• Aug 07, 2025

ऐतिहासिक शहर अमृतसर पंजाब राज्य का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, शहर अपने राजनैतिक, सांस्कृतिक और धार्मिक रूप से पर्यटकों को सदैव आकर्षित करता रहता है। स्वतंत्रता संग्राम की गूंज से झंकारती अमृतसर की गलियां और देशभक्ति की अटूट मिसाल पेश करते इस शहर की कहानी किसी एक दायरे में सीमित नहीं है। अगर आप भक्ति और इतिहास के बेजोड़ संगम की जीवंत ऊर्जा से रूबरू होना चाहते हैं तो अमृतसर आपके लिए परफेक्ट डेस्टिनेशन हैं जहां आप अपने बच्चों और प्रियजनों के साथ एक कंप्लीट ट्रिप प्लान कर सकते हैं।

1. स्वर्ण मंदिरः

हरमिंदर साहब या श्री दरबार साहिब से प्रतिष्ठित यह गुरूद्वारा सिर्फ सिक्ख धर्म के अनुयायियों के लिए ही नहीं बल्कि हिंदू धर्म के लिए भी आस्था का केंद्र है। इसकी उपस्थिति जीवन में दया, धर्म और कर्तव्यपरायणता और वीरता का पाठ पढाती है, जो इंसानियत और सभी के आदर का प्रतीक है। यह दरबार किसी भी जाति धर्म या किसी भी आधार पर लोगों में भेदभाव नहीं करता। वैभवशाली वास्तुकला और सोने से बना यह मंदिर अपनी भव्यता के लिए संसार भर में प्रसिद्ध है, जो स्वर्ण मंदिर के नाम से भी प्रसिद्ध है। इसकी संपूर्ण रूपरेखा, नीवं और वास्तु गुरू अर्जुन देव द्वारा ही डिजाइन किया गया। यहां अवस्थित पवित्र कुंड की स्थापना का विचार सबसे पहले गुरु अमर दास के मन में आया, जिसकी शुरूआत गुरु रामदास ने की थी। निरंतर गुरू गं्रथ साहिब का पाठ होते रहने से यहां की आध्यात्मिक ऊर्जा एक उच्च स्तर पर होती है।

परिवार और बच्चों के लिए मुख्य आकर्षणः

  • यहां विश्व की सबसे विशाल रसोईघर में लंगर प्रसाद बनता रहता है, जहां हर दिन कई हजारों लोग एक साथ छकते हैं। आप भी सभी के साथ लंगर के स्वाद का आनंद ले सकते हैं।
  • लंगर आदि सेवाओं में अपनी मर्जी से मानव सेवा कार्य में कुछ श्रमदान कर सकते हैं, ऐसा करना आत्मिक शांति और बच्चों के लिए बेहतर सीख के रूप होगा, जो उन्हें बेहतर इंसान बनाने में एक मजबूत क़दम होगा।
  • मंदिर का स्वर्णिम पक्ष और आस पास प्रवाहित कुंड की झलक बच्चों के साथ आपको भी शांति और सुकून देने वाली होती है, जहां आप थोड़ी देर के लिए वातावरण को निहार सकते हैं।

अपनाएं ये बातें

  • गुरूद्वारा एक पवित्र स्थान हैं, यहां की मर्यादा बनाए रखें और नम्रभाव से दर्शन करें। स्वयं और अपने बच्चों के सिर ढक कर रखें इसके लिए प्रवेश द्वार पर ही स्कार्फ उपलब्ध रहते हैं। प्रार्थना सभा में शांति के साथ प्रार्थना करें, अनावश्यक बातचीत बिल्कुल न करें और बच्चों को भी इसके लिए समझाएं।

2. गोविंदगढ किलाः

अमृतसर में स्थित यह किला 18वीं शताब्दी के दौरान जाटों की भंगी मिसल द्वारा स्थापित किया गया था, जिसका नाम महाराजा रणजीत सिंह ने गुरु गोबिंद सिंह के नाम पर रख दिया था। इस किले को साल 2017 से ही आम जनमानस के पर्यटन हेतु खोला गया है, जो एक सैन्य किला है। किलें में तोपें, वृत्ताकार रास्ता, खजाना और बुर्ज थे। इसके शिखर पर 25 तोंपे लगी हुई हैं जो इसे और शानदार बनाती हैं। इस किले को बनाने का उद्देश्य जी टी रोड के जरिए आने वाले आक्रमणकारियों पर रोक लगाना और गोल्डन टेंपिल को हमलावरों से बचाना था। इस किले को महाराजा रणजीत सिंह ने और मजबूती प्रदान की थी। यहां होने वाले ऐतिहासिक प्रदर्शन एक्टिविटी और प्रदर्शनियां पर्यटकों को खूब आकर्षित करता है।

