प्रतिष्ठित गुरूद्वारा बंगला साहिब, देश की राजधानी दिल्ली का एक जाना माना सिख तीर्थस्थल है, जिसकी ख्याति देश विदेशों तक है, मानवता और सेवा की मिसाल पेश करता यह गुरूद्वारा सिखों कें आठवें गुरू हर किशन जी को समर्पित है। परम पुनीत जलकुंड के साथ पुरातन श्वेत रंग से सजा और स्वर्ण गुबंद की दिव्यता लिए यह गुरूद्वारा सदियों से न केवल आध्यात्मिक आभा को बिखेर रहा है बल्कि सभी के लिए प्राचीन विरासत भी है।
दिल्ली की भीड़ में शांति सुकून की भेंट प्रदान करता यह गुरूद्वारा बेहद खास और लोकप्रिय है, यह दिल्ली की फेमस कनॉट प्लेस के पास स्थित अनगिनत श्रद्धालुओं को कृपा शरण प्रदान करता है, भागती दौड़ती ज़िंदगी की आपाधापी में आध्यात्मिक शांति की सौगात देता स्थान सही दिशा प्रदान करता है।
सिख धर्म में सातवें गुरू हरराय साहिब जी और माता किशन कौर के दूसरे बेटे गुरू हरकिशन साहिब जी थे, इनके पहले बेटे का नाम राम राय था, जो गुरू विरोधी और मुगल सल्तनत के प्रभाव अधीन था इस वजह से उसे सिख पंथ से बहिष्कृत कर दिया गया था।
वहीं गुरू हरकिशन साहिब जी को महज पांच वर्ष की उम्र में ही सिखों के आठवें गुरू होने का गौरव प्राप्त हुआ जिससे कई लोगों को उनकी पद प्राप्ति पर संदेह था। लेकिन गुरू हर किशन की योग्यता और देव तुल्य चमत्कारों से लोगों की भ्रांतिया टूटने लगीं और उनकी ख्याति बढने लगी। इस बात से बौखलाए उनके भाई राम राय ने औरंगजेब से मिलकर इस बात की शिकायत की, औरंगजेब ने इसका फायदा उठाकर दिल्ली में रहने वाले राजा जय सिंह से गुरू हरकिशन साहिब जी को दिल्ली बुलाने के लिए कहा। गुरू हरकिशनजी शुरूआत में दिल्ली आने को राजी नहीं थे लेकिन राजा जयसिंह के बार बार अनुरोध करने पर वह दिल्ली आने को राजी हुए।
दिल्ली आने पर उन्हें राजा जयसिंह के महल में ठहराया गया, यही महल आज गुरूद्वारा बंगला साहिब के नाम से जाना जाता है। राजा जयसिंह की पत्नी रानी ने इनकी परीक्षा लेने के उद्देश्य से दासी का भेष बनाकर स्वांग किया लेकिन गुरू हरकिशन साहिब को रानी का असली स्वरूप पहचानने में तनिक भी देर नहीं लगी।
उस समय दिल्ली में फैली हैजा और चेचक महामारी से लोग परेशान थे और मुगल राज को इसकी कोई परवाह तक नहीं थी, ऐसे में गुरू हरकिशनसाहिब जी ने लोगों को निःस्वार्थ भाव से यहां उपस्थित एक कुंड से पवित्र जल दिया व सेवा कर दिल्ली को इस महामारी से मुक्त किया। मुस्लिम वर्ग के लोगों ने उन्हें ‘‘बाला पीर’’ कहकर संबोधित भी किया।
सेवा करते हुए उनका नश्वर शरीर भी इस महामारी की चपेट में आ गया और मात्र आठ वर्ष की आयु में सेवा की दया की विरासत पीछे छोड़ अपने शरीर को मानव कल्याण में समर्पित कर दिया।
गुरूद्वारा बंगला साहिब सप्ताह में सातों दिन और 24 घंटे खुला रहता हैं, जहां आप अपने अनुसार कभी भी जा सकते हैं लेकिन धार्मिक जुड़ाव की दृष्टि से कुछ वक्त विशेष होता है जब आपको यहां आना अनोखी शांति प्रदान करता है।
