• Jun 11, 2025

देश की राजधानी दिल्ली जहां की लोकसंस्कृति, विविधता और आधुनिकता बहुत खास है। दिल्ली ऐसा शहर जो ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, और राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में अग्रसर है साथ ही व्यस्त शहरों की दौड़ में भी इसकी गिनती होती है। अगर दिल्ली की हलचल और भागदौड़ भरी जिंदगी से थोड़ी राहत चाहते हैं तो दिल्ली से कुछ घंटों का ही सफ़र तय कर आप बेहतर राहत और सुकून पा सकते हैं, दिल्ली से कुछ किलोमीटर पर मौजूद यह स्थान, कुछ हिल स्टेशन हैं, कुछ ऐतिहासिक और सांस्कृतिक नगरी, कुछ आध्यात्मिकता और शांति के द्योतक हैं और कुछ प्रकृति वन्य जीवों की दुनिया में ले जाते हैं। कहीं खूबसूरत नज़ारें हैं, कहीं वैज्ञानिकता और कहीं प्राकृतिक करिश्मा का अद्भुत संगम। इस ब्लॉग में दिल्ली के आस पास घूमने के लिए ऐसी ही 12 जगहों के बारें में चर्चा करेंगे।

1. ऋषिकेशः

गंगा नदी के किनारे पर स्थित इस शहर का उत्तरी भाग देहरादून जिले में है तो वहीं दक्षिणी भाग टिहरी गढवाल जिले में है। ‘योग नगरी’ के नाम से मशहूर यह शहर हिंदू तीर्थस्थलों और खूबसूरत प्राकृतिक दृश्यों की नगरी है। ऋषिकेश बहुत ही शांत और प्रिय स्थानों में से एक है, यहां के अनुकूल वातावरण में ध्यान साधना की उच्चतम स्थिति तक पहुंच सकते हैं। ऋषिकेश चारधाम यात्रा का शुरूआती बिंदु है। पर्यटन स्थलों जैसे हरसिल, चोपता, ओली, डोडीताल और केदारकांठा, हर की दून के साथ यह हिमालयी पर्यटन का ग्रीष्मकालीन और शीतकालीन ट्रेंकिग स्थलों का भी शुरूआती बिंदु है। ऋषिकेश ऋषिक अर्थात् इंद्रिया और ईश अर्थात भगवान इन दोनों से मिलकर बने इस शब्द का अर्थ ‘इंद्रियों के भगवान’ से है।

दूरीः दिल्ली से ऋषिकेश की सड़क दूरी लगभग 233 किमी है, हवाई दूरी 193 किमी है और ट्रेन से यात्रा करते समय औसत दूरी लगभग 243 किमी है।

यात्रा में लगने वाला समयः सड़क और रेल द्वारा लगभग 5-6.5 घंटे का समय लगता है, और हवाई मार्ग द्वारा 45 मिनट से 1 घंटे 30 मिनट तक का समय लग सकता है।

घूमने का उपयुक्त समयः अक्टूबर से मार्च

2. हरिद्वारः

शिवालिक पर्वतमाला की तलहटी में गंगा नदी दाहिने में अवस्थित यह नगरी प्राचीन तीर्थ नगरी है। जहां हिंदू तीर्थयात्री विशेष गंगा नदी में स्नान करने और मोक्ष प्राप्त करने की मंशा से आते हैं और साथ ही अपने पितरों का तर्पण कर आत्मा की शांति की प्रार्थना करते हैं । विहंगम नज़ारें ऐसे प्रतीत होते हैं जैसे आप बादलों के बीच पहुंच गए हों। यह आस्था, भक्ति और प्राकृतिक खूबसूरती का अनोखा संगम है। हर 12 साल में लगने वाला कुंभ मेला बहुत प्रसिद्ध है। यहां ‘हर की पौड़ी’ जगह को भगवान के पदचिन्हों के रूप में पूजा जाता है और इसे हरिद्वार का सबसे पवित्र घाट माना जाता है। इस स्थान का वर्णन हिन्दू धर्म पुराणों में भी मिलता है।

