• Jul 03, 2025

गुजरात राज्य के प्रसिद्ध वेरावल शहर में स्थित सोमनाथ जहां द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक सोमनाथ ज्योतिर्लिंग की उपस्थिति, समुद्र से आती लहरों की ख़ामोश आवाज़ें, शहरी जीवन की चकाचौंध से दूर प्रकृति की मोहकता, और यहां के पर्यटन स्थलों की महत्ता इसे बहुत ही परम पावन और शांतिप्रिय क्षेत्र बनाता है। सड़कों के किनारे खेती के विहंगम दृश्य, अनायास आती और जाती धूप, मौसम की अठखेलियों को बखूबी दर्शाती है जहां दिन गर्म और रातें ठंडी होती हैं। विभिन्न मौसम में विभिन्न अंदाजों को पेश करता क्षेत्र भगवान शिव और श्रीकृष्ण दोनों के ही विशेष तीर्थों का समावेश करता है। आइए जानते हैं सोमनाथ में दर्शन या पर्यटन हेतु विशेष स्थलों के बारें में

1. सोमनाथ ज्योतिर्लिंगः

पवित्र क्षेत्र के रूप में नामित सोमनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर हिंदुओं का बहुत ही प्रमुख मंदिर है, बारह ज्योतिर्लिंगों में से प्रथम स्थान रखने वाले इस ज्योतिर्लिंग की महिमा न्यारी है यह अकेला ऐसा महादेव तीर्थ है जिसका नाम ऐश्वर प्रत्यय रूप में न होकर नाथ प्रत्यय है। अद्भुत वास्तुकला मारू गुर्जर शैली को दर्शाता समुद्र्र किनारे बना यह मंदिर अपनी भव्यता के लिए जाना जाता है। मंत्रमुग्ध करते परिदृश्य, आध्यात्मिक शांति और दिव्य अनुभव देने वाले इस मंदिर परिसर और बाहर जटिल नक्काशी और पत्थर पर बनी कलाकृतियों का बहुत बारीकी से चित्रण किया गया है। मंदिर का शिखर लगभग 15 मीटर और इसकी ध्वजा 37 मीटर ऊंचाई तक पहुंचती है। पर्यटक यहां से गुजराती शैली के वस्त्र, हस्तशिल्प अन्य धार्मिक वस्तुएं भी खरीद सकते हैं।

स्थानः प्रभास पाटन, सोमनाथ, गिर सोमनाथ, गुजरात

समयः सुबह 6 बजे से रात 10 बजे तक

प्रवेश शुल्कः निःशुल्क

2. भालका तीर्थः

भगवान श्रीकृष्ण को इसी स्थान पर किसी शिकारी ने बाण मार दिया था। इसी वजह से इस तीर्थ का नाम भालका तीर्थ पड़ गया। यहां भगवान श्रीकृष्ण की आधी लेटी हुई मुद्रा में विशाल प्रतिमा स्थापित है, जिनके सामने वह शिकारी हाथ जोड़कर बैठा हुआ है। विशाल वट वृक्षों की छाया के बीच बने इस भव्य मंदिर की अलौकिकता को वहां जाकर महसूस किया जा सकता है।

स्थानः तीर्थ मंदिर, भालका, वेरावल, सोमनाथ, गुजरात

समयः सुबह 6 बजे से रात 9 बजे तक

प्रवेश शुल्कः निःशुल्क

3. प्रभास पाटन संग्रहालयः

पुरातत्व संग्रहालय के रूप में प्रसिद्ध यह स्थान सोमनाथ मंदिर के 300 मीटर उत्तर में स्थित है जहां कला और पुरातत्व के नमूने, शिलालेखों सहित 3 श्रेणियों की कुल 3500 वस्तुएं मौजूद हैं। इसकी स्थापना सन् 1951 में हुई थी। इतिहास के गौरव को दर्शाता यह संग्रहालय पत्थर की मूर्तियों, नक्काशीदार पत्थरों और विभिन्न कलाकृतियों को प्रदर्शित करता है। पुराने मंदिरों के अवशेष, स्तंभ, 11वीं शताब्दी की मूर्तियों के अवशेष, विभिन्न भाषाओं के शिलालेख और अलग अलग समय के सिक्कों को यहां देख सकते हैं। अगर आप की रूचि इतिहास में हैं तो यहां आकर आप साक्ष्यों को प्रत्यक्ष रूप से देखकर रोमांच का अनुभव कर सकते हैं।

स्थानः सोमनाथ मंदिर से उत्तर की ओर 300मीटर दूर स्थित, प्रभास पाटन, गिर सोमनाथ, गुजरात

समयः सुबह 10ः30 बजे से शाम 5ः30 बजे तक, साप्ताहिक अवकाशः बुधवार

प्रवेश शुल्कः भारतीयों के लिए 5 रूपये, विदेशियों के लिए 50 रूपये और कैमरे के लिए 100 रूपये