परिवार और बच्चों के लिए कुछ करने लायक उम्दा चीजेंः

  • बच्चों और प्रियजनों के साथ यहां होने वाला शेर ए पंजाब 7डी शो जो महाराजा रणजीत सिंह के जीवन पर आधारित है, उसका आनंद ले सकते है और बच्चे महाराजा रणजीत सिंह की वीरता और अच्छाई से सीख ले सकते हैं।
  • तोशखाना में रखे पुराने और दुर्लभ सिक्कों को दिखाते हुए संग्रहालय का महत्व समझा सकते हैं। बंगला में एंग्लो सिख बंगले में अवस्थित युद्ध संग्रहालय में कई वाद्ययंत्रों और युद्ध की ड्रेसेज को देखने का कौतूहल बढा सकते हैं।
  • यहां मौजूद हाट बाजार से बच्चों के लिए कुछ खरीदारी भी कर सकते हैं साथ ही स्ट्रीट फूड्स का आनंद भी ले सकते हैं।
  •  यहां होने वाले पांरपरिक भांगड़ा, गतका, गिद्दा, हास्य और खेल के सीधे प्रदर्शन से स्वस्थ मनोरंजन कर सकते हैं। साथ ही यहां होने वाले व्हिस्परिंग बॉल्स का आनंद भी ले सकते हैं। जिसमें प्रोजेक्शन मैपिंग तकनीकों और लेजर लाइट्स का इस्तेमाल होता है।

3. जालियां वाला बागः

भारत के मार्मिक पहलू को प्रस्तुत करता यह बाग जिसका जिक्र जब भी होता है, इतिहास का वो दिन आंखों के सामने सजीव होने लगता है, जब सन् 1919 में जनरल डायर के कहने पर हजारों निहत्थे मासूम लोगों पर अंधाधुंध फायरिंग कर उन्हें मौत की नींद सुला दिया गया, जबकि वे वहां रौलेट एक्ट का शांतिपूर्ण विरोध करने के लिए इकट्ठे हुए थे। अंग्रेजी हुकूमत की ऐसी कायरना हरकत का साक्षी बना यह पार्क पर्यटकों को इसी घटना की परछाईयों से रूबरू करवाता है।

परिवार और बच्चों के लिए क्या है खास

  • यहां चली अनवरत गोलियों के निशान आज भी यहां की दीवारों पर दर्ज हैं जिसे अतीत की सबसे दुर्भाग्य पूर्ण घटना माना जाता है। 
  • पार्क के बीच में स्थित कुआं, जहां स्वयं को बचाने हेतु लोगों ने बिना सोचे समझे छलांग लगा दी, आज भी इन शहीदों का प्रतीक है। 
  • संग्रहालय में बच्चों को सरल तरीके से इस पूरे इतिहास को समझा सकते हैं जो इनके अंदर देश के वीरों के प्रति सम्मान की भावना जगाने में सहायक होगी। आप चाहें तो क्रांतिकारियों के बाल जीवन की कहानियां भी बच्चों को सुना सकते हैं।

जरूरी सुझावः

  • बच्चा बहुत छोटा हो तो संपूर्ण कहानी विस्तार से बचाने से परहेज करें। किसी छोटी सी कहानी के माध्यम से सिर्फ थोड़ी ही बात में समझाने का प्रयास करें।

4. विभाजन संग्रहालयः

1947 में होने वाले भारतीय विभाजन से संबंधित यह संग्रहालय अपनी तरह का विश्व में एकमात्र संग्रहालय है जहां विभाजन से जुड़ी हर एक चीज देखने को मिलती है। अमृतसर के टाउन हॉल में अवस्थित इस संग्रहालय में विभाजन के दौरान होने वाले दंगों से जुड़ी कहानियों, सामग्रियों और पेपर्स का संग्रह करता है। जहां अन्य प्रमुख ऐतिहासिक घटनाओं से जुड़ी घटनाओं की यादें और साक्ष्य का प्रतिविंब देखने को मिलता है, जिनमें से जालियांबाग हत्याकांड, कामागाटा मारू ऐतिहासिक घटना, अखिल भारतीय मुस्लिम लीग और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना इतिहास और अन्य जानकारियां भी मिलती हैं। जहां आज यह संग्रहालय है, ब्रिटिशकालीन में यह मुख्यालय और जेल हुआ करता था, इसकी शुरूआत साल 2017 से हुई है। यहां बहुत छोटे बच्चों को ले जाना उपयुक्त नहीं है, कम से कम 10 वर्ष या इससे ऊपर के बच्चों को ले जाना उचित है।