दूरीः दिल्ली से हरिद्वार की सड़क और रेल मार्ग औसत दूरी लगभग 230-247 किलोमीटर है। हवाई मार्ग से 175 किमी की दूरी है।

यात्रा में लगने वाला समयः ट्रेन यात्रा में करीब 4 घंटे का समय लगता है, और सड़क मार्ग से करीब 5-6 घंटे लगते हैं। हरिद्वार का निकटतम हवाई अड्डा देहरादून में है, जो हरिद्वार से लगभग 41 किमी दूर है।

घूमने का उपयुक्त समयः अक्टूबर से मई

3. मसूरीः

मशहूर हिल स्टेशन जिसे ‘पहाड़ों की रानी’ के नाम से जाना जाता है। बर्फीली पहाड़ियां जहां धनोल्टी, लाल टिब्बा आदि जैसे कई शानदार आकर्षण हैं। इसके उत्तर पूर्व में हिमालय की बर्फीली पहाड़ियां हैं व दक्षिण में दून घाटी और शिवालिक पर्वतमालाएं हैं। ब्रिटिशकालीन औपनिवेशिक वास्तुकला के नमूने, घुमावदार रास्ते, प्राकृतिक वन्य जीवों की उपलब्धता, चीड़, देवदार वृक्षो की मोहकता लिए यह स्थान प्रकृति की नियामत है। अक्टूबर और फरवरी के बीच शहर में दुर्लभ विंटरलाइन घटना दिखाई देती है जो एक दुर्लभ प्राकृतिक घटना है, जो सर्दियों के मौसम में सूर्यास्त के बाद आकाश में दिखाई देती है-एक लाल नारंगी रंग की रेखा जो एक दूसरी क्षितिज जैसा भ्रम पैदा करती है। इसको देखने के लिए सैलानी दूर दूर से मसूरी आते हैं। सर्दियों के मौसम में यहां बहुत ज्यादा बर्फबारी देखने को मिलती है।

दूरीः दिल्ली से मसूरी की दूरी लगभग 279 किमी है, हवाई मार्ग और ट्रेन से यात्रा करने पर मसूरी का नजदीकी एयरपोर्ट और रेलवे स्टेशन देहरादून है, जो मसूरी से क्रमशः 60 और 34 किमी की दूरी पर स्थित है।

यात्रा में लगने वाला समयः सड़क मार्ग से यात्रा करने में 6-8 घंटे का समय लगता है। ट्रेन के माध्यम से देहरादून पहुंचने में कम से कम 6 घंटे का समय लगता है और हवाई यात्रा के लिए भी आपको देहरादून में जॉली ग्रांट हवाई अड्डे पर उतरना होगा, और वहां से आप मसूरी जा सकते हैं।

घूमने का उपयुक्त समयः मार्च से जून

4. मथुरा एवं वृन्दावनः

कृष्ण नगरी के नाम से प्रसिद्ध यह जगह हिंदूओं के आराध्य श्रीकृष्ण और राधारानी की नगरी है। विशेषतः राधे राधे से गुंजाएमान यह स्थान भक्तिप्रेमियों के लिए बहुत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। इस स्थान पर लगभग 5,500 मंदिरों की संख्या है। वृन्दावन मथुरा जिले के अन्तर्गत आता है, वृन्दा का अर्थ तुलसी होता है अर्थात वृन्दावन मतलब तुलसी का वन। पवित्र नगर वृन्दावन के आसपास बरसाना, गोकुल आदि और भी ऐसे दर्शनीय स्थल हैं जो भगवान कृष्ण और उनकी लीलाओं के साक्षी हैं। उनकी महिमा गाते कई ऐसे चिन्ह हैं जो आज भी उनकी मौजूदगी का एहसास कराते हैं। निधिवन हो चाहे राधा रमण बिहारी, यहां के हर मंदिर की बात निराली और खास है। इस स्थान के बारें में कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि यह पूरा स्थान ही एक मंदिर स्वरूप है, जहां वंशीवट, यमुना का किनारा, निकुंज गलियां, जिसने उस परमसत्ता का साक्षात मानव स्वरूप देखा है और अनंतकाल से उसे संजोए रखा है।

