दक्षिण भारत, जिसे प्रायद्वीपीय भारत के नाम से भी जानते हैं, एक पठारी भू भाग वाला क्षेत्र है, इसमें भारत के कुछ राज्यों जैसे आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु और तेलंगाना राज्यों के साथ ही लक्षद्वीप, पुदुचेरी के केंद्र शासित प्रदेश शामिल हैं। इस क्षेत्र में पश्चिमी और पूर्वी घाट नामों से दो पर्वत श्रृंखलाएं हैं। दक्षिण भारत तीनों तरफ से क्रमशः बंगाल की खाड़ी, अरब सागर और हिंद महासागर से घिरा हुआ है, जिस वजह से यहां प्रमुख बंदरगाह भी पाए जाते हैं, साथ ही वर्षभर बिना किसी स्थिर स्त्रोत के नदियों के बहाव से इस क्षेत्र को जीवन मिलता है। विविध भौगोलिक दशाओं के साथ यहां भाषा, रहन-सहन, खानपान और आय स्त्रोतों की विभिन्नता देखने को मिलती है, इन सभी विशेषताओं के साथ ही यह पर्यटन की दृष्टि से बहुत संपन्न क्षेत्र है, विस्तार से जानते हैं यहां के प्रमुख पर्यटन क्षेत्रों के बारें में इस ब्लॉग में
इसका पूर्व नाम कूर्ग है, यह एक हिल स्टेशन है। यहां बहने वाली मुख्य नदी कावेरी है। सबसे छोटी चोटी की ऊंचाई लगभग 160 फीट है, सबसे ऊंची चोटी तांडियाडामोल की ऊंचाई लगभग 5,740 फीट और दूसरी सबसे ऊंची चोटी पुष्पगिरी की ऊंचाई लगभग 5,627 फीट है। साथ ही यहां कुमार पर्वत और ब्रह्मगिरी पर्वत भी हैं। कोडागु प्रकृति के आशीर्वाद से संपन्न क्षेत्र हैं यहां हरे भरे वन, जीव, उद्यान, नदियां, पर्वतों की श्रृंखलाएं और बारिश में भी यह कर्नाटक का चौथा सबसे अधिक वार्षिक वाला स्थान है। यह भारत का कॉफी और काली मिर्च का सबसे बड़ा उत्पादक जिला है। यहां देखने योग्य स्थानों में आप डुबारे हाथी शिविर, एबी फॉल्स, तालकावेरी, निसर्गधाम,राजा की सीट और प्रमुख वन्यजीव अभयारण्य घूम सकते हैं।
स्थानः पश्चिमी घाट, बैंगलोर से लगभग 257किमी दूरी पर, कर्नाटक
प्रमुख आकर्षणः यहां आप ट्रेकिंग, पक्षी विहार, रिवर राफि्ंटग और कॉफी बागानों की सैर कर सकते हैं।
उदमंडलम, ऊटाकामुंड, उदागई यह सभी नाम इस प्रमुख हिल स्टेशन के हैं जो गर्मियों के दौरान बेहद लोकप्रिय पर्यटन स्थल है। ‘‘नीलगिरी पहाड़ियों की रानी’’ के नाम से भी यह जगह बहुत मशहूर है जो दर्शाता है कि यहां नीलगिरी की पहाड़ियां देखने को मिलती हैं। ब्रिटिश काल में यह मद्रास प्रेसीडेंसी अंग्रेजो की ग्रीष्मकालीन राजधानी के रूप में काम करती थी। शानदार नजारें, हरे भरे वन और चारों तरफ ऐसा लगता है जैसे बादल बातें करने के लिए नीचे आ गए हैं। यहां नीलगिरी बायोस्फीयर रिजर्व के साथ ही दक्षिणी भारत की सबसे ऊंची चोटी डोडाबेट्टा यहीं पाई जाती है, साथ ही कई प्रमुख झीलें यहां देखने में बहुत सुंदर प्रतीत होती हैं।
स्थानः नीलगिरी, तमिलनाडु
प्रमुख आकर्षणः स्थानीय संस्कृति का आनंद लेने के लिए बाजारों में घूमने के साथ हस्तशिल्प वस्तुएं खरीद सकते हैं। चाय के बागानों की सैर और झील में नौकायन मनोरंजन कर सकते हैं।
अलेप्पी या अलप्पुझा नाम से प्रसिद्ध यह स्थान केरल में लक्षदीप सागर पर स्थित नगरपालिका शहर है, जो बहुत अद्भुत प्रतीत होता है। यहां परिवहन के रूप में जलमार्ग रूपी नहरों का जाल है, जो अपने जलमार्गों और बैकवाटर के लिए प्रसिद्ध है, इसे पूर्व के वेनिस की संज्ञा भी दी जाती है। अलप्पुझा केरल का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है जहां हाउसबोट, बीच, वेम्बनाड झील, माउंट कार्मेल कैथेड्रल, जैन मंदिर और मुल्लाक्कल मंदिर घूमे जा सकते हैं।
