसा है।
स्थानः पार्वती वैली, कसोल, हिमाचल प्रदेश
उपयुक्त समयः अप्रैल से दिसम्बर
अगर आप रोमांच के प्रति तैयार हैं तो तोष वैली ट्रेक बहुत अच्छा विकल्प हो सकता है। प्राकृतिक सुंदरता, मनोहर गांव, कल कल बहते हुए झरने और पहाड़ो सी गहराई लिये हरी भरी घाटियां, जो तोश गांव की स्थानीय हिप्पी संस्कृति को भी जानने के लिए उत्सुक करती हैं। पार्वती नदी की सहायक नदी तोष के नाम पर इस घाटी और गांव का नाम पड़ा है। ट्रेक की दूरी लगभग 10-12 किमी है। इस क्षेत्र में औषधीय महत्व के पौधे, जंगली फूल और आश्चर्यजनक वनस्पतियों का आनंद ले सकते हैं।
स्थानः बरसैणी, कसोल, हिमाचल प्रदेश
उपयुक्त समयः मार्च से नवंबर
ऊंची ऊंची वादियों के बीच बर्फ से ढके सफेद पहाड़, हरियाली लिये शंकुधारी वन और साफ नीला आसमान, खीरगंगा चोटी का यह ट्रेक लगभग 8-10 किमी लम्बा है। रोमांचक अनुभव देने वाला यह ट्रेक बहुत ज्यादा आसान नहीं है। इस रास्ते में आपको घने जंगल, खुशनुमा मौसम, और कई सारे विहंगम प्राकृतिक दृश्यों का अनुभव मिलेगा। इस रास्ते में रूद्रनाग झरना है, जिसका बहाव चाप भगवान शिव के गले में पड़े सर्प जैसा है। ट्रेकिंग करते हुए वहां पहाड़ों के नाश्ते, भोजन का आनंद ले सकते हैं। खीरगंगा चोटी के पास ही खीरगंगा नेशनल पार्क है जहां आप फ्लोरा वनस्पति जैसे चीड़, देवदार आदि और फौना वन्य प्राणी हिमालयन काला भालू, हिमालयी चीता, हिमालयन तहर, मस्क डीयर को देखकर रोमांचक अनुभव ले सकते हैं।
स्थानः खीरगंगा चोटी, पार्वती वैली, हिमाचल प्रदेश
उपयुक्त समयः मई-जून, सितम्बर-अक्टूबर
सिख धर्म के अनुयायियों के लिए बहुत ही प्रसिद्ध और पवित्र गुरूद्वारा है। हिंदू धर्म की भी इसमें आस्था है, पुराणों के अनुसार बाढ़ के बाद मनु ने मणिकरण में मानव जीवन को पुनः बनाया, जिससे इस क्षेत्र की महत्ता और बढ़ गई और भी कई किंवदतियां प्रचलित हैं, जो सुनने में रोचक प्रतीत होती हैं। मणिकरण में कई हिंदू मंदिर भी हैं जिनमें से रामचंद्र जी मंदिर और शिव मंदिर प्रसिद्ध है। मणिकरण की सबसे बड़ी विशेषता है- गर्म पानी के झरने,जो किसी चमत्कार से कम नहीं लगते। इनका तापमान 64 डिग्री से 80 डिग्री तक रहता है। इन झरनों में सल्फर तत्व नहीं पाया जाता और यहां स्नान करना गठिया के लिए मरहम माना जाता है।
स्थानः मणिकरण शहर, पार्वती घाटी, कुल्लू जिला, हिमाचल प्रदेश
उपयुक्त समयः अप्रैल से जून, सितम्बर से नवम्बर
पार्वती घाटी में बहने वाली यह नदी, दक्षिण में भुंतर में ब्यास नदी से मिलती है। पार्वती नदी का उद्गम स्थल पार्वती घाटी के नीचे मान तलाई ग्लेशियर है जहां से यह क्रम से एक वक्र के रूप में बहती है। कई दर्रां के पार होकर बहने वाली पार्वती नदी मार्गां का निर्माण करती है। यह अपने समृद्ध हरियाली, मनोरम झरने और जीवंत संस्कृति के लिए जानी जाती है। यह अपने अद्वितीय विरासत, प्राकृतिक सुंदरता और आध्यात्मिक महत्व के लिये प्रसिद्ध है। इस घाटी में कई धार्मिक मंदिर अवस्थित हैं, जो प्राचीन काल से प्रसिद्ध हैं। नदी के ऊपरी भाग पर शानदार वनों का आवरण है, जो इसकी शोभा को कई गुना बढाते हैं।
