दक्षिण भारत के खूबसूरत हिल स्टेशन पर्यटकों को हमेशा अपनी ओर आकर्षित करते रहते हैं, पूर्वी और पश्चिमी घाट के मंत्रमुग्ध करते शानदार नजारें, संपन्न परिदृश्य और विभिन्न जीव अभयारण्यों का निवास स्थान है जिसमें विशेष वनस्पतियों और प्राणियों के आवास हैं। स्वच्छ निर्मल हवाओं के साथ हरी भरी हरियाली का एक शाही अंदाज जो सदियों से आकर्षण का केंद्र है। कहीं विशाल चाय के बागान हैं, कहीं कॉफी की विशेषताएं, विशेषताओं की ये लिस्ट इतनी लंबी है कि सिर्फ कुछ शब्दों में कह पाना आसान तो नहीं है। तो आइए, दक्षिण भारत के इन 20 लोकप्रिय हिल स्टेशनों को जो भारत में पर्यटन हेतु विशेष और छुट्टियों को मज़ेदार बनाते हैं, जानते हैं, इनकी सूची इस तरह है।
दक्षिण भारत के स्वर्ग और चाय के विस्तृत बागानों के लिए ये मशहूर स्थान मुन्नार प्रेमी जोड़ों, प्रकृति प्रेमी, एकांत वासी हो या साहसिक गतिविधियों के शौकीन सभी के लिए पसंदीदा स्थानों में से एक है। मुन्नार की घाटियों में 12 वर्षों में एक बार खिलने वाले फूल कुरिंजी की विस्तृतता देखते ही मन आकर्षित होता है। इस नीले फूल की छटा का दीदार करने का आनंद ही अलग है जब चहुंओर नीले रंग की चित्रकारी से प्रकृति का कण कण खिला रहता है। मुन्नार का प्रसिद्ध अभ्यारण्य, दुर्लभ जीव नीलगिरी तहर के लिए भी विश्व में जाना जाता है। दक्षिण भारत की सबसे ऊंची चोटी अनैमुडी के साथ ही यहां का नज़ारा अद्भुत प्रतीत होता है। आप यहां एराविकुलम नेशनल पार्क, मट्टूपेट्टी बांध व झील, कुण्डला झील एवं टाटा टी म्यूज़ियम को घूम सकते हैं।
निकटतम एयरपोर्ट व रेलवे स्टेशनः कोचीन इंटरनेशनल एयरपोर्ट जिसकी मुन्नार से दूरी लगभग 100 किमी है इसके अलावा निकटतम रेलवे स्टेशन एर्नाकुलम जंक्शन और अलुवा, केरल है।
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तमिलनाडु और कर्नाटक की सीमा पर बसा यह हिल स्टेशन पर्यटकों के बीच खासा लोकप्रिय रहता है। खूबसूरती और बेमिसाली में इस स्टेशन का कोई सानी नहीं है इसीलिए यह ‘‘हिल स्टेशनों की रानी’’ के नाम से जाना जाता है। यहां की मनमोहक सुंदरता प्रकृति के चाहने वालों के लिए शांत विश्राम स्थल है। तमिलनाडु के नीलगिरी जिले में पाया जाने वाला यह हिल स्टेशन ब्रिटिश समय से ही सबको अपनी ओर रिझाता रहा है। अधिकतर वर्ष भर लुभावने मौसम की सौगात प्रदान करती यह जगह झीलें, पार्क, चट्टान, पर्वत चोटियां और अन्य बहुत कुछ इसे शानदार बनाते हैं। ऊटी झील, बॉटनिकल गार्डन, डोडाबेट्टा चोटी, रोज़ गार्डन, ऊटी टॉय ट्रेन और पायकारा झरना शामिल है।
निकटतम एयरपोर्ट व रेलवे स्टेशनः नजदीकी एयरपोर्ट कोयंबटूर है और रेलवे स्टेशन मेट्टुपालायम रेलवे स्टेशन जिसकी ऊटी से दूरी लगभग 50 किमी है।
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अनोखी जिंदगी का स्वाद चखाती कूर्ग की एक कप कॉफी की खुशबू के साथ पर्वतों और वादियों के शानदार नजारे इसे ‘‘भारत के स्काटलैंड’’ के नाम से मशहूर करते है। जंगलो, पहाड़ियों, नदियों और धुंध भरे बादलों के उस पार खूबसूरती का बेजोड़ उदाहरण प्रस्तुत करता कूर्ग ऐतिहासिक विरासतों को सहेजकर प्रस्तुत करता एक विलक्षण हिल स्टेशन है। यहां के स्पेशल स्वाद को चखना और उसमें खो जाना कूर्ग की विशेषताओं में से ही एक है। जो अपने निराले अंदाज और मंत्रमुग्ध करते दृश्यों के लिए प्रसिद्ध है। अब्बे फॉल्स, डुबारे हाथी कैंप, चिकिलहोले रिजर्वयेर, हरांगी बांध, होन्नमना केरे झील, ओंकारेश्वर मंदिर, कोटे बेट्टा ट्रेक या चोटी, मेडिकेरी किला, मल्लाली फॉल्स, मंडलपट्टी ट्रेक, नलकनड अरामेन पैलेस, नेहरू मंटप अन्य स्थानों के साथ कूर्ग को निहारना और यहां समय बिताना बेहद अच्छी वाइब्स प्रदान करता है।