दूरीः दिल्ली से मथुरा वृंदावन की सड़क और मार्ग की औसत दूरी लगभग 160-180 किमी है। मथुरा वृंदावन पहुंचने के लिए सबसे करीबी हवाई अड्डा दिल्ली का इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है।

यात्रा में लगने वाला समयः यमुना एक्सप्रेसवे और रेल माध्यम से औसत 3-4 घंटे का समय लगता है।

घूमने का उपयुक्त समयः अक्टूबर से मार्च

5. जयपुरः

पिंक सिटी के नाम से प्रसिद्ध यह शहर राजस्थान राज्य की राजधानी है, जिसको राजपूत शासक सवाई जय सिंह द्वितीय ने बसाया था। आधुनिक भारत के व्यवस्थित शहरों में से एक है जिसे विद्याधर भट्टाचार्य ने डिजाइन किया था। जयपुर को ‘भारत का पेरिस’ कहा जाता है। यहां कई लोकप्रिय ऐतिहासिक पर्यटन स्थल जैसे हवामहल, जलमहल, जयगढ़, चिड़ियाघर व और भी कई सारे ऐतिहासिक इमारतें, किले और दर्शनीय स्थल है, जिसके बारें में जितना वर्णन किया जाए कम है। आमेर किला व जंतर मंतर विश्व धरोहर स्थल सूची में शामिल है। इसकी खूबसूरती के कारण सर सीवी रमन ने इस शहर को ‘ग्लोरी का द्वीप’ कहा था। नाहरगढ़ पहाड़ियों और पूर्व में अरावली पर्वतमाला के हिस्से झालाना से घिरा हुआ है। यहां लाख के कंगन, बांधानी चुनरी व साड़ी, और कई हस्तनिर्मित वस्तुएं बहुत प्रसिद्ध हैं जिन्हें आप यहां से खरीद सकते हैं।

दूरीः दिल्ली से जयपुर की राजमार्ग और रेल मार्ग औसत दूरी लगभग 275 किमी है। हवाई मार्ग से 241 किमी दूरी है।

यात्रा में लगने वाला समयः हवाई यात्रा में लगने वाला समय करीब 55 मिनट है। सड़क और रेल मार्ग से लगने वाला औसत समय लगभग 5-6 घंटे है।

घूमने का उपयुक्त समयः अक्टूबर से मार्च

6. नीमराणा फोर्टः

यह 15वीं सदी का फोर्ट पैलेस है, जिसे हेरिटेज होटल में बदल दिया गया है। भव्य वास्तुकला, शानदार आकर्षण और इसके आसपास के परिदृश्य इसकी खूबसूरती को बयां करते हैं। दिल्ली जयपुर राजमार्ग पर स्थित यह होटल देखने में बहुत सुंदर और आकर्षक है जिसे देखने और घूमने के लिए कई सीढियां और रैंप है, लेकिन ये पूरे फोर्ट पैलेस तक पहुंच नहीं देते हैं। पूरा होटल घूमने के लिए थकान न हो इसलिए आपको शारीरिक रूप से फिट होना जरूरी है। कैलाश बुर्ज फोर्ट व्यू से बिना सीढी चढ़े, हेरिटेज होटल का मनमोहक दृश्य देख सकते हैं। यह आपको एक विलक्षण अनुभव पर ले जाता है जहां आप 15वीं शताब्दी की कला और विशेषताओं को करीब से महसूस कर सकते हैं। सप्ताहांत छुट्टियों के लिए यह जगह बहुत लोकप्रिय है जहां आप आधुनिक समय में इतिहास का दर्शन कर सकते हैं। लटकते हुए बगीचे, एक पहाड़ी पर बने 14 स्तरों पर बने नौ महल पंख इस स्थान की खूबसूरती को कई गुना बढ़ा देते हैं।

दूरीः दिल्ली से नीमराणा की औसत दूरी लगभग 122 से 125 किमी है।

यात्रा में लगने वाला समयः दिल्ली से नीमराणा तक आप कार, बस या ट्रेन से जा सकते हैं, जिसमें करीब 2-3 घंटे लगते हैं।

