हिमाचल के उत्तर पूर्वी भाग में स्थित ऐसी घाटी, जहां स्पीति नदी बहती है, स्पीति वैली के नाम से जानी जाती है। स्पीति का शाब्दिक अर्थ है मध्यभूमि, यह क्षेत्र भारत और तिब्बत के बीच स्थित है। यहां का परिवेश ठंडा रेगिस्तानी है, शायद इस कारण से भारत की सबसे कम आबादी वाले हिस्सों में से एक है स्पीति वैली। यहां कई अन्य नदियां भी बहती हैं जो मुख्य नदी स्पीति में मिल जाती हैं। इस घाटी की सुंदरता को देखने के लिए पर्यटक लालायित रहते हैं। यहां कई सारे दर्रे, झील, मठ, अभयारण्य और गांव आकर्षण के केंद्र हैं। आइए, इनके बारें में इस ब्लॉग विस्तार से बताते हैं।
हिमाचल प्रदेश की ऊपरी चंद्र घाटी में यह झील चंद्र नदी के उद्गम स्थल के पास है। आधे चंद्रमा के आकार की आकृति का होने के कारण इसका नाम चंद्रताल पड़ा, जिसे खूबसूरत नाम मून लेक से भी जानते हैं, समुद्र टापू पठार पर है, जो हिमालय में लगभग 4300 मीटर की ऊंचाई पर है। ट्रेकिंग और कैपिंग के लिए यह जगह सर्वोत्तम है जहां से विशाल घास के मैदानों का मनोरम परिदृश्य देखते बनता है। यहां हिम तेंदुआ, हिम मुर्गा, चुकोर, और कई प्रवासी पक्षियों की प्रजातियां पाई जाती हैं।
स्थानः केलोंग, स्पीति, हिमाचल प्रदेश
उपयुक्त समयः जून से सितंबर
ल्हालुंग का शाब्दिक अर्थ है ‘‘देवताओं की भूमि’’, तिब्बती सीमा के बीच बसे होने के कारण यहां तिब्बती संस्कृति का विशेष प्रभाव है। यह मठ इसी संस्कृति को बयां करता एक महत्वपूर्ण बौद्ध मठ है, जो 10वीं शताब्दी में बना सबसे पुराने मठों में से एक है, इसका निर्माण रिनचेन जांगपो ने करवाया था। कहते हैं कि यह पर्वत देवताओं या देवताओं की भावना के अनुसार रंग बदलता है जैसे लाल रंग उनके क्रोध को दर्शाता है, पीला रंग खुशी आदि का संकेत करता है। इस आश्चर्य को देखने के लिए दर्शनार्थी बहुत उत्सुकता से यहां दर्शन करने आते हैं।
स्थानः मुख्यालय काजा से लगभग 62 किमी दूर, स्पीति, हिमाचल प्रदेश
उपयुक्त समयः जून से अगस्त
लाहौल और स्पीति घाटी को जोड़ने वाले इस दर्रे की अधिष्ठात्री देवी कुंजुम माता हैं। इनके नाम पर इस दर्रे को कुंजुम दर्रा कहा जाता है। कुंजुम माता मंदिर की बहुत विशेषता है, यहां सिक्का चिपकाकर मन्नत मांगी जाती है, कहते हैं कि यदि सिक्का चिपक गया तो माता रानी के आशीर्वाद से मन्नत पूरी होती है। इस मंदिर में मन्नत मांगने दूर दूर से दर्शनार्थी अपनी मनोकामना लेकर आते हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग 505 इसी दर्रे पर स्थित है जिसका काजा-पूह-ताबो-शिमला मार्ग पूरे साल चलता रहता है, तो वहीं मनाली काजा मार्ग हर साल सर्दियों के 7 महीनों के लिए बंद रहता है।
स्थानः एनएच 505, मुख्यालय काजा से 79 किमी दूर, स्पीति, हिमाचल प्रदेश
समयः मई से अक्टूबर
