दिल्ली इतिहास से आधुनिकता तक, राजनीति से परंपरा तक, स्मारक स्थलों से मंदिरों तक देश दुनिया में विख्यात ये शहर कई मायनों में खास है। कला के हर वर्ग में यहां बहुत कुछ देखने को मिलता है। बहुत सी विरासतों को लेकर अपनी पहचान को सहेजता दिल्ली बहुत से मंदिरों की स्थली बना हुआ है, यहां के मंदिरों को देखकर मन को बहुत सुकून मिलता है। तो आइए जानते हैं दिल्ली के कुछ प्रसिद्ध मंदिरों के बारें में।
स्थापत्य, वास्तुशिल्प, और आध्यमिकता को दर्शाता ये मंदिर दर्शनार्थियों की विशेष पसंद हैं। यमुना नदी के किनारे शांत वातावरण में बसे हुए इस मंदिर की छटा देखते बनती है। यहां आकर आप कला, ज्ञान ,ध्यान और प्राकृतिक सुदंरता का एक अनूठा अनुभव कर सकते हैं साथ ही संध्या के समय मंदिर परिसर में मौजूद भारत की सबसे बड़ी बावड़ी में होने वाला जल शो बहुत आकर्षक प्रतीत होता है। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि दुनिया के सबसे विस्तृत हिंदू मंदिरों में से एक इस मंदिर का नाम गिनीज बुक ऑफ द वर्ल्ड में दर्ज है। आध्यात्मिक साधकों के लिए ये स्थान सर्वोत्तम है। सुरक्षा की दृष्टि से यहां नियमों का पालन करना बहुत जरूरी है। मंदिर परिसर में किसी भी डिजिटल गैजेट का इस्तेमाल करना मना है।
स्थान और निकटतम मेट्रो स्टेशन: पांडव नगर नोएडा मोड़ और ब्लू लाइन अक्षरधाम मेट्रो स्टेशन।
दिल्ली के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक लोटस मंदिर अपनी बनावट के कारण दुनियाभर में जाना जाता है। कई वास्तुशिल्प पुरस्कारो से सम्मानित ये मंदिर की संगमरमर की 27 पंखुड़ियों से बना है जो तीन तीन के समूहों में व्यवस्थित होकर नौ भुजाएं बनती है, नौ दरवाजों का मुख एक केंद्र्रीय सभागार में जाकर खुलता है। जहां पर ध्यान, प्रार्थना कर सकते हैं। कमल के आकार में बना ये मंदिर एक साथ हजारों दर्शनार्थियों को समाहित कर सकता है। वैसे तो ये बहाई धर्म के अनुयायियों के लिए उपासना केंद्र के रूप में बनाया गया था। लेकिन यहां पर किसी भी धर्म के लोग आ सकते हैं। प्रवेश निःशुल्क है।
स्थान और निकटतम मेट्रो स्टेशन: नई दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के बहादुर गांव में नेहरू प्लेस के पास, मैंजेटा लाइन कालकाजी मेट्रो स्टेशन ।
सोशल मीडिया, वीडियोज में अक्सर दिल्ली शहर की पहचान कराता ये मंदिर करोलबाग में अवस्थित है। हनुमान जी की बड़ी सी मूर्ति जो 108 फीट ऊंची है। इस मंदिर का मुख्य आकर्षण इसका प्रवेश द्वार है जो देखने में एक मुख सा प्रतीत होता हुआ गर्भगृह में ले जाता है। इस मंदिर में जम्मू कश्मीर वैष्णों माता के मंदिर की तरह एक गुफा भी है जिसमें पिंडी नाम की पवित्र चट्टान है जिसमें गंगा नदी की तरह जल की धारा बहती रहती है। मूर्ति के चरणों के बगल देवी काली को समर्पित एक मंदिर बना हुआ है। मान्यता है कि काली माता के दर्शन किए बिना इस मंदिर के दर्शन पूरे नहीं माने जाते। मंगलवार और शनिवार को यहां बहुत बड़ी संख्या में भक्त आते हैं। आरती के समय हनुमान जी की विशाल प्रतिमा के जो हाथ छाती पर आडे होते हैं वो धीरे धीरे पीछे जाने लगते हैं और उसके भीतर भगवान राम और माता सीता के दर्शन होते हैं इस नज़ारे को देखने के लिए भक्त बड़ी संख्या में उपस्थित रहते हैं।