घूमने का उपयुक्त समयः सितंबर से मार्च

7. जिम कार्बेट नेशनल पार्कः

वन्य जीव संरक्षण का यह केंद्र एक टाइगर रिजर्व भी है।यहां का भव्य परिदृश्य बाघों की संपन्नता के लिए प्रसिद्ध है। यह भारत का सबसे पुराना नेशनल पार्क है। इसकी भूमिका सिर्फ पर्यटन स्थल तक सीमित नहीं है, यह वन्यजीव संरक्षण की ऐतिहासिकता का ज्वलंत प्रमाण है। जैव विविधता के आदर्शां, अलौकिक दृश्यों के मायनों में खरा उतरता यह पार्क उम्मीद की लौ के रूप में अनवरत कार्य कर रहा है। पहाड़ियां, नदी के तट, दलदली गड्ढे, घास के मैदान और बड़ी झील पारिस्थितिकी तंत्र का बहुत बेहतर उदाहरण हैं। यहां पर्णपाती वन में साल, पीपल, आम और कई तरह के पेड़ शामिल हैं। शुरूआत में इस पार्क का नाम हैली नेशनल पार्क था, बाद में प्रकृतिवादी संरक्षक जिम कार्बेट के नाम पर इस पार्क का नाम रखा गया। यह तराई आर्क लैंडस्केप प्रोग्राम के तहत आने वाले तेरह संरक्षित क्षेत्रों में से एक है जिसका उद्देश्य वन्यजीव गलियारों को लागू करके बाघ, एशियाई हाथी और भारतीय गैंडे की रक्षा करना है। यहां आप जीप सफारी का आनंद ले सकते हैं।

दूरीः दिल्ली से जिम कार्बेट की दूरी लगभग 250 किमी है। करीबी रेलवे स्टेशन रामनगर है जिसकी जिम कार्बेट से दूरी 12 किमी है।

यात्रा में लगने वाला समयः सड़क और रेल मार्ग से यात्रा करने में औसत लगभग 6-7 घंटे का समय लगता है।

घूमने का उपयुक्त समयः नवंबर से फरवरी

8. रणथम्बौर नेशनल पार्कः

यहां कई जंगली जानवर पाए जाते हैं जिन्हें देखकर आप रोमांचित महसूस कर सकते हैं।गर्मियों में जानवरों को राहत देने के लिए, पूरे पार्क में कई जल निकाय फैले हुए हैं। सवाई माधोपुर जिले में अवस्थित यह उद्यान एक आकर्षक वन्य स्थल है जो इस क्षेत्र के अद्भुत जीवन को दिखाता है। यह उद्यान उत्तर में बनास नदी और दक्षिण में चंबल नदी से घिरा हुआ है। इस उद्यान का नाम रणथंबौर किले के नाम पर रखा गया है। यहां पेड़ों की 300 से अधिक प्रजातियां हैं, जिनमें 100 से ज्यादा औषधीय महत्व की प्रजातियाँ शामिल हैं। यहां झाड़ी, उष्णकंटिबंधीय शुष्क वन और चट्टानी इलाके हैं, जहां झीलें और नदियां बहती हैं। यहां चीतल, साभर, काला हिरण, चिंकारा, नीलगाय, लंगूर, रीसस मकाक, सियार, धारीदार लकड़बग्घा, जंगली बिल्ली सहित कई जंगली जानवर रहते हैं। पार्क में पक्षियों की 270 से अधिक प्रजातियाँ हैं, जिनमें मोर, इंडियन पैराडाइज फ्लाईकैचर सहित और भी पक्षी शामिल हैं। यह उद्यान अपनी बंगाल टाइगर आबादी के लिए प्रसिद्ध है।

दूरीः दिल्ली से रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान की दूरी लगभग 400 किमी है।

