• Jun 09, 2025

चार धाम यात्रा महज़ एक यात्रा नहीं है, यह आध्यात्मिक अनुभव है। जो धर्म, संस्कृति, और आस्था का केंद्र है। श्रद्धालुओं में इस यात्रा के प्रति एक गज़ब का उत्साह देखने को मिलता है। हिंदू धर्म में इस यात्रा का विशेष महत्व है जो चार पवित्र तीर्थस्थल यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ, और बद्रीनाथ की यात्रा है। जिनमें से प्र्रत्येक हिंदू ग्रन्थों के अनुसार अलग अलग देवी-देवताओं से जुड़ा हुआ है। यहां आपको 2025 चार धाम यात्रा की पूरी जानकारी जिसमें यात्रा की शुरूआती तिथियां, पंजीकरण प्रक्रिया, नियमों से लेकर मार्ग, आवास विकल्प, अन्य व्यवहारिक पहलू के बारें में विस्तार से बताएंगें।

चारधाम यात्रा तीर्थों का महत्व:

यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ, बद्रीनाथ।

  • यमुनोत्री: यह यमुना नदी का उद्गम स्थल माना जाता है और यह देवी यमुना को समर्पित है।
  • गंगोत्री: यह गंगा नदी का उद्गम स्थान है और गंगा देवी को समर्पित है।
  • केदारनाथ: यह भगवान शिव का धाम है और बारह ज्योर्तिलिंगों में से एक है, जो भगवान शिव के स्वरूप का प्रतिनिधित्व करता है।
  • बद्रीनाथ: बद्रीविशाल नाम से प्रचलित ये मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है और वैष्णवों के लिए बहुत ही पवित्र स्थल है।

चारधाम यात्रा का इतिहास सदियों पुराना है, जिसका उल्लेख प्राचीन हिंदू धर्मग्रंथों और महाकाव्यों में मिलता है। पुराणों के अनुसार चारधाम यात्रा करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

यात्रा आरम्भ होने की संभावित तिथियां

  यमुनोत्री   30 अप्रैल 2025 
  गंगोत्री   30 अप्रैल 2025
  केदारनाथ   2 मई 2025
  बद्रीनाथ   4 मई 2025

चारधाम यात्रा समाप्ति संभावित तिथियांः

  • मंदिरों के बंद होने की तिथियां अलग अलग होती हैं, अधिकांश मंदिर दीवाली के समय बंद हो जाते हैं, जो दीपों का त्योहार है। ये त्योहार अक्टूबर या नवंबर में आता है।

चारधाम यात्रा में लगने वाला समय: 

यात्रा पूरी करने में अनुमानित समय 10 से 12 दिन का होता है, जो इस प्रकार हो सकता है। वैसे ये जानकारी आपके यात्रा करने के साधन, वहां के मौसम, आपकी सेहत और पसंद पर निर्भर है।  

  • दिन 1ः ऋषिकेश/हरिद्वार से बड़कोट के लिए प्रस्थान
  • दिन 2ः बड़कोट से यमुनोत्री और वापसी
  • दिन 3ः बड़कोट से उत्तरकाशी
  • दिन 4ः उत्तरकाशी से गंगोत्री और वापसी
  • दिन 5ः उत्तरकाशी से गुप्तकाशी
  • दिन 6ः गुप्तकाशी से केदारनाथ
  • दिन 7ः केदारनाथ से गुप्तकाशी
  • दिन 8ः गुप्तकाशी से सोनप्रयाग
  • दिन 9ः सोनप्रयाग से बद्रीनाथ और वापसी 
  • दिन 10ः ऋषिकेश/हरिद्वार की वापसी यात्रा

श्रद्धालु अपनी पसंद और समय अनुसार यात्रा कार्यक्रम में संशोधन कर सकते हैं।

चारधाम यात्रा पंजीकरण प्रक्रिया:

उत्तराखंड पर्यटन विकास बोर्ड (यूटीडीबी) ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनो तरह से पंजीकरण विकल्प प्रदान करता है। चार धाम यात्रा करने वाले सभी श्रद्धालुओं के लिए पंजीकरण प्रक्रिया अनिवार्य है। श्रद्धालुओं के बचाव और सुरक्षा को सुनिश्चित करने और व्यवस्था को सुनियोजित, नियंत्रित करने के लिए प्रक्रिया को डिजिटल और आसान बनाया गया है।