मिट्टी की खुशबू लिए इस गांव का नाम बहुत खूबसूरत है, मिट्टी का गांव, यह पार्वती पर्वतमाला की तलहटी में बसा है जो लगभग 1600 मीटर ऊपर है। सफेद क्वार्ट्ज एरेनाइट से बना यह अपक्षय के लिए, मड फॉर्मेशन प्रतिरोधी है, और आसानी से दिखाई देता है। इस गांव में दो बौद्ध भिक्षुणी विहार, ध्यान गुफाएं और आश्रय हैं। यह सभी तिब्बती बौद्ध धर्म के चार प्रमुख स्कूलों में से एक न्यिंगमापा स्कूल से संबंधित हैं। कुल्लू घाटी और किन्नौर जिले के लिए अगर आप ट्रेकिंग पर निकले हैं तो मिट्टी का गांव आखिरी गांव है।
स्थानः काजा, अट्टारगो ब्रिज से 34 किमी दूरी पर, स्पीति, हिमाचल प्र्रदेश
उपयुक्त समयः जून से सितंबर
शीत मरूस्थल बायोस्फीयर रिजर्व स्पीति जिले की स्पीति घाटी और किन्नौर जिले की भाभा घाटी में स्थित है। बौद्ध तिब्बती संस्कृति से सराबोर यह क्षेत्र कई मठों और स्तूपों का क्षेत्र है, जहां इनके मठो, स्तूपों का ऐतिहासिक महत्व होने के साथ ही वर्तमान में बहुत अहमियत है। इन मठों की वास्तुकला तिब्बती और बौद्ध धर्म का बोध कराती हैं। वनस्पतियों की बात करें तो अत्यधिक उच्च ऊंचाई और तापमान की वजह से यहां वनस्पति घनत्व कम है जिसमें अधिकतर देवदार, चीड़ के पेड़ हैं, साथ ही यहां पाये जाने वाले अल्पाइन पेड़ों में औषधीय गुणों का समावेश मिलता है। पक्षियों में यहां हिमालयी स्नोकॉक, चुकर पार्ट्रिज, स्नो पाट्रिज आदि ग्रीष्म ऋतु में पाये जाते हैं।
स्थानः काजा वैली, स्पीति, हिमाचल प्रदेश
उपयुक्त समयः मई से नवंबर
ताबो मठ भारत के सबसे पुराने एक्टिव मठों में से एक हैं। और इसके ठीक ऊपर ऐतिहासिक ताबो गुफांए अवस्थित हैं, जिनका उपयोग बौद्ध भिक्षुओं द्वारा ध्यान के लिए किया जाता है। ये कृत्रिम रूप से बनाई गई हैं और बहुत प्राचीन है। लगभग 11वीं शताब्दी में ताबो मठ के निर्माण ने बौद्ध धर्म के दूसरे प्रमुख प्रचार प्रसार में भूमिका निभाई, जिसने तिब्बत के हर पहलू में समग्र योगदान दिया। ताबो मठ की भीतरी दीवारों पर भित्ति चित्रण बहुत विशेष है, साथ ही यहां की पेंटिंग्स, प्रतिमाएं, शिलालेख भी अद्भुत हैं।
स्थानः ताबो गांव, धार गगनचुम्बी, हिमाचल प्र्रदेश
उपयुक्त समयः अप्रैल से अक्टूबर
प्राकृतिक खूबसूरत घाटियों के मध्य बने चिचम ब्रिज से विहंगम परिदृश्य और गहराई की तरफ देखे जाने वाले स्पीति नदी के मनमोहक नज़ारे, पर्यटकों को खूब लुभाते हैं। इस पुल की वजह से किब्बर जाने का समय नियत समय से 2 से 3 घंटे कम हो गया। हिमालय पर्वत श्रृंखला के उत्तर पूर्व में बना यह पुल समुद्र तल से ऊंचाई पर बनने वाले पुलों में से एक है, और यही इसकी सबसे बड़ी खूबसूरती है।
स्थानः चिचम खास, स्पीति, हिमाचल प्रदेश
उपयुक्त समयः मई से अक्टूबर