परिवार और बच्चों के लिए यहां क्या है खासः

  • उन परिवारों के संघर्ष को समझा सकते हैं जिन्होंने विभाजन के दौरान जिंदगी की कठिनाईयों को पार कर औरों के लिए मिसाल बने। 
  • प्रमुख घटनाआेंं से जुड़ी वस्तुएं जिन्हेंं सिर्फ इतिहास की किताबों में पढने को मिलता है, बच्चों को उन पक्षों से साक्षात् अवगत करा सकते हैं।
  • पारिवारिक जिंदगी को प्रेरित करने के लिए ऑडियों क्लिप्स और लघु फिल्मों के द्वारा यादों को सहेज सकते हैं।
  • बच्चों को समझा सकते हैं कि दुनिया में एकता, शांति और परस्पर प्रेम की भावना सभी के लिए बहुत जरूरी है।

5. महाराजा रणजीत सिंह पैनोरमाः

शेर-ए-पंजाब उपाधि से प्रसिद्ध महाराजा रणजीत सिंह अपने काल के प्रमुख व्यक्तियों में से एक थे। इनके तब किए गए गौरवपूर्ण कार्य को पहचान प्रदान करता यह संग्रहालय भारत संरकार द्वारा संभाला जाता है जिसमें संस्कृति मंत्रालय, राष्ट्रीय विज्ञान संग्रहालय परिषद् की महत्वपूर्ण भूमिका है। कम से कम 4.5 एकड़ मे बना यह पैनोरमा रामबाग हेरिटेज गार्डन की शान है जहां महाराजा के समर महल के पास हरियाली का वातावरण और बेलनाकार इमारत की भव्यता देखते बनती है।

परिवार और बच्चों के लिए क्या है खास

  • यहां का मुख्य आकर्षण उनके छह प्रमुख युद्धों में करीब 12 मीटर ऊंची और 100 मीटर लंबी पैनोरमिक पेंटिंग के साथ अन्य आकर्षण और मशहूर पेटिंग्स हैं।
  • यहां उनके युद्ध में प्रयोग होने वाली असली शस्त्र तलवारें और अन्य शस्त्रागारों के साथ युद्ध संबंधित चित्रों को भी देख सकते हैं। 
  • वृहद पेटिंग्स देखने में आकर्षक और सरलता से समझ आती हैं।
  • इंटरेक्टिव टच स्क्रीन के माध्यम से आंगुतक किसी भी घटना को संपूर्णता से जान सकते हैं और बच्चों को भी समझा सकते हैं। 
  • महाराजा रणजीत सिंह के जीवन से बच्चो को शिक्षाप्रद कहानियों के माध्यम से सीख प्रदान कर सकते हैं।

6. पुल कंजरीः

महाराजा रणजीत सिंह द्वारा अपनी प्रिय नर्तक मोरन के लिए बनवाया गया था, यह पुल रावी नदी से निकलने वाली छोटी सी नहर के लिए था, जिसे पैदल पार करना पड़ता था। इस पुल पर सन् 1965 और 1971 के आसपास पाकिस्तान का कब्जा भी हो चुका है, लेकिन शांति और विवाद सुलझने के बाद यह दोबारा से भारत के सुरक्षित सीमा के भीतर स्थापित है। अमृतसर से करीब 35 किमी दूर स्थित यह स्थान अटारी बॉर्डर के पास ही स्थित है। मनमोहक और आकर्षक ऐतिहासिक छवि के साथ बना यह पुल किसी समय में एक व्यापारिक केंद्र था, जहां से अमृतसर को लाहौर से जोड़ने वाली नहर के ऊपर यह बना था। इस पुल के पास एक मंदिर, गुरूद्वारा, मस्जिद और एक बावली का निर्माण भी कराया गया, जिसके प्रतीक चिन्ह आज भी देखने को मिलते हैं। जहां कई सारी पेटिंग्स, भित्ति चित्रों का निर्माण भी कराया गया है- इसमे सोनी महिवाल की पेटिंग भी देखने को मिलती है। प्रकृति की गोद, हरियाली और शांत वातावरण की वजह से यह स्थान अपने पर्यटकों का ध्यान आकर्षित करता है। 