ऑनलाइन माध्यम प्रोसेस

  • उत्तराखंड पर्यटन विभाग की वेबसाइट पर जाएंः आप उत्तराखंड पर्यटन विभाग की वेबसाइट पर जा सकते हैं या मोबाइल एप के माध्यम से भी पंजीकरण कर सकते हैं।
  • एक नया खाता बनाएंः यदि आप पहले से खाता नहीं बनाए हैं, तो आपको नाम, मोबाइल नंबर और पासवर्ड दर्ज करके एक नया खाता बनाना होगा।
  • लॉग इन करेंः अपने खाते में लॉग इन करने के लिए, अपना मोबाइल नंबर और पासवर्ड दर्ज करें।
  • आधार कार्ड वेरीफाई करेंः आपको अपने आधार कार्ड को वेरीफाई करने के लिए कहा जाएगा।
  • यात्रा का चयन करेंः आपको चारधाम यात्रा के लिए अपनी यात्रा का चयन करना होगा।
  • जानकारी भरेंः आपको अपनी जानकारी और यात्रा की तारीख दर्ज करनी होगी।
  • रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया को पूरा करेंः रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया को पूरा करने के बाद, आपको अपना रजिस्ट्रेशन नंबर प्राप्त होगा।

ऑफलाइन माध्यम प्रोसेसः

चारधाम यात्रा मार्ग पर स्थित निर्धारित पंजीकरण काउंटरों पर जाना होगा। इन काउंटरों पर, आप पंजीकरण फॉर्म भर सकते हैं और आवश्यक दस्तावेजों की प्रतियां जमा कर सकते हैं।

ऑफलाइन पंजीकरण के लिए आवश्यक दस्तावेजः

  • मूल पहचान पत्र जैसे आधार कार्ड, वोटर आईडी, पासपोर्ट या ड्राइविंग लाइसेंस।
  • पहचान पत्र की फोटोकॉपी।
  • अन्य कोई आवश्यक दस्तावेज जो पंजीकरण फॉर्म पर निर्दिष्ट हो।

ऑफलाइन पंजीकरण काउंटर कहां पाए जाते हैंः

हरिद्वार, सोनप्रयाग, ऋषिकेश और बड़कोट सहित यात्रा मार्ग पर विभिन्न स्थानों पर।

  • निर्दिष्ट पंजीकरण काउंटर पर जाएं
  • पंजीकरण फॉर्म भरें और सभी आवश्यक विवरण दर्ज करें
  • आवश्यक दस्तावेजों की प्रतियां जमा करें।
  • पंजीकरण शुल्क का भूगतान करें-यदि लागू हो।
  • पंजीकरण रसीद प्राप्त करें।

अन्य माध्यमः

आप व्हाट्सएप के माध्यम से भी अपना रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं इसके लिए आपको‘‘यात्रा’’ लिखकर संदेश भेजना होगा।

याद रखें कि यात्रा के लिए पंजीकरण अनिवार्य है, पंजीकरण के बिना यात्रा नहीं की जा सकती।

चारधाम यात्रा करने का क्रम:

ये यात्रा वामावर्ती दिशा में की जाती है। शुरूआत यमुनोत्री से करते हुए सबसे आखिर में बद्रीनाथ दर्शन किये जाते हैं।

  • यमुनोत्री--गंगोत्री--केदारनाथ--बद्रीनाथ ।

चारधाम यात्रा की शुरूआत कैसे करें

यात्रा की शुरूआत ऋषिकेश या हरिद्वार से प्राइवेट टैक्सी, साझा वाहन या सरकार द्वारा चलाई जा रही विशेष चार धाम यात्रा बसों से पूरी की जा सकती है। आप हेलिकॉप्टर का विकल्प भी चुन सकते हैं। आप हरिद्वार/ऋषिकेश रेल, सड़क या आकाश मार्ग के माध्यम से पहुंच सकते हैं।

