पांडिचेरी, वर्तमान में जिसे पुदुचेरी के नाम से भी जानते हैं, पुदुचेरी, लगभग 138 वर्षों तक फ्रांस शासन के अधीन रहा, इससे यहां की संस्कृति फ्रांसीसी और भारतीय दोनों का मिश्रण है, इसे ‘भारत का छोटा फ्रांस’ भी कहते हैं। साथ ही यह ‘पूर्व का फ्रांसीसी रिवेरा’ के नाम से भी जाना जाता है। प्राकृतिक और ऐतिहासिक रूप से अद्वितीय हैं और भी विशेषताओं से परिपूर्ण इस क्षेत्र में पर्यटन हेतु कई आकर्षण हैं, इनके बारें में और विस्तार से जानते हैं इस ब्लॉग में
इस आश्रम की स्थापना सन् 1910 में श्री अरबिंदों द्वारा पुदुचेरी के पांडिचेरी क्षेत्र में की थी। इस आश्रम की विशेषता, इनका दृष्टिकोण और विचार हैं, इनका कहना है कि आध्यात्मिकता के लिए कहीं जाने की आवश्यकता नहीं होती, इसके लिए आपको खुद के भीतर जाने की आवश्यकता है, आश्रम का मौलिक दर्शन श्री अरविंदो के एकात्म योग की संकल्पना पर आधारित है। व्यक्ति का विकास शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक सब तरह से होना चाहिए। भागदौड़ और हलचल भरे शहरी वातावरण में बिना किसी कठोर नियमों के जीवन को सही दिशा दिखाता उनका यह आश्रम साधकों को धार्मिकता, आध्यात्मिकता की राह दिखाता है।
स्थानः नियर जंक्शन ऑफ मनाकुला विनयनगर नं0 9 मरीन स्ट्रीट, व्हाइट टो, पुदुचेरी-605002
उपयुक्त समयः नवंबर से मार्च
विदेशी संस्कृति की छाप लिए यह व्हाइट टाउन फ्रांसीसी औपनिवेशिक काल का प्रसिद्ध स्थान है जहां से समुद्री किनारे बेहद खूबसूरत लगते हैं। खूबसूरत सी बाज़ार जो बहुत ही शानदार लुक देती है। फ्रांसीसी समय की यह फ्रेंच कॉलोनी हैं जो देखने में बहुत आकर्षक लगती है, इसे विले ब्लैंच या श्वेत शहर भी कहते हैं। यहां बनी इमारतों में फ्रांसीसी कला की वास्तविक झलक है।
स्थानः व्हाइट टाउन, पांडिचेरी-605001
उपयुक्त समयः अक्टूबर से अप्रैल
बंगाल की खाड़ी से सटे इस समुद्री किनारे को रॉक बीच या पांडिचेरी बीच के नाम से भी जानते हैं। लगभग 1.2 किलोमीटर लंबा यह मार्ग एक बहुत ही आकर्षक सैरगाह है जो युद्ध स्मारक से शुरू होकर डुप्लेक्स पार्क पर समाप्त होता है। पांडिचेरी समुद्र तट का विहंगम दृश्य जिसमें रेतीले समुद्री किनारों के साथ ढलान पर पड़े हुए उबड़ खाबड़ पड़े हुए काले रंग के पत्थरों की श्रृखंला सुंदर प्रतीत होती है, जहां से पांडिचेरी के नज़ारे बहुत आकर्षक लगते हैं। यह समुद्र तट भारत के सबसे साफ समुद्र तटों में से एक है जिसे ब्लू फ्लैग सर्टिफिकेशन के लिए चुना गया है।
स्थानः गौबर्ट एवेन्यू, व्हाइट टाउन, पांडिचेरी-605001
उपयुक्त समयः अक्टूबर से मार्च
पांडिचेरी के प्रसिद्ध पर्यटन स्थानों में से एक पैराडाइज बीच वास्तव में किसी स्वर्ग से कम नहीं, स्वर्ग सी सुंदरता और शांति लिए इस स्थान पर आप चुन्नमबार बोट हाउस से इस बीच पर पहुंच सकते हैं। पैराडाइज बीच में प्रवेश के लिए कुछ शुल्क भी निर्धारित है। पैराडाइज समुद्री तट की खूबसूरती देखते बनती है यहां पर लम्बी लम्बी नारियल वृक्षों की कतारें जो बीच के किनारे धूप से राहत प्रदान करती है, आती जाती लहरें आपके पैरों का स्पर्श करती हुई ताजगी का अनुभव करा रही हैं। यहां से सूर्योदय और सूर्यास्त के दृश्यों को देखना बहुत अद्वितीय प्रतीत होता है।
स्थानः मनावेली रोड, चिन्ना वीरमपट्टिनम, पुडुकुप्पम, पांडिचेरी