4. त्रिवेणी संगमः

तीन नदियों के संगम से बने इस स्थान को हिंदू मान्यताओं के अनुसार बहुत पवित्र माना जाता है जहां स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है, सोमनाथ में यह स्थान हिरण, कपिला और सरस्वती नदियों का पवित्र मिलन है, जहां वे अरब सागर में मिलती हैं। पर्यटक यहां नौकायन और समुद्र के विहंगम दृश्यों का आनंद ले सकते हैं।

स्थानः सोमनाथ मंदिर से लगभग 1.4 किमी दूर,

समयः 24घंटे खुला रहता है।

प्रवेश शुल्कः निःशुल्क

5. गीता मंदिरः

सोमनाथ के त्रिवेणी संगम तट पर स्थित गीता मंदिर का एक नाम बिरला मंदिर भी है जो सोमनाथ के पवित्र मंदिरों में से एक है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार इसी स्थान पर भगवान श्रीकृष्ण ने अपना देह त्याग किया था। भालका तीर्थ से त्रिवेणी तीर्थ तक पैदल यात्रा करने के बाद पूर्ण रूप से यहां आकर विश्राम किया था। यहां का शांत वातावरण और मंदिर की दीवारों पर संपूर्ण गीता का अंकन इसे गीता मंदिर के रूप में स्थापित करता है। स्वच्छ घाटों के मनोरम दृश्य, संपूर्ण गीता का ज्ञान और आध्यात्मिकता मंदिर की अलौकिकता का साक्षात् प्रमाण देती है।

स्थानः वीसीपी8+आर तिरसठ, सोमनाथ, प्रभास पाटन, गुजरात

समयः सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक

प्रवेश शुल्कः निःशुल्क

6. श्रीलक्ष्मी नारायण मंदिरः

यह मंदिर हिरन नदी के तट पर स्थित है, जिसका निर्माण बद्रीनाथ धाम के लक्ष्मीनारायण मंदिर बनने के बाद किया गया है। सोमनाथ के केंद्र में बना यह मंदिर दक्षिण भारतीय शैली के गोपुरम पैटर्न पर बना हुआ है। भगवान श्रीलक्ष्मी और नारायण का श्रीविग्रह जिसके दर्शन के लिए दर्शनार्थी दूर दूर से आते हैं। यह मंदिर, सोमनाथ मंदिर से बहुत ज्यादा दूरी पर नहीं है, इसलिए सोमनाथ मंदिर में होने वाली ऐतिहासिक लूटपाट और विध्वंस की घटनाओं का सदा से साक्षी रहा है।

स्थानः घोरा, नियर चौक, सोमनाथ, प्रभास पाटन, गुजरात

समयः सुबह 6 बजे से रात 9 बजे तक

प्रवेश शुल्कः निःशुल्क

7. अहमदपुर मांडवी बीचः

समुद्र किनारे सुंदर दृश्य, ऊंट की साहसिक सवारी, खूबसूरत फोटो क्लिक संकलन और रंग बिरंगे पत्थरों सीपों की खरीदारी इस समुद्र तट की शोभा को और ज्यादा बढ़ाते हैं जहां कुछ देर सुनहरी रेत पर चलना, आती जाती लहरों का पैरों को छूकर जाना और रेत के घर बनाना बहुत ही सुकून और आंतरिक खुशी देने वाले पल होते हैं। प्रकृति के चमत्कार को दिखाते यह समुद्री किनारे योग और ध्यान के लिए बहुत उपयुक्त स्थान होते हैं।

स्थानः सोमनाथ से 12 किमी दूर, नलिया मांडवी, गुजरात

समयः 24 घंटे खुला रहता है।

प्रवेश शुल्कः निःशुल्क

8. सोमनाथ बीचः

शांत प्रकृति की खूबसूरती, सूर्योदय के नज़ारें और सोमनाथ मंदिर के नजदीक होने पर पर्यटकों की दृष्टि में इसकी अहमियत इस तट की दिव्यता को दर्शाता है, यहां का सात्विक माहौल मंदिर दर्शन करने आये सभी भक्तों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करता है। समुद्री किनारे पर पड़े पत्थर, दूर दूर तक समुद्र का नीला पानी और स्वच्छ नीला आकाश जो मन को अनोखी शांति का अनुभव देते हैं।