दिन में बेहतर समय
साल में विशेष तिथियां
दिल्ली के कनॉट प्लेस के पास स्थित यह गुरूद्वारा केंद्रीय स्थान में ही स्थित है जहां जाने के लिए कई विकल्पों की सुविधा है।
दिल्ली में मेट्रो रेल आवागमन का सुलभ और सहज साधन है जहां से गुरूद्वारा बंगला साहिब पहुंचना बहुत ही आसान है।
निकटतम मेट्रो स्टेशनः
दिल्ली परिवहन निगम की या निजी बसों द्वारा कनॉट प्लेस पहुंचकर आसानी से गुरूद्वारा पहुंचा जा सकता है।
आप चाहें तो निजी बुकिंग वाहन एप ओला, उबर, रैपिडो या अन्य ऐप आधारित बुकिंग सुविधाओं के माध्यम से भी गुरूद्वारे के सामने तक सीधे पहुंच सकते हैं।
आप यहां अपने साधन से भी पहुंच सकते हैं और पार्किंग की भी बहुत अच्छी व्यवस्था है जो पूर्णतया निःशुल्क है।
समीपवर्ती पार्किंगः पालिका बाजार या कनॉट प्लेस पार्किंग में भी गाड़ी खड़ी कर सकते हैं।
गुरूद्वारा बंगला साहिब में अवस्थित प्राचीन कुंड की बहुत मान्यता है कि इस जल में हाथ पैर धोने व डुबकी लगाने या स्पर्श करने से समस्त रोग व्याधियों का नाश हो जाता है और यहां आपकी सभी दुख तकलीफों से राहत मिलती है।
आप यहां से इस कुंड के अमृत जल को अपने साथ घर भी ला सकते हैं इसके लिए कोई छोटी सी बोतल कैरी भी कर सकते हैं।
यह गुरूद्धारा बंगला साहिब वास्तव में एक बंगला ही था जिसमें राजा जय सिंह निवास करते थे और यहां उन्होंने गुरू हरकिशन साहिब जी को ठहराया था। 17वीं शताब्दी के आसपास इस बंगले को जयसिंहपुरा पैलेस नाम से जाना जाता था, और इस जगह को जयसिंहपुरा कहा जाता था जिसे आज कनॉट प्लेस नाम से जानते हैं।
यहां पूरे वर्ष भर बिना किसी अवकाश के लंगर कराया जाता है जिसमें हजारों लोग रोज छकते हैं। बंगला साहिब का हॉल इतना बड़ा है कि यहां आठ नौ सौ लोग एक साथ बैठकर भोजन कर सकते हैं। आप यहां रसोई में जाकर लंगर बनाने और लोगों को खिलाने में अपनी सेवा भी दे सकते हैं।
यहां डायग्नोस्टिक सेंटर भी है जिसमें मंहगी जांचे भी बहुत कम रूपये में की जाती हैं, यहां किडनी डायलिसिस हॉस्पिटल भी है। हैरानी की बात है कि कोई भी पेड काउंटर नहीं है, सभी सुविधाएं बिना किसी शुल्क के दी जाती है, मरीजो को इसी तरही ही एडमिट किया जाता है, बाहरी लोग यहां उपलब्धता के आधार पर कमरों में रूकने के साथ ही लंगर में भोजन भी कर सकते हैं।
1. प्रार्थना प्रमुख कक्ष में आशीर्वाद प्राप्त करें, गुरूद्वारा बंगला साहिब जी के सबसे मुख्य स्थान दरबार साहिब में जहां गुरू गं्रथ साहिब पवित्र गं्रथ रखा हुआ है, पवित्र वाणी कीर्तन होते हैं जिसकी दिव्य आभा में तन और मन दोनो पवित्र हो जाते हैं।
2. पवित्र जलकुंड के जल को छूने से तमाम सारी नकारात्मकता दूर हो जाती है और मन को पवित्रता का एहसास होता है।