स्थानः पार्वती घाटी, हिमाचल प्रदेश
उपयुक्त समयः मार्च से मई, सितंबर से नवंबर
पार्वती घाटी की पनाह में खूबसूरत दृश्यों को सहेजता यह पार्क पर्यटकों का मुख्य आकर्षण है, यहां का शांतिपूर्ण वातावरण, प्रकृति की जादूगरी महसूस करते बनती है। बेहतरीन आकर्षण, शानदार परिवेश लिए यह स्थान एक फेवरेट पिकनिक स्पॉट है, जहां साहसिक गतिविधियों का मज़ा लिया जा सकता है। छिपे हुए झरने और विहंगम नज़ारें, जहां पहुंचने के लिए आप हाइकिंग एक्टिवटी भी कर सकते हैं।
स्थानः नेचर पार्क, कसोल, सोसन, हिमाचल प्रदेश
उपयुक्त समयः मार्च से जून, सितंबर से नवंबर
प्रकृति की गोद में बसे यह गांव प्रकृति प्रेमियों के लिए स्वर्ग से कम नहीं है। शांतिपूर्ण विश्राम स्थल की भूमिका में यह गांव स्थानीय रीति रिवाजों और संस्कृतियों की जीवंतता को बरकरार रखता है। पार्वती घाटी के बीच बसे इस गांव के शानदार विलक्षण दृश्यों का संगम, शांति सुकून और अन्वेषण का एक अद्वितीय मिश्रण प्रदान करता है, जो फोटोग्राफी और पर्यटन प्रेमियों के लिए एक आदर्श स्थान बनाता है। पांरपरिक काष्ठ के घर, ट्रांस म्यूजिक दुनिया भर के कला और संगीत प्रेमियों के लिए विशेष है।
स्थानः कटागला इन, छलाल, हिमाचल प्रदेश
उपयुक्त समयः मार्च से जून, सितंबर से नवंबर
पुल्गा, एक ऐसा स्थान जहां पहुंचकर लगता है जैसे वक्त थम गया है। हिमाचल प्रदेश की गोद में बसा ऐसा गांव जहां से हिमालय के मंत्रमुग्ध कर देने वाले नज़ारें आपको अपनी ओर आकर्षित कर लेते हैं। लकड़ी के बने घरों की संरचना बहुत अद्वितीय होती है। पुल्गा के वन ट्रेल्स बहुत प्रसिद्ध हैं जो ट्रेकिंग पसंदीदा पर्यटकों की फेवरेट है।जब आप अद्भुत जंगलों की सैर पर निकलते हैं, आपको कई आश्चर्यजनक और मोहक दृश्य और नज़राने मिलते हैं। कैम्पिंग के लिए आदर्श इस स्थान से तारों भरा आकाश देखना बहुत शानदार लगता है।
स्थानः बरसैणी से 3 किमी दूर, पुल्गा गांव, कसोल, हिमाचल प्र्रदेश
उपयुक्त समयः मार्च से जून, सितंबर से नवंबर
ब्यास नदी के दाहिने किनारे पर स्थित, यहां कुल्लू मनाली हवाई अड्डा अवस्थित है। भुंतर में ब्यास और पार्वती नदियों का संगम होता है। पार्वती घाटी इस संगम से शुरू होती हुई मणिकरण की ओर खड़ी घाटी से होकर पूर्व की ओर जाती है। यहां कई प्रसिद्ध मंदिर और ऐतिहासिक स्थल हैं, जैसे बशेश्वर मंदिर, बिजली महादेव मंदिर, जगन्नाथ मंदिर जिनकी मान्यताएं और ऐतिहासिक महत्व हैरान कर देंगे। यहां ब्यास नदी में आप राफि्ंटग का मज़ा ले सकते हैं। भुंतर में कई ट्रेक्स हैं, जहां इस शौक को बखूबी पूरा किया जा सकता है।
स्थानः भुंतर, कसोल से 10 किमी दूर, हिमाचल प्रदेश
उपयुक्त समयः सितंबर से फरवरी, मार्च से जून
कसोल, हिमाचल प्रदेश का एक शांतिपूर्ण पर्यटन स्थल है, जो अपने शानदार वातावरण, प्रकृति के अद्भुत दृश्यों और सादगीपूर्ण जीवन के लिए प्रसिद्ध है। जिंदगी की व्यस्तता से थोड़ा समय निकालकर इन राहत भरी वादियों में सुकून की तलाश, रिचार्जअप होने जैसा है। जहां पैदल चलना, आसपास के गांवों की ओर रूख और नैसर्गिक सौंदर्यता को महसूस करते हुए आनंद की अनुभूति करना है।