परिवार और बच्चों के लिए क्या है खासः

  • 19वीं सदी की वास्तुकला से स्वयं और बच्चों को अवगत कराने के साथ ही यहां मौजूद मस्जिद मंदिर बावली का एक ही जगह पर अनोखा मेल दिखा सकते हैं।
  • बच्चों को इतिहास और संस्कृति संबंधी जानकारी मिलती है।
  • यहां के शांत वातावरण में हरी भरी हरियाली के बीच बेहतर फोटोग्राफी और पूरे परिवार के साथ छोटे छोटे वीडियों भी बना सकते हैं।
  • पुल कंजरी वॉर मेमोरियल को देखकर इंडियन आर्मी की मेहनत और जज्बे से बच्चों को अवगत कराते हुए प्रेरित कर सकते हैं।

7. वाघा बॉर्डरः

अमृतसर से करीब 30 किमी दूरी पर स्थित है वाघा बार्डर, जहां देशभक्ति की भावना पूरे चरम पर होती है। कदमताल करते सैनिक जब रिट्रीट सेरेमनी के लिए आगे बढते हैं उस समय देश के तिरंगे की शोभा देखकर हृदय रोमांचकता से भर जाता है। सेरेमनी से पहले देशभक्ति पर झूमते कलाकार राष्ट्रप्रेम की भावना को और बल प्रदान करते हैं। देशभक्ति के नारों से गुजाएंमान होता वातावरण और वाघा अटारी बॉर्डर समारोह की छवि देखते बनती है, सन् 1959 से यह कार्यक्रम अनवरत चल रहा है, जिसमें सेना का मनोबल बढाते पर्यटकों के अंदर देश प्रेम की भावना सबसे ऊपर होती है।

परिवार और बच्चों के लिए क्यों है खासः

  • देशभक्ति से ओतप्रोत जीवंत वातावरण में बच्चे देशप्रेम के महत्व को बेहतर तरीके से समझ सकते हैं।
  • वाघा बॉर्डर पर सुरक्षा के बेहतर इंतजाम के बीच पूरे परिवार के साथ इस खुशनुमा माहौल का आनंद उठा सकते हैं।
  • समारोह के दौरान विभिन्न सैन्य अभ्यास और झंडे, वर्दी की शानदार फोटोग्राफी कर सकते हैं।
  • शान से फहराता तिरंगा और गर्व की अनुभूति के रोमांचक पलों को पूरे परिवार के साथ महसूस कर सकते हैं।

8. दुर्गियाना मंदिर अमृतसरः

स्वर्ण मंदिर की तरह दिखने वाला दुर्गियाना मंदिर माता भगवती देवी दुर्गा को समर्पित अमृतसर का प्रसिद्ध मंदिर है, जहां लक्ष्मी और विष्णु भगवान के साथ और भी भगवानों की प्रतिमाओं के भी भव्य दर्शन प्राप्त होते हैं। यह मंदिर भी स्वर्ण मंदिर की तरह एक झील के बीच में अवस्थित है। मूलतः यह मंदिर 16वीं शताब्दी के आसपास का है लेकिन वर्तमान ढांचा गुरु हरसाई मलकपूर ने सन 1921 में स्वर्ण मंदिर की तर्ज पर ही करवाया है। इस मंदिर से जुड़ी किंवदंती है कि यहां स्थित एक प्राचीन पेड़ में लव और कुश ने अश्वमेध यज्ञ का घोड़ा वापस लेने आए श्री हनुमान जी को बांधा था। इस मंदिर के पौराणिक और ऐतिहासिक महत्व के कारण इसकी 200 मीटर की रेंज के अन्तर्गत किसी भी मादक पदार्थ की बिक्री नहीं होती है। 

परिवार और बच्चों के लिए क्या है खासः

  • शांत और झील के किनारे अवस्थित होने के कारण मनोरम दृश्यों का निर्माण करता है, जिसमें आध्यात्मिक आभा और बढ जाती है।
  • पौराणिक इतिहास व स्वर्ण मंदिर की तरह हूबहू दिखाई देने के कारण आश्चर्यजनक रोचकता, सुंदर और महत्व और बढ जाता है।
  • बच्चे मंदिर में पूजा आदि कार्यक्रमों की रौनक को देखने के साथ ही प्रसाद आदि के स्वाद ही घंटियों को बजाकर उनकी दिव्य झंकार सुन सकते हैं।
  • बहुत ज्यादा भीड़ न होने की वजह से धार्मिक भावनाओं और परिवार के साथ सुंदर समय बिता सकते हैं।