अगर आप दुनिया के सबसे ऊंचे गांव से चिट्ठी भेजना चाहते हैं तो हिक्किम घूमने जरूर आएं, यहां दुनिया का सबसे ऊंचा डाकघर है, जो इतने दूर स्थित गांव को विश्व के हर हिस्सों से जोड़ता है। यह बचत बैंक के रूप में काम करता है। गांव का पोस्टल इंडेक्स नंबर 172114 है। हिक्किम के नाम सबसे ऊंचे मतदान केंद्रों में से एक होने का रिकार्ड दर्ज है। यहां घर बनाने के लिए पत्थरों और लकड़ी का उपयोग ज्यादा किया जाता है।
स्थानः हिक्किम गांव, काजा से 46 किमी दूरी पर, लाहौल व स्पीति, हिमाचल प्रदेश
उपयुक्त समयः मई से अक्टूबर
किब्बर क्षेत्र में भारत का एकमात्र ठंडा रेगिस्तान वन्यजीव अभयारण्य सबसे अविस्मरणीय पर्यटन स्थानों में से एक हैं जो तिब्बत और भारत को कनेक्ट करता है। इस अभयारण्य की जरूरत यहां के कमजोर पारिस्थितिकी तंत्र और संकटग्रस्त प्रजातियों को बचाने के लिए की गई थी, जो यहां लगभग 30 हिम तेंदुओं का घर है। यहां कृषि स्थानीय जीविका का मुख्य साधन है। किब्बर में एक प्रसिद्ध बौद्ध मठ भी है।
स्थानः किब्बर, किब्बर खास, हिमाचल प्र्रदेश
उपयुक्त समयः मई से अक्टूबर
प्राचीन बौद्धकला का द्योतक धनकर मठ एक चट्टान पर बना अद्भुत मठ है, जो देखने में बहुत आकर्षक लगता है। लगभग एक हजार साल पहले स्थापित यह मठ दुनिया के 100 सबसे संकटग्रस्त स्मारकों में से एक है। तिब्बती बौद्ध धर्म के यह गेलुप्पा संप्रदाय से संबंधित है। यहां बुद्ध की एक प्रतिमा है जिसमें पीठ से पीठ सटाकर चार आकृतियां बनी हुईं हैं, यहां एक छोटा संग्रहालय भी है। इसके पास ही एक मनमोहक झील है जिसे धनकर झील कहते हैं।
स्थानः शिचलिंग-धनकर गोम्पा, धनकर, सैमलिंग, स्पीति, हिमाचल प्रदेश
उपयुक्त समयः अप्रैल से जून
जास्कर श्रेणी का सबसे उच्च रेंज वाला दर्रा बारालाचा दर्रा हिमाचल प्रदेश और लद्दाख को जो भौतिक रूप से अलग अलग हैं, जोड़ने का काम करता है। इस दर्रे के पास से चिनाब नदी के दो मुख्य स्त्रोत चंद्रा और भागा निकलते हैं। चिनाब का मूल नाम इन्हीं दोनों से मिल कर बना है चंद्रभागा, जो किंवदंतियों के अनुसार चंद्रदेव की बेटी चंद्रमुखी और सूर्यदेव के पुत्र भागा के नाम पर है। चंद्रा नदी के किनारे स्थित बारालाचा से चंद्रा ताल तक आप ट्रेकिंग और कैंपिंग गतिविधियों का अनुभव कर सकते हैं।
स्थानः लाहौल स्पीति जिला, हिमाचल प्रदेश
उपयुक्त समयः अप्रैल से अक्टूबर
भारत चीन सीमा के पास स्थित हंगरंग वैली में स्थित यह गांव अपने मनमोहक, आकर्षक परिदृश्यों के लिए बहुत प्रसिद्ध है, यहां की सबसे विशेष खासियत है, यहां की नाको झील, जो इस गांव की सीमा निर्धारित करने के साथ ही इसे प्रसिद्ध घूमने योग्य स्थान बनाती है। यह हिमाचल प्रदेश के सबसे ऊंचे पर्वत रेओ पुरग्याल के खूबसूरत आधार पर बनी है। सन् 1847 में वनस्पतिशास्त्री थॉमस ने यहां के बारें में बताया कि पानी की उपलब्धता, व्यापक खेती के साथ चिनार व विलो के जंगल थे, जिसमें कोई फल वाला पेड् नहीं था। नाको झील के साथ ही यहां नाको मठ भी पर्यटकों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करता है, इसकी कलाकृति वज्रयान बौद्ध धर्म से संबंधित है। यहां के स्थानीय देवता को ‘‘पहाड़ की आत्मा’’ के रूप में जाना जाता है।