स्थानः प्रभास पाटन, वेरावल, गिर सोमनाथ, गुजरात

समयः 24 घंटे खुला रहता है

प्रवेश शुल्कः निःशुल्क

9. सना गुफाएंः

इन्हें प्रभास पाटन की प्राचीन गुफाओं के नाम से भी जाना जाता है। यह बौद्ध काल की गुफाएं हैं जो दो भागों में विभाजित हैं, एक भाग सोमनाथ में है, दूसरा भाग राजसी शाना डूंगर बौद्ध गुफाएं यहां से 105 किमी दूर पूर्व में हैं। ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण यह गुफाएं सादगीपूर्ण और सरल संरचना में बनी हुईं हैं, जहां टहलते हुए आप साहसिक विहारों में पहुंचते हैं जो एक या दो कमरों वाले स्तंभों वाले बरामदे को दर्शाता है। इनके माध्यम से पता चलता है कि लगभग 270 ईसा पूर्व यहां बौद्ध धर्म का प्रचार प्रसार था, जब सम्राट अशोक सौराष्ट्र पर राज कर रहे थे। यह पश्चिमी भारत की सबसे पुरानी गुफाएं हैं। प्रभास पाटन की गुफाओं की संख्या केवल दो है, जो तीसरी और चौथी शताब्दी के बौद्ध विहार का हिस्सा है।

स्थानः सोमनाथ मंदिर से 2 किमी उत्तर पूर्व में स्थित, प्रभास पाटन, वेरावल, गुजरात

समयः सुबह 6 बजे से शाम 6ः30 बजे तक

प्रवेश शुल्कः निःशुल्क

10. सासन गिर राष्ट्रीय उद्यानः

गिर राष्ट्रीय उद्यान जो दुनिया भर में एशियाई शेरों के संरक्षण और संवर्धन के लिए प्रसिद्ध है। एशियाई शेर दुर्लभ प्रजातियों की श्रेणी में आते हैं। विभिन्न पारिस्थितिकी तंत्र को सुरक्षित रखते इस उद्यान में आप जीप सफारी का आनंद ले सकते हैं। यहां जंगल में खुलेआम घूमते शेरों को देखा जा सकता है। यहां लगभग 523 शेर और 300 से अधिक तेंदुए रहते हैं, इनके अलावा हिरण की दो अलग अलग वर्गीकृत प्रजातियों का निवास स्थान है। यह राष्ट्रीय उद्यान चौसिंगा हिरण के लिए भी जाना जाता है साथ ही 425 से अधिक पक्षियों की प्रजातियां निवास करती हैं। यहां विदेशी वनस्पतियों के साथ ही कई औषधीय गुणों वाले वृक्ष भी पाए जाते हैं।

स्थानः गिर राष्ट्रीय उद्यान, वेरावल, सोमनाथ से 50 किमी दूरी पर, गुजरात

समयः सुबह 8ः30 बजे से शाम 6ः30 बजे तक, साप्ताहिक अवकाशः रविवार, जीप सफारी का आनंद लेने के लिए सुबह में 6 बजे से 9 बजे तक और दोपहर में 3 बजे से शाम 6 बजे तक।

प्रवेश शुल्कः भारतीयों के लिए 800-1000 रूपये और विदेशियों के लिए 4800 से 7000 रूपये। जीप सफारी के लिए आपको अलग से निर्धारित भुगतान करना होगा।

सोमनाथ घूमने के लिए सर्वश्रेष्ठ मौसमः

सोमनाथ आप पूरे वर्ष में कभी भी जा सकते हैं। हर मौसम की अपनी विशेषता है, मार्च से जून के मौसम में तापमान 25.2 डिग्री सेल्सियस से 35.3 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है। यह समय यात्रा के लिहाज से ठीक रहता है। मानसूनी महीने जुलाई से अक्टूबर के मध्य मौसम हरियाली से परिपूर्ण रहता है, कभी कभी बारिश होने की आशंका रहती है, तो वहीं सर्दियों नवंबर से फरवरी के बीच मौसम बहुत अच्छा रहता है जो यात्रा के लिहाज से सबसे अच्छा मौसम कहा जा सकता है।

निष्कर्षः

सोमनाथ प्रकृति, आध्यात्मिक और गौरवशाली ऐतिहासिक गाथा को प्रमुखता से समझाता पावन स्थान है। प्रसिद्ध इतिहासकार अलबरूनी इसे 11वीं शताब्दी का प्रमुख बंदरगाह भी बताते हैं, जो इसकी संपन्नता और समृद्धि को दर्शाता है। यहां का शांतिपूर्ण वातावरण ईश्वर को भी अति प्रिय है, तभी तो यह प्रमुख पवित्र मंदिरों का गढ़ है। हरियाली संपन्न जंगल विभिन्न तरह के जानवरों का सुकून भरा निवास स्थान है, जहां इन्हें देखकर रोमांच महसूस होता है। एक ऐसा स्थान जो ध्यान साधना, ऐतिहासिक, प्राकृतिक संरचनाओं और प्रकृति के बेहद करीब होने का एहसास कराती है, साथ ही यात्रा और पर्यटन की दृष्टि से भी सुलभ और सुरक्षित स्थान है।

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