चारधाम यात्रा का रोडमैप

  • यमुनोत्री जाने के लिए हरिद्वार से बड़कोट के लिए बस या टैक्सी ले सकते हैं। फिर बड़कोट से जानकी चट्टी तक प्राइवेट या शेयरिंग जीप का उपयोग कर सकते हैं। जानकी चट्टी से यमुनोत्री मंदिर तक लगभग 6 किलोमीटर का पैदल मार्ग है, जिसे आप पैदल, खच्चर या पालकी से तय कर सकते हैं।
  • यमुनोत्री से गंगोत्री की यात्रा उत्तरकाशी होते हुए की जाती है, जो लगभग 220 किलोमीटर की दूरी है। इस यात्रा में लगभग 6-7 घंटे लगते हैं। आप बस, टैक्सी बस या निजी वाहन बुक कर सकते हैं। उत्तरकाशी से गंगोत्री की दूरी लगभग 100 किलोमीटर है। बस, टैक्सी या निजी वाहन से जा सकते हैं।
  • गंगोत्री से केदारनाथ जाने के लिए, तीर्थयात्री ऋषिकेश या हरिद्वार लौटते हैं और फिर गुप्तकाशी शहर जाते हैं। गुप्तकाशी से, सड़क मार्ग से गौरीकुंड जाते हैं और फिर केदारनाथ तक पैदल यात्रा करते हैं। उत्तराखंड परिवहन निगम की बसें सुबह चलती हैं, जिनसे यात्रा में 12-14 घंटे का समय लगता है। टैक्सी या कार आपको अपनी गति से यात्रा करने की सुविधा देती है। यदि आपके पास बजट की कोई पाबंदी नहीं है तो हेलिकॉप्टर से यात्रा करने में केवल 1-2 घंटे लगते हैं।
  • केदारनाथ से बद्र्रीनाथ की यात्रा आप सड़क मार्ग या हेलिकॉप्टर से तय कर सकते हैं। केदारनाथ से गौरीकुंड तक का 18 किलोमीटर का ट्रेक करें। गौरीकुंड से सोनप्रयाग तक 5 किलोमीटर का सफर तय करें। सोनप्रयाग से बद्रीनाथ तक सड़क मार्ग से 7-8 घंटे का सफर तय करना होगा जिसके लिए बस, टैक्सी, या निजी वाहन उपलब्ध हैं।
  • आप चाहें तो बद्रीनाथ जाने के लिए हेलिकॉप्टर द्वारा केदारनाथ के पास फाटा, गुप्तकाशी या सिरसी हेलिपैड से हेलिकॉप्टर बुक कर सकते हैं। ये यात्रा न केवल समय बचाती है बल्कि ऊबड़-खाबड़ इलाकों का एक अनूठा और मंत्रमुग्ध कर देने वाला हवाई दृश्य भी प्रदान करती है।

चारधाम यात्रा करने का उपयुक्त समय

चारधाम यात्रा करने का सबसे अच्छा समय अप्रैल से जून तक ग्रीष्मकालीन समय होता है। जब मौसम शांत होता है और तीर्थाें तक पहुंचना आसान होता है। मानसून के मौसम में यात्रा से बचने में समझदारी है क्योंकि उस दौरान तेज़ बारिश, भूस्खलन और सड़क बंद होेने से असुविधा का सामना कर पड़ सकता है। बारिश के बाद के महीने, विशेष रूप से सितंबर और अक्टूबर, भी यात्रा के लिए सहज होते हैं।

चारधाम यात्रा एक कठिन और चुनौतीपूर्ण यात्रा:

चारधाम यात्रा मार्ग में कई तरह की कठिनाईयां और चुनौतियां आती हैं ।

ऊंचाई और ऑक्सीजन की कमीः

चारधाम यात्रा के दौरान तीर्थयात्रियों को ­ऊंचाई वाले क्षेत्रों में यात्रा करनी पड़ती है। जहां ऑक्सीजन की कमी होती है। इससे सांस लेने में तकलीफ, सिर दर्द, और चक्कर जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

मौसम की प्रतिकूलताः

उत्तराखंड में मौसम कभी भी करवट ले सकता है जिससे यात्रा में परेशानी आ सकती है। बारिश, बादल फटना और तेज़ ठंडी हवाएं यात्रा को चुनौती भरा बना सकती हैं।

यात्रा मार्ग की दुष्कर भौगोलिक स्थितिः

पहाड़ी मार्ग अक्सर संकरे और उबड़-खाबड़ होते हैं जिससे यात्रा करना थोड़ा दिक्कत भरा हो सकता है। रास्ते में पत्थर आ जाना, फिसलन और रास्तों का सुनियोजित ना होना जैसे खतरे सामने आ सकते हैं।

भौतिक और मानसिक दबावः

चारधाम यात्रा में शारीरिक मेहनत और मानसिक तनाव भी तीर्थयात्रियों के लिए एक बड़ी चुनौती हो सकता है।

चारधाम यात्रा के दौरान कठिनाईयों और चुनौतियों से निपटने के लिए क्या करें

यात्रा से पहले डॉक्टरी परामर्श अवश्य लेंः

यदि आपकों कोई हेल्थ इश्यू है तो डॉक्टर से सलाह लेकर ही यात्रा की प्लानिंग करें। रास्ते के लिए आवश्यक दवाईयां, स्वास्थ्य संबंधी दस्तावेज जरूर साथ रखें।

ऊंचाई पर धीरे धीरे चढेंः

एकदम से ऊंचाई चढने के बजाय धीरे धीरे ऊंचाई पर चढना चाहिए जिससे सांस संबंधी समस्या का सामना कम करना पड़ें। 