स्थानः अलेप्पी, अलप्पुझा, केरल
प्रमुख आकर्षणः सुंदर समुद्र तटों, नहरों, लैगून और पुन्नमदा झील की सर्पनौका दौड़ का आनंद ले सकते हैं, बैकवाटर्स में बोटिंग और पक्षियों को देख सकते हैं और शांत समुद्री किनारों पर आराम कर सकते हैं।
बहुत कम आबादी वाला यह क्षेत्र स्मॉल टेंपल सिटी के नाम से मशहूर है। यहां का प्रमुख मंदिर महाबलेश्वर है जो भगवान शिव के लिए जाना जाता है, इससे जुड़ी कई किंवदंती प्रचलित हैं जो इसके ऐतिहासिक महत्व को स्पष्ट रूप से बताती हैं। गोकर्ण बहुत प्रसिद्ध क्षेत्र है जो इसे पर्यटकों के बीच इतना लोकप्रिय बनाता है। याना गुफाएं जो दुनिया के सबसे गीले हिस्सो में से एक है जो कर्नाटक का पहला सबसे साफ स्वच्छ गांव है और भारत का दूसरा सबसे साफ स्वच्छ गांव है।
स्थानः उत्तरी कन्नड़ जिला, कर्नाटक
प्रमुख आकर्षणः तटीय क्षेत्रों की खूबसूरती को निहारने के साथ ही इतिहास की जानकारी ले सकते हैं। प्राकृतिक सुंदरता को देखते हुए घने वन में विचरण और मंदिरों में दर्शन का लाभ ले सकते हैं।
केरल का एकमात्र पठारी भाग, जो मैसूर पठार के दक्षिणी भाग का विस्तार है, जो अपनी खूबसूरती के लिए लोकप्रिय है। नारियल पेड़ों की कतारें, हरी हरी घास के मैदान और स्वच्छ नीला आकाश इनके सबके साथ वातावरण बहुत मनोहारी है। वायनाड शब्द का अर्थ धान के खेतों की भूमि होता है। यह बहुत प्राचीन और ऐतिहासिक शहर है जिसका उल्लेख हमारे शास्त्रों में मिलता है। यहां मंदिरों में लवकुश मंदिर और दर्पण मंदिर बहुत प्रसिद्ध हैं।
स्थानः वायनाड, केरल
प्रमुख आकर्षणः वन्यजीव अभयारण्य की सैर, बांस राफि्ंटग, गुफाओं का भ्रमण, नौका विहार, कैपिंग और ट्रैकिंग को एन्जॉय कर सकते हैं।
यह एक हिल स्टेशन है, जो बॉक्साइट खनन के लिए भी जानी जाती है। यहां चाय और कॉफी के बागान हैं। गर्मियों के मौसम में राहत देता वातावरण पर्यटकों को अपनी ओर खूब लुभाता है। इस वैली में हैप्पी डेज़, कथा, डार्लिंग, लाइफ इज़ ब्यूटीफुल, परूगु और आरआरआर सहित कई तेलुगु फिल्मों की शूटिंग हो चुकी है। अराकू वैली पूर्वी घाट में ओडिशा राज्य की सीमा के करीब स्थित, जैव विविधता के लिए प्रसिद्ध घाटी है जहां पर्यटन की दृष्टि से वृक्ष गृह, जनजातीय संग्रहालय, कॉफी संग्रहालय और कई पुराने चर्च शामिल हैं।
स्थानः अराकू वैली, विशाखापत्तनम से लगभग 100 किमी दूरी पर, आन्ध्र प्रदेश
प्रमुख आकर्षणः कई किस्मों के वृक्षों, पौधों, झरनों की सुंदरता को देखने के साथ गुफाओं का अवलोकन कर सकते हैं।
रामायण काल के किष्किंधा के नाम से मशहूर यह क्षेत्र विजयनगर जिले के अन्तर्गत आता है। यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल में यहां स्थित विरूपाक्ष मंदिर शामिल है। हम्पी पुरातन काल से ही ऐतिहासिक रूप से प्रसिद्ध शहर रहा है, इसका जिक्र अशोक के अभिलेखों और हिंदू पुराणों में मिलता है, इस क्षेत्र को पंपा देवी तीर्थ क्षेत्र के रूप में भी जानते हैं। विजयनगर के शासनकाल से अब तक मनाया जाने वाला ‘‘विजया महोत्सव’’ दर्शकों को खूब लुभाता है। आकर्षक पहाड़ियां, ऐतिहासिक खंडहरों के बीच यह पर्यटन क्षेत्र बहुत लोकप्रिय हैं, जहां हर साल लाखों पर्यटक घूमने आते हैं।