9. सराय अमानत खानः

राष्ट्रीय महत्व की स्मारक के रूप में संरक्षित सराय अमानत खान का निर्माण 16वीं शताब्दी के दौरान अमानत खान ने करवाया था, जो लाहौर से आगरा जाने के रास्ते में यात्रियों की सुविधा हेतु बनवायी गई सराय थीं जिसमें एक कुआं और मस्जिद की सुविधा भी उपलब्ध थी। यहां मौजूद मकबरे में अमानत खान के अवशेष दफन हैं, ये मुगल रईसो में से एक और लेखक होने के साथ ही ताजमहल में अपने काम के लिए मशहूर रहे हैं, जहां इनकी कृतियो और उनकी विशेषताओं को देखा भी जा सकता है। अमानत खान ने यह स्मारक अपने भाई अफजल खान की याद में बनवाई थी, जो भातृ प्रेम का बेहतर उदाहरण है।

परिवार और बच्चों के लिए क्या है खासः

  • मुगल वास्तुकला से बच्चों की जानकारी करवाने के साथ ही विशाल और भव्य सराय का दीदार कर सकते हैं।
  • शिल्प कला कौशल और उनकी कृतियों से संबंधित छवियों के शिलालेखों को देख सकते हैं।

10. खालसा कॉलेज

1892 में स्थापित यह कॉलेज लगभग 300 एकड़ में फैला शिक्षण संस्थान होने के साथ ही इंडो सरसेनिक शैली का भव्य उदाहरण है, जहां हरियाली लिए घास के मैदानो की खूबसूरती और लाल बलुआ पत्थर से बने इस इमारत की शोभा आकर्षक लगती है। इस कॉलेज का डिजाइन वास्तुशिल्पकार राम सिंह द्वारा बनाया गया है, जिन्हें ब्रिटिश भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरुस्कार से भी नवाजा गया। उच्च शिक्षा प्रदान करने के साथ ही यह कॉलेज कई सारे स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों, राजनैतिक, सशस्त्र, वैज्ञानिकों और प्रसिद्ध हस्तियों की जननी है, इस कॉलेज ने देश सेवा पर मर मिटने से लेकर कई नायाब हीरे भारत को दिये हैं। विभिन्न संकायों में संचालित यह कॉलेज देखने में किसी महल से कम नहीं लगता है, जहां शिक्षा का भव्य महल है। आप यहां सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक घूम सकते हैं और इसके लिए आपको कोई शुल्क भी नहीं देना है।

परिवार और बच्चों के लिए क्या है खासः

  • वैभवशाली वास्तुकला की झलक और बेहतरीन तस्वीरें कैद कर सकते हैं।
  • बच्चे थोड़ा बड़े हैं तो बेहतर तरीके से शिक्षा के इस संस्थान की अहमियत को समझते हुए भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में इस कॉलेज की भूमिका को समझ सकते हैं।

कैसे पहुंचे अमृतसरः

हवाई मार्गः

  •  नजदीकी हवाई अड्डा श्री गुरु रामदास जी इंटरनेशनल एयरपोर्ट, अमृतसर है जिसकी शहर के मुख्य केंद्र से करीब 10 किमी दूरी है।

रेल मार्गः

  • नजदीकी अमृतसर रेलवे स्टेशन के माध्यम से भी आसानी से पहुंच कर अमृतसर घूम सकते हो। 

सड़क मार्गः

  • अमृतसर देश के प्रमुख शहरों से बेहतर सड़क माध्यम से जुड़ा है जिसकी दिल्ली से लगभग दूरी 450 किमी है, बसें या कैब के माध्यम से अमृतसर पहुंचना आसान है।

निष्कर्षः

अमृतसर, सिर्फ किसी एक धर्म के लिए ही नहीं बल्कि पूरे भारतवासियों के लिए पर्यटन का आकर्षण हैं, ऐतिहासिक समृद्धि और विरासतों से संपन्न इस शहर में बच्चे बड़े सभी के लिए जानने और सीखने के साथ ही स्वस्थ मनोरंजन कराते कई अद्भुत विकल्प हैं। ऐतिहासिक गलियों से निकलकर धार्मिक पराकाष्ठा तक के सफर का आनंद देता अमृतसर आज भी कई परिप्रेक्ष्यों में खास हैं जहां आप सिर्फ स्वर्ण मंदिर की झलक नही देखते बल्कि वाघा बार्डर की प्रतिष्ठा से भी परिचित होने के साथ ही जालियांवाला बाग हत्याकांड की धरती की भावनात्मकता को और करीब से महसूस कर पाते हैं।

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