पर्याप्त पानी पिएंः

ऊंचाई पर ऑक्सीजन की कमी के कारण शरीर में पानी की कमी हो सकती है, इसलिए सही मात्रा में पानी पीना बहुत जरूरी है।

मौसम के अनुसार कपड़े पहनःें

चारधाम यात्रा करते समय ठंडी हवाओं और सर्द भरे मौसम से बचने के लिए गर्म कपड़े पहनना जरूरी है।

सुरक्षा हेतु आवश्यक उपकरण साथ रखेंः

चारधाम यात्रा मार्ग में सुरक्षा के लिए आवश्यक चीजें जैसे कि ट्रेंकिग पोल, अच्छी गुणवत्ता वाले जूते, और हल्का बैकपैक साथ रखना अनावश्यक परेशानी से राहत देगा।

चारधाम यात्रा मार्ग आसान रास्ता नहीं है इसलिए सही तैयारी और सावधानी के साथ करने से ये यात्रा आत्मिक शांति और सुखद अनुभव देने वाली होगी।

चारधाम यात्रा के दौरान घूमने योग्य स्थान

यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ चारधामों की यात्रा करने से मन पवित्र होता है। इसके साथ ही उत्तराखंड की हसीन वादियों में और भी ऐेसे मनमोहक स्थान है जिनको देखकर दिल दिमाग तरोताजा महसूस करता है।

  • यमुनोत्रीः दिव्य शिला, हनुमान चटटी, सप्तऋषि कुंड और खरसाली।
  • गंगोत्रीः गौमुख ग्लेशियर, पांडव गुफा, तपोवन और भागीरथ शिला। 
  • केदारनाथः गौरीकुंड, वासुकी ताल, भैरवनाथ मंदिर और त्रियुगीनारायण मंदिर। 
  • बद्रीनाथः नीलकंठ शिखर, वसुधारा जलप्रपात, व्यास गुफा और माणा गांव।

चार धाम यात्रा करते समय अधिकतर पूछे जाने वाले प्रश्न

प्रश्नः क्या चारधाम यात्रा वृद्धजनों के लिए उपयुक्त है?

उत्तरः शारीरिक रूप से कठिन ये यात्रा वृद्धजनों के लिए आसन तो नहीं हो सकती है, लेकिन उचित योजना, सहायता और चिकित्सीय देखरेख के अन्तर्गत तीर्थयात्रा कर सकते हैं। जो लोग चलने में असमर्थ हैं, उनके लिए पालकी, घोड़ा, पिट्ठू भी उपलब्ध हैं।

प्रश्नः क्या मार्ग पर चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध हैं?

उत्तरः चारधाम यात्रा मार्ग पर विभिन्न स्थानों पर प्राथमिक चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध हैं, लेकिन तीर्थयात्रियों को सलाह दी जाती है कि वे अपने साथ बेसिक जरूरत की दवाएं साथ रखें और यदि कोई स्वास्थ्य संबंधी समस्या है तो उससे संबंधित चीजें अपने साथ जरूर रखें।

प्रश्नः चारधाम यात्रा के दौरान बजट यात्रियों के लिए ठहरने के क्या विकल्प हैं?

उत्तरः नियंत्रित बजट विकल्पों में तीर्थ स्थलों पर उपलब्ध धर्मशालाएं, आश्रम, गेस्टहाउस, साझा शयनगृह, टेंट और होमस्टे शामिल हैं।

प्रश्नः चारधामयात्रा के दौरान आपातकालीन स्थिति में क्या करना चाहिए?

उत्तरः स्थानीय अधिकारियों, चिकित्सा सुविधाओं या अन्य यात्रियोें से मदद की गुजारिश करें। आपातकालीन संपर्कों को किसी डायरी और मोबाइल फोन में सुरक्षित रखें। और चार्जेबल उपकरणों को पूर्णतया चार्ज रखें।

प्रश्नः चारधाम स्थलों पर फोटोग्राफी को लेकर क्या दिशा-निर्देश है?

उत्तरः सामान्यतः फोटोग्राफी पर अनुमति है, लेकिन मंदिर परिसरों के अंदर या समारोहों के दौरान इस पर मनाही हो सकती है। स्थानीय रीति-रिवाजों, परंपराओं की गरिमा बनायें रखें और ज़रूरत पड़ने पर अनुमति लें।

प्रश्नः चार धाम यात्रा करने से पहले विशेष क्या क्या सावधानी बरतनी चाहिए?

उत्तरः चार धाम यात्रा करते से पहले सेहत की जांच अवश्य कराएं, आवश्यकतानुसार दवाई और डॉक्टरी परामर्श साथ रखें साथ ही यात्रा पूर्व मौसम की ताजा जानकारी से खुद को अपडेट अवश्य रखें।

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