स्थानः किन्नौर, स्पीति से 65 किलोमीटर की दूरी पर, हिमाचल प्रदेश
उपयुक्त समयः मई से सितंबर
हिंदूओं और बौद्ध धर्म के प्रमुख तीर्थस्थल के रूप में इस जगह को जाना जाता है, जिसका अर्थ तीनों लोकों के ईश्वर से है। अनुश्रुतियों के अनुसार मंदिर में छह सिर वाले अवलोकितेश्वर की संगमरमर की मूर्ति थी जो बहुत समय पहले चोरी हो गई। वर्तमान में सशस्त्र अवलोकितेश्वर की मूर्ति को 12वीं सदी का माना जाता है। इसे बौद्धों द्वारा अवलोकितेश्वर और हिंदुओं द्वारा भगवान शिव के रूप में पूजा जाता है। इस मंदिर के बारें में कई किंवदंतिया प्रचलितहैं। वास्तुशैली प्रभाव प्राचीन इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता है।
स्थानः लाहौल स्पीति, हिमाचल प्रदेश
उपयुक्त समयः मई से अक्टूबर
यह भारत की तीसरी सबसे ऊंची झील और दुनिया की 21वीं सबसे ऊंची झील है, जो 800 मीटर लंबी है और बारालाचा दर्रे के ठीक नीचे बहती है, इसे त्सो कामत्सी के नाम से भी जानते हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग 21 मनाली से लेह तक सूरज ताल के बाईं ओर है जिस पर आप ट्रैकिंग और मोटरसाइकिलिंग का आनंद ले सकते हैं। बर्फ से ढके झील के आस पास का परिदृश्य बहुत मनोरम होता है।
स्थानः केयोंग, स्पीति, हिमाचल प्रदेश
उपयुक्त समयः मई से अक्टूबर
यह मठ बौद्ध शिक्षाओं का सबसे प्राचीन और विशाल केंद्र है जहां सैकड़ों लामाओं को धार्मिक प्रशिक्षण दिया जाता है। यह मठ अपने कलाकृतियों, सुंदर भित्ति चित्रों, दुर्लभ पांडुलिपियों और आश्चर्यजनक वायु वाद्ययंत्रों के लिए जाना जाता है। बौद्धों का मानना है कि यहां चलने वाले विशाल दीक्षा समारोह में शामिल होना ही सिर्फ प्रतिभागी को दुखों से मुक्ति दिलाता है और उसके अंदर ज्ञान का बोध कराता है। की मठ की वास्तुकला और आस पास का शीत वातावरण ऐसा लगता है मानो शांति का प्रतीक बनी ये सफेद बर्फ भी आध्यात्मिकता के रंग में रच बस गई है।
स्थानः की, पिजोंर, स्पीति, हिमाचल प्रदेश
उपयुक्त समयः जून से सितम्बर
स्पीति, प्रकृति की गोद में बसा ऐसा स्थान है, जहां प्रकृति की विराटता, बौद्ध संस्कृति की झलक और पहाड़ों का सादगी भरा जीवन है। यह सिर्फ एक पर्यटन स्थान नहीं, एक समझ है - जहां मठ, मंदिर, गांव, झीलें, घाटियां बहुत गहराई से एकांतपूर्ण शांति का अनुभव और रोमांचक गतिविधियों से मन को तरोताजा कर सकते हैं। शहरों के शोरगुल से बहुत दूर नियति के आंगन में साफ स्वच्छ नीले आकाश के नीचे स्वयं का एहसास कराता यह स्थान किसी स्वर्ग से कम नहीं है, यहां आने का ख़्वाब भला किसका नहीं होगा।