उपयुक्त समयः नवंबर से मार्च
पांडिचेरी के समुद्री तटीय इलाकों में से एक सेरेनिटी बीच बहुत प्राचीन बीच है। प्रवेश के लिए कोई शुल्क नहीं है और बहुत ज्यादा भीड़भाड भी नहीं होती है। ़यहां आप नाइटलाइफ भी एन्जॉय कर सकते हैं, मन को मोहने वाले सुंदर परिदृश्यों के साथ रात्रि भ्रमण भी कर सकते हैं। नीले आकाश के नीचे समुद्र का क्रिस्टल क्लियर नीला पानी ऐसा प्रतीत होता है प्रतिबिंब हो, रेतीले समुद्री किनारों की सुंदरता के साथ कृष्ण रंग के पत्थरों का रास्ता जो समुद्र के नजदीक ले जाता है, वहां से फोटो वगैरह क्लिक करना सुखद अनुभव देता है।
स्थानः कुट्टूकुप्पम, पांडिचेरी
उपयुक्त समयः अक्टूबर से मार्च
पांडिचेरी फ्रांसीसी औपनिवेशिक के रूप में कई वर्षों तक रहा है जिस वजह से यहां के परिवेश में फ्रांसीसी पहचान की विशिष्ट महक है और इसको आज एक याद के रूप में दर्शाता है यहां का पांडिचेरी संग्रहालय जिसका निर्माण सन् 1983 में हुआ, जिसको देखने के लिए पर्यटकों के अंदर अलग ही उत्साह होता है, यह संग्रहालय फ्रांसीसी कला, वैज्ञानिकता, ऐतिहासिकता और पुरातात्विकता के सभी पक्षों को उजागर करता है। यहां विभिन्न गैलरियां, अनुभाग है- जैसे फ्रेंच इंडिया गैलरी, पुरातत्व अनुभाग, कांस्य गैलरी, मूर्तियां, शस्त्र गैलरी, कला व शिल्प गैलरी, भू वैज्ञानिक अनुभाग और भी बहुत कुछ जिसे देखकर आप पांडिचेरी के हर पहलू को और बारीकी से समझना आकर्षक लगता है।
स्थानः ईश्वरन कोविल स्ट्रीट, कैंटीन सेंट, पुदुचेरी-605001
उपयुक्त समयः अक्टूबर से फरवरी
ऑरोविले की नींव सन् 1968 में मीरा अल्फासा ‘माँ’ ने रखी और इसकी वास्तु डिजाइन रोजर एंगर ने तैयार किया था। श्री अरबिंदो आश्रम से प्रेरित होकर माँ ने इस प्रायोगिक टाउनशिप को बनाया था जिसका उद्देश्य था व्यक्ति अपनी जड़ों से जुड़ते हुए आसमान तक पहुंचे मतलब वैज्ञानिक तौर पर प्रगतिशील हो और आध्यात्मिकता में सच्चा हो। उनका मानना था कि तरक्की, प्रगति जरूरी है लेकिन उसको व्यवस्थित करने के लिए मानसिक रूप से मजबूत होना बहुत आवश्यक है। यहां विभिन्न देशों के लोग आना पंसद करते हैं, इस टाउनशिप का कुछ हिस्सा पांडिचेरी और कुछ हिस्सा तमिलनाडु में आता है। ऑरोविले का नाम फ्रेंच भाषा से प्रेरित लगता है जिसमें ऑरोरे का अर्थ सुबह और विले का मतलब शहर, नाम को लेकर एक पहलू यह भी है कि श्री अरबिंदो के नाम पर यहां का नाम रखा गया हैं। टाउनशिप के बीच में मातृमंदिर बना हुआ है, जिसके केंद्र में एक सुनहरा धातु का गोला है, जो शांति और ध्यान का प्रतीक है, अल्फासा का यह मत था कि यह पूर्णता की इच्छा लिए मनुष्य के लिए ईश्वर के उत्तर का प्रतीक है। बेहतर भविष्य के लिए यह यूनिवर्सल टाउनशिप भारतीयों का पुर्नउत्थान करने में मदद करेगी।
स्थानः मारवाड़ी स्ट्रीट, कुरूचिकुप्पम, पॉडिंचेरी
उपयुक्त समयः अक्टूबर से फरवरी