यात्रा में लगने वाला समयः सड़क मार्ग से यात्रा करने में लगभग 7-8 घंटे का समय लगता है। हवाई मार्ग से यात्रा करने हेतु दिल्ली से जयपुर हवाई अड्डा जाएं, जयपुर रणथंभौर के सबसे करीबी एयरपोर्ट है, जहां से 160 किमी की दूरी पर रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान है। रेल माध्यम से सवाई माधोपुर रेलवे स्टेशन के लिए रेल सेवा लें जो वहां से 11 किमी की दूरी पर नजदीकी रेलवे स्टेशन है।

घूमने का उपयुक्त समयः अक्टूबर से मार्च

9. आगराः

ताज नगरी के नाम से प्रसिद्ध ऐसा शहर जो किसी ज़मानें में भारत की राजधानी भी हुआ करती थी। यहां कई ऐतिहासिक स्थल हैं जिसे देखकर आप यहां के गौरवशाली इतिहास से परिचित हो सकते हैं। यमुना नदी के किनारे यह शहर ऐतिहासिक स्थलों के साथ ही चमड़़े से बने सामानों के लिए भी प्रसिद्ध है। मुगलों के समय में आगरा शिक्षा, कला, वाणिज्य और धर्म का केंद्र्र बनी हुई थी। ताजमहल का नाम विश्व के सात आश्चर्यों में से एक है। आगरा किला, एत्माद्दौला का मकबरा, और भी कई सारे स्मारक स्थलों से यह नगरी परिचित कराती है। अकबर ने आगरा से करीब 35 किमी दूर फतेहपुर सीकरी का एक शहर भी बसाया, जो पर्यटन की दृष्टि से प्रसिद्ध है। दीवान-ए-आम, दीवान-ए-खास, मोती मस्जिद, और जामा मस्जिद यहां के उल्लेखनीय इमारतें हैं।

दूरीः दिल्ली से आगरा की सड़क मार्ग दूरी लगभग 243 किमी तो वहीं रेल मार्ग दूरी लगभग 188 किमी है। हवाई दूरी लगभग 178 किमी है।

यात्रा में लगने वाला समयः यमुना एक्सप्रेस वे के माध्यम से करीब 4-5 घंटे का समय लगता है तो वहीं रेल मार्ग से करीब 2-3 घंटे का समय लगता है। हवाई जहाज से यह दूरी करीब 45 मिनट मे तय की जा सकती है।

घूमने का उपयुक्त समयः अक्टूबर से मार्च

10. नैनीतालः

कुमाऊं तलहटी में स्थित यह शहर एक घाटी में स्थित है, जिसमें एक आंख के आकार की झील है, जो नैनी झील के नाम से प्रसिद्ध है और सात पहाड़ियों के बीच घिरी हुई है। यहां कई सारे पर्यटन स्थल और मंदिर हैं। 51 शक्तिपीठों में से एक नैना देवी शक्तिपीठ यहीं स्थित है, साथ ही यहां का स्नो व्यू पॉइंट और जलप्रपात देखने में बहुत सुंदर प्रतीत होते हैं। यह हिल स्टेशन वर्षभर सैलानियों को आकर्षित करता है। तल्लीताल, मल्लीताल नैनी झील के दोनों किनारों पर स्थित हैं। यहां पाए जाने वाले वन्य जीव संरक्षण और बाजारें पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंंद्र रहते हैं। नैनीताल गर्मियों में बहुत पंसदीदा पर्यटन केंद्र रहता है।

दूरीः दिल्ली से सड़क मार्ग की दूरी 320 किमी है, रेल से लगभग 278 किमी दूर है।

यात्रा में लगने वाला समयः सड़क मार्ग से यात्रा करने में 8-9 घंटे का समय लगता है, और रेल यात्रा करीब 5-8 घंटे की अवधि की होती है। वहीं हवाई जहाज से पंतनगर हवाई अड़डे से 3-4 घंटों का समय लगता है।

