बर्फ से ढकी धौलाधार श्रृंखलाएं, हरियाली से सजा वातावरण, लुभावना मौसम और घाटी का मनोहर दृश्य और विशाल क्षेत्र, ये सब परिचायक हैं, धर्मशाला नगर के। हिमाचल प्रदेश के अन्तर्गत आने वाला यह क्षेत्र अपने शांतिपूर्ण वातावरण और प्रकृति के इतने करीब होने के कारण हर साल सैलानियों की पहली पंसद बना रहता है। यह क्षेत्र संगीत, साहित्य और कला के हर वर्ग में कहीं भी पीछे नहीं है। यहां तिब्बती मुख्य परम पवित्र गुरू दलाई लामा का निवास स्थान भी स्थित है, इसी के साथ यह हिमाचल प्रदेश की शीतकालीन राजधानी भी है। आइए, जानते हैं, धर्मशाला में पर्यटन की दृष्टि से क्या क्या खास है और यहां ऐसी 10 जगहों की चर्चा करेंगे।
हिमाचल प्रदेश के शांत और आध्यात्मिक वातावरण को और बढ़ाता भागसूनाग मंदिर, जहां मंदिर की आध्यात्मिकता के साथ ही झरने की सुकून भरी धुन है। यह ऐेसा स्थान है जो एनर्जी और ध्यान साधना करने वालों के लिए स्वर्ग से कम नहीं है। किवंदती है कि भागसू नाम के राजा ने इसके पास पाये जाने वाले भागसूनाग झरने के उपचार गुणों का आभास किया और आ, इसके बाद उन्होंने झरने के देवता के लिए मंदिर निमार्ण करवाया, इसमें नाग देवता की पूजा होती है। यह राजा बहादुरी, परोपकारी और श्रद्धालु व्यक्ति था। इन्हीं राजा के नाम पर मंदिर का नाम भागसूनाग मंदिर के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
स्थानः भागसूनाग, धर्मशाला से 3 किमी दूर।
उपयुक्त समयः अक्टूबर,नवंबर
यह अपने समृद्धि, सामर्थ्य और अकाट होने के लिये जाना जाता है, साथ ही युद्ध की दृष्टि के अनुरूप निर्मित है। इस दुर्ग को प्राकृतिक दुर्ग के रूप में कुदरत का आशीर्वाद मिला है, कारण मांझी व बाणगंगा नदियों के संगम पर एक चोटी पहाड़ी पर शिलाखंड के रूप में स्थित है। इस दुर्ग का उल्लेख सिकन्दर के युद्ध संबंधी लेखों में मिलता है। इस दुर्ग को नागरकोट या त्रिगर्त के नाम से भी जाना जाता है। यह पूरे हिमालय का सबसे बड़ा किला है।
स्थानः कांगड़ा, धर्मशाला से 20 किमी दूरी।
उपयुक्त समयः अक्टूबर से मार्च
यह तिब्बती बौद्ध धर्म का एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और आध्यात्मिक केंद्र है जो एक प्रमुख शिक्षण केंद्र के रूप में कार्य करता है। यह तिब्बत की भौगोलिक सीमाओें के बाहर स्थित सबसे बड़ा तिब्बती मंदिर है। यह ऐसा मठ है जहां दलाई लामा निवास करते हैं और इसे अक्सर दलाई लामा का मंदिर भी कहा जाता है। यह मठ तांत्रिक महाविद्यालय के रूप में भी कार्य करता है, जो शिक्षा के केंद्र के रूप मे इसकी महत्ता और बढाते हैं। यहां भिक्षु बौद्ध दर्शन और अन्य संबंधित क्षेत्रों में उन्नत अध्ययन करते हैं। यहां होने वाली प्रार्थनाएं बहुत ही शांत और आध्यात्मिक संपन्न होती हैं कि इससे यहां का वातावरण और शांति संपन्न हो जाता है।