खिलौना संग्रहालय, जैसा कि नाम से ही समझ आता है कि यहां खिलौनों से संबंधित कुछ विशेष है। यहां देश के भिन्न भिन्न भागों से आए 120 से अधिक जाने माने खिलौनों का यहां संग्रह है, यहां मौजूद 100 से ज्यादा गुड़ियों का संग्रह सबसे ज्यादा आकर्षण का केंद्र है, जो अलग अलग मुख मुद्रा को प्रदर्शित करती हैं। आप यहां भारतीय राज्यों के लोककलाओं को दर्शाते खिलौने और वस्त्र देख सकते हैं। खिलौनों के एक से बढ़कर एक संग्रह आपकों यहां देखने को मिलेगा, जो बहुत दुर्लभ है, इसमें लकड़ी, चीनी मिट्टी, भरवां खिलौने, छोटे-बड़े, आदिवासी मूर्तियां अन्य बहुत सारे खिलौने शामिल हैं। खिलौने बहुत बारीकी से बनाए गए होते हैं ऐसे में डर होता है कि कहीं थोड़ी सी असावधानी भी नुकसानदायक ना हो इसलिए इन खिलौनों को दर्शकों के छूने के डर से शोकेस के अंदर रखा जाता है।
स्थानः पुराना लाइटहाउस, गोबर्ट ऐवन्यू, पुदुचेरी-605002
उपयुक्त समयः अक्टूबर से फरवरी
इसे फ्रेंच टाउन का ‘दिल’ कहा जाता है। चारों ओर हरियाली की चादर ओढे इस पार्क के बीचों बीच सफेद रंग की स्मारक आई मंडपम यहां की शांति और सुंदरता को कई गुना बढ़ा देता हैं। भारती पार्क कई विरासतों के बीच बना हुआ पार्क है, जहां स्थानीय लोग और पर्यटकों का विशेष आकर्षण रहता है। इसके आस पास राज निवास, पुदुचेरी आर्ट गैलरी, विला अरूम और भी ऐतिहासिक इमारतें इस पार्क की शोभा में चार चांद लगाने का काम करती हैं। अपनी शांति हरे रंग के साथ संजोए यह पार्क इसे टहलने, आराम करने और पिकनिक मनाने के लिए एक दम परफेक्ट जगह बनाता है। यहां छोटे छोटे तालाब, टीलों के पास बच्चे खेलना पंसद करते हैं। यहां फिल्मों वगैरह की शूटिंग भी होती है।
स्थानः 20, रूई सेंट गिल्स स्ट्रीट, व्हाइट टाउन, पुदुचेरी-605001
उपयुक्त समयः मार्च से जून
प्रथम फ्रांसीसी गवर्नर डूप्ले की प्रतिमा पांडिचेरी का प्रमुख आकर्षण है। 1870 में बनी इस प्रतिमा में गवर्नर डूप्ले लॉंग कोट, दरबारी पोशाक और यूनिफॉर्म में दिख रहे हैं। इस तरह की दो प्रतिमा बनवाई गई थी एक प्रतिमा फ्रांस में है, और दूसरी यहां पुदुचेरी में स्थापित करवाई गई। लगभग 2.88 मीटर ऊंची मूर्ति ग्रेनाइट के शानदार आधार पर खड़ी है। कद काठी बनावट और आकार काबिले तारीफ है जिसके हाथ में पांडिचेरी का नक्शा और दूसरे हाथ में तलवार का हैंडिल है। प्रतिमा के चारों ओर पार्क है, जो भ्रमण को और सुविधाजनक बनाने के काम आता है।
स्थानः स्टेच्यू ऑफ डूप्ले, डुप्पयुयपेट, गोबर्ट एवन्यू, ऑन बीच रोड, पुदुचेरी, 605101
उपयुक्त समयः अक्टूबर से फरवरी
कई सारी वनस्पति प्रजातियों को सहेजता यह बोटैनिकल गार्डन 18वीं शताब्दी में फ्रांसीसियों द्वारा बनवाया गया था। वैसे इसका उल्लेख 17वीं सदी के आसपास का पाया जाता है। पुदुचेरी के दक्षिण पश्चिम में स्थित यह अंडाकार उद्यान लगभग 11 हेक्टेयर में फैला हुआ है। यहां पर्णपाती, सदाबहार, लुप्तप्राय, उष्णकटिबंधीय और शुष्क सदाबहार प्रजातियों के सैंपल देखने को मिलते हैं। जिसमें सुंगधित, राजसी, विशाल, बौने सभी तरह के वृक्ष देखने को मिलते हैं। रंग बिरंगे फूल, उनकी बनावट, समय, साथ ही मौसमी कीट पंतगों का आना जाना और पक्षियों की चहचहाहट यह सब मिलकर बहुत लुभावना दृश्य प्रस्तुत करते हैं। जो मन को शांति और सुकून देने वाला होता है। यहां का फूल महोत्सव बहुत प्रसिद्ध है, साथ ही बच्चों के लिए एक छोटी सी रेल चलाई जाती है और लोटस फांउटेन भी आकर्षण का केंद्र है।
स्थानः मरीमलाई, आदिगल सलाई, नियर अन्ना स्टेच्यू, ओरलीनपट, पुदुचेरी-605001
उपयुक्त समयः अक्टूबर से मार्च