घूमने का उपयुक्त समयः मार्च से जून

11. कसौलीः

हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले का एक कैंटोनमेंट बोर्ड शहर है जो अपने प्राकृतिक दृश्य, मौसम, और लैंडमार्क्स के लिए प्रसिद्ध है। यहां सर्दियों का तापमान लगभग 2 डिग्री सेल्सियस रहता है, और गर्मियों में तापमान शायद ही कभी 32 डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक रहता हो। यह एक बहुत ही खूबसूरत हिल स्टेशन है, जहां सर्दियों की शुरूआत बर्फबारी से भी होती है, और तापमान -6 डिग्री सेल्सियस तक दर्ज किया गया है। यहां कई तरह के पर्यटन स्थल हैं जैसे बैपिस्ट चर्च, क्राइस्ट चर्च, गुरूद्वारा, नाहरी मंदिर, मंकी पॉइंट और केंद्रीय अनुसंधान संस्थान आदि। कसौली हिमाचल प्रदेश के जीवाश्म स्थलों में से एक है, यहां पहले जीवाश्म की खोज 1864 में हुई थी। मियोसीन युग के 20 मिलियन वर्ष पुराने जीवाश्म खोजे गए हैं, जब यह क्षेत्र टेथिस महासागर का तटीय क्षेत्र था।

दूरीः दिल्ली से सड़क मार्ग दूरी लगभग 340 किमी है। रेलगाड़ी से यह दूरी करीब 271 किमी है। हवाई मार्ग लगभग 255 किमी है।

यात्रा में लगने वाला समयः सड़क मार्ग से यात्रा करते समय लगभग 5-7 घंटे लगते हैं। निकटतम रेलवे स्टेशन कालका है जो कसौली से लगभग 40 किमी दूर है। और नजदीकी एयरपोर्ट चंडीगढ़ है जो कसौली से लगभग 70 किमी दूर है।

घूमने का उपयुक्त समयः मार्च से नवंबर

12. चण्डीगढ़ः

एक व्यवस्थित केंद्रशासित शहर जो अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी वास्तुकला और शहरी डिजाइन के लिए जाना जाता है। इसे ‘सिटी ब्यूटीफुल’ भी कहते हैं। यह शहर पंजाब और हरियाणा की संयुक्त राजधानी भी है। हिमालय शिवालिक श्रेणी की तलहटी में स्थित यह शहर चंडी और गढ़ दो शब्दों से मिलकर बना है यानी देवी का शहर। चंडी नाम, पंचकूला जिले में शहर के पास देवी चंडी को समर्पित एक प्राचीन मंदिर से लिया गया है। चंडीगढ का अधिकांश भाग घने बरगद और नीलगिरि के बागानों से ढका हुआ है। अशोक, कैसिया, शहतूत और पेड़ वन पारिस्थतकी तंत्र को मजबूत करते हैं। जंगलों से घिरे होने के कारण यह शहर कई जानवरों और पौधों की प्रजातियों को बनाए रखता है। यहां तोता पक्षी अभयारण्य में वृहद संख्या में तोतों का आवास मिलता है और सुखना वन्यजीव अभयारण्य में कई तरह की वन्य प्रजातियां निवास करती हैं।

दूरीः दिल्ली से चण्डीगढ की सड़क मार्ग दूरी लगभग 239 किमी है। और ट्रेन ट्रैक की दूरी 239 किमी लगभग है।

यात्रा में लगने वाला समयः सड़क मार्ग से करीब 4 घंटे 45 मिनट का समय लग सकता है। ट्रेन ट्रैवल टाइम 3 घंटे का 20 मिनट का हो सकता है और हवाई जहाज द्वारा करीब 1 घंटे में यह यात्रा पूरी की जा सकती है।

घूमने का उपयुक्त समयः सितंबर से नवंबर

निष्कर्षः

दिल्ली के करीब ये स्थान जहां घूमने के लिए आप आसानी से वीकेंड प्लानिंग कर सकते हैं। राजधानी से कुछ किलोमीटर दूरी पर मौजूद इन स्थानों का चुनाव आप अपनी रूचि अनुसार कर सकते हैं। इन मनोरम स्थानों से दिल्ली की बेहतर कनेक्टिवटी है, सफर में आपको ज्यादा झंझट का सामना नहीं करना पड़ेगा। अकेले जाएं, परिवार के साथ घूमें या दोस्तों के संग ट्रिप प्लानिंग करनी हो। हर किसी के लिए इन स्थानों में यादगार अनुभव शामिल हैं।

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