निकटतम एयरपोर्ट व रेलवे स्टेशनः कूर्ग का सबसे करीबी हवाई अड्डा अंतरराष्ट्रीय उड़ानों हेतु मंगलौर एयरपोर्ट है जिसकी कूर्ग से दूरी लगभग 140 किमी है। इसके अलावा निकटतम रेलवे स्टेशन मैसूर रेलवे स्टेशन है जो कूर्ग से 120 किमी दूर है।
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सेलम जिलें में स्थित यह हिल स्टेशन पूर्वी घाट की शेवरॉय पहाड़ियों के बीच स्थित है जो अन्य मंहगे हिल स्टेशनों की तुलना में बहुत सस्ता है। हरी भरी हरियाली के बीच 12 सालों में एक बार खिलता कुरिंजी फूलों की शोभा देखते बनती है, जहां कई सारे विविध आकर्षणों की श्रृंखलाएं मौजूद हैं जहां पहाड़ियों से लेकर सुंदर तालाबों तक, झरनों झीलों से खूबसूरत घास के मैदानों तक कई सारे विकल्प मौजूद हैं, जैसे पैगोडा प्वाइंट, यरकौड के जंगल, तमाम सारे एडवेंचर्स गेम हेतु स्थान जहां आप खुद को तरोताजा और रिफ्रेश कर सकते हैं। इसी तरह अलग सी दिखती एटीवी की सवारी का लुत्फ ले सकते हैं। भालू गुफा, शेवरॉय मंदिर, बिंग लेक और अन्य चीजों की विस्तृत श्रृंखला को देख सकते हैं।
निकटतम एयरपोर्ट व रेलवे स्टेशनः नजदीकी हवाई अड्डा तिरुचिरापल्ली है और रेलवे स्टेशन सलेम जो यहां से लगभग 30 किमी दूर है।
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पश्चिमी घाट पर स्थित यह हिल स्टेशन स्वर्ण शिखर के नाम से भी जाना जाता है जिसकी मोड़दार पहाड़ियां, घुमावदार रास्ते, हरी भरी हरियाली और चारों ओर मदमस्त हवाओं के झोंको की बयार आपका मन मोह लेगी जिसे महसूस कर आप यहां की खूबसूरती को निहार सकते हैं जहां के अभयारण्यों में विभिन्न तरह के पशु पक्षी और प्राणी देखने को मिलते हैं और काफी ऊंचाई से गिरते स्वच्छ निर्मल पानी के झरने कल कल करते मधुर ध्वनि के साथ बहुत ही अद्भुत प्रतीत होते हैं। वर्ष भर सुहाने मौसम की सौगात प्रदान करता यह स्थान अपने बहुत सारे आकर्षणों के लिए पर्यटकों के बीच स्पेशल है जिसमें गोल्डन वैली सबसे ज्यादा प्रमुख स्थान है जो कल्लार नदी के पास अवस्थित है। हिरण पार्क, लकड़ी के पत्थर जिसका नाम सुनने में ही रोचक लग रहा है, स्वयं तो वह अति अद्भुत है। यहां का पेप्पारा वन्य जीव अभयारण्य, जिसमें विभिन्न तरह के प्राणी रहते हैं।
निकटतम एयरपोर्ट व रेलवे स्टेशनः तिरूअनंतपुरम हवाई अड्डा सबसे करीब है, इसके अलावा तिरूअनंतपुरम सेंट्रल रेलवे स्टेशन से पोनमुडी हिल स्टेशन जाने के लिए सबसे करीबी है जहां से बसें व टैक्सियां आसानी से मिल जाती हैं।
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एक प्राचीन पहाड़ी किले के रूप में यह स्थान कई सारी नदियों के लिए लोकप्रिय है जहां से कुदरत के करिश्मे को देखना और महसूस करना बहुत ही विलक्षण है। नंदी हिल्स को पुरातन काल में आनंदगिरी भी कहा गया जिसका शाब्दिक अर्थ खुशी की पहाड़ी है। यह पहाड़ी एक सोते हुए बैल की तरह लगती है जहां से सूर्योदय के परिदृश्य को देखना बहुत अच्छा लगता है। मान्यता है कि यहां भगवान शिव के वाहन नंदी ने तपस्या की थी, जिनके नाम पर इस पहाड़ी का यह नाम पड़ा। ऐतिहासिक रूप से इस पहाड़ी को टीपू सुलतान के ग्रीष्म समय के अवकाश के समय इस्तेमाल में लिया जाता था। किसी जमाने में यह हिल विभिन्न राजवंशों के शासन की गवाही देती अनवरत काल से इसी जगह पर अपनी उपस्थिति दर्शाती है। समृद्ध जैव विविधता की धनी यह पहाड़ी अपने पर्यटकां के स्वागत में हमेशा तैयार रहती हैं जहां पर्यटक रात में भी चढाई करना पसंद करते हैं इसलिए क्योंकि यहां का सूर्योदय बहुत विंहगम दृश्य प्रस्तुत करता है।
निकटतम एयरपोर्ट व रेलवे स्टेशनः केम्पेगोड़ा इंटरनेशनल एयरपोर्ट बंगलुरू और नजदीकी रेलवे स्टेशन चिकबिल्लापुर है जहां से ड्राइव कर नंदी हिल्स जाया जा सकता है।
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नीलगिरी जिले में मशहूर यह हिल स्टेशन अपने पर्यटकों को बहुत ज्यादा लुभाया करता है विशेषतः तब और जब आप ऊटी की यात्रा पर निकले हों क्योंकि यहां से कुनूर तक जाने वाली टॉय ट्रेन एक अलग ही तरह का आकर्षण प्रदान करती है, इस ट्रेक को यूनेस्को विश्व धरोहर में भी शामिल किया गया है, पश्चिमी घाटों के नीलगिरी पर्वत पर बसा हुआ यह पहाड़ी इलाका अपने चाय और कॉफी के बागानों के अनोखे स्वाद के लिए कुछ ज्यादा ही पसंद किया जाता है। कुनूर में देखने के लिए हेरिटेज ट्रेन, सिम पार्क, वेलिंग्टन गोल्फ कोर्स, कटारी फॉल्स, डॉल्फिन नोस, लैंब रॉक इत्यादि हैं।
निकटतम एयरपोर्ट व रेलवे स्टेशनः कोयंबटूर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है जो करीब 80 किमी दूर अवस्थित है, इसके अलावा नजदीकी रेलवे स्टेशन कोयबंटूर जंक्शन है।
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रंगा रेड्डी जिले के अन्तर्गत विकाराबाद से करीब 10 किमी दूर स्थित हैं यह हिल स्टेशन मूसी नदी का उद्गम क्षेत्र भी है जो हैदराबाद से करीब 90 किमी की दूरी पर अवस्थित है। यह क्षेत्र ऐतिहासिक, प्राकृतिक और सांस्कृतिक रूप से जाना माना क्षेत्र है यहां की प्राचीनता, मध्य युग से संबंधित है जिसमें उस युग के ढांचे और पुरातन मंदिरों की श्रृंखला मानव क्षेत्र के इतिहास के बारें में विस्तार से बयां करते हैं। जहां आप कम बजट में भी हिल स्टेशन का आनंद ले सकते हैं। यह क्षेत्र हरी भरी धरती के साथ ही छोटी छोटी नदियों और ताजे पानी की जल धाराओं से समृद्ध हिस्सा है जहां पर्यटन का अपना अलग ही मजा है। यहां आप अनंतगिरी और अराकू की यात्रा पर निकल सकते हैं जहां भ्रमण करते हुए घने जंगलों, पर्वत के नजारों और तमाम सारे जल स्त्रोतों की श्रृंखलाओं के दर्शन मिलते हैं। अनंतगिरी मंदिर, व्यू प्वाइंट, कोटिपल्ली जलाशय, टाइडा पार्क, भवानसी झील, बोर्रा पहाड़ियां एवं गुफाएं और कॉफी बागानों का आनंद ले सकते हैं।
निकटतम एयरपोर्ट व रेलवे स्टेशनः करीबी हवाई अड्डा हैदराबाद है जहां से यहां की यात्रा लगभग 100किमी की दूरी है जिसे आप लोकल वाहन की मदद से पूरा कर सकते हैं। इसके अलावा निकटतम रेलवे स्टेशन श्रीकाकुलम है।
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मदिरयूर महाविष्णु मंदिर, मार्थोम्मा स्कूल, चुंडाले और लक्कीडी स्कूल यह सभी केरल के वायनाड जिले में स्थित व्यथिरी में हैं जो बहुत ही खूबसूरत हिल स्टेशन है यहां हर मौसम में हरियाली संपन्न वातावरण, मंत्रमुग्ध करता मौसम और तरोताजा महसूस कराती यह हवाएं, व्यथिरी को पर्यटकों को यहां समय बिताने के लिए प्रसिद्ध बनाती हैं। इस स्थान में एक जंजीर बंधे पेड़ से जुड़ी एक मान्यता सुनने को मिलती है- एक ब्रिटिशर्स ने एक स्थानीय आदिवासी द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार व्यथिरी तक घाट का निर्माण तो करा दिया किन्तु उसके बाद उस स्थानीय आदिवासी की हत्या करा दी जिस वजह से उस व्यथित आदमी की आत्मा बहुत दुखी और क्रोधित हो गई, और इस वजह से यहां कुछ अनहोनी घटनाएं होने लगीं जिस वजह से इस आत्मा को किसी पुजारी ने जंजीरों की मदद से पेड़ के सहारे बांध दिया। जो आज भी जंजीर बंधा पेड़ कहलाता है, कई लोग यहां उसी दुखी आत्मा को श्रद्धांजलि भी अर्पित करते हैं। यह हिल स्टेशन लगभग समुद्र तल से 700 मीटर ऊपर है जहां मौसम काफी ठंडा और लुभावना रहता है। आप यहां करलाड झील व पूकोडे झील के मनोरम दृश्यों का लुत्फ लेते हुए पशु चिकित्सा विज्ञान की विशेषता वाला एक यूनिवर्सिटी भी देख सकते हैं जहां कई और महाविद्यालय और इंस्टीट्यूट हैं।
निकटतम एयरपोर्ट व रेलवे स्टेशनः कोझीकोड इंटरनेशनल एयरपोर्ट, इसके अलावा कोझिकोड रेलवे स्टेशन है जिसकी दूरी लगभग 70 किमी है।
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इडुक्की जिले में अवस्थित यह स्थान केरल का एक प्रमुख हिल स्टेशन है जो मुन्नार से करीबन 16 किमी दूरी पर स्थित है और अपने खुशनुमा माहौल को जीवंत करता लगभग 1800 मीटर की समुद्री तल की ऊंचाई पर अवस्थित है। देवी से अर्थ किसी दैवीय सत्ता से है और कुलम का स्थानीय रूप में अर्थ तालाब हैं। इस स्थान की विशेषता है कि इस जगह को लेकर एक पौराणिक कथा भी सुनने में आती है जिसके तहत माता सीता ने देवीकुलम के तालाब में स्नान किया था, जिस वजह से यह तालाब परम पुनीत और कृपायुक्त हो गया। जिस वजह से इस तालाब का जल लोग अपने रोगों से बचने या दूर करने के लिए भी प्रयोग करते हैं, इस जगह पल्लिवासल नामक झरने और पतली लाल और नीले रंग की गोंद पेड़ों की प्राकृतिक जीवंत श्रृंखला देखने को मिलती है, इस वजह से यहां मनोरम दृश्यों और पवित्र जगहों के दर्शन भी प्राप्त होते हैं।
निकटतम एयरपोर्ट व रेलवे स्टेशनः कोचीन इंटरेनेशनल एयरपोर्ट और कोट्टायम या एर्नाकुलम रेलवे जंक्शन पहुंचकर देवीकुलम के लिए वाहन सवारी कर पहुंच सकते हैं।
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अन्नामाया जिले में मौजूद यह हिल स्टेशन किसी कहानी जैसा एक संत वयोवृद्ध महिला पर आधारित है जिसमें वे इस पहाड़ी की चोटी पर रहती थीं जिनका भरण पोषण हाथियों द्वारा करवाया जाता था। इस जगह के नाम के पीछे की कहानी यहां के ब्रिटिश व्यक्ति डब्लयू जी हॉर्सले ने 18वी सदी के अन्त में इसी पहाड़ी पर अपना निवास बनवाया था, इन्हीं के नाम पर यहां का नाम पड़ गया। आन्ध्र प्रदेश के मौसम के विपरीत यह स्टेशन अत्यंत खुशमिजाज मौसम और ठंडक प्रदान करता है। जहां अन्य जीव जन्तु प्राणी और विभिन्न आकर्षण देखने को मिलते हैं जहां सफेद पूंछ वाला शमा और काला चील जैसे दुर्लभ प्राणी देखने को मिलते हैं। पर्यावरण केंद्र, गुर्रमकोंडा किला और गर्वनर हाउस जैसे ऐतिहासिक स्मारकों को देखने का लुत्फ लिया जा सकता है। यहां आप हाथी की सवारी, रस्सी पर फिसलने वाली एक्टिविटी, जोर्बिंग और फिश स्पा जो यहां का विशेष तरह का स्पा है, फील कर सकते हैं। कहते हैं कि इस क्षेत्र की रक्षा एक घोड़े द्वारा भी की जाती थी इसलिए भी इसे यह नाम मिला हुआ है।
निकटतम एयरपोर्ट व रेलवे स्टेशनः तिरुपति हवाई अड्डा सबसे नजदीकी है जहां से लगभग 150 की दूरी वाया रोड तय कर आप हॉर्सले हिल्स पहुंच सकते हैं इसके अलावा तिरुपति रेलवे स्टेशन से लगभग 140 किमी की दूरी तय कर आप यहां जा सकते हैं।
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केरल के मसाला बगीचा के रूप में प्रसिद्ध यह स्थान पर्यटकों को विशेष पसंद है क्योंकि यह पूरे केरल की विशेष पहचान कराता है। वैसे इडुक्क शब्द का अर्थ घाटी होता है। जहां मलयाली, तमिल और विभिन्न जनजातीय परंपराओं का मेल देखने को मिलता है। यहां की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत मे बहुत प्राचीनता देखने को मिलती है जिसमें विभिन्न राजवंशों की स्मारकें और स्थापत्य शैली को देखने का मौका मिलता है। केरल का यह क्षेत्रफल के मामले में दूसरा सबसे बड़ा जिला है जिसकी आबादी इतनी ज्यादा नहीं है। इडुक्की में पर्यटन की दृष्टि से बहुत कुछ देखने को है जो पर्यटको को खूब लुभाता है। यहां एराविकुलम व पेरियार राष्ट्रीय उद्यान, हिल व्यू पार्क इडुक्की से इडुक्की का खूबसूरत नजारा देखने को मिलता है। झील किनारे पानी पीते जानवरों के परिदृश्य, नीलगिरी तहर के दुर्लभ दृश्य, हरी भरी घास के मैदानों की उपलब्धता और घने जंगलों की उपस्थिति और धुंध से ढकी पहाड़ियां सैलानियों को हमेशा इडुक्की की विशेषताओं से परिचित कराती रहती हैं।
निकटतम एयरपोर्ट व रेलवे स्टेशनः कोचीन इंटरनेशनल एयरपोर्ट व कोचीन रेलवे स्टेशन जिसकी लगभग दूरी 130 किमी है।
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बेंगलुरू से लगभग 60 किमी वेस्ट में यह पहाड़ी शहर एशिया की मोनोलिथ पहाड़ियों में से एक है जो समुद्र तल से लगभग 1200 मीटर है और दक्कन के पठार का भाग है। जहां वर्ष भर मौसम सुखद और ठंडा बना रहता है। यह स्थान खूबसूरती के साथ ही अलग प्रकार की विशेषताओं को भी संलग्नित करता है, यहां नीस, ग्रेनाइट, बेसिक डाइक और लेटेराइट तरह की चट्टान देखने को मिलती हैं। इस पहाड़ी पर निर्मित किला होयसेल वंश का प्रतिनिधित्व करता उस समय की स्थापत्य कला को प्रदर्शित करता है, जिसका आकर्षण और वास्तुकला भव्यता के साथ अपना प्रदर्शन कर रही है, महापाषाणकालीन की निशानियां यहां आज भी देखने को मिलती हैं। इस दुर्ग पहाड़ी का महत्व यहां अवस्थित तीर्थों की वजह से भी बहुत है जिसकी भीड़ यहां देखने को मिलती है। यहां सावंडी वीरभद्रेश्वर स्वामी और नरसिंह स्वामी मंदिर दर्शन किये जाते है। सावनदुर्ग मुख्यतः दो पहाड़ी से मिलकर बना एक रूप है जिसे काली पहाड़ी और सफेद पहाड़ी का मिश्रित रूप कहा जाता है। यहां फ्लोरा और फौना टाइप की कई प्रजातियां देखने को मिलती हैं। बैंगलोर शहर के करीब होने के कारण यह स्थान कई सारे स्थलों को देखने का अवसर प्रदान करता है।
निकटतम एयरपोर्ट व रेलवे स्टेशनः कैम्पेगोड़ा हवाई अड्डा बैंगलोर इसके अलावा रेलवे स्टेशन हरिहर है जहां से सावनदुर्गा की दूरी लगभग 40 किमी ही रह जाती है।
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दक्षिण भारते खूबसूरत हिल स्टेशनों में से एक इस हिल स्टेशन को बसाने वाले मैसूर के राजा कृष्णराज थे। मनोरम और भावों को विस्तारित करने ये मनोहारी स्थान संपूर्ण हरियाली परिवेश ओढे हुए है। यह जगह प्रकृति और एडवेंचर के शौकीन लोगों को खूब भाती है, जहां ऐतिहासिक मंदिरों और नजारों की कमी नहीं है। यहां का शांति लिए वातावरण, खूबसूरत परिदृश्यों की श्रृंखला और भ्रमण हेतु बने रास्तों का कहना ही क्या? यहां पूजित शिव मंदिर में मंदिर परिसर में बनी चित्रकारी और इसके पास प्रवाहित झरने का अद्भुत संगम इसे अद्वितीय बनाता है। रॉक गार्डन जहां चट्टानों से बहुत ही बारीकी के साथ प्रतिमाओं का निर्माण किया गया है, साथ ही कलहट्टगिरी जलप्रपात, अइयानाकेरे झील, शेट्टीहल्ली चर्च की वास्तुकला और माणिक्य धारा जलप्रपात का ऊंचाई से गिरते हुए चट्टानों पर बहने के साथ कल कल आवाज करना पर्यटकों का मन अपनी ओर आकर्षित करता है।
निकटतम एयरपोर्ट व रेलवे स्टेशनः मंगलौर एयरपोर्ट जिसकी दूरी लगभग 82 किमी है इसके अलावा विरूर रेलवे स्टेशन लगभग 35 किमी दूर है। यहां जाने के लिए बंगलौर से सड़क माध्यम से लगभग 250 किमी तय कर भी जा सकते हैं।
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शानदार हिल स्टेशन की छवि लिए मशहूर येलागिरी वर्ष भर अपने सुहावने मौसम के लिए जाना जाता है जहां झीलों के आकर्षण, मंदिरों की आध्यात्मिकता और अद्वितीय बस्तियों की मोहकता है जो चार पहाड़ियों के मध्य बसा हुआ है। जिसे देखकर मन और तन भाव विभोर होने से खुद को रोक नहीं पाता। मौन और एकांत की तलाश में प्रकृति का भ्रमण कर सकते हैं। झीलों की सुंदरता को एकटक निहारते हुए गहनता में जाने का अनुभव कर सकते हैं। यहां मौजूद पुंगनूर मानव निर्मित झील के साथ जलागमपराई झरने की शोभा को देख सकते हैं। टेलीस्कोप वेधशाला से आसमान के उन दृश्यों को भी देख सकते हैं जिन्हें यूं ही देखना संभव नहीं है। इसके अलावा जलगंडीश्वर मंदिर, नीलावूर झील का भी दर्शन कर सकते हैं।
निकटतम एयरपोर्ट व रेलवे स्टेशनः बेंगलुरू का कैम्पेगोड़ा इंटरनेशनल एयरपोर्ट, दूरी लगभग 195 किमी है। नजदीकी रेलवे स्टेशन के लिए जोलारपेट्टई का नाम प्रमुखता से आता है जो येलागिरी से लगभग 20 किमी की ही दूरी पर है।
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विशेषतः कॉफी बागानों के लिए प्रसिद्ध यह हिल स्टेशन अन्य प्राकृतिक खजानों का भी घर है, पूरे कर्नाटक का कॉफी उद्योग यहीं से जाना जाता है, कहते हैं सबसे पहले बाबा बुदन ने ही यहां कॉफी का बीज बोया था। घाटी, पहाड़, नदियां और घने वनों के परिदृश्य आगुंतको का दिल खोलकर स्वागत करते हैं जिनकी खूबसूरती में मन कहीं खोने सा लगता है। आप यहां कर्नाटक की सबसे ऊंची चोटी मुल्लययायनगिरी चोटी का भी अवलोकन कर सकते हैं। चिकमगलूर के लिए कहा जाता है कि यह किसी राजा की छोटी बेटी के दहेज के रूप में दिया गया है जिसका शाब्दिक अर्थ ही है छोटी बेटी का गांव, यहां अवस्थित बाबा बुदन की पहाड़ियों और श्रीशारदा पीठ की आध्यात्मिकता का अनुभव कर सकते हैं।
निकटतम एयरपोर्ट व रेलवे स्टेशनः मंगलौर एयरपोर्ट जो लगभग 100 किमी दूरी पर है इसके अलावा रेलवे स्टेशन काडूर यहां से लगभग 40 किमी की दूरी पर मौजूद है।