अगर आपको बोटिंग, कायाकिंग, स्कीइंग आदि का शौक है तो यह बोट हाउस आपके लिए एकदम सटीक है। यहां आप स्पीड बोट, मोटर बोट के साथ बजट अनुसार बीच और लॉन्ग ट्रिप का आनंद ले सकते हैं। आप स्वयं बोट राइड करते हुए भी घूम सकते हैं। सिकारा, बनाना राइड, विंड सर्फ, रॉ बोटिंग और फेरी राइड भी कर सकते हैं। जिनके चार्जेस समय दर और व्यक्तियों के हिसाब से अलग अलग हैं। यहीं से आप पैराडाइज बीच के लिए बोट बुक करके जा सकते हैं जहां आप कई सारी एक्टीविटीज़ कर सकते हैं।
स्थानः नेशनल हाईवे 45ए, नियर वाटर स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स, नोनानकुप्पम, पुदुचेरी-605007
उपयुक्त समयः अक्टूबर से मार्च
लगभग 100 साल से ज्यादा पुदुचेरी की सबसे पुरानी यह चर्च महत्वपूर्ण प्रसिद्ध स्थलों में से एक है जो भारत की सबसे प्रतिष्ठित 21 अन्य बेसिलिकाओं में से एक है। पुदुचेरी का सबसे बड़ा कहा जाने वाला यह चर्च रोमन-बीजान्टिन शैली में बना हुआ है। बेसिलिका में फ्रेंच और इंडियन दोनों वास्तुकलाओं का सम्मिश्रण है, जो इसकी खूबसूरती को पूरे भारतवर्ष में प्रसिद्ध करता है। भीतर से इसकी बनावट खूबसूरत मेहराब और खिड़कियों का अद्भुत मेल करते हैं। 24 स्तंभ, जिन पर बाइबिल के लेख लिखे हुए हैं और इसके साथ 28 संतों की प्रतियां, देखने में आकर्षक लगती हैं।
स्थानः साउथ बोलेवार्ड, नियर रेलवे स्टेशन, एमजी रोड एरिया, पुदुचेरी-605001
उपयुक्त समयः दिसंबर से फरवरी
पुदुचेरी में बना यह मंदिर अपने नाम की तरह अनोखा है, यह मंदिर भगवान गणपति की पूजा, ध्यान, अर्चना के लिए विश्व प्रसिद्ध है। इस मंदिर के साथ रोचक वाकया जुड़ा है, ऐसा सुनते हैं कि फ्रांसीसी शासन के दौरान मंदिर के ठीक बगल में 1688 में एक किला बनवाया और उसके प्रभुत्व को दर्शाने के उद्देश्य से मंदिर से गणपति की मूर्ति को समुद्र में फेंक दिया। लेकिन वो हैरत में पड़ गए क्योंकि जितनी बार वो मूर्ति फेंकते वो स्वतः ही मंदिर में अपने आप प्रकट हो जाती, यह देखकर वो इनकी महत्ता समझ गए और इनके अनुयायी बन गए। मंदिर की द्रविड़ वास्तुकला बहुत अद्वितीय है। खूबसूरती का पर्याय इस मंदिर का कोडी कम्बम सोने से मढा हुआ है और भगवान गणेश की प्रतिमा सोने के रथ पर सवार है।
स्थानः मनाकुला विनयगर कोइल सेंट, व्हाइट टाउन, पुदुचेरी-605001
उपयुक्त समयः अक्टूबर से मार्च
श्री कोकिलाम्बिका-श्री कामेश्वर मंदिर के नाम से बहुप्रसिद्ध मंदिर भगवान शिव के श्रद्धालुओं के लिए श्रद्धा का केंद्र है, जहां उनकी मनोकामना की पूर्ति होती है। 12वीं शताब्दी के बनने वाले इस मंदिर में द्रविड़ वास्तुकला की छाप है, इसका सपाट प्रवेश द्वार दक्षिण की ओर है। लगभग दो एकड़ में फैले यह मंदिर संकेंद्रित आयताकार दीवारों से घिरा हुआ है। भगवान शिव यहां कामेश्वर और उनकी पत्नी पार्वती देवी कोकिलाम्बा अम्मन के रूप में पूजनीय अर्चित हैं।
स्थानः विलियानूर, पुदुचेरी
उपयुक्त समयः नवंबर से मार्च
फ्रांसीसी संस्कृतियों और लोक कलाओं का भारत में दर्शन कराता यह क्षेत्र अपनी विशिष्ट झलक के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध है। यहां के समुद्री तट, उपनिवेशी ऐतिहासिक स्मारक, पार्क, पवित्र स्थल और मुख्य सड़कें जो अपने ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को बखूबी बयां करती हैं। यहां आप विदेशी और देशी संस्कृति की इस मिश्रित झलक को बहुत करीब से महसूस कर सकते हैं।