3. पवित्र प्रसाद के रूप में लंगर को चखें और श्रमदान देकर आत्मिक शांति का अनुभव प्राप्त करें। लंगर में आपको भली भांति बैठाकर प्रेम पूर्वक स्नेह के साथ भोजन कराया जाता है जिसमें दाल, रोटी, सब्जी और मिष्ठान परोसा जाता है। यहां आप भोजन बनवाने की मदद से लेकर परोसने या बर्तन धोने जैसे श्रमदान कर सकते हैं।
4. संग्रहालय का अवलोकन करें जिसमें आप गुरू हरकिशन साहिब जी के योगदान और सिख धर्म के योगदान के बारें में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। जहां पुरानी पांडुलिपियां, चित्रण और उस समय से जुड़े प्रमुख अंशों को देख सकते हैं और इसके लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाता है।
5. गुरूद्वारा प्रांगण पर कुछ वक्त बिताएं, उद्यान की शोभा को निहारें और अन्य भवनों का आनंद लें जहां आप बाहर से गुरूद्वारा की शानदार तस्वीरें भी ले सकते हैं।दिन ढलने के बाद गुरूद्वारा परिसर देखने में बहुत आकर्षक लगता है।
1. कनॉट प्लेसः गुरूद्वारा से करीब 1 किमी ही दूर यह जगह राजसी परिदृश्यों और शाही गलियों के साथ मार्केट का बेहतर मौका देती है।
2. जनपथ मार्केटः लोकप्रिय और सुविधाजनक शॉपिंग का आनंद प्रदान करती है जिसकी दूरी करीब 1.5 किमी है।
3. जंतर मंतरः एक प्रसिद्ध खगोलीय प्रयोगशाला, लगभग 1.8 किमी की दूरी पर है।
4. इंडिया गेटः स्वतंत्रता के लिए समर्पित भारतीय सैनिकों को सलामी देता स्थल जिसकी दूरी लगभग 2.5 किमी है।
5. राष्ट्रपति भवनः भारतीय राष्ट्रपति का आधिकारिक निवास जिसमें मौजूद गार्डन और भव्य कमरें हैं और यहां से लगभग 3 किमी दूरी पर है।
अंत में, गुरूद्वारा बंगला साहिब आध्यात्मिक केंद्र से भी कहीं ज्यादा संपूर्णतः मानवता और प्रेम का प्रदर्शक है, जहां धार्मिक आभा, मानसिक शांति और बिना स्वार्थ सेवा की नींव है। आप यहां अरदास करें या इसकी भव्यता को निहारें, हर श्रद्धालु यहां अपना विशेष अनुभव प्राप्त करता है इसकी छाप मन की गहराइयों तक समा जाती है।
प्रश्नः क्या गुरूद्वारा बंगला साहिब किसी भी धर्म के लोग जा सकते हैं?
उत्तरः जी हां, यहां सभी धर्मों के लोगों का स्वागत है।
प्रश्नः क्या यहां किसी प्रकार का कोई शुल्क लिया जाता है?
उत्तरः जी नहीं, यहां दर्शन करने और लंगर खाने में किसी प्रकार कोई शुल्क नहीं लिया जाता है।
प्रश्नः क्या पवित्र कुंड से जल घर ले जा सकते हैं?
उत्तरः जी हां, बिल्कुल
प्रश्नः क्या यहां अवस्थित कमरों में ठहर सकते हैं?
उत्तरः उपलब्धता के आधार पर कमरों में ठहर सकते हैं।
प्रश्नः क्या यहां तस्वीरें खींची जा सकती हैं?
उत्तरः दरबारी हॉल में तस्वीरें लेना सख्त मना है, मुख्य भवन के बाहर गुरूदारा परिसर में तस्वीरें खींच सकते हैं।
प्रश्नः क्या गुरूद्वारा बंगला साहिब मे जाने की कोई निश्चित समय सीमा अंतराल है?
उत्तरः जी नहीं, आप कभी भी गुरूद्वारा बंगला साहिब जा सकते हैं जिसमें प्रातःकाल सर्वोत्तम माना जाता है।