स्थानः हम्पी, कर्नाटक
प्रमुख आकर्षणः एडवेंचर प्रेमी यहां रॉक क्लाइम्बिंग कर सकते हैं साथ पुरातन काल के खंडहर साक्ष्यों से यहां के गौरवशाली इतिहास का अध्ययन कर सकते हैं।
चामुंडी पहाड़ियों की तलहटी में स्थित यह शहर पर्यटन हेतु बहुत लोकप्रिय है, जो ब्रिटिशकाल से ही ऐतिहासिक रूप से चर्चा में रहा है। मैसूर को कई उपनामों से पुकारा जाता है जैसे हेरिटेज सिटी, महलों का शहर, कर्नाटक की सांस्कृतिक राजधानी, चंदन शहर और चमेली शहर। विशेषताओं के संगम मैसूर की पेंटिग, व्यंजन, पेंट्स, रेशम साड़ी और भी बहुत कुछ यहां प्रसिद्ध है। पौराणिक रूप से मान्यता है कि यहां महिषरू दानव राज करता था, उसका अंत शहर की कुलदेवी चामुंडेश्वरी ने किया जिनका मंदिर चामुंडी पहाड़ी पर है और महिषरू से इस स्थान का नाम मैसूर हो गया।
स्थानः मैसूरू, कर्नाटक
प्रमुख आकर्षणः झीलों को निहारते हुए पक्षियों को देखना, नौका विहार कर सकते हैं, प्रमुख पैलेस और बागों का भ्रमण करने के साथ स्थानीय हस्तशिल्प वस्तुओं और पाककला व्यंजनों का स्वाद चख सकते हैं।
‘‘दक्षिण भारत के कश्मीर’’ के रूप में लोकप्रिय हिल स्टेशन फेवरेट टूरिस्ट डेस्टिनेशन है। मुन्नार शब्द का हिंदी अर्थ है तीन नदियां जो नदियों मुथिरापुझा, नल्लाथन्नी और कुंडली नदियों के संगम स्थान के तौर पर जाना जाता है। आकर्षक झीलों के आसपास चाय के बागानों की उपस्थिति बहुत शानदार प्रतीत होती है। यहां कई अभयारण्य, वन्य जीव राष्ट्रीय उद्यान हैं जहां कई दुर्लभ प्रजातियों के वनों और जीवों का संरक्षण होता है। यहां पाई जाने वाली घाटियों के विलक्षण नज़ारें प्रकृति की सुंदरता का करीब से एहसास कराते हैं।
स्थानः मुन्नार, इडुक्की, केरल
प्रमुख आकर्षणः चाय बागानों में ट्रेकिंग, झीलों में बोटिंग के साथ ही नेशनल पार्क्स में वन्यजीवों और वनस्पतियों को देख सकते हैं।
पुदुचेरी नाम से प्रसिद्ध यह क्षेत्र फ्रांसीसी संस्कृति को दर्शाता एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है। समुद्री तट, टाउनशिप, और संग्रहालय इसके औपनिवेशिक इतिहास को बयां करते हैं, इसे भारत का छोटा फ्रांस कहकर भी पुकारते हैं। यह पांडिचेरी केंद्र शासित प्रदेश के अन्तर्गत आता है लेकिन यह तमिलनाडु में पाया जाता है। भारतीय और फ्रांसीसी संस्कृतियों का संगम है, यहां के समुद्री तटों से सूर्योदय और सूर्यास्त के दृश्य बहुत मनोरम प्रतीत होते हैं।
स्थानः पुदुचेरी, तमिलनाडु
प्रमुख आकर्षणः यहां मौजूद चर्च, वास्तुकला आकर्षण का केंद्र हैं। समुद्री तटों पर बोटिंग, पैरासेलिंग, कायाकिंग और भी बहुत सारी एक्टीविटीज कर सकते हैं।
दक्कन के पठारीय भाग के रूप में वर्णित दक्षिण भारत कला, इतिहास, प्राकृतिक, सांस्कृतिक और कृत्रिम सभी रूपों में समृद्ध क्षेत्र है। संपन्न वातावरण से धनी यह क्षेत्र आईटी और खनन उद्योगों के लिए जाना जाता है। कहीं रामायण काल के अवशेष तो कहीं आधुनिक युग तकनीक के केंद्र हैं जो इसकी आर्थिक समृद्धि के परिचायक हैं। खूबसूरत समुद्री नजारों के बीच बसे दक्षिण भारत में पंसदीदा हिल स्टेशनों की श्रृंखला है जहां गर्मियों में जाना बहुत आनंददायक होता है।