स्थान और निकटतम मेट्रो स्टेशन: सरस्वती मार्ग, बीडोनपुरा, करोलबाग और करोलबाग या झंडेवाला मेट्रो स्टेशन ।
मनोकामना सिद्धपीठा और जयंती पीठा के नाम से प्रसिद्ध ये मंदिर दिल्ली के बहुत ही लोकप्रिय और प्रतिष्ठित मंदिरों में से एक है। इसी मंदिर के नाम पर इस पूरे क्षेत्र का नाम है। कालका देवी, देवी शक्ति या दुर्गा के रूपों में से एक हैं। ये मंदिर अरावली पर्वतमाला के सूर्यकुट्टा पर्वत पर स्थित है। इसी वजह से मां कालका के इस मंदिर को ‘सूर्यकुट्टा निवास’ के रूप में भी बुलाते हैं, जो सूर्यकुट्टा में रहता है। कहते हैं महाभारत काल में इस मंदिर में पाण्डवों ने पूजा की थी। कालकाजी मंदिर का निर्माण संगमरमर और काले पुमिस पत्थरों से पूरी तरह से किया गया है। काला रंग देवी काली को दर्शाने का संकेत है, इसलिए मंदिर का निर्माण काले पत्थर से किया गया है।
स्थान और निकटतम मेट्रो स्टेशन:- मां आनंदमयी मार्ग कालकाजी और कालकाजी मेट्रो स्टेशन ।
नई दिल्ली के दिल कनॉट प्लेस में स्थित इस मंदिर की प्रतिमा स्वयंभू है। यहां हनुमान जी अपने बाल स्वरूप में विराजे हैं। इसके पास ही शनि मंदिर भी है। किवंदती है कि तुलसीदास जी ने इस मंदिर में दर्शन करने के बाद हनुमान चालीसा की रचना इसी जगह पर की थी। तत्कालीन मुगल सम्र्राट ने यहां की महिमा को देखते हुए मंदिर के शिखर पर इस्लामी चंद्रमा सहित किरीट कलश समर्पित किया। जिस वजह से अनेक मुस्लिम आक्रमणकारियों ने इस्लामी चंद्रमा का मान रखते हुए कभी भी इस मंदिर को हानि नहीं पहुंचायी। आश्चर्य की बात है कि विश्व का सबसे लंबा जाप ‘‘।।श्रीराम जय राम जय जय राम।।’’ सन 1964 से यहां अनवरत चलता आ रहा है, जिसके बारें में गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में भी अंकन है।
स्थान और निकटतम मेट्रो स्टेशन:- बाबा खड़क सिंह मार्ग, कनॉट प्लेस और राजीव चौक मेट्रो स्टेशन।
छतरपुर स्थित श्री आद्या कात्यायनी शक्तिपीठ, दक्षिण भारतीय शैली में बना ये मंदिर विशाल क्षेत्र लगभग 70 एकड़ में फैला हुआ है। 1974 मंे बना ये मंदिर विशेष रूप से मां कात्यायनी का है, जिन्हें नवरात्रि का छठा दिन समर्पित रहता है। इसके अतिरिक्त यहां भगवान शिव, विष्णु, देवी लक्ष्मी, हनुमान, भगवान गणेश और राम आदि देवी-देवताओं के मंदिर भी हैं। यहां एक पेड़ है जहां श्रद्धालु धागे और रंग-बिरंगी चूड़ियां बांधते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से मनोकामना पूरी होती है।
स्थान और निकटतम मेट्रो स्टेशन:- गुरूग्राम महरौली मार्ग, छतरपुर और छतरपुर मेट्रो स्टेशन।
भगवान कृष्ण की बहन मानी जाने वाली देवी योगमाया को समर्पित ये मंदिर देशी अभिलेखानुसार मामुलकों द्वारा नष्ट किये जाने वाले उन 27 मंदिरों में से एक है। जिसका पुनर्निमाण हिंदू राजा सम्राट विक्रमादित्य हेमू ने करवाया था। देवी योगमाया को ईश्वर की मायावी शक्ति के रूप में माना जाता है। किवंदती है कि इस मंदिर का निर्माण महाभारत युद्ध विजय के पश्चात् पांडवों ने कराया था।
स्थान और निकटतम मेट्रो स्टेशन:- महरौली और साकेत या कुतुबमीनार मेट्रो स्टेशन।
ये बिड़ला मंदिर के नाम से मशहूर है जो कि मुख्य रूप से देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु को समर्पित है। सन् 1938 में बने इस मंदिर की शैली उड़ियन है और इसका उद्घाटन राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने किया था। यहां मनाया जाने वाला जन्माष्टमी उत्सव विश्व प्रसिद्ध है। इसके साथ ही नवरात्रि और दीवाली में भी यहां की साज सज्जा और आयोजन मनमोहक होते हैं। मंदिर परिसर में भगवान शिव, गौतम बुद्व और भगवान श्रीकृष्ण के मंदिर भी हैं।
स्थान और निकटतम मेट्रो स्टेशन:- मंदिर मार्ग, गोले मार्केट के पास, कनॉट प्लेस और राजीव चौक मेट्रो स्टेशन।
ये दिल्ली के ऐतिहासिक और चर्चित मंदिरों में से एक है। इस मंदिर के भवन का निर्माण मराठा सैनिक आपा गंगाधर ने वर्ष 1761 में कराया जिसका प्रमाण मंदिर की छत पर मौजूद पिरामिड के निचले हिस्से में मिलता है। यहां भगवान भोलेनाथ पांच पीपल के पेड़ों के मध्य विराजे हैं। मान्यता है कि यहां आने वाले प्रत्येक दर्शनार्थी की मनोकामना अवश्य पूरी होती है। मंदिर में मां पार्वती, गणपति, और स्कंद कुमार की प्रतिमाएं भी हैं। यहां भगवान शिव का अर्द्धनारीश्वर रूप देखने को मिलता है।
स्थान और निकटतम मेट्रो स्टेशन:- चांदनी चौक और चांदनी चौक मेट्रो स्टेशन।
ये दिल्ली के इस्कॉन टेंपल के नाम से मशहूर है। ये भगवान कृष्ण और राधा पार्थसारथी के रूप में देवी राधा का प्रसिद्ध वैष्णव मंदिर है। भारत के वृहद मंदिर परिसरों में से एक इस मंदिर का निर्माण पूर्वी कैलाश क्षेत्र में हरे कृष्ण पर्वत पर हुआ है। यहां भारत का गौरव वैदिक सांस्कृतिक केंद्र है जहां प्रमुख हिंदू ग्रंथों के बारे में जानने का सुअवसर मिलता है। इसके तहत भगवद्गीता एनिमेट्रोनिक्स शो में नाटकीय वर्णन, लेजर और परियोजनाओं के सम्मिश्रण से भगवद्गीता को भली भांति विस्तारित किया जाता है तो वहीं लाइट एंड साउंड शो में गागर में सागर की अवधारणा को चरितार्थ करते हुए महाभारत का व्यापक प्रस्तुतीकरण किया जाता है। इसके साथ ही यहां रामायण आर्ट गैलरी और भागवत पुराण प्रदर्शनी, वैष्णव परंपरा में सबसे महत्वपूर्ण पाठों को दृश्य प्रारूप में प्रदर्शित करती है।
स्थान और निकटतम मेट्रो स्टेशन:- हरे कृष्ण नगर, पूर्वी कैलाश और वायलट लाइन नेहरू प्लेस मेट्रो स्टेशन।
सभी मंदिर पवित्र स्थान होते हैं। विशेषतः दिल्ली के मंदिरों में कला, वैज्ञानिकता और तकनीक के दृष्टिकोण से एक अलग ही परिप्रेक्ष्य देखने को मिलता है जैसे इनकी ऐतिहासिकता, वास्तुशिल्प, और इनसे जुड़ी मान्यताएं इन्हें और भी खास बनाती हैं। जहां आध्यात्मिकता के साथ कई विशेष प्रकार के अनुभव मिलते हैं।