स्थानः मैकलॉडगंज, धर्मशाला
उपयुक्त समयः मई से सिंतबर
मैकलॉडगंज बाजार एक बहुत ही लोकप्रिय पर्यटन स्थल है। यहां का मुख्य आकर्षण तिब्बती हस्तशिल्प, ऊनी कपड़े और स्थानीय सामान हैं। कितना ही कुछ शानदार और लुभावना, जिसे देखकर मन बिना खरीदे रह न पाए। धर्मशाला जाएं तो शॉपिंग के लिए इस जगह जाना न भूलें।
स्थानः मैकलॉडगंज,धर्मशाला
उपयुक्त समयः अप्रैल से जून
हिमाचल प्रदेश क्रिकेट स्टेडियम के नाम से मशहूर ये स्टेडियम धर्मशाला में स्थित होने के कारण लगभग 1457 मीटर की ऊंचाई पर बना क्रिकेट स्टेडियम है। पहाड़ों के बीच बने इस स्टेडियम में लगभग 23000 दर्शक एक साथ बैठकर इसका आनंद ले सकते हैं। यहां आईपीएल सीरीज, टी ट्वेन्टी और अन्य मैच भी खेले जाते हैं। धौलाधार रेंज पर बने इस स्टेडियम की शोभा देखते बनती है. हरी भरी वादियों के बीच बैठकर क्रिकेट देखने का मज़ा ही अलग है।
स्थानः सिविल लाइन रोड, धर्मशाला
उपयुक्त समयः मार्च से जून, सितंबर से नवंबर
हिमाचल प्रदेश के लघु ट्रेक्स में से एक यह ट्रेक बहुत ही आकर्षक पर्यटन स्थल है। यहां हर साल बहुत से पर्यटक आना पसंद करते हैं। यहां से दिखने वाला मनोरम दृश्य इसकी विशेषता है, जिसके एक तरफ धौलाधार श्रेणी और दूसरी ओर कांगड़ा घाटी का विंहगम नज़ारा देखने को मिलता है। 2,850 मीटर की ऊंचाई पर बने इस ट्रेक का रास्ता छोटा लेकिन खड़ी चढ़ाई वाला है। इस चढ़ाई के दौरान रोडोंडेंड्रोन और ओक के पेड़ों के बीच सैर करना अच्छा लगता है। रास्ते के किनारे जंगलों में पाये जाने वाले पक्षियों के सुर बड़े प्यारे लगते हैं। यहां से सूर्यास्त का नज़ारा बहुत ही शानदार होता है शायद इसीलिये अधिकांश ट्रेकर्स रात भर रिज पर ही रूकते हैं। सूर्यास्त के साथ साथ पहाड़ों के पीछे की मध्धम रोशनी की छटा देखते बनती है।
स्थानः मैकलॉडगंज, धर्मशाला
उपयुक्त समयः मार्च से जून व सितंबर से नवंबर
मां सती के 51 शक्तिपीठों में से एक यह मंदिर पर्यटन नगरी धर्मशाला की शान है। यहां मां सती का कपाल गिरा था जिससे यह स्थान कुनाल पत्थरी मंदिर नाम से प्रसिद्ध हुआ। इस मंदिर में मां के कपाल पर एक बड़ा पत्थर है जो एक बहुत बड़ी परात सा लगता है और हमेशा पानी से भरा रहता है। यह पानी भक्त पूजा अर्चना एवं रोगियों के रोग को दूर करने के लिए अपने साथ घर भी ले जाते हैं। यहां इकट्ठा हुआ पानी बरसात का होता है। कहते हैं कि जब इस कपाल में पानी कम होने लगता है तो बारिश होती है और यह फिर से भर जाता है। आस्था के इस मंदिर में लोग मन्नत मानते हैं और पूरी होने पर नाचते गाते ढोल बजाते मां के भवन पहुंचते हैं। यहां का शांत वातावरण व मंदिर सभी को अपनी ओर लुभाता है।
स्थानः कांगड़ा, धर्मशाला से 6 किमी दूरी
उपयुक्त समयः मार्च से जून एवं अक्टूबर से नवंबर