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केरल का प्रसिद्ध हिल स्टेशन वायनाड अपनी प्राकृतिक सुंदरता, मोड़दार पहाड़ियों और घने जंगलों के साथ ही वर्ष भर सुहावने मौसम के लिए जाना जाता है। मसाला बागानों की शोभा को बिखेरता केरल का यह हिल स्टेशन अपने आश्चर्य कर देने वाले परिदृश्यों से प्रत्येक तरह के प्रेमियों के लिए स्वर्ग जैसी जगह है। वायनाड का पूरा नाम वायल नाडु भी है जिसका शाब्दिक अर्थ है धान के खेतों की भूमि, जो इसे हरियाली भरी विस्तृतता के कारण कहते हैं। यहां की लक्किडी और नीलीमाला घाटियों के आकर्षण साथ ही यहां के बायोस्फीयर रिजर्व में विभिन्न तरह के वन्य जीव प्राणियों को निहार सकते हैं। यहां के आदिवासी समुदाय बहुत ही मदद करने वाली भावना के साथ अपने आगुंतकों का स्वागत करते हैं। भोजन के विभिन्न तरह के स्वादों को चखते हुए आप ताजे मसालांं की खुशबू को भी फील कर सकते हैं।
निकटतम एयरपोर्ट व रेलवे स्टेशनः कोझीकोड एयरपोर्ट, कोझीकोड जो करीब वायनाड से 65 किमी दूरी पर है, इसके अलावा कोझीकोड रेलवे स्टेशन की दूरी थोड़ी ज्यादा यानी लगभग 100 किमी है।
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घोड़े के मुख आकार का हिल स्टेशन एक फेवरेट टूरिस्ट डेस्टिनेशन है जहां से तीन नदियों का उद्गम होता है तुंग, भद्रा और नेत्रवती। यहां अवस्थित मां भगवती के मंदिर की दिव्यता और अलौकिकता पर्यटकों को आश्चर्य में डाल देती है, साथ ही यहां प्राकृतिक गुफाएं और वाराह भगवान की भव्य मूर्ति के दर्शन भी प्राप्त होते हैं। कुद्रेमुख की चोटी को समेसपर्वत के नाम से भी जाना जाता है, जो कर्नाटक की तीसरी सबसे ऊंची पर्वत चोटी है। हरे रंग की फिजाओं में घुली पहाड़ियों की शोभा और कुहासे का चित्रण पर्यटकों को बरबस अपनी ओर खींच ही लेती है। यह चोटी विभिन्न वन्य प्राणियों और वनस्पतियों का आवास है, जहां पैदल भ्रमण करते हुए आप इन्हें भी देख सकते हैं साथ ही मार्ग में आने वाले घास के मैदान, वन और छोटी छोटी जलधाराओं से भी रूबरू हो सकते हैं। आप यहां कुद्रेमुख राष्ट्रीय उद्यान के साथ ही शोला जंगल की असीमितता को भी महसूस कर सकते हैं, जहां शेर पूंछ वाला मकाक, मालाबार की विशाल गिलहरी विशेष श्रेणियों के प्राणी हैं। कर्नाटक की हरियाली में कुद्रेमुख की सैर करना एक बहुत ही रोचक अनुभव हो सकता है। कर्नाटक का यह हिस्सा हरे धन के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि यहां से लौह अयस्क की खदानें भी पाई जाती हैं। यहां मौजूद हनुमान गुंडी जल प्रपात को ऊंचाइ से गिरते हुए देखना और कालसा चोटी पर पहुंच कर दूर दूर तक वादियों को देखने का लुत्फ लेना आकर्षित करता है।
निकटतम एयरपोर्ट व रेलवे स्टेशनः मंगलौर इंटरनेशनल एयरपोर्ट, मंगलौर की कुद्रेमुख से दूरी लगभग 45 किमी है। करीबी रेलवे स्टेशन मंगलौर रेलवे स्टेशन जिसकी दूरी लगभग 115 किमी है।
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हम्पी कर्नाटक में पाया जाने वाला यह स्थान जिसे माटुंगा नाम से भी पुकारा जाता है। त्रेता युग से संबंध रखने वाले इस स्थान में इस पवित्र पहाड़ी का अपना ही विशेष महत्व है जिसके बारें में सुनने में आता है कि इस पहाड़ी पर मतंग नाम के ऋषि का निवास था, जहां बालि ने दैत्य दुंधुवी की हत्या की थी, और उसके शव को यहीं फेंककर चला गया था, इस कारण मंतग ऋषि ने बालि को श्राप दिया था कि वह कभी इस पहाड़ी पर दोबारा नहीं आ पाएगा। बाद में उस राक्षस के पुत्र ने बालि से युद्ध किया और गुफा में ले गया साथ ही गुफा का मुख भी बंद कर दिया था, जिससे सुग्रीव को बालि की मृत्यु का अंदेशा हुआ और उसने राजपाट संभाल लिया था, जिसे बाद में बालि ने राजद्रोह करार कर सुग्रीव के प्राण लेना चाहता था तब सुग्रीव ने इसी पहाड़ी पर शरण ली थी। मध्ययुगीन काल में विजयनगर साम्राज्य में भी इस पहाड़ी को इसके ऐतिहासिक मंदिरों, बाजारों और अन्य चीजों के लिए जाना जाता था। मंतगा पहाड़ी अपनी अद्वितीयता के कारण यूनेस्को की विश्व धरोहरों में भी शामिल है। इस पहाड़ी के पास और शिखर से दिखने वाले कई मंदिरों जैसे विष्णु, हनुमान और अच्युतराय के साथ वीरभद्र शिवजी का मंदिर भी फेमस है। मतंगा पहाड़ी पर आप विभिन्न तरह के वन्य जीवों को भी देख सकते हैं जैसे बटेर और एक बड़े सींग वाला उल्लू प्रसिद्ध है। इस पहाड़ी के नजदीक ही तुगंभद्रा नदी का बहना और हरे भरे खेतो के आकर्षण और नारियल के पेड़ों का बहुतायत में होना इसकी लोकप्रियता में चार चांद लगा देते हैं। इस पहाड़ी से सूर्योदय और सूर्यास्त के परिदृश्यों की श्रृंखला देखने में बहुत रोचक प्रतीत होती है।
निकटतम एयरपोर्ट व रेलवे स्टेशनः विजयनगर एयरपोर्ट जो हम्पी से करीब 35 किमी दूर है इसके अलावा हास्पेटे रेलवे स्टेशन हम्पी से लगभग 10 किमी दूर ही अवस्थित है।
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केरल के इडुक्की जिले के अन्तर्गत आने वाला यह पहाड़ी स्थान अपने महत्वपूर्ण आकर्षण पेरियार राष्ट्रीय उद्यान के लिए जाना जाता है। थेकेड्डी नाम का मतलब थेक्कू से है जिसे सागौन के पेड़ों की अधिकता के लिए कहा जाता है। यहां पाए जाने वाले मसाला बागानों में काली मिर्च, दालचीनी जायफल जावित्री लौंग सहित चीजें उगाई जाती हैं। पेरियार उद्यान केरल का सबसे बड़ा अभयारण्य है, यहां पाई जाने वाली पेरियार नदी की छवि और इस पर बना सुरकी बांध जो करीब 777 वर्ग किमी में फैला हुआ है, आंगुतकों को बहुत आकर्षित करता है, साथ ही यहां की कृत्रिम झील की शोभा देखते बनती हैं। इस उद्यान में वन्य जीवों के साथ ही वनस्पतियों के भी प्रचुर भंडार देखने को मिलते हैं। प्रकृति प्रेमियों के लिए यह स्वर्ग जैसा स्थान है जो समुद्र तल से करीब 700 मीटर की ऊंचाई पर स्थित होने की वजह से हमेशा खुशनुमा मौसम का तोहफा अपने पर्यटको को प्रदान करता है।
निकटतम हवाई अड्डा व रेलवे स्टेशनः मदुरई एयरपोर्ट जिसकी यहां से दूरी लगभग 135 किमी है और निकट रेलवे स्टेशन कोट्टायम है जो लगभग 115 किमी दूरी पर है।
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दक्षिण भारत के विविध हिल स्टेशन किसी न किसी रूप से बहुत विशेष हैं कहीं खुशनुमा मौसम के नजारें हैं, कहीं ऐतिहासिकता की खूबियां, वन्यजीवों से दोस्ती और प्रकृति को संरक्षण प्रदान करते ये हिल स्टेशन सूरज की तपिश से बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जिसमें दक्षिण भारत के इन हिल स्टेशनों की अनेक विशेषताएं पर्यटकों को यहां आकर्षित करती हैं जिनमें सुरक्षा, आर्थिक और लुभावने परिदृश्यों की रोचक श्रृंखलाए देखने को मिलती है इसलिए हिल स्टेशन घूमने की प्लानिंग बनाते समय दक्षिण भारत के हिल स्टेशनों को एक्सप्लोर करना न भूलें।
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