अगर आप साहसिक ट्रेकिंग के लिए उत्सुक हैं तो करेरी झील ट्रेक एक बेहतर विकल्प हो सकता है, यह आपको हरे भरे उपोष्णकटिबंधीय देवदार के जंगलों से होकर ले जाता है। यह ट्रेक बहुत से पारिस्थतिकी तंत्रों से होकर गुजरता है जिससे यहां घास के मैदान, जंगल और कई तरह की वनस्पतियां और जीवों की श्रृंखला पाई जाती हैं। यहां का शांत और हरियाली से परिपूर्ण वातावरण आपको प्रकृति का अनूठा पहलू दिखाता है। यह ट्रेक लगभग 26 किमी लंबा मध्यम कठिनाई वाला ट्रेक है जो आपको करेरी झील के पास ले जाता है, इसकी ऊंचाई लगभग 2400 मीटर है। धौलाधार पर्वतमाला के मंत्रमुग्ध करने वाले दृश्यों के बीच स्थित यह क्रिस्टल क्लियर झील एक अण्डाकार हिमनद है, जो बहुत ही सुंदर है।
स्थानः कांगडा़, धर्मशाला से लगभग दूरी 25 किमी
उपयुक्त समयः मई से जुलाई और सितंबर से नवंबर
तिब्बती प्रदर्शन कला संस्थान एक मुख्य संस्थान है, जो तिब्बत की पुरातन एवं अनोखी संस्कृति को संरक्षण व विस्तार देने के उद्देश्य से बनाया गया है। इस संस्कृति में समृद्ध संगीत की विरासत के साथ कई कलाएं भी शामिल हैं। इस संस्थान की स्थापना 14वें दलाई लामा ने अगस्त 1959 में कलिम्पोंग पहुंचने पर की थी, बाद में इसे मैकलॉडगंज शिफ्ट कर दिया गया। नृत्य और संगीत तिब्बती कला के अभिन्न अंग रहे हैं। और दुनिया भर में तिब्बती कलाओं का प्रसार और उन्हें संरक्षित कर आने वाली पीढियों को स्थानांतरित करने में इस संस्थान का अहम योगदान है।
स्थानः धरमकोट रोड, मैकलॉडगंज, धर्मशाला
उपयुक्त समयः मई से सितम्बर
ज्वाला देवी का यह शक्तिपीठ एक ऐसा मंदिर है जो समर्पित है ‘प्रकाश की देवी’ को। कहते हैं कि यहां माता सती की जिव्हा गिरी थी। अत्यधिक पूजनीय यह देवी स्थल शिवालिक पर्वतमाला की गोद मेंं स्थित है जिसे कालीधार कहा जाता है। मां सती की जीभ का प्रतिनिधित्व करती इस जगह में ज्वाला देवी मंदिर स्थित है जहां पवित्र ज्वाला हमेशा प्रज्ज्वलित रहती है। इस मंदिर की महिमा को मुगल राजा अकबर भी जानता था। इस वजह से उन्होंने यहां सोने का छत्र चढ़ाया था, जो आज भी मंदिर में विद्यमान है। यह सिर्फ हिमाचल या भारत के लिए ही नहीं अपितु पूरे विश्व के लिए ऐतिहासिक विरासत है।
स्थानः ज्वालामुखी, कांगड़ा, धर्मशाला से 55 किमी दूरी
उपयुक्त समयः अप्रैल से जून
धर्मशाला एक स्वास्थ्य वर्धक जगह है जहां आप प्रकृति की गोद में रहकर खुद को हील करते हो। यहां का स्वच्छ पानी किसी डिस्टिल्ड वाटर से कम नही है। मौसम की ताजगी, कला, संस्कृति, धार्मिकता और साहसिक गतिविधियां, धर्मशाला सभी के लिए अपने आंचल को फैलाये है, आप घूमने के साथ साथ यदि कुछ नया जानने के शौकीन हैं तो धर्मशाला आपक लिए सबसे उपयुक्त चयन साबित हो सकता है।तो समय निकालकर धर्मशाला का आनंद